कोलकाता, 17 जून (आईएएनएस)। राज्य चुनाव आयोग और ममता बनर्जी सरकार ने आगामी पंचायत चुनावों के लिए पूरे राज्य में केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनके इस कदम से पश्चिम बंगाल में सियासी सरगर्मी और तेज हो गई है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख करना राज्य चुनाव आयोग के लिए यू-टर्न के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि पहले आयोग ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने की बात कही थी। गुरुवार देर शाम ही एसईसी राजीव सिन्हा ने कहा था कि, वह कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश का पालन करेंगे।
इस मामले पर पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, राज्य सरकार और एसईसी का ये कदम पहले से ही तय था। इसलिए, कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के तुरंत बाद उन्होंने भी शीर्ष अदालत में एक कैविएट दायर की थी।
पश्चिम बंगाल के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि, इसकी संभावना है कि गुरुवार को राजीव सिन्हा ने कहा था कि वह कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश का पालन करेंगे क्योंकि तब तक मुख्यमंत्री कार्यालय से कोई स्पष्ट निर्देश उनके पास नहीं आया था।
चौधरी ने कहा, अब निर्देश आने के साथ ही उन्होंने यू-टर्न ले लिया है। कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश ने विपक्षी दलों की दलीलों को स्वीकार कर लिया है और इसलिए राज्य सरकार व एसईसी सशस्त्र बलों की तैनाती को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रही है।
शुभेंदु अधिकारी की तरह, मालदा (दक्षिण) से कांग्रेस के लोकसभा सदस्य अबू हसीम चौधरी ने भी इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल किया था। सीपीआई (एम) केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि, राज्य चुनाव आयुक्त का कार्यालय राज्य सचिवालय की विस्तारित शाखा के रूप में कार्य कर रहा है।
उन्होंने कहा कि, स्वतंत्र निर्णय लेने के बजाय, राजीव सिन्हा राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल की मनमर्जी के अनुसार काम कर रहे हैं। दूसरी तरफ नाम नहीं बताने की शर्त पर मंत्रिमंडल के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि, मानदंडों के अनुसार, एसईसी को राज्य सरकार के साथ समन्वय में काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि, इस मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दरकिनार करके केंद्रीय बलों को तैनात करने के लिए एसईसी को सीधे निर्देश दिया। संभवत: इसीलिए आयोग और राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
–आईएएनएस
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