पलामू, 28 मार्च (आईएएनएस)। झारखंड के पलामू जिला के मेदिनीनगर शहर में सुषमा देवी मशरूम के उत्पादन के जरिए कई महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रही हैं।
सुषमा देवी वर्ष 2006 से अपने घर में मशरूम के स्पॉन यानी बीज के उत्पादन के साथ-साथ मशरूम का उत्पादन भी कर रही हैं। इनके द्वारा तैयार किए जा रहे मशरूम के स्पॉन की मांग पलामू, लातेहार, गढ़वा और छतीसगढ़ के अलावा मेदिनीनगर शहर में भी काफी है। सुषमा की इस पहल से कई महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। इस काम से सुषमा देवी की अच्छी आमदनी भी हो जाती है, जिससे वह अपना जीवन यापन कर पाती हैं।
सुषमा देवी अपने घर में ही मशरूम का उत्पादन करती हैं। इसके लिए वह सर्दियों के मौसम धान की पुटी और गर्मियों के दिनों में गेहूं की पुटी से मशरूम तैयार करती हैं। मशरूम को बनाने के लिए सुषमा ने एक अनोखा तरीका अपनाया है। वह इसे पॉलिथीन में भरकर तार के हैंगर में रख देती हैं, जिसमें समय-समय पर पानी दिया जाता है, जिससे मशरूम तैयार होती है। बाद में इसे बिक्री के लिए बाजार भेजा जाता है। मशरूम का इस्तेमाल पापड़, बरी, आचार और अन्य चीजें बनाने के लिए किया जाता है।
सुषमा देवी ने बताया कि वह मशरूम के उत्पादन के साथ महिलाओं को मशरूम बनाने का प्रशिक्षण भी देती हैं, जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें। उनकी इस पहल से आज कई महिलाएं अपना जीवन व्यापन कर रही हैं।
उन्होंने कहा, मैंने साल 2005 में दिव्यायन कृषि विज्ञान केंद्र, रांची से प्रशिक्षण प्राप्त किया। उसके बाद रांची से बीज लाकर मैंने 2006 में मशरूम का उत्पादन शुरू किया। इस बीच बीज की काफी किल्लत होती थी, जिसके लिए मुझे बार-बार रांची जाना पड़ता था। इसके बाद मैंने कृषि विज्ञान केंद्र, रांची से मशरूम के बीज के उत्पादन के बारे में भी प्रशिक्षण लिया, जिसके बाद मेरी सारी परेशानी खत्म हो गई। अब मैं अपने साथ-साथ अन्य लोगों को भी बीज उपलब्ध कराती हूं। लोग मुझसे बीज ले जाकर मशरूम का उत्पादन करते हैं।”
सुषमा देवी ने आगे बताया, ”मैं लोगों को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण भी देती हूं, जिससे वह मशरूम उगाने में सक्षम हो जाते हैं, और अपना जीवन यापन कर पाते हैं। लोग मुझसे अक्सर पूछते हैं कि हमें इससे कैसे लाभ मिल सकता है। इस पर मैं कहना चाहती हूं कि यह लोगों पर निर्भर करता है कि वह कितनी मात्रा में इसका उत्पादन करना चाहते हैं। अगर कोई सिर्फ 2 या 4 बैग मशरूम लगाता है तो उन्हें इससे ज्यादा फायदा नहीं मिल पाएगा, यह सिर्फ घर के लिए ही पर्याप्त होगा। वहीं अगर वह बिजनेस के तौर पर इसे करना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए एक यूनिट मशरूम का उत्पादन करना होगा, इससे उन्हें डेढ़ क्विंटल मशरूम प्राप्त होगी, जिससे वह उसे बाजार कीमत पर बेच सकते हैं। मशरूम की कीमत बाजार में 150 से 200 रुपये के बीच है। अगर वह डेढ़ क्विंटल मशरूम को 100 रुपये किलो की कीमत पर बेचते है तो उन्हें 10 से 15 हजार रुपये का लाभ होगा।”
सुषमा ने कहा कि इससे लोग घर बैठे ही रुपये कमा सकते है। साथ ही कहा कि रोजगार की तालाश में जो लोग लगे हुए हैं वह भी इस बिजनेस को कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि उनका मशरूम आस पास के क्षेत्रों में जाता है। वह कहती है कि मैं मशरूम से ज्यादा बीज का उत्पादन करती हूं, जिससे मेरे साथ अन्य लोगों को भी इसका लाभ मिल सके।
–आईएएनएस
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