पटना, 11 मार्च (आईएएनएस)। बिहार और तमिलनाडु पुलिस द्वारा दक्षिणी राज्य में प्रवासी श्रमिकों पर हमलों के सभी वीडियो फर्जी होने के दावे के एक दिन बाद राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) ने दावा किया कि उन्होंने ट्विटर पर दो वीडियो अपलोड किए थे और दोनों राज्यों की पुलिस को चुनौती दी है कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करे।
उन्होंने कहा, कुछ लोगों के बारे में सच्चाई है, जिन्होंने उकसाने के लिए नकली वीडियो अपलोड किए हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि तमिलनाडु में हिंदी भाषी लोगों के खिलाफ हिंसक घटनाएं नहीं हो रही हैं। मैंने दो वीडियो अपलोड किए हैं, जहां हिंदी भाषी लोगों को स्थानीय तमिलों द्वारा पीटा गया था। ऐसी ही एक घटना कोंगु जिले में ट्रेन में हुई थी। मैं बिहार और तमिलनाडु पुलिस को चुनौती देता हूं कि मेरे दो वीडियो को फर्जी घोषित करे और मेरे खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करे।
उन्होंने कहा, पिछले कुछ दिनों में कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर फर्जी वीडियो चलाए हैं। बिहार और तमिलनाडु पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रवाई की है।
प्रशांत किशोर ने कहा, कोंगु क्षेत्र में कुछ घटनाएं हुईं और तमिलनाडु के शीर्ष नेता स्थानीय युवाओं को हिंदी मूल के लोगों को पीटने के लिए उकसा रहे हैं। वे विधानसभाओं में रैलियों को संबोधित कर रहे हैं और यह महीनों से हो रहा है। यदि बड़े नेता भड़काऊ भाषण देते हैं, तो इसका स्थानीय लोगों पर प्रभाव पड़ेगा। जो लोग तमिलनाडु को समझते हैं, वे जानते हैं कि कोंगु क्षेत्र में हिंदी भाषी लोगों को परेशान किया जा रहा है। मैं कहना चाहता हूं कि जो लोग भड़काऊ भाषण दे रहे हैं, उन्हें दंडित किया जाना चाहिए।
इससे पहले शुक्रवार को बिहार पुलिस ने एक आधिकारिक बयान जारी कर सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए सभी वीडियो को फर्जी बताया था और कहा था, तमिलनाडु में बिहारी लोगों के साथ हिंसा की कोई घटना नहीं हुई है।
बिहार पुलिस ने फर्जी वीडियो के संबंध में चार व्यक्तियों के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की और उनमें से दो को गिरफ्तार कर लिया है।
–आईएएनएस
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