दिल्ली, 5 अगस्त (आईएएनएस)। एनसीईआरटी पर आरोप है कि उसने स्कूल की नई पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटा दिया है। लेकिन एनसीईआरटी ने सोमवार शाम स्पष्ट किया कि पाठ्यपुस्तकों से प्रस्तावना को हटाने का आरोप निराधार है।
एनसीईआरटी में पाठ्यक्रम अध्ययन और विकास विभाग की प्रमुख प्रोफेसर रंजना अरोड़ा के मुताबिक पहली बार एनसीईआरटी भारतीय संविधान के विभिन्न पहलुओं- प्रस्तावना, मौलिक कर्तव्य, मौलिक अधिकार और राष्ट्रगान को बहुत महत्व दे रहा है। इन सभी को विभिन्न चरणों की पाठ्यपुस्तकों में रखा जा रहा है।
इस वर्ष कक्षा तीन और कक्षा छह के लिए जारी की कुछ पाठ्यपुस्तकों में संविधान की प्रस्तावना नहीं है। इस पर एनसीईआरटी का कहना है कि यह समझना कि केवल प्रस्तावना ही संविधान और संवैधानिक मूल्यों को प्रतिबिंबित करता है, त्रुटिपूर्ण और संकीर्ण है। बच्चों को प्रस्तावना सहित मौलिक कर्तव्य, मौलिक अधिकार और राष्ट्रगान से संवैधानिक मूल्य क्यों नहीं प्राप्त होने चाहिए।
एनसीईआरटी का कहना है कि हम एनईपी-2020 के दृष्टिकोण का पालन करते हुए बच्चों के समग्र विकास के लिए इन सभी को समान महत्व देते हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की शुरुआत के बाद पाठ्य पुस्तकों को नई शिक्षा नीति के आधार पर संशोधित किया जा रहा है। इस वर्ष नई राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के मद्देनजर कक्षा तीन और छह के लिए नई पुस्तकें जारी की गई हैं। पहले की पुस्तकों में संविधान की प्रस्तावना छापी गई थी, लेकिन अब प्रकाशित कुछ पुस्तकों में संविधान को लेकर कई महत्वपूर्ण जानकारियां प्रकाशित की गई हैं। इन जानकारी में नागरिकों मौलिक अधिकार एवं कर्तव्यों का भी उल्लेख है। इसके अलावा संविधान से जुड़ी कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी इन पाठ्यपुस्तकों में उपलब्ध कराई गई हैं।
एनसीईआरटी का कहना भारतीय संविधान की प्रस्तावना, मौलिक कर्तव्य, मौलिक अधिकार और राष्ट्रगान को महत्व दिया गया है। इन सभी को पाठ्यपुस्तकों में रखा जा रहा है।
–आईएएनएस
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