इस्लामाबाद, 9 जनवरी (आईएएनएस)। बलूचिस्तान में गेहूं का संकट खड़ा हो गया है। सरकार द्वारा एसओएस भेजे जाने के बावजूद केंद्र सरकार की ओर से गेहूं की कोई खेप नहीं भेजी गई।
डॉन न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार रात एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में खाद्य मंत्री जमरक खान पिरालिजाई ने कहा था कि खाद्य विभाग का गेहूं का स्टॉक खत्म हो गया है और उसने अन्य प्रांतों और केंद्र से मदद मांगी है।
उन्होंने कहा, हम बहुत गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं और आपातकालीन आधार पर 600,000 बैग गेहूं की जरूरत है, उन्होंने कहा कि उन्होंने संघ व पंजाब और सिंध की प्रांतीय सरकारों को एक एसओएस भेजा।
उन्होंने कहा कि बिगड़ती स्थिति से निपटने के लिए बलूचिस्तान को तत्काल गेहूं की आपूर्ति की जरूरत है।
मंत्री ने कहा, इस संकट के लिए संघीय, सिंध और पंजाब सरकारें जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री परवेज इलाही द्वारा 600,000 बैग गेहूं प्रदान करने के वादे के बावजूद, एक भी बैग गेहूं प्रांत को नहीं भेजा गया।
उन्होंने दावा किया, इस्लामाबाद, पंजाब और सिंध ने बलूचिस्तान को गेहूं देने से इनकार कर दिया है।
मंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता हम्माद अजहर के हवाले से द न्यूज ने कहा पाकिस्तान में आने वाले दिनों में खाद्य पदार्थों का गंभीर संकट पैदा होने की संभावना है। यदि गठबंधन सरकार ऋण कार्यक्रम की नौवीं समीक्षा को अंतिम रूप देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की शर्तों को स्वीकार करती है तो मुद्रास्फीति 40 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी।
उन्होंने पीएमएल-एन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार पर केवल नौ महीने में देश को आर्थिक पतन के कगार पर ले जाने का आरोप लगाया।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में 2022 में मानसून की बाढ़ से पहले ही खासकर ग्रामीण इलाकों में उच्च खाद्य मुद्रास्फीति बाढ़ के बाद और तेज हो गई थी।
ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य मुद्रास्फीति की दर अगस्त में बाढ़ के बीच 30 प्रतिशत को पार कर गई और अगले चार महीनों तक उस स्तर से ऊपर रही, जो दिसंबर 2022 में 37.9 प्रतिशत पर पहुंच गई।
शहरी क्षेत्रों में लोगों ने देखा कि खाद्य मुद्रास्फीति सितंबर में 30 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई, फिर अक्टूबर में 34.7 प्रतिशत के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गई और फिर नवंबर में 29.7 प्रतिशत पर आ गई।
लेकिन दिसंबर में शहरी खाद्य महंगाई फिर से बढ़कर 32.7 फीसदी हो गई।
इस तरह की लगातार उच्च दरें मुख्य रूप से घरेलू खाद्यान्न की कमी का परिणाम थीं, जो बाढ़ के बाद और बढ़ गईं। डॉन ने खबर दी है कि 2022 के अधिकांश समय में अंतरराष्ट्रीय बाजार में उच्च खाद्य कीमतें, रुपये का मूल्यह्रास, घरेलू आपूर्ति में व्यवधान और आयात प्रतिबंधों के कारण आयात में देरी के कारण अधिकारियों द्वारा प्रशासित कीमतों को लागू किया जा रहा है।
–आईएएनएस
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