कोलकाता, 17 जून (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में जहां विपक्षी पार्टियां सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर 8 जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा करने का आरोप लगा रही हैं, वहीं तृणमूल नेतृत्व ने शनिवार को विपक्षी दलों के प्रत्याशियों द्वारा बड़ी संख्या में नामांकन दाखिल किए जाने के आंकड़े का हवाला देते हुए इस आरोप को खारिज कर दिया।
तृणमूल प्रवक्ता रिजू दत्ता के मुताबिक, नामांकन दाखिल करने के दौरान अगर सत्ताधारी पार्टी ने हिंसा की होती तो विपक्षी पार्टियों की तरफ से नामांकन दाखिल करने वालों की संख्या इतनी ज्यादा नहीं होती।
उन्होंने कहा, संयुक्त विपक्ष ने लगभग 1.5 लाख नामांकन दाखिल किए हैं, तृणमूल के आंकड़े 85,000 थे। अगर पश्चिम बंगाल में हिंसा हुई है, तो क्या मणिपुर अमृत काल से गुजर रहा है? चाहे वह केंद्रीय बल हो, केजीबी या एमआई 6, कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे क्या करते हैं, वे पंचायत चुनाव नहीं जीत सकते, क्योंकि पश्चिम बंगाल के लोग विपक्ष के साथ नहीं हैं, बल्कि ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के साथ हैं।
हालांकि, राज्य भाजपा के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य दत्ता के तर्क से सहमत नहीं हैं।
भट्टाचार्य के अनुसार, 2013 और 2018 की तुलना में इस बार विपक्षी दलोंने इसलिए ज्यादा नामांकन किया, क्योंकि आम लोगों ने सत्ताधारी दल द्वारा समर्थित गुंडों का विरोध किया।
उन्होंने कहा, तृणमूल ने विपक्ष द्वारा नामांकन दाखिल करने से रोकने की पूरी कोशिश की। लेकिन इस बार उन्हें लोगों के अभूतपूर्व प्रतिरोध और प्रतिशोध का सामना करना पड़ा।
दरअसल, शुक्रवार को दक्षिण 24 परगना जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने दावा किया था कि इस बार नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया कमोबेश शांतिपूर्ण थी, और वाम मोर्चा शासन की तुलना में काफी बेहतर थी।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सप्ताह भर में जो भी छिटपुट घटनाएं हुईं, वे विपक्षी दलों की करतूत थीं।
–आईएएनएस
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