हटा. सागर संभाग सहित प्रदेश के जिलों में अस्थाई परमिट पर संचालित बसों के पहिया एक जनवरी से थम गए है.दरअसल मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा प्रदेश के परिवहन अधिकारियों द्वारा जारी किए जा रहे नियम विरुद्ध अस्थाई परमिट पर रोक लगाते हुए परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव को इस संबंध में आदेश जारी करने के निर्देश दिए गए थे जिस पर अतिरिक्त मुख्य सचिव एसएन मिश्रा द्वारा आदेश भी जारी कर दिया है. जिसके परिपालन में सागर संभाग के सभी परिवहन अधिकारियों द्वारा एक जनवरी से जारी होने वाले अस्थाई परमिट जारी नहीं किए है.
मोटर यान अधिनियम की धारा 87 (1) (सी)के प्रावधानों के मुताबिक मार्गो पर अतिरिक्त ट्रैफिक बढ़ने पर पूर्व संचालित वाहन उपलब्ध यात्रियों को ढोने में अपर्याप्त होने पर अस्थाई परमिट जारी किये जाने की पात्रता होती है किंतु कतिपय अधिकारियों इस नियम को अपना अधिकार समझते हुए एक मार्ग पर 5 से 10 मिनिट के अंतराल से परमिट देना आरम्भ कर दिए थे. जिसके खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर की थी.
हाल में ही न्यायमूर्ति एमएस बट्टी की कोर्ट ने जारी किए परमिट निरस्त कर प्रमुख सचिव परिवहन को आदेश जारी करने के निर्देश दिये थे जिसके पालन में परिवहन अधिकारियों ने वर्षो से संचालित अस्थाई परमिट जारी करने से इनकार कर दिया और तो और परिवहन विभाग की वेबसाइट पर मोटर यान अधिनियम की धारा 87 (1) (ए) के मैरिज/टूरिस्ट पार्टी परमिट जो की अधिकतम 7 दिवस की अवधि के ऑनलाइन जारी होते थे उन पर रोक लगाते हुए एनआईसी पोर्टल भी बन्द करा दिया है. जिससे सभी प्रकार के अस्थाई परमिट नए वर्ष एक जनवरी से बन्द हो गए है.
इस प्रकार स्थाई परमिट पर संचालित वाहनों के अलावा सभी यात्री वाहन संचलन पर रोक लग गई है . ऐसे में पहले दिन मोटर मालिकों ने पुराने ढर्रे पर ही बसों का संचालन किया है जिसमें खासकर नान स्टाप बसें है जो पूरे संभाग में फर्राटा भर रही थी. बुधवार को कुछ बस मालिकों ने बसे अपने रुट पर नहीं भेजी तो कुछ बसें अपने यथा समय पर संचालित करती देखी गई है. यहां बता दें कि एक ही सड़क पर पांच से दस मिनट के समय पर परमिट जारी होने से मोटर वाहन मालिकों में विवाद की स्थिति निर्मित होती थी. साथ ही समय को बचाने के चक्कर में चालक तेज गति से बसें चलाते थे जिससे दुर्घटनाएं सामने आ रही थी.