नई दिल्ली, 25 अप्रैल (आईएएनएस)। पहलगाम में हाल ही में हुआ आतंकी हमला, हमास की रणनीतियों से प्रेरित था। पहलगाम हमला हमास द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली रणनीतियों जैसा ही था। हमले में चार आतंकी शामिल थे, जिनमें दो पाकिस्तानी थे और दो स्थानीय। इन सभी ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में ट्रेनिंग ली थी। वहां लश्कर और जैश के कैंपों में हमास ने ट्रेनिंग देने का इंतजाम किया है और इसे आईएसआई का भी समर्थन मिला हुआ है।
सूत्रों के मुताबिक, 5 फरवरी 2025 को, कुछ हमास नेताओं को इजरायल ने रिहा किया और वे पाकिस्तान सरकार के बुलावे पर पाकिस्तान आए। उन्हें पीओके ले जाया गया, जहां उनकी मुलाकात लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों से करवाई गई। हमास के नेताओं को रावलकोट की सड़कों पर घोड़ों पर सवारी करके आजादी दिलाने वालों की तरह घुमाया गया।
इस रैली में हमास के प्रवक्ता डॉ. खालिद कद्दूमी और डॉ. नाजी जहीर, साथ ही हमास के नेता मुफ्ती आजम और बिलाल अलसल्लत शामिल हुए थे। इस रैली में जैश-ए-मोहम्मद के नेता मसूद अजहर का भाई तल्हा सैफ, लॉन्चिंग कमांडर असगर खान कश्मीरी, मसूद इलियास और लश्कर-ए-तैयबा के बड़े आतंकवादी कमांडर भी मौजूद थे।
इस कॉन्फ्रेंस का नाम “कश्मीर एकजुटता और हमास का ऑपरेशन अल अक्सा फ्लड” था और यह इसलिए रखा गया था ताकि यह बताया जा सके कि कश्मीर और फिलिस्तीन दोनों ही इस्लामी जिहाद के विषय हैं। इसका मकसद यह भी था कि पूरा मुस्लिम जगत मिलकर भारत और इजरायल के खिलाफ पीड़ितों के तौर पर एकजुट हो।
7 अक्टूबर 2024 को पाकिस्तान की आईएसआई ने हमास नेताओं को बांग्लादेश की राजधानी ढाका ले जाकर वहां एक चरमपंथी कार्यक्रम में शामिल करवाया। इस कार्यक्रम का मकसद भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में आतंक फैलाना था।
इस कार्यक्रम का आयोजन ‘अल मरकज़ुल इस्लामी’ नाम के संगठन ने किया था, जिसका संस्थापक मुफ़्ती शाहिदुल इस्लाम अल-कायदा से जुड़ा हुआ था। इस कार्यक्रम में हमास के बड़े नेता और पाकिस्तान के इस्लामी नेता भी शामिल हुए थे। मुफ्ती शाहिदुल इस्लाम, जिनकी 2023 में मृत्यु हो गई, के अल-कायदा से सीधे रिश्ते थे। आतंकवाद में उसकी लंबी भागीदारी के कारण इस कार्यक्रम के पीछे के इरादों को लेकर चिंता बढ़ गई है।
मुफ्ती शाहिदुल इस्लाम बांग्लादेश में इस्लामी आतंकवाद फैलाने वालों में एक जाना-माना नाम था। उसे पहले 1999 में गिरफ्तार किया गया था। उस पर खुलना में अहमदिया मस्जिद पर बम हमले की साजिश रचने का आरोप था, जिसमें आठ लोगों की जान चली गई थी। जेल से छूटने के बाद, इस्लाम अफगानिस्तान, पाकिस्तान और कई अफ्रीकी देशों में गया, जहां उसने अल-कायदा से सीधे बम बनाने की ट्रेनिंग ली। उसकी मौत के बाद भी, उसका प्रभाव कम नहीं हुआ है। जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) जैसे चरमपंथी संगठन आज भी उसे अपने नेताओं में एक मानते हैं।
ढाका में 7 अक्टूबर को एक कार्यक्रम हुआ था। इसमें हमास के बड़े नेता शामिल हुए, जैसे कि शेख खालिद कुदुमी और शेख खालिद मिशाल। कुदुमी हमास का प्रवक्ता और बड़ा लीडर है तो वहीं मिशाल हमास की राजनीतिक शाखा का अध्यक्ष है। इस कार्यक्रम में पाकिस्तान के मशहूर कट्टरपंथी इस्लामी नेता भी आए थे, जैसे कि शैखुल इस्लाम मुफ्ती तकी उस्मानी और मौलाना फजलुर रहमान।
–आईएएनएस
एएस/एबीएम