नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस मौके पर शतरंज चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने पीएम मोदी के साथ अपनी कुछ यादें सोशल मीडिया पर साझा की हैं.
विश्वनाथन आनंद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “जब मैं अपने शतरंज के सफर को देखता हूं, तो कुछ यादें ताजा हो जाती हैं. सिर्फ बोर्ड से नहीं, बल्कि जिंदगी से भी. ऐसी ही एक याद गुजरात की है. बरसों पहले, जब मैं अहमदाबाद में नेशनल चैंपियनशिप खेलने गया, तो मेरी एक आदत थी, खुद को गुजराती थाली से ट्रीट देना. यह मेरे लिए एक अनमोल आनंद का पल होता था. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन मेरे जीवन के इस छोटे से पल को कोई और नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी याद रखेंगे.”
विश्वनाथन आनंद ने बताया, “मुझे आज भी वह पल याद है, जब एक अनौपचारिक बातचीत के दौरान मैंने उनसे गुजराती थालियों के प्रति अपने लगाव का जिक्र किया था. यह सुनकर, वह मुस्कुराए और बोले, “अच्छा, तो चलिए.” बिना किसी औपचारिकता के, वह मुझे स्टेट गेस्ट हाउस ले गए, जहां हमने साथ बैठकर एक स्वादिष्ट गुजराती थाली का आनंद लिया. उन्होंने गर्मजोशी से यह भी कहा, “मैं आपको वह सबसे अच्छी थाली खिलाना चाहता हूं, जिसे आप याद रख सकें.” यह मेरे लिए एक अविस्मरणीय पल था. यह याद दिलाता है कि सच्चे नेता सिर्फ बड़े-बड़े सपनों से ही नहीं, बल्कि ऐसे छोटे-छोटे पलों के जरिए भी आपसे जुड़ते हैं.”
उन्होंने कहा, “मुझे हमेशा जो प्रेरित करता है, वह है उनका संतुलन. एक ओर वह दक्ष, अनुशासित और गहन पेशेवर हैं, जहां उनकी पूरी टीम घड़ी की तरह सटीकता से काम करती है. दूसरी ओर, वह मिलनसार, गर्मजोशी से भरे और अक्सर प्रसन्नचित्त स्वभाव के हैं. एक ऐसे व्यक्ति, जो मजाक करके आपको सहज महसूस करा सकते हैं.”
विश्वनाथन आनंद ने पीएम मोदी से जुड़े एक अन्य वाकये को याद करते हुए लिखा, “मैंने शतरंज की दुनिया में भी उनकी इनोवेटिव स्प्रिट देखी है. प्रधानमंत्री मोदी ने ही यह सुझाव दिया था कि जैसे ओलंपिक में मशाल रिले होती है, वैसे ही शतरंज ओलंपियाड का भी अपना मशाल रिले होना चाहिए. भले ही वह ओलंपिक से अलग हो. यह एक क्रांतिकारी विचार था. पहली बार शतरंज ओलंपियाड में मशाल रिले की परंपरा शुरू हुई. आज यह हमारे खेल की एक गौरवपूर्ण पहचान बन चुकी है, जिसे पूरी दुनिया ने अपनाया है.”
उन्होंने कहा, “मेरे लिए, पीएम नरेंद्र मोदी सिर्फ भारत के एक नेता ही नहीं, बल्कि दिल और दिमाग दोनों से प्रेरणा देने वाले व्यक्ति हैं. चाहे गुजराती भोजन हो या वैश्विक शतरंज परंपरा, वह विनम्रता, नवीनता और गर्मजोशी के सबक अपने पीछे छोड़ जाते हैं.”