चंडीगढ़, 12 सितंबर (आईएएनएस)। पीजीआईएमईआर एमडी-एमएस प्रवेश परीक्षा घोटाले मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बड़ी कार्रवाई की। केंद्रीय जांच एजेंसी ने घोषित अपराधी यथाम हरिप्रिया को गिरफ्तार किया है।
पीजीआईएमईआर परीक्षा घोटाला साल 2012 का मामला है। सीबीआई ने 10 नवंबर 2012 को गुरवि रेड्डी, डॉ. गंगाधर, डॉ. कोटेश और अन्य के खिलाफ पीजीआईएमईआर एमडी-एमएस प्रवेश परीक्षा में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, नकल और हेराफेरी की आपराधिक साजिश रचने के आरोप में मामला दर्ज किया था। इन लोगों ने मोटी रकम लेकर उम्मीदवारों को प्रवेश दिलाया था।
इस मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी ने 32 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।
आरोपी वाई. हरिप्रिया मुकदमे में शामिल नहीं हुई और उसे साल 2018 में उद्घोषित अपराधी घोषित कर दिया गया। निरंतर प्रयासों के बावजूद उसका पता नहीं चल पाया। हाल ही में तकनीकी खुफिया जानकारी और जमीनी सत्यापन के आधार पर उसका पता आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले में लगाया गया, जिसके बाद सीबीआई टीम ने उसे सफलतापूर्वक गिरफ्तार कर लिया।
अभियुक्त वाई. हरिप्रिया को न्यायिक मजिस्ट्रेट, कमलापुरम के समक्ष पेश किया गया, जहां से ट्रांजिट रिमांड प्राप्त की गई। उसे शुक्रवार को चंडीगढ़ स्थित एसजेएमआईसी की अदालत में पेश किया गया, जहां अदालत ने उसे 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
वहीं, सीबीआई ने मध्य प्रदेश के सागर की सैन्य अभियंता सेवा (एमईएस) के अधिकारियों और बिचौलिए के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। केंद्रीय जांच एजेंसी ने शिकायतकर्ता से 80,000 रुपए की रिश्वत लेते हुए तीन अधिकारियों और एक बिचौलिए को गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई ने एमईएस के आरोपी गैरिसन इंजीनियर (जीई), सहायक गैरिसन इंजीनियर (एजीई), कनिष्ठ अभियंता (जेई) और एक बिचौलिए के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोप है कि आरोपी लोक सेवकों ने ठेकेदार को दिए गए ठेके के तहत मरम्मत और रखरखाव कार्य करने के लिए ठेका स्थल उपलब्ध कराने के लिए बिचौलिए के माध्यम से ठेका मूल्य का 2 प्रतिशत (अर्थात 1,00,000 रुपये) की रिश्वत मांगी थी।
–आईएएनएस
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