हैदराबाद, 24 मई (आईएएनएस)। एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी संसद भवन के उद्घाटन में शामिल नहीं होगी।
उन्होंने बुधवार को हैदराबाद में संवाददाताओं से कहा कि इस भवन का उद्घाटन लोकसभा स्पीकर ओम बिरला द्वारा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर स्पीकर भवन का उद्घाटन करते हैं तो एआईएमआईएम कार्यक्रम में भाग लेगी।
हैदराबाद के सांसद विपक्षी दलों के इस विचार से सहमत नहीं थे कि भारत के राष्ट्रपति को नए संसद भवन का उद्घाटन करना चाहिए। उन्होंने कहा, उनका यह तर्क भी गलत है कि राष्ट्रपति को उद्घाटन करना चाहिए। संविधान का अनुच्छेद 53 (1) यह साफ कहता है कि देश की कार्यकारी शक्ति राष्ट्रपति में निहित है। वे संविधान नहीं पढ़ते हैं।
ओवैसी ने कहा कि विपक्षी दलों ने एआईएमआईएम से संपर्क नहीं किया। उनके विचार में हम अछूत हैं।
ओवैसी ने याद किया कि जब प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन का शिलान्यास किया था तो उन्होंने इसे विधायिका में कार्यपालिका का अनावश्यक दखल बताया था।
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री को संसद भवन का उद्घाटन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का घोर उल्लंघन है। विधायिका कार्यपालिका से स्वतंत्र है। विधायिका के अधिकार क्षेत्र में कार्यपालिका हस्तक्षेप कर रही है।
ओवैसी की पार्टी के लोकसभा में दो सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत को कमजोर करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, यह नई मिसाल कायम करेगा और हर राज्य में कार्यपालिका विधायिका के क्षेत्र में हस्तक्षेप करेगी।
ओवैसी ने याद किया कि 2019 के चुनावों के बाद जब मोदी सरकार ने एक देश एक चुनाव पर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, तो उन्हें और सीताराम येचुरी को छोड़कर सभी लोगों ने इस पर सहमति जताई थी।
सांसद ने बैठक के दौरान याद किया कि उन्होंने कहा था कि एक देश एक चुनाव का विचार संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है और प्रधानमंत्री की अभिव्यक्ति से पता चलता है कि वह खुश नहीं हैं।
एआईएमआईएम अध्यक्ष ने दावा किया कि उसी बैठक में उन्होंने नई लोकसभा बनाने का सुझाव दिया था और प्रधानमंत्री ने कहा था कि वह इस पर विचार करेंगे।
ओवैसी ने कहा कि इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि एक नए संसद भवन की जरूरत थी।
–आईएएनएस
एसकेपी