नई दिल्ली, 7 जुलाई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के आरंभ के मौके पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी। इसी बीच ‘मोदी आर्काइव’ नाम के एक्स सोशल मीडिया अकाउंट से प्रधानमंत्री मोदी की जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी दिलचस्प कहानी शेयर की गई है।
इस पोस्ट में साल 1985-86 की रथयात्रा से जुड़ी कुछ फोटो शेयर की गई है। इसमें बताया गया है कि नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया था।
‘मोदी आर्काइव’ नाम के अकाउंट से पोस्ट करके लिखा गया, ”1985-86 में अपने मतदाताओं को खुश करने के प्रयास में गुजरात में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 101वीं जगन्नाथ रथयात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। कांग्रेस के शासनकाल में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान प्रतिबंध और कर्फ्यू आम बात थी। हालांकि, एक दृढ़ निश्चयी युवक ने इस प्रतिबंध को मानने से इनकार कर दिया और इसे चुनौती देने का प्रयास किया। पर्दे के पीछे यात्रा की तैयारियां जारी रही। रथ तैयार किया गया और महाप्रभु को उस पर बिठाया गया। तभी, कुछ असाधारण हुआ। रथ से जुड़ा हाथी अपने बंधनों से मुक्त हो गया और महाप्रभु के रथ को अपने साथ खींचते हुए आगे बढ़ने लगा।”
इस पोस्ट में आगे बताया गया, ”कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अब अप्रभावी हो गए थे। जगन्नाथ रथ यात्रा एक भव्य जुलूस के साथ आगे बढ़ी, जिसे उस वर्ष ‘स्वयंभू रथ यात्रा’ नाम दिया गया। कांग्रेस सरकार के प्रतिबंध को चुनौती देने वाला युवक था- ‘नरेंद्र मोदी’। वह 1970 में अहमदाबाद आए था, जब गांधीनगर को गुजरात की राजधानी के रूप में बदलने के लिए तैयार किया गया था। उसके पास न तो आय थी और न ही सिर पर छत, इसलिए उन्होंने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया।”
कुछ दशकों की सेवा के बाद, वह अंततः राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। उनके नेतृत्व में हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ निकाली गई। परंपराओं के अनुसार, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतीकात्मक रूप से उस सड़क को भी साफ करते रहे, जहां से भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ गुजरते थे।
–आईएएनएस
एसके/एबीएम
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नई दिल्ली, 7 जुलाई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के आरंभ के मौके पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी। इसी बीच ‘मोदी आर्काइव’ नाम के एक्स सोशल मीडिया अकाउंट से प्रधानमंत्री मोदी की जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी दिलचस्प कहानी शेयर की गई है।
इस पोस्ट में साल 1985-86 की रथयात्रा से जुड़ी कुछ फोटो शेयर की गई है। इसमें बताया गया है कि नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया था।
‘मोदी आर्काइव’ नाम के अकाउंट से पोस्ट करके लिखा गया, ”1985-86 में अपने मतदाताओं को खुश करने के प्रयास में गुजरात में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 101वीं जगन्नाथ रथयात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। कांग्रेस के शासनकाल में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान प्रतिबंध और कर्फ्यू आम बात थी। हालांकि, एक दृढ़ निश्चयी युवक ने इस प्रतिबंध को मानने से इनकार कर दिया और इसे चुनौती देने का प्रयास किया। पर्दे के पीछे यात्रा की तैयारियां जारी रही। रथ तैयार किया गया और महाप्रभु को उस पर बिठाया गया। तभी, कुछ असाधारण हुआ। रथ से जुड़ा हाथी अपने बंधनों से मुक्त हो गया और महाप्रभु के रथ को अपने साथ खींचते हुए आगे बढ़ने लगा।”
इस पोस्ट में आगे बताया गया, ”कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अब अप्रभावी हो गए थे। जगन्नाथ रथ यात्रा एक भव्य जुलूस के साथ आगे बढ़ी, जिसे उस वर्ष ‘स्वयंभू रथ यात्रा’ नाम दिया गया। कांग्रेस सरकार के प्रतिबंध को चुनौती देने वाला युवक था- ‘नरेंद्र मोदी’। वह 1970 में अहमदाबाद आए था, जब गांधीनगर को गुजरात की राजधानी के रूप में बदलने के लिए तैयार किया गया था। उसके पास न तो आय थी और न ही सिर पर छत, इसलिए उन्होंने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया।”
कुछ दशकों की सेवा के बाद, वह अंततः राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। उनके नेतृत्व में हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ निकाली गई। परंपराओं के अनुसार, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतीकात्मक रूप से उस सड़क को भी साफ करते रहे, जहां से भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ गुजरते थे।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 7 जुलाई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के आरंभ के मौके पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी। इसी बीच ‘मोदी आर्काइव’ नाम के एक्स सोशल मीडिया अकाउंट से प्रधानमंत्री मोदी की जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी दिलचस्प कहानी शेयर की गई है।
इस पोस्ट में साल 1985-86 की रथयात्रा से जुड़ी कुछ फोटो शेयर की गई है। इसमें बताया गया है कि नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया था।
‘मोदी आर्काइव’ नाम के अकाउंट से पोस्ट करके लिखा गया, ”1985-86 में अपने मतदाताओं को खुश करने के प्रयास में गुजरात में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 101वीं जगन्नाथ रथयात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। कांग्रेस के शासनकाल में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान प्रतिबंध और कर्फ्यू आम बात थी। हालांकि, एक दृढ़ निश्चयी युवक ने इस प्रतिबंध को मानने से इनकार कर दिया और इसे चुनौती देने का प्रयास किया। पर्दे के पीछे यात्रा की तैयारियां जारी रही। रथ तैयार किया गया और महाप्रभु को उस पर बिठाया गया। तभी, कुछ असाधारण हुआ। रथ से जुड़ा हाथी अपने बंधनों से मुक्त हो गया और महाप्रभु के रथ को अपने साथ खींचते हुए आगे बढ़ने लगा।”
इस पोस्ट में आगे बताया गया, ”कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अब अप्रभावी हो गए थे। जगन्नाथ रथ यात्रा एक भव्य जुलूस के साथ आगे बढ़ी, जिसे उस वर्ष ‘स्वयंभू रथ यात्रा’ नाम दिया गया। कांग्रेस सरकार के प्रतिबंध को चुनौती देने वाला युवक था- ‘नरेंद्र मोदी’। वह 1970 में अहमदाबाद आए था, जब गांधीनगर को गुजरात की राजधानी के रूप में बदलने के लिए तैयार किया गया था। उसके पास न तो आय थी और न ही सिर पर छत, इसलिए उन्होंने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया।”
कुछ दशकों की सेवा के बाद, वह अंततः राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। उनके नेतृत्व में हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ निकाली गई। परंपराओं के अनुसार, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतीकात्मक रूप से उस सड़क को भी साफ करते रहे, जहां से भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ गुजरते थे।
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इस पोस्ट में साल 1985-86 की रथयात्रा से जुड़ी कुछ फोटो शेयर की गई है। इसमें बताया गया है कि नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया था।
‘मोदी आर्काइव’ नाम के अकाउंट से पोस्ट करके लिखा गया, ”1985-86 में अपने मतदाताओं को खुश करने के प्रयास में गुजरात में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 101वीं जगन्नाथ रथयात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। कांग्रेस के शासनकाल में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान प्रतिबंध और कर्फ्यू आम बात थी। हालांकि, एक दृढ़ निश्चयी युवक ने इस प्रतिबंध को मानने से इनकार कर दिया और इसे चुनौती देने का प्रयास किया। पर्दे के पीछे यात्रा की तैयारियां जारी रही। रथ तैयार किया गया और महाप्रभु को उस पर बिठाया गया। तभी, कुछ असाधारण हुआ। रथ से जुड़ा हाथी अपने बंधनों से मुक्त हो गया और महाप्रभु के रथ को अपने साथ खींचते हुए आगे बढ़ने लगा।”
इस पोस्ट में आगे बताया गया, ”कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अब अप्रभावी हो गए थे। जगन्नाथ रथ यात्रा एक भव्य जुलूस के साथ आगे बढ़ी, जिसे उस वर्ष ‘स्वयंभू रथ यात्रा’ नाम दिया गया। कांग्रेस सरकार के प्रतिबंध को चुनौती देने वाला युवक था- ‘नरेंद्र मोदी’। वह 1970 में अहमदाबाद आए था, जब गांधीनगर को गुजरात की राजधानी के रूप में बदलने के लिए तैयार किया गया था। उसके पास न तो आय थी और न ही सिर पर छत, इसलिए उन्होंने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया।”
कुछ दशकों की सेवा के बाद, वह अंततः राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। उनके नेतृत्व में हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ निकाली गई। परंपराओं के अनुसार, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतीकात्मक रूप से उस सड़क को भी साफ करते रहे, जहां से भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ गुजरते थे।
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इस पोस्ट में साल 1985-86 की रथयात्रा से जुड़ी कुछ फोटो शेयर की गई है। इसमें बताया गया है कि नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया था।
‘मोदी आर्काइव’ नाम के अकाउंट से पोस्ट करके लिखा गया, ”1985-86 में अपने मतदाताओं को खुश करने के प्रयास में गुजरात में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 101वीं जगन्नाथ रथयात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। कांग्रेस के शासनकाल में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान प्रतिबंध और कर्फ्यू आम बात थी। हालांकि, एक दृढ़ निश्चयी युवक ने इस प्रतिबंध को मानने से इनकार कर दिया और इसे चुनौती देने का प्रयास किया। पर्दे के पीछे यात्रा की तैयारियां जारी रही। रथ तैयार किया गया और महाप्रभु को उस पर बिठाया गया। तभी, कुछ असाधारण हुआ। रथ से जुड़ा हाथी अपने बंधनों से मुक्त हो गया और महाप्रभु के रथ को अपने साथ खींचते हुए आगे बढ़ने लगा।”
इस पोस्ट में आगे बताया गया, ”कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अब अप्रभावी हो गए थे। जगन्नाथ रथ यात्रा एक भव्य जुलूस के साथ आगे बढ़ी, जिसे उस वर्ष ‘स्वयंभू रथ यात्रा’ नाम दिया गया। कांग्रेस सरकार के प्रतिबंध को चुनौती देने वाला युवक था- ‘नरेंद्र मोदी’। वह 1970 में अहमदाबाद आए था, जब गांधीनगर को गुजरात की राजधानी के रूप में बदलने के लिए तैयार किया गया था। उसके पास न तो आय थी और न ही सिर पर छत, इसलिए उन्होंने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया।”
कुछ दशकों की सेवा के बाद, वह अंततः राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। उनके नेतृत्व में हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ निकाली गई। परंपराओं के अनुसार, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतीकात्मक रूप से उस सड़क को भी साफ करते रहे, जहां से भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ गुजरते थे।
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इस पोस्ट में साल 1985-86 की रथयात्रा से जुड़ी कुछ फोटो शेयर की गई है। इसमें बताया गया है कि नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया था।
‘मोदी आर्काइव’ नाम के अकाउंट से पोस्ट करके लिखा गया, ”1985-86 में अपने मतदाताओं को खुश करने के प्रयास में गुजरात में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 101वीं जगन्नाथ रथयात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। कांग्रेस के शासनकाल में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान प्रतिबंध और कर्फ्यू आम बात थी। हालांकि, एक दृढ़ निश्चयी युवक ने इस प्रतिबंध को मानने से इनकार कर दिया और इसे चुनौती देने का प्रयास किया। पर्दे के पीछे यात्रा की तैयारियां जारी रही। रथ तैयार किया गया और महाप्रभु को उस पर बिठाया गया। तभी, कुछ असाधारण हुआ। रथ से जुड़ा हाथी अपने बंधनों से मुक्त हो गया और महाप्रभु के रथ को अपने साथ खींचते हुए आगे बढ़ने लगा।”
इस पोस्ट में आगे बताया गया, ”कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अब अप्रभावी हो गए थे। जगन्नाथ रथ यात्रा एक भव्य जुलूस के साथ आगे बढ़ी, जिसे उस वर्ष ‘स्वयंभू रथ यात्रा’ नाम दिया गया। कांग्रेस सरकार के प्रतिबंध को चुनौती देने वाला युवक था- ‘नरेंद्र मोदी’। वह 1970 में अहमदाबाद आए था, जब गांधीनगर को गुजरात की राजधानी के रूप में बदलने के लिए तैयार किया गया था। उसके पास न तो आय थी और न ही सिर पर छत, इसलिए उन्होंने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया।”
कुछ दशकों की सेवा के बाद, वह अंततः राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। उनके नेतृत्व में हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ निकाली गई। परंपराओं के अनुसार, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतीकात्मक रूप से उस सड़क को भी साफ करते रहे, जहां से भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ गुजरते थे।
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इस पोस्ट में साल 1985-86 की रथयात्रा से जुड़ी कुछ फोटो शेयर की गई है। इसमें बताया गया है कि नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया था।
‘मोदी आर्काइव’ नाम के अकाउंट से पोस्ट करके लिखा गया, ”1985-86 में अपने मतदाताओं को खुश करने के प्रयास में गुजरात में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 101वीं जगन्नाथ रथयात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। कांग्रेस के शासनकाल में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान प्रतिबंध और कर्फ्यू आम बात थी। हालांकि, एक दृढ़ निश्चयी युवक ने इस प्रतिबंध को मानने से इनकार कर दिया और इसे चुनौती देने का प्रयास किया। पर्दे के पीछे यात्रा की तैयारियां जारी रही। रथ तैयार किया गया और महाप्रभु को उस पर बिठाया गया। तभी, कुछ असाधारण हुआ। रथ से जुड़ा हाथी अपने बंधनों से मुक्त हो गया और महाप्रभु के रथ को अपने साथ खींचते हुए आगे बढ़ने लगा।”
इस पोस्ट में आगे बताया गया, ”कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अब अप्रभावी हो गए थे। जगन्नाथ रथ यात्रा एक भव्य जुलूस के साथ आगे बढ़ी, जिसे उस वर्ष ‘स्वयंभू रथ यात्रा’ नाम दिया गया। कांग्रेस सरकार के प्रतिबंध को चुनौती देने वाला युवक था- ‘नरेंद्र मोदी’। वह 1970 में अहमदाबाद आए था, जब गांधीनगर को गुजरात की राजधानी के रूप में बदलने के लिए तैयार किया गया था। उसके पास न तो आय थी और न ही सिर पर छत, इसलिए उन्होंने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया।”
कुछ दशकों की सेवा के बाद, वह अंततः राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। उनके नेतृत्व में हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ निकाली गई। परंपराओं के अनुसार, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतीकात्मक रूप से उस सड़क को भी साफ करते रहे, जहां से भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ गुजरते थे।
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नई दिल्ली, 7 जुलाई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के आरंभ के मौके पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी। इसी बीच ‘मोदी आर्काइव’ नाम के एक्स सोशल मीडिया अकाउंट से प्रधानमंत्री मोदी की जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी दिलचस्प कहानी शेयर की गई है।
इस पोस्ट में साल 1985-86 की रथयात्रा से जुड़ी कुछ फोटो शेयर की गई है। इसमें बताया गया है कि नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया था।
‘मोदी आर्काइव’ नाम के अकाउंट से पोस्ट करके लिखा गया, ”1985-86 में अपने मतदाताओं को खुश करने के प्रयास में गुजरात में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 101वीं जगन्नाथ रथयात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। कांग्रेस के शासनकाल में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान प्रतिबंध और कर्फ्यू आम बात थी। हालांकि, एक दृढ़ निश्चयी युवक ने इस प्रतिबंध को मानने से इनकार कर दिया और इसे चुनौती देने का प्रयास किया। पर्दे के पीछे यात्रा की तैयारियां जारी रही। रथ तैयार किया गया और महाप्रभु को उस पर बिठाया गया। तभी, कुछ असाधारण हुआ। रथ से जुड़ा हाथी अपने बंधनों से मुक्त हो गया और महाप्रभु के रथ को अपने साथ खींचते हुए आगे बढ़ने लगा।”
इस पोस्ट में आगे बताया गया, ”कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अब अप्रभावी हो गए थे। जगन्नाथ रथ यात्रा एक भव्य जुलूस के साथ आगे बढ़ी, जिसे उस वर्ष ‘स्वयंभू रथ यात्रा’ नाम दिया गया। कांग्रेस सरकार के प्रतिबंध को चुनौती देने वाला युवक था- ‘नरेंद्र मोदी’। वह 1970 में अहमदाबाद आए था, जब गांधीनगर को गुजरात की राजधानी के रूप में बदलने के लिए तैयार किया गया था। उसके पास न तो आय थी और न ही सिर पर छत, इसलिए उन्होंने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया।”
कुछ दशकों की सेवा के बाद, वह अंततः राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। उनके नेतृत्व में हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ निकाली गई। परंपराओं के अनुसार, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतीकात्मक रूप से उस सड़क को भी साफ करते रहे, जहां से भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ गुजरते थे।
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इस पोस्ट में साल 1985-86 की रथयात्रा से जुड़ी कुछ फोटो शेयर की गई है। इसमें बताया गया है कि नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया था।
‘मोदी आर्काइव’ नाम के अकाउंट से पोस्ट करके लिखा गया, ”1985-86 में अपने मतदाताओं को खुश करने के प्रयास में गुजरात में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 101वीं जगन्नाथ रथयात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। कांग्रेस के शासनकाल में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान प्रतिबंध और कर्फ्यू आम बात थी। हालांकि, एक दृढ़ निश्चयी युवक ने इस प्रतिबंध को मानने से इनकार कर दिया और इसे चुनौती देने का प्रयास किया। पर्दे के पीछे यात्रा की तैयारियां जारी रही। रथ तैयार किया गया और महाप्रभु को उस पर बिठाया गया। तभी, कुछ असाधारण हुआ। रथ से जुड़ा हाथी अपने बंधनों से मुक्त हो गया और महाप्रभु के रथ को अपने साथ खींचते हुए आगे बढ़ने लगा।”
इस पोस्ट में आगे बताया गया, ”कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अब अप्रभावी हो गए थे। जगन्नाथ रथ यात्रा एक भव्य जुलूस के साथ आगे बढ़ी, जिसे उस वर्ष ‘स्वयंभू रथ यात्रा’ नाम दिया गया। कांग्रेस सरकार के प्रतिबंध को चुनौती देने वाला युवक था- ‘नरेंद्र मोदी’। वह 1970 में अहमदाबाद आए था, जब गांधीनगर को गुजरात की राजधानी के रूप में बदलने के लिए तैयार किया गया था। उसके पास न तो आय थी और न ही सिर पर छत, इसलिए उन्होंने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया।”
कुछ दशकों की सेवा के बाद, वह अंततः राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। उनके नेतृत्व में हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ निकाली गई। परंपराओं के अनुसार, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतीकात्मक रूप से उस सड़क को भी साफ करते रहे, जहां से भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ गुजरते थे।
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इस पोस्ट में साल 1985-86 की रथयात्रा से जुड़ी कुछ फोटो शेयर की गई है। इसमें बताया गया है कि नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया था।
‘मोदी आर्काइव’ नाम के अकाउंट से पोस्ट करके लिखा गया, ”1985-86 में अपने मतदाताओं को खुश करने के प्रयास में गुजरात में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 101वीं जगन्नाथ रथयात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। कांग्रेस के शासनकाल में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान प्रतिबंध और कर्फ्यू आम बात थी। हालांकि, एक दृढ़ निश्चयी युवक ने इस प्रतिबंध को मानने से इनकार कर दिया और इसे चुनौती देने का प्रयास किया। पर्दे के पीछे यात्रा की तैयारियां जारी रही। रथ तैयार किया गया और महाप्रभु को उस पर बिठाया गया। तभी, कुछ असाधारण हुआ। रथ से जुड़ा हाथी अपने बंधनों से मुक्त हो गया और महाप्रभु के रथ को अपने साथ खींचते हुए आगे बढ़ने लगा।”
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इस पोस्ट में साल 1985-86 की रथयात्रा से जुड़ी कुछ फोटो शेयर की गई है। इसमें बताया गया है कि नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया था।
‘मोदी आर्काइव’ नाम के अकाउंट से पोस्ट करके लिखा गया, ”1985-86 में अपने मतदाताओं को खुश करने के प्रयास में गुजरात में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 101वीं जगन्नाथ रथयात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। कांग्रेस के शासनकाल में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान प्रतिबंध और कर्फ्यू आम बात थी। हालांकि, एक दृढ़ निश्चयी युवक ने इस प्रतिबंध को मानने से इनकार कर दिया और इसे चुनौती देने का प्रयास किया। पर्दे के पीछे यात्रा की तैयारियां जारी रही। रथ तैयार किया गया और महाप्रभु को उस पर बिठाया गया। तभी, कुछ असाधारण हुआ। रथ से जुड़ा हाथी अपने बंधनों से मुक्त हो गया और महाप्रभु के रथ को अपने साथ खींचते हुए आगे बढ़ने लगा।”
इस पोस्ट में आगे बताया गया, ”कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अब अप्रभावी हो गए थे। जगन्नाथ रथ यात्रा एक भव्य जुलूस के साथ आगे बढ़ी, जिसे उस वर्ष ‘स्वयंभू रथ यात्रा’ नाम दिया गया। कांग्रेस सरकार के प्रतिबंध को चुनौती देने वाला युवक था- ‘नरेंद्र मोदी’। वह 1970 में अहमदाबाद आए था, जब गांधीनगर को गुजरात की राजधानी के रूप में बदलने के लिए तैयार किया गया था। उसके पास न तो आय थी और न ही सिर पर छत, इसलिए उन्होंने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया।”
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इस पोस्ट में साल 1985-86 की रथयात्रा से जुड़ी कुछ फोटो शेयर की गई है। इसमें बताया गया है कि नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया था।
‘मोदी आर्काइव’ नाम के अकाउंट से पोस्ट करके लिखा गया, ”1985-86 में अपने मतदाताओं को खुश करने के प्रयास में गुजरात में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 101वीं जगन्नाथ रथयात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। कांग्रेस के शासनकाल में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान प्रतिबंध और कर्फ्यू आम बात थी। हालांकि, एक दृढ़ निश्चयी युवक ने इस प्रतिबंध को मानने से इनकार कर दिया और इसे चुनौती देने का प्रयास किया। पर्दे के पीछे यात्रा की तैयारियां जारी रही। रथ तैयार किया गया और महाप्रभु को उस पर बिठाया गया। तभी, कुछ असाधारण हुआ। रथ से जुड़ा हाथी अपने बंधनों से मुक्त हो गया और महाप्रभु के रथ को अपने साथ खींचते हुए आगे बढ़ने लगा।”
इस पोस्ट में आगे बताया गया, ”कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अब अप्रभावी हो गए थे। जगन्नाथ रथ यात्रा एक भव्य जुलूस के साथ आगे बढ़ी, जिसे उस वर्ष ‘स्वयंभू रथ यात्रा’ नाम दिया गया। कांग्रेस सरकार के प्रतिबंध को चुनौती देने वाला युवक था- ‘नरेंद्र मोदी’। वह 1970 में अहमदाबाद आए था, जब गांधीनगर को गुजरात की राजधानी के रूप में बदलने के लिए तैयार किया गया था। उसके पास न तो आय थी और न ही सिर पर छत, इसलिए उन्होंने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया।”
कुछ दशकों की सेवा के बाद, वह अंततः राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। उनके नेतृत्व में हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ निकाली गई। परंपराओं के अनुसार, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतीकात्मक रूप से उस सड़क को भी साफ करते रहे, जहां से भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ गुजरते थे।
–आईएएनएस
एसके/एबीएम
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नई दिल्ली, 7 जुलाई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के आरंभ के मौके पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी। इसी बीच ‘मोदी आर्काइव’ नाम के एक्स सोशल मीडिया अकाउंट से प्रधानमंत्री मोदी की जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी दिलचस्प कहानी शेयर की गई है।
इस पोस्ट में साल 1985-86 की रथयात्रा से जुड़ी कुछ फोटो शेयर की गई है। इसमें बताया गया है कि नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया था।
‘मोदी आर्काइव’ नाम के अकाउंट से पोस्ट करके लिखा गया, ”1985-86 में अपने मतदाताओं को खुश करने के प्रयास में गुजरात में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 101वीं जगन्नाथ रथयात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। कांग्रेस के शासनकाल में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान प्रतिबंध और कर्फ्यू आम बात थी। हालांकि, एक दृढ़ निश्चयी युवक ने इस प्रतिबंध को मानने से इनकार कर दिया और इसे चुनौती देने का प्रयास किया। पर्दे के पीछे यात्रा की तैयारियां जारी रही। रथ तैयार किया गया और महाप्रभु को उस पर बिठाया गया। तभी, कुछ असाधारण हुआ। रथ से जुड़ा हाथी अपने बंधनों से मुक्त हो गया और महाप्रभु के रथ को अपने साथ खींचते हुए आगे बढ़ने लगा।”
इस पोस्ट में आगे बताया गया, ”कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अब अप्रभावी हो गए थे। जगन्नाथ रथ यात्रा एक भव्य जुलूस के साथ आगे बढ़ी, जिसे उस वर्ष ‘स्वयंभू रथ यात्रा’ नाम दिया गया। कांग्रेस सरकार के प्रतिबंध को चुनौती देने वाला युवक था- ‘नरेंद्र मोदी’। वह 1970 में अहमदाबाद आए था, जब गांधीनगर को गुजरात की राजधानी के रूप में बदलने के लिए तैयार किया गया था। उसके पास न तो आय थी और न ही सिर पर छत, इसलिए उन्होंने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया।”
कुछ दशकों की सेवा के बाद, वह अंततः राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। उनके नेतृत्व में हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ निकाली गई। परंपराओं के अनुसार, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतीकात्मक रूप से उस सड़क को भी साफ करते रहे, जहां से भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ गुजरते थे।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 7 जुलाई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के आरंभ के मौके पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी। इसी बीच ‘मोदी आर्काइव’ नाम के एक्स सोशल मीडिया अकाउंट से प्रधानमंत्री मोदी की जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी दिलचस्प कहानी शेयर की गई है।
इस पोस्ट में साल 1985-86 की रथयात्रा से जुड़ी कुछ फोटो शेयर की गई है। इसमें बताया गया है कि नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया था।
‘मोदी आर्काइव’ नाम के अकाउंट से पोस्ट करके लिखा गया, ”1985-86 में अपने मतदाताओं को खुश करने के प्रयास में गुजरात में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 101वीं जगन्नाथ रथयात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। कांग्रेस के शासनकाल में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान प्रतिबंध और कर्फ्यू आम बात थी। हालांकि, एक दृढ़ निश्चयी युवक ने इस प्रतिबंध को मानने से इनकार कर दिया और इसे चुनौती देने का प्रयास किया। पर्दे के पीछे यात्रा की तैयारियां जारी रही। रथ तैयार किया गया और महाप्रभु को उस पर बिठाया गया। तभी, कुछ असाधारण हुआ। रथ से जुड़ा हाथी अपने बंधनों से मुक्त हो गया और महाप्रभु के रथ को अपने साथ खींचते हुए आगे बढ़ने लगा।”
इस पोस्ट में आगे बताया गया, ”कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अब अप्रभावी हो गए थे। जगन्नाथ रथ यात्रा एक भव्य जुलूस के साथ आगे बढ़ी, जिसे उस वर्ष ‘स्वयंभू रथ यात्रा’ नाम दिया गया। कांग्रेस सरकार के प्रतिबंध को चुनौती देने वाला युवक था- ‘नरेंद्र मोदी’। वह 1970 में अहमदाबाद आए था, जब गांधीनगर को गुजरात की राजधानी के रूप में बदलने के लिए तैयार किया गया था। उसके पास न तो आय थी और न ही सिर पर छत, इसलिए उन्होंने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया।”
कुछ दशकों की सेवा के बाद, वह अंततः राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। उनके नेतृत्व में हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ निकाली गई। परंपराओं के अनुसार, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतीकात्मक रूप से उस सड़क को भी साफ करते रहे, जहां से भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ गुजरते थे।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 7 जुलाई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के आरंभ के मौके पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी। इसी बीच ‘मोदी आर्काइव’ नाम के एक्स सोशल मीडिया अकाउंट से प्रधानमंत्री मोदी की जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी दिलचस्प कहानी शेयर की गई है।
इस पोस्ट में साल 1985-86 की रथयात्रा से जुड़ी कुछ फोटो शेयर की गई है। इसमें बताया गया है कि नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया था।
‘मोदी आर्काइव’ नाम के अकाउंट से पोस्ट करके लिखा गया, ”1985-86 में अपने मतदाताओं को खुश करने के प्रयास में गुजरात में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 101वीं जगन्नाथ रथयात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। कांग्रेस के शासनकाल में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान प्रतिबंध और कर्फ्यू आम बात थी। हालांकि, एक दृढ़ निश्चयी युवक ने इस प्रतिबंध को मानने से इनकार कर दिया और इसे चुनौती देने का प्रयास किया। पर्दे के पीछे यात्रा की तैयारियां जारी रही। रथ तैयार किया गया और महाप्रभु को उस पर बिठाया गया। तभी, कुछ असाधारण हुआ। रथ से जुड़ा हाथी अपने बंधनों से मुक्त हो गया और महाप्रभु के रथ को अपने साथ खींचते हुए आगे बढ़ने लगा।”
इस पोस्ट में आगे बताया गया, ”कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अब अप्रभावी हो गए थे। जगन्नाथ रथ यात्रा एक भव्य जुलूस के साथ आगे बढ़ी, जिसे उस वर्ष ‘स्वयंभू रथ यात्रा’ नाम दिया गया। कांग्रेस सरकार के प्रतिबंध को चुनौती देने वाला युवक था- ‘नरेंद्र मोदी’। वह 1970 में अहमदाबाद आए था, जब गांधीनगर को गुजरात की राजधानी के रूप में बदलने के लिए तैयार किया गया था। उसके पास न तो आय थी और न ही सिर पर छत, इसलिए उन्होंने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया।”
कुछ दशकों की सेवा के बाद, वह अंततः राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। उनके नेतृत्व में हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ निकाली गई। परंपराओं के अनुसार, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतीकात्मक रूप से उस सड़क को भी साफ करते रहे, जहां से भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ गुजरते थे।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 7 जुलाई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के आरंभ के मौके पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी। इसी बीच ‘मोदी आर्काइव’ नाम के एक्स सोशल मीडिया अकाउंट से प्रधानमंत्री मोदी की जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी दिलचस्प कहानी शेयर की गई है।
इस पोस्ट में साल 1985-86 की रथयात्रा से जुड़ी कुछ फोटो शेयर की गई है। इसमें बताया गया है कि नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया था।
‘मोदी आर्काइव’ नाम के अकाउंट से पोस्ट करके लिखा गया, ”1985-86 में अपने मतदाताओं को खुश करने के प्रयास में गुजरात में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 101वीं जगन्नाथ रथयात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। कांग्रेस के शासनकाल में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान प्रतिबंध और कर्फ्यू आम बात थी। हालांकि, एक दृढ़ निश्चयी युवक ने इस प्रतिबंध को मानने से इनकार कर दिया और इसे चुनौती देने का प्रयास किया। पर्दे के पीछे यात्रा की तैयारियां जारी रही। रथ तैयार किया गया और महाप्रभु को उस पर बिठाया गया। तभी, कुछ असाधारण हुआ। रथ से जुड़ा हाथी अपने बंधनों से मुक्त हो गया और महाप्रभु के रथ को अपने साथ खींचते हुए आगे बढ़ने लगा।”
इस पोस्ट में आगे बताया गया, ”कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अब अप्रभावी हो गए थे। जगन्नाथ रथ यात्रा एक भव्य जुलूस के साथ आगे बढ़ी, जिसे उस वर्ष ‘स्वयंभू रथ यात्रा’ नाम दिया गया। कांग्रेस सरकार के प्रतिबंध को चुनौती देने वाला युवक था- ‘नरेंद्र मोदी’। वह 1970 में अहमदाबाद आए था, जब गांधीनगर को गुजरात की राजधानी के रूप में बदलने के लिए तैयार किया गया था। उसके पास न तो आय थी और न ही सिर पर छत, इसलिए उन्होंने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को अपना घर बना लिया।”
कुछ दशकों की सेवा के बाद, वह अंततः राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। उनके नेतृत्व में हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ निकाली गई। परंपराओं के अनुसार, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतीकात्मक रूप से उस सड़क को भी साफ करते रहे, जहां से भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ गुजरते थे।