नई दिल्ली, 23 जून (आईएएनएस)। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक को स्वार्थ का गठबंधन करार देते हुए कहा कि इस बैठक का निशाना मोदी नहीं, बल्कि भारत की तिजोरी है।
उन्होंने कहा कि इन दलों के निशाने पर हिंदुस्तान है और जब भी ये राजनीतिक दल साथ आएं हैं तो अपने साथ भ्रष्टाचार और परिवारवाद लाए हैं। राष्ट्र की आर्थिक प्रगति को संकुचित करने का अपने संग आरोप लेकर आए।
उन्होंने कहा कि एक-दूसरे को फूटी आंख तक नहीं सुहाने वाले दल भारत को आर्थिक प्रगति से वंचित करने के संकल्प के साथ इकट्ठे हुए हैं। स्वार्थ का यह गठबंधन बहुमुखी है और अलग-अलग शैली में संवाद करता है।
आम आदमी पार्टी के रुख पर तंज कसते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि आम आदमी पार्टी का गठबंधन की शुरूआत में ही पॉलिटिकल ब्लैकमेलिंग करना, इस बात का संकेत है कि इस अनहोली अलायंस के साथ क्या अनहोनी होने वाली है।
महबूबा मुफ्ती द्वारा कश्मीर को लेकर की गई मांग के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए ईरानी ने कहा कि इस बात का जवाब सोनिया गांधी को देना चाहिए, उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या सोनिया गांधी या उनका परिवार पुन: भारत का विभाजन चाहता है ?
स्मृति ईरानी ने कहा कि अगर ममता बनर्जी में थोड़ा भी स्वाभिमान बचा होगा तो वह कम्युनिस्ट पार्टी के साथ कभी भी समझौता नहीं करेंगी। अगर वह समझौता करेंगी तो इसका मतलब होगा कि उनका राजनीतिक स्वार्थ, उनके व्यक्तिगत स्वाभिमान से बढ़कर है। उन्होंने कहा कि जिनका जागरण उत्तर प्रदेश में न हुआ हो, वो बिहार में जाकर नवजागरण की बात करें, यह हास्यास्पद है।
स्मृति ईरानी ने तृणमूल कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी के आपसी संबंध, तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस पार्टी के आपसी संबंध, राहुल गांधी को लेकर दिए गए ममता बनर्जी के बयान, सोनिया गांधी को लेकर दिए गए शरद पवार के बयान, कांग्रेस द्वारा डीएमके पर राजीव गांधी की हत्या के षड्यंत्र में शामिल होने के लगाए गए आरोप, ममता बनर्जी द्वारा लालू यादव के खिलाफ लाए गए श्वेतपत्र समेत कई वाक्यों, घटनाओं और बयानों का जिक्र करते हुए यह साबित करने का भी प्रयास किया कि पटना में बैठक करने वाले दलों के बीच आपस में कितना टकराव और अंतर्विरोध है।
–आईएएनएस
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