पुरी, 13 मार्च (आईएएनएस)। भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा को एक बार फिर से यूनेस्को की विश्व सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल करने के प्रयास तेज़ कर दिए गए हैं। श्री जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी ने इस मान्यता को प्राप्त करने के लिए जरूरी कदम उठाए हैं। उन्होंने संस्कृति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत की है और आवश्यक दस्तावेजों को तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
इन दस्तावेजों में रथ यात्रा का ऐतिहासिक विवरण, इसमें शामिल होने वाले भक्तों की संख्या और महोत्सव के आयोजन की प्रक्रिया का विवरण तैयार किया जाएगा। संस्कृति मंत्रालय को तमाम दस्तावेज सौंपे जाएंगे, जो बाद में यूनेस्को को मूल्यांकन के लिए भेजे जाएंगे। मंदिर प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि रथ यात्रा सदियों से मनाई जा रही है और यह विश्व में एक अद्वितीय स्थान रखती है। हमें उम्मीद है कि इसे यूनेस्को की विश्व सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल किया जाएगा।
इस मान्यता को प्राप्त करने के लिए दो साल पहले भी कोशिश की गई थी, लेकिन यह आगे नहीं बढ़ पाई थी। हालांकि, मंदिर के मुख्य प्रशासक के रूप में अरविंद पाढ़ी के कार्यभार संभालने के बाद इस दिशा में एक बार फिर प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। रथ यात्रा के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं को जगन्नाथ संस्कृति के शोधकर्ताओं और मंदिर के वरिष्ठ सेवकों के साथ मिलकर दस्तावेज़ित किया जाएगा। एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी और यूनेस्को को सौंपने के लिए भेजी जाएगी।
पुरी ज़िले के कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने कहा, “भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा बेमिसाल और विश्व प्रसिद्ध है। यदि इसे यूनेस्को मान्यता मिलती है, तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी। प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और मंदिर प्रशासन आवश्यक दस्तावेज तैयार कर रहा है। पहला कदम यह होगा कि इन्हें संस्कृति मंत्रालय को सौंपा जाए, फिर यूनेस्को के पास आवेदन भेजा जाएगा। शोधकर्ताओं की राय ली जाएगी, और महोत्सव, इसकी महत्ता, प्रबंधन और सेवकों की भूमिका पर आधारित ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स शामिल किए जाएंगे। पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा और ओडिशा के छऊ नृत्य को पहले ही यूनेस्को मान्यता मिल चुकी है, और हम रथ यात्रा के लिए भी इसी प्रक्रिया का पालन करेंगे।”
पूर्व मंदिर प्रबंध समिति सदस्य दुर्गा दास महापात्रा ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा, “यह काम पहले ही किया जाना चाहिए था। पुरी की रथ यात्रा दुनिया में एक अद्वितीय घटना है- कहीं और हम नहीं देखते कि मुख्य देवता खुद मंदिर के गर्भगृह से बाहर आकर भक्तों को दर्शन देते हैं। यह एक भव्य आध्यात्मिक आयोजन है, और अगर इसे यूनेस्को मान्यता मिलती है, तो इसे वैश्विक पहचान मिलेगी जो यह पूरी तरह से हकदार है।”
–आईएएनएस
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