नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत के प्रत्यक्ष कर संग्रह में बीते एक दशक में बड़ा उछाल देखने को मिला है। वित्त वर्ष 2023-24 में यह बढ़कर 19.60 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो कि वित्त वर्ष 2014-15 में 6.95 लाख करोड़ रुपये था। यह जानकारी आयकर विभाग द्वारा जारी डेटा से मिली।
प्रत्यक्ष कर संग्रह में बढ़त की वजह पर्सनल इनकम टैक्स में उछाल आना है। वित्त वर्ष 2014-15 में पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन 2.65 लाख करोड़ रुपये था, जो कि वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 10.45 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसमें बीते एक दशक में 294.3 प्रतिशत की बढ़त हुई है।
कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन पिछले एक दशक में 112.85 प्रतिशत बढ़कर 9.11 लाख करोड़ रुपये हो गया है। वित्त वर्ष 2014-15 में यह आंकड़ा 4.28 लाख करोड़ रुपये था।
टैक्स रिटर्न की संख्या बढ़कर 8.61 करोड़ हो गई है, जो कि वित्त वर्ष 2014-15 में 4.04 करोड़ थी।
आईटीआर की संख्या बढ़कर 8.13 करोड़ हो गई है जो कि पहले 3.74 करोड़ था।
टैक्स-टू-जीडीपी रेश्यो बढ़कर 6.64 प्रतिशत हो गया है, जो कि पहले 5.5 प्रतिशत था।
आंकड़ों से जानकारी मिली कि रिटर्न दाखिल करने वाले या स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) कराने वाले करदाताओं सहित कुल करदाताओं की संख्या वित्त वर्ष 2015 में 5.70 करोड़ से बढ़कर 10.41 करोड़ हो गई।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुताबिक, आईटीआर का औसत प्रोसेसिंग समय 2013 में 93 दिनों से घटाकर अब 10 दिन हो गया है, इससे रिफंड में तेजी आई है।
यह पिछले कुछ वर्षों में आयकर रिटर्न प्रणालियों और प्रक्रियाओं में अपटेड और व्यक्तिगत कर व्यवस्था के सरलीकरण से हासिल किया गया है, जिससे कर रिटर्न दाखिल करना आसान हो गया है।
डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी की वजह मजबूत जीडीपी ग्रोथ है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.4 फीसदी की दर से बढ़ी। वित्त वर्ष 2024-25 में इसके 7.2 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
–आईएएनएस
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