कोलकाता, 9 अगस्त (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल स्कूल भर्ती मामले में बुधवार को कुछ नए खुलासे हुए हैं।
सीबीआई की चार्जशीट में बताया गया है कि शिक्षकों ने नौकरी पाने के एवज में 22 लाख रुपये का भुगतान किया था। मुर्शिदाबाद जिले के चार प्राथमिक शिक्षक इस आरोप में फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की चार्जशीट के अनुसार न्यायिक हिरासत में बंद चार शिक्षकों में से जहीरुद्दीन शेख और समर मंडल ने नौकरी के लिए बिचौलिए तापस मंडल को 5 लाख रुपये का भुगतान किया था। तापस मंडल भी न्यायिक हिरासत में है।
सूत्रों ने बताया कि चार्जशीट के अनुसार ये दोनों शिक्षक तापस मंडल के स्वामित्व वाले एक निजी डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) कॉलेज के पूर्व छात्र थे।
हिरासत में लिए गए शिक्षकों में से सैगर हुसैन और सिमोर हुसैन ने भी प्राथमिक शिक्षक की नौकरी पाने के लिए 6,00,000 रुपये का भुगतान किया। उन्होंने यह पैसा निष्कासित युवा तृणमूल कांग्रेस नेता और मामले के एक अन्य आरोपी कुंतल घोष को दिया, जो अब न्यायिक हिरासत में है।
इन चारों को उनके पैतृक जिले मुर्शिदाबाद के स्कूलों में पोस्टिंग मिल गई।
चार्जशीट के अनुसार, तापस मंडल ने 2016 से 2022 के बीच 141 उम्मीदवारों से नौकरी के एवज में लगभग 4.14 करोड़ रुपये एकत्र किए।
सीबीआई की चार्जशीट में बताया गया है कि घोष ने अपने एजेंट नेटवर्क के माध्यम से 71 उम्मीदवारों से 3.13 करोड़ रुपये एकत्र किए थे।
इस बीच, बांकुरा जिले के सात प्राथमिक शिक्षक जिन्होंने कथित तौर पर नकद भुगतान के बाद अपनी नौकरी हासिल की थी, उनसे भी पूछताछ की जा रही है।
सोमवार को विशेष पीएमएलए अदालत के न्यायाधीश अर्पण चट्टोपाध्याय ने कहा कि नौकरी के लिए नकद भुगतान करने वालों को गवाह नहीं बल्कि आरोपी माना जाना चाहिए।
न्यायाधीश ने नकदी के बदले नौकरी पाने वाले ऐसे शिक्षकों को इस भ्रष्टाचार की जड़ बताते हुए कहा कि वे स्वेच्छा से नकदी लेकर फिक्सरों के पास गए थे।
–आईएएनएस
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