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पीएलआई स्कीम में बदलाव करेगा केंद्र, एमएसएमई को मिलेगा ज्यादा फायदा

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June 19, 2024
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नई दिल्ली, 19 जून (आईएएनएस)। केंद्र सरकार की ओर से प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम में बड़े बदलाव की तैयारी की जा रही है। इसके तहत नए सेक्टरों को इसमें जोड़ा जाएगा और एमएसएमई (माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज) के लिए फायदों को बढ़ाया जाएगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएलआई स्कीम में सुधार के तहत सरकार फंड जुटाने के नियमों को आसान बना सकती है। इसमें नए सेक्टरों को जोड़ने के साथ अधिक श्रम वाले क्षेत्रों की एमएसएमई को ज्यादा लाभ दिए जा सकते हैं।

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सरकार का पूरा ध्यान मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने को लेकर है। पीएलआई में रिसर्च और डेवलपमेंट (आरएंडडी) के लिए इंसेंटिव को जोड़ा जाएगा।

रिपोर्ट्स में बताया गया कि सरकार की ओर से तिमाही आधार पर इंसेंटिव देने के लिए आवेदन लेना शुरू कर दिया गया है। पहले यह वार्षिक आधार पर ही फंड्स रिलीज किए जाते थे।

टॉय, फर्नीचर और कपड़ा क्षेत्र को इस स्कीम के अंदर जल्द ही कवर किया जा सकता है। इन क्षेत्रों में अधिक नौकरियां पैदा होने की संभावना है।

सरकार मानव निर्मित फाइबर (एमएमएफ) को भी पीएलआई स्कीम के तहत ला सकती है। इसके अलावा कुछ कॉटन को कवर करने के लिए टेक्निकल टेक्सटाइल को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। इनका ऐलान आगामी बजट में हो सकता है।

पीएलआई स्कीम का आकार 1.97 लाख करोड़ रुपये ( करीब 26 अरब डॉलर) का है, जिसमें से मार्च 2024 तक केवल 9,700 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। वित्त वर्ष 24 में विभिन्न क्षेत्रों में कुल 6,800 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन प्रदान किया गया था।

पीएलआई का लाभ प्राप्त कर चुकी कंपनियों की ओर से दिसंबर 2023 तक 1.07 लाख करोड़ रुपये निवेश किए जा चुके हैं। इनसे 9 लाख करोड़ रुपये से अधिक की ब्रिकी हुई है और 7 लाख से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं।

पीएलआई स्कीम को मार्च 2020 में लॉन्च किया गया था। उस समय यह स्कीम फार्मा इंडस्ट्री के कच्चे माल, मेडिकल डिवाइस और बड़े स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग के लिए शुरू की गई थी। नवंबर 2020 में 10 अन्य सेक्टर्स को इसमें शामिल किया गया था। सितंबर 2021 में ड्रोन सेक्टर को भी इसमें जोड़ा गया था।

–आईएएनएस

एबीएस/एसकेपी

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नई दिल्ली, 19 जून (आईएएनएस)। केंद्र सरकार की ओर से प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम में बड़े बदलाव की तैयारी की जा रही है। इसके तहत नए सेक्टरों को इसमें जोड़ा जाएगा और एमएसएमई (माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज) के लिए फायदों को बढ़ाया जाएगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएलआई स्कीम में सुधार के तहत सरकार फंड जुटाने के नियमों को आसान बना सकती है। इसमें नए सेक्टरों को जोड़ने के साथ अधिक श्रम वाले क्षेत्रों की एमएसएमई को ज्यादा लाभ दिए जा सकते हैं।

सरकार का पूरा ध्यान मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने को लेकर है। पीएलआई में रिसर्च और डेवलपमेंट (आरएंडडी) के लिए इंसेंटिव को जोड़ा जाएगा।

रिपोर्ट्स में बताया गया कि सरकार की ओर से तिमाही आधार पर इंसेंटिव देने के लिए आवेदन लेना शुरू कर दिया गया है। पहले यह वार्षिक आधार पर ही फंड्स रिलीज किए जाते थे।

टॉय, फर्नीचर और कपड़ा क्षेत्र को इस स्कीम के अंदर जल्द ही कवर किया जा सकता है। इन क्षेत्रों में अधिक नौकरियां पैदा होने की संभावना है।

सरकार मानव निर्मित फाइबर (एमएमएफ) को भी पीएलआई स्कीम के तहत ला सकती है। इसके अलावा कुछ कॉटन को कवर करने के लिए टेक्निकल टेक्सटाइल को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। इनका ऐलान आगामी बजट में हो सकता है।

पीएलआई स्कीम का आकार 1.97 लाख करोड़ रुपये ( करीब 26 अरब डॉलर) का है, जिसमें से मार्च 2024 तक केवल 9,700 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। वित्त वर्ष 24 में विभिन्न क्षेत्रों में कुल 6,800 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन प्रदान किया गया था।

पीएलआई का लाभ प्राप्त कर चुकी कंपनियों की ओर से दिसंबर 2023 तक 1.07 लाख करोड़ रुपये निवेश किए जा चुके हैं। इनसे 9 लाख करोड़ रुपये से अधिक की ब्रिकी हुई है और 7 लाख से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं।

पीएलआई स्कीम को मार्च 2020 में लॉन्च किया गया था। उस समय यह स्कीम फार्मा इंडस्ट्री के कच्चे माल, मेडिकल डिवाइस और बड़े स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग के लिए शुरू की गई थी। नवंबर 2020 में 10 अन्य सेक्टर्स को इसमें शामिल किया गया था। सितंबर 2021 में ड्रोन सेक्टर को भी इसमें जोड़ा गया था।

–आईएएनएस

एबीएस/एसकेपी

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नई दिल्ली, 19 जून (आईएएनएस)। केंद्र सरकार की ओर से प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम में बड़े बदलाव की तैयारी की जा रही है। इसके तहत नए सेक्टरों को इसमें जोड़ा जाएगा और एमएसएमई (माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज) के लिए फायदों को बढ़ाया जाएगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएलआई स्कीम में सुधार के तहत सरकार फंड जुटाने के नियमों को आसान बना सकती है। इसमें नए सेक्टरों को जोड़ने के साथ अधिक श्रम वाले क्षेत्रों की एमएसएमई को ज्यादा लाभ दिए जा सकते हैं।

सरकार का पूरा ध्यान मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने को लेकर है। पीएलआई में रिसर्च और डेवलपमेंट (आरएंडडी) के लिए इंसेंटिव को जोड़ा जाएगा।

रिपोर्ट्स में बताया गया कि सरकार की ओर से तिमाही आधार पर इंसेंटिव देने के लिए आवेदन लेना शुरू कर दिया गया है। पहले यह वार्षिक आधार पर ही फंड्स रिलीज किए जाते थे।

टॉय, फर्नीचर और कपड़ा क्षेत्र को इस स्कीम के अंदर जल्द ही कवर किया जा सकता है। इन क्षेत्रों में अधिक नौकरियां पैदा होने की संभावना है।

सरकार मानव निर्मित फाइबर (एमएमएफ) को भी पीएलआई स्कीम के तहत ला सकती है। इसके अलावा कुछ कॉटन को कवर करने के लिए टेक्निकल टेक्सटाइल को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। इनका ऐलान आगामी बजट में हो सकता है।

पीएलआई स्कीम का आकार 1.97 लाख करोड़ रुपये ( करीब 26 अरब डॉलर) का है, जिसमें से मार्च 2024 तक केवल 9,700 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। वित्त वर्ष 24 में विभिन्न क्षेत्रों में कुल 6,800 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन प्रदान किया गया था।

पीएलआई का लाभ प्राप्त कर चुकी कंपनियों की ओर से दिसंबर 2023 तक 1.07 लाख करोड़ रुपये निवेश किए जा चुके हैं। इनसे 9 लाख करोड़ रुपये से अधिक की ब्रिकी हुई है और 7 लाख से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं।

पीएलआई स्कीम को मार्च 2020 में लॉन्च किया गया था। उस समय यह स्कीम फार्मा इंडस्ट्री के कच्चे माल, मेडिकल डिवाइस और बड़े स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग के लिए शुरू की गई थी। नवंबर 2020 में 10 अन्य सेक्टर्स को इसमें शामिल किया गया था। सितंबर 2021 में ड्रोन सेक्टर को भी इसमें जोड़ा गया था।

–आईएएनएस

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएलआई स्कीम में सुधार के तहत सरकार फंड जुटाने के नियमों को आसान बना सकती है। इसमें नए सेक्टरों को जोड़ने के साथ अधिक श्रम वाले क्षेत्रों की एमएसएमई को ज्यादा लाभ दिए जा सकते हैं।

सरकार का पूरा ध्यान मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने को लेकर है। पीएलआई में रिसर्च और डेवलपमेंट (आरएंडडी) के लिए इंसेंटिव को जोड़ा जाएगा।

रिपोर्ट्स में बताया गया कि सरकार की ओर से तिमाही आधार पर इंसेंटिव देने के लिए आवेदन लेना शुरू कर दिया गया है। पहले यह वार्षिक आधार पर ही फंड्स रिलीज किए जाते थे।

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सरकार मानव निर्मित फाइबर (एमएमएफ) को भी पीएलआई स्कीम के तहत ला सकती है। इसके अलावा कुछ कॉटन को कवर करने के लिए टेक्निकल टेक्सटाइल को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। इनका ऐलान आगामी बजट में हो सकता है।

पीएलआई स्कीम का आकार 1.97 लाख करोड़ रुपये ( करीब 26 अरब डॉलर) का है, जिसमें से मार्च 2024 तक केवल 9,700 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। वित्त वर्ष 24 में विभिन्न क्षेत्रों में कुल 6,800 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन प्रदान किया गया था।

पीएलआई का लाभ प्राप्त कर चुकी कंपनियों की ओर से दिसंबर 2023 तक 1.07 लाख करोड़ रुपये निवेश किए जा चुके हैं। इनसे 9 लाख करोड़ रुपये से अधिक की ब्रिकी हुई है और 7 लाख से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं।

पीएलआई स्कीम को मार्च 2020 में लॉन्च किया गया था। उस समय यह स्कीम फार्मा इंडस्ट्री के कच्चे माल, मेडिकल डिवाइस और बड़े स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग के लिए शुरू की गई थी। नवंबर 2020 में 10 अन्य सेक्टर्स को इसमें शामिल किया गया था। सितंबर 2021 में ड्रोन सेक्टर को भी इसमें जोड़ा गया था।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएलआई स्कीम में सुधार के तहत सरकार फंड जुटाने के नियमों को आसान बना सकती है। इसमें नए सेक्टरों को जोड़ने के साथ अधिक श्रम वाले क्षेत्रों की एमएसएमई को ज्यादा लाभ दिए जा सकते हैं।

सरकार का पूरा ध्यान मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने को लेकर है। पीएलआई में रिसर्च और डेवलपमेंट (आरएंडडी) के लिए इंसेंटिव को जोड़ा जाएगा।

रिपोर्ट्स में बताया गया कि सरकार की ओर से तिमाही आधार पर इंसेंटिव देने के लिए आवेदन लेना शुरू कर दिया गया है। पहले यह वार्षिक आधार पर ही फंड्स रिलीज किए जाते थे।

टॉय, फर्नीचर और कपड़ा क्षेत्र को इस स्कीम के अंदर जल्द ही कवर किया जा सकता है। इन क्षेत्रों में अधिक नौकरियां पैदा होने की संभावना है।

सरकार मानव निर्मित फाइबर (एमएमएफ) को भी पीएलआई स्कीम के तहत ला सकती है। इसके अलावा कुछ कॉटन को कवर करने के लिए टेक्निकल टेक्सटाइल को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। इनका ऐलान आगामी बजट में हो सकता है।

पीएलआई स्कीम का आकार 1.97 लाख करोड़ रुपये ( करीब 26 अरब डॉलर) का है, जिसमें से मार्च 2024 तक केवल 9,700 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। वित्त वर्ष 24 में विभिन्न क्षेत्रों में कुल 6,800 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन प्रदान किया गया था।

पीएलआई का लाभ प्राप्त कर चुकी कंपनियों की ओर से दिसंबर 2023 तक 1.07 लाख करोड़ रुपये निवेश किए जा चुके हैं। इनसे 9 लाख करोड़ रुपये से अधिक की ब्रिकी हुई है और 7 लाख से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं।

पीएलआई स्कीम को मार्च 2020 में लॉन्च किया गया था। उस समय यह स्कीम फार्मा इंडस्ट्री के कच्चे माल, मेडिकल डिवाइस और बड़े स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग के लिए शुरू की गई थी। नवंबर 2020 में 10 अन्य सेक्टर्स को इसमें शामिल किया गया था। सितंबर 2021 में ड्रोन सेक्टर को भी इसमें जोड़ा गया था।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएलआई स्कीम में सुधार के तहत सरकार फंड जुटाने के नियमों को आसान बना सकती है। इसमें नए सेक्टरों को जोड़ने के साथ अधिक श्रम वाले क्षेत्रों की एमएसएमई को ज्यादा लाभ दिए जा सकते हैं।

सरकार का पूरा ध्यान मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने को लेकर है। पीएलआई में रिसर्च और डेवलपमेंट (आरएंडडी) के लिए इंसेंटिव को जोड़ा जाएगा।

रिपोर्ट्स में बताया गया कि सरकार की ओर से तिमाही आधार पर इंसेंटिव देने के लिए आवेदन लेना शुरू कर दिया गया है। पहले यह वार्षिक आधार पर ही फंड्स रिलीज किए जाते थे।

टॉय, फर्नीचर और कपड़ा क्षेत्र को इस स्कीम के अंदर जल्द ही कवर किया जा सकता है। इन क्षेत्रों में अधिक नौकरियां पैदा होने की संभावना है।

सरकार मानव निर्मित फाइबर (एमएमएफ) को भी पीएलआई स्कीम के तहत ला सकती है। इसके अलावा कुछ कॉटन को कवर करने के लिए टेक्निकल टेक्सटाइल को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। इनका ऐलान आगामी बजट में हो सकता है।

पीएलआई स्कीम का आकार 1.97 लाख करोड़ रुपये ( करीब 26 अरब डॉलर) का है, जिसमें से मार्च 2024 तक केवल 9,700 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। वित्त वर्ष 24 में विभिन्न क्षेत्रों में कुल 6,800 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन प्रदान किया गया था।

पीएलआई का लाभ प्राप्त कर चुकी कंपनियों की ओर से दिसंबर 2023 तक 1.07 लाख करोड़ रुपये निवेश किए जा चुके हैं। इनसे 9 लाख करोड़ रुपये से अधिक की ब्रिकी हुई है और 7 लाख से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं।

पीएलआई स्कीम को मार्च 2020 में लॉन्च किया गया था। उस समय यह स्कीम फार्मा इंडस्ट्री के कच्चे माल, मेडिकल डिवाइस और बड़े स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग के लिए शुरू की गई थी। नवंबर 2020 में 10 अन्य सेक्टर्स को इसमें शामिल किया गया था। सितंबर 2021 में ड्रोन सेक्टर को भी इसमें जोड़ा गया था।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएलआई स्कीम में सुधार के तहत सरकार फंड जुटाने के नियमों को आसान बना सकती है। इसमें नए सेक्टरों को जोड़ने के साथ अधिक श्रम वाले क्षेत्रों की एमएसएमई को ज्यादा लाभ दिए जा सकते हैं।

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टॉय, फर्नीचर और कपड़ा क्षेत्र को इस स्कीम के अंदर जल्द ही कवर किया जा सकता है। इन क्षेत्रों में अधिक नौकरियां पैदा होने की संभावना है।

सरकार मानव निर्मित फाइबर (एमएमएफ) को भी पीएलआई स्कीम के तहत ला सकती है। इसके अलावा कुछ कॉटन को कवर करने के लिए टेक्निकल टेक्सटाइल को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। इनका ऐलान आगामी बजट में हो सकता है।

पीएलआई स्कीम का आकार 1.97 लाख करोड़ रुपये ( करीब 26 अरब डॉलर) का है, जिसमें से मार्च 2024 तक केवल 9,700 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। वित्त वर्ष 24 में विभिन्न क्षेत्रों में कुल 6,800 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन प्रदान किया गया था।

पीएलआई का लाभ प्राप्त कर चुकी कंपनियों की ओर से दिसंबर 2023 तक 1.07 लाख करोड़ रुपये निवेश किए जा चुके हैं। इनसे 9 लाख करोड़ रुपये से अधिक की ब्रिकी हुई है और 7 लाख से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं।

पीएलआई स्कीम को मार्च 2020 में लॉन्च किया गया था। उस समय यह स्कीम फार्मा इंडस्ट्री के कच्चे माल, मेडिकल डिवाइस और बड़े स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग के लिए शुरू की गई थी। नवंबर 2020 में 10 अन्य सेक्टर्स को इसमें शामिल किया गया था। सितंबर 2021 में ड्रोन सेक्टर को भी इसमें जोड़ा गया था।

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