नई दिल्ली, 16 मार्च (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ लंबी बातचीत में अपनी निर्णय लेने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी और बताया कि किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए वह किन मानदंडों का प्रयोग करते हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि उनके सूचना चैनल बहुत सारे हैं और बहुत सक्रिय हैं, जिससे उनके अधिकारी ‘अभिभूत’ हो जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जब उन्हें विपरीत विवरणों का सामना करना पड़ता है, तो वह वकील की भूमिका निभाना पसंद करते हैं क्योंकि इससे उन्हें कई कोणों से मुद्दे का विश्लेषण करने में मदद मिलती है।
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि देश भर में यात्रा करने का उनका लंबा अनुभव, हर स्थिति में सीखने वाला होना और बिना किसी बोझ के निर्णय लेना उन्हें आसानी से निर्णय लेने में मदद करता है।
उन्होंने कहा, “मेरे निर्णय लेने के कई कारक हैं। सबसे पहले, मैं शायद भारत का एकमात्र राजनेता हूं, जिसने देश भर के लगभग 85 से 90 प्रतिशत जिलों में रात बिताई है। यह मेरी वर्तमान भूमिका से पहले की बात है। मैं बहुत यात्रा करता था। मैंने उन अनुभवों से बहुत कुछ सीखा है।”
उन्होंने कहा, “दूसरी बात, शासन के दृष्टिकोण से, मैं किसी भी तरह का बोझ नहीं ढोता। मैं ऐसा कोई बोझ नहीं ढोता जो मुझे दबा दे या मुझे किसी खास तरीके से काम करने के लिए मजबूर करे। तीसरी बात, मेरे पास निर्णय लेने का एक सरल पैमाना है – मेरा देश पहले। मैं हमेशा सवाल करता हूं कि मैं जो कर रहा हूं, उससे मेरे देश को किसी भी तरह से नुकसान तो नहीं पहुंच रहा है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि वह एक दृष्टिकोण पर निर्भर नहीं रहते बल्कि विभिन्न स्रोतों से जानकारी एकत्र करना पसंद करते हैं।
उन्होंने कहा, “मैं अपने प्रशासन में बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हूं। मेरे अधिकारी इसे अच्छी तरह से जानते हैं और शायद इससे अभिभूत महसूस करते हैं, इस तथ्य से कि मेरे सूचना चैनल कई हैं और बहुत सक्रिय हैं। इस वजह से, मुझे विभिन्न स्रोतों से बहुत सारी जानकारियां मिलती हैं। इसलिए, जब कोई मुझे जानकारी देने आता है, तो वह मेरी जानकारी का एकमात्र स्रोत नहीं होता। मेरे पास हमेशा अतिरिक्त दृष्टिकोण उपलब्ध होते हैं।”
उन्होंने बताया कि जब भी उनके सामने कोई अपरिचित मुद्दा आता है, तो वह विद्यार्थी जैसा दृष्टिकोण अपनाते हैं। वह पूछते हैं, “क्या आप इसे स्पष्ट कर सकते हैं? यह कैसे काम करता है? फिर आगे क्या होता है और कैसे?”
पीएम मोदी ने कहा, “जब भी मेरे पास अलग जानकारी होती है, तो मैं जानबूझकर वकील बन जाता हूं और चुनौतीपूर्ण सवाल पूछता हूं। मैं कई कोणों से मुद्दे का गहन विश्लेषण करता हूं, उम्मीद करता हूं कि सावधानीपूर्वक मूल्यांकन से कुछ मूल्यवान निकलेगा।”
प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका स्थित पॉडकास्टर को यह भी बताया कि वह निर्णय लेने में तेज हैं, यहां तक कि अस्पष्ट परिस्थितियों का सामना करने पर भी।
उन्होंने कहा, “मुझे नोबेल पुरस्कार विजेताओं से सलाह मिली, जिन्होंने दुनिया भर से अनगिनत आर्थिक उदाहरण दिए। प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों ने लगातार मुझे सुझाव दिए। राजनीतिक दलों ने मुझ पर लगातार दबाव डाला, मुझे भारी मात्रा में धन खर्च करने के लिए कहा, लेकिन मैंने देश की अनूठी परिस्थितियों को देखते हुए वही किया जो देश के लिए सबसे अच्छा था।”
उन्होंने कहा, “सभी ने मुझ पर खजाना खाली करने, अधिक मुद्रा छापने और हर जगह धन की बाढ़ लाने का दबाव बनाया, लेकिन मैंने फैसला किया कि यह सही आर्थिक मार्ग नहीं है। और इसलिए, इसकी बजाय, मैंने जो रास्ता चुना, विशेषज्ञों की बात ध्यान से सुनने के बाद, उनका विरोध किए बिना उनकी राय को समझने और उनकी सलाह को अपने देश की स्थिति और अपने व्यक्तिगत अनुभवों के साथ जोड़ने के बाद, एक ऐसी प्रणाली बनाई जो प्रभावी रूप से काम करती है। नतीजतन, जब पूरी दुनिया कोविड के तुरंत बाद गंभीर मुद्रास्फीति से पीड़ित थी, तो भारत को इससे कोई नुकसान नहीं हुआ।”
–आईएएनएस
एकेएस/एकेजे