नोएडा, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। नोएडा प्राधिकरण में 200 करोड़ की एफडी बैंक में जमा करने और फिर उसे जालसाजों द्वारा निकालने के मामले की जांच अब इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (ईओडब्ल्यू) करेगा। इस पूरी घटना में तकरीबन 2 महीने की जांच के बाद नोएडा प्राधिकरण ने अपने सभी अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी है और पुलिस ने भी नोएडा अथॉरिटी के किसी अधिकारी को फिलहाल गिरफ्तार भी नहीं किया है और ना ही इसमें किसी के मिलीभगत होने का खुलासा किया है।
बता दें कि नोएडा प्राधिकरण ने 200 करोड़ रुपये की एफडी कराने के लिए जून-2023 में सेक्टर-62 स्थित बैंक ऑफ इंडिया में खाता खुलवाया था। इस मामले में जालसाज़ ने प्राधिकरण-बैंक अधिकारी-कर्मचारियों से मिलीभगत कर जून महीने के अंत में 3 करोड़ रुपए निकाल कर विभिन्न खातों में ट्रांसफर करा दिए थे। इसके बाद 9 करोड़ रुपए और ट्रांसफर करने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी थी, लेकिन गड़बड़ी का अंदेशा होने पर यह पैसा ठगे जाने से बच गया।
इस मामले में जुलाई 2023 के पहले सप्ताह में नोएडा प्राधिकरण के मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी मनोज कुमार सिंह ने कोतवाली सेक्टर-58 में मामला दर्ज करा दिया था। इसके साथ ही प्राधिकरण की तत्कालीन सीईओ रितु माहेश्वरी ने मामले की जांच के लिए एसीईओ की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित कर दी थी। समिति को 15 दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे।
इस बीच प्राधिकरण को बैंक की तरफ से पूरे 200 करोड़ रुपए मिल गए हैं।
खास बात यह है कि जो जांच 15 दिन में पूरी हो जानी चाहिए थी वो करीब दो महीने तक चली। अधिकारी जल्द जांच पूरी होने का दावा कर रहे हैं।
प्राधिकरण अधिकारियों ने कहा था सभी के बयान हो गए हैं। फाइनल रिपोर्ट के आधार पर जो भी दोषी होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन जांच रिपोर्ट में सभी अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी गई। ये बात किसी को हजम नहीं हुई क्योंकि इतना बड़ा घोटाला बिना प्राधिकरण अधिकारियों के मिली भगत के संभव नहीं है।
इस मामले में पुलिस ने करवाई करते हुए तीन वांछित लोगों को गिरफ्तार किया था। इनकी पहचान राजेश, सुधीर और मुरारी के रूप में हुई थी। इस गैंग का मास्टरमाइंड मनु पोला अभी भी फरार है।
–आईएएनएस
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