नई दिल्ली, 26 मार्च (आईएएनएस)। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम के कारण भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर के निर्यात में इजाफा हो रहा है, साथ ही वैश्विक निवेशकों की भी देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रुचि बढ़ रही है। इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (आईईएसए) के अध्यक्ष, अशोक चंदल ने बुधवार को आईएएनएस से एक्सक्लूसिव बातचीत में यह बयान दिया।
उन्होंने कहा कि पीएलआई से न केवल स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा मिला है, बल्कि भारत वैश्विक निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य भी बन गया है।
चंदल ने कहा, “सरकार की नीतियों ने इंडस्ट्री गैप को भर दिया है, जिससे भारत, चीन और वियतनाम जैसे स्थापित मैन्युफैक्चरिंग केंद्रों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हो गया है।”
उन्होंने कहा कि देश में इलेक्ट्रॉनिक्स की बढ़ती घरेलू मांग ने स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को और बढ़ावा दिया है।
पीएलआई योजना और ‘मेक इन इंडिया’ जैसी सरकारी पहलों ने भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को लागत-प्रतिस्पर्धी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
चंदल ने कहा, “इन इनिशिएटिव्स ने उन लागत असमानताओं को दूर किया है, जो पहले भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में पीछे रहने को मजबूर करती थीं।”
उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर, ऑटोमोटिव और फार्मास्यूटिकल्स सहित विभिन्न क्षेत्रों में पीएलआई योजना के तहत मिलने वाले लाभ को वितरित करना शुरू किया है।
उन्होंने आगे कहा, “इससे साबित होता है कि सरकार अपने वादों के प्रति प्रतिबद्ध है, जिससे आगे निवेश और मैन्युफैक्चरिंग विस्तार को बढ़ावा मिलेगा।”
पीएलआई स्कीम आने से देश में एप्पल जैसी कंपनियों ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता का विस्तार किया है।
चंदल ने कहा कि एप्पल के कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स जैसे फॉक्सकॉन और पेगाट्रॉन (टाटा ग्रुप की हिस्सेदारी वाली कंपनी) भारत को हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने में मदद करेगी।
उन्होंने आगे कहा कि देश के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में स्मार्टफोन एक्सपोर्ट अहम भूमिका निभा रहे हैं, जबकि अन्य वस्तुओं का निर्यात धीरे-धीरे बढ़ रहा है। ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी), मेडिकल डिवाइस, इंडस्ट्रियल आईओटी और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स में निर्यात की अपार संभावनाएं हैं। भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार 2030 तक 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जिससे निर्यात के भरपूर अवसर पैदा होंगे। हालांकि, घरेलू स्तर पर मूल्य संवर्धन बढ़ाना एक प्रमुख प्राथमिकता बनी हुई है। भारत को अपनी सप्लाई चेन को मजबूत करना होगा और आरएंडडी क्षमताओं को बढ़ाना होगा।
–आईएएनएस
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