नई दिल्ली, 8 फरवरी (आईएएनएस)। देश में पुलिस हिरासत में मौतों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि देशभर में पिछले पांच सालों में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 175 मामले 2021 से 2022 के बीच में सामने आए हैं।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए एक लिखित उत्तर में राज्यसभा में बताया कि साल 2021 से 2022 के बीच में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 175, 2020 से 2021 में 100, 2019 से 2020 में 112, 2018 से 2019 में 136 और 2017 से 2018 में 146 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी 1 अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2022 तक पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज हुए।
नित्यानंद राय ने बताया कि एनएचआरसी ने पुलिस हिरासत में मौत की घटनाओं में 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2022 की अवधि के दौरान 201 मामलों में 5,80,74,998 रुपये की आर्थिक राहत और एक मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित राज्य सरकार मुख्य रूप से जिम्मेदार है।
राय ने बताया कि केंद्र सरकार समय समय पर एडवाइजरी जारी करती है और उसने मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 भी अधिनियमित किया है, जिसमें लोक सेवकों द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों की जांच करने के लिए एनएचआरसी और राज्य मानव अधिकार आयोगों की स्थापना किए जाने का प्रावधान किया गया है।
नित्यानंद राय ने कहा कि जब एनएचआरसी को मानव अधिकारों के कथित उल्लंघनों की शिकायतें प्राप्त होती हैं, तो आयोग द्वारा मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अंतर्गत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। लोक सेवकों को मानव अधिकारों और विशेष तौर पर हिरासत में व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा की बेहतर समझ प्रदान करने के लिए एनएचआरसी समय समय पर कार्यशालाएं और सेमिनार भी आयोजित करते हैं।
–आईएएनएस
एसपीटी/एएनएम
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नई दिल्ली, 8 फरवरी (आईएएनएस)। देश में पुलिस हिरासत में मौतों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि देशभर में पिछले पांच सालों में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 175 मामले 2021 से 2022 के बीच में सामने आए हैं।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए एक लिखित उत्तर में राज्यसभा में बताया कि साल 2021 से 2022 के बीच में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 175, 2020 से 2021 में 100, 2019 से 2020 में 112, 2018 से 2019 में 136 और 2017 से 2018 में 146 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी 1 अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2022 तक पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज हुए।
नित्यानंद राय ने बताया कि एनएचआरसी ने पुलिस हिरासत में मौत की घटनाओं में 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2022 की अवधि के दौरान 201 मामलों में 5,80,74,998 रुपये की आर्थिक राहत और एक मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित राज्य सरकार मुख्य रूप से जिम्मेदार है।
राय ने बताया कि केंद्र सरकार समय समय पर एडवाइजरी जारी करती है और उसने मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 भी अधिनियमित किया है, जिसमें लोक सेवकों द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों की जांच करने के लिए एनएचआरसी और राज्य मानव अधिकार आयोगों की स्थापना किए जाने का प्रावधान किया गया है।
नित्यानंद राय ने कहा कि जब एनएचआरसी को मानव अधिकारों के कथित उल्लंघनों की शिकायतें प्राप्त होती हैं, तो आयोग द्वारा मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अंतर्गत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। लोक सेवकों को मानव अधिकारों और विशेष तौर पर हिरासत में व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा की बेहतर समझ प्रदान करने के लिए एनएचआरसी समय समय पर कार्यशालाएं और सेमिनार भी आयोजित करते हैं।
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नई दिल्ली, 8 फरवरी (आईएएनएस)। देश में पुलिस हिरासत में मौतों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि देशभर में पिछले पांच सालों में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 175 मामले 2021 से 2022 के बीच में सामने आए हैं।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए एक लिखित उत्तर में राज्यसभा में बताया कि साल 2021 से 2022 के बीच में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 175, 2020 से 2021 में 100, 2019 से 2020 में 112, 2018 से 2019 में 136 और 2017 से 2018 में 146 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी 1 अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2022 तक पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज हुए।
नित्यानंद राय ने बताया कि एनएचआरसी ने पुलिस हिरासत में मौत की घटनाओं में 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2022 की अवधि के दौरान 201 मामलों में 5,80,74,998 रुपये की आर्थिक राहत और एक मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित राज्य सरकार मुख्य रूप से जिम्मेदार है।
राय ने बताया कि केंद्र सरकार समय समय पर एडवाइजरी जारी करती है और उसने मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 भी अधिनियमित किया है, जिसमें लोक सेवकों द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों की जांच करने के लिए एनएचआरसी और राज्य मानव अधिकार आयोगों की स्थापना किए जाने का प्रावधान किया गया है।
नित्यानंद राय ने कहा कि जब एनएचआरसी को मानव अधिकारों के कथित उल्लंघनों की शिकायतें प्राप्त होती हैं, तो आयोग द्वारा मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अंतर्गत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। लोक सेवकों को मानव अधिकारों और विशेष तौर पर हिरासत में व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा की बेहतर समझ प्रदान करने के लिए एनएचआरसी समय समय पर कार्यशालाएं और सेमिनार भी आयोजित करते हैं।
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नई दिल्ली, 8 फरवरी (आईएएनएस)। देश में पुलिस हिरासत में मौतों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि देशभर में पिछले पांच सालों में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 175 मामले 2021 से 2022 के बीच में सामने आए हैं।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए एक लिखित उत्तर में राज्यसभा में बताया कि साल 2021 से 2022 के बीच में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 175, 2020 से 2021 में 100, 2019 से 2020 में 112, 2018 से 2019 में 136 और 2017 से 2018 में 146 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी 1 अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2022 तक पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज हुए।
नित्यानंद राय ने बताया कि एनएचआरसी ने पुलिस हिरासत में मौत की घटनाओं में 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2022 की अवधि के दौरान 201 मामलों में 5,80,74,998 रुपये की आर्थिक राहत और एक मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित राज्य सरकार मुख्य रूप से जिम्मेदार है।
राय ने बताया कि केंद्र सरकार समय समय पर एडवाइजरी जारी करती है और उसने मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 भी अधिनियमित किया है, जिसमें लोक सेवकों द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों की जांच करने के लिए एनएचआरसी और राज्य मानव अधिकार आयोगों की स्थापना किए जाने का प्रावधान किया गया है।
नित्यानंद राय ने कहा कि जब एनएचआरसी को मानव अधिकारों के कथित उल्लंघनों की शिकायतें प्राप्त होती हैं, तो आयोग द्वारा मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अंतर्गत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। लोक सेवकों को मानव अधिकारों और विशेष तौर पर हिरासत में व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा की बेहतर समझ प्रदान करने के लिए एनएचआरसी समय समय पर कार्यशालाएं और सेमिनार भी आयोजित करते हैं।
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केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए एक लिखित उत्तर में राज्यसभा में बताया कि साल 2021 से 2022 के बीच में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 175, 2020 से 2021 में 100, 2019 से 2020 में 112, 2018 से 2019 में 136 और 2017 से 2018 में 146 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी 1 अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2022 तक पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज हुए।
नित्यानंद राय ने बताया कि एनएचआरसी ने पुलिस हिरासत में मौत की घटनाओं में 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2022 की अवधि के दौरान 201 मामलों में 5,80,74,998 रुपये की आर्थिक राहत और एक मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित राज्य सरकार मुख्य रूप से जिम्मेदार है।
राय ने बताया कि केंद्र सरकार समय समय पर एडवाइजरी जारी करती है और उसने मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 भी अधिनियमित किया है, जिसमें लोक सेवकों द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों की जांच करने के लिए एनएचआरसी और राज्य मानव अधिकार आयोगों की स्थापना किए जाने का प्रावधान किया गया है।
नित्यानंद राय ने कहा कि जब एनएचआरसी को मानव अधिकारों के कथित उल्लंघनों की शिकायतें प्राप्त होती हैं, तो आयोग द्वारा मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अंतर्गत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। लोक सेवकों को मानव अधिकारों और विशेष तौर पर हिरासत में व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा की बेहतर समझ प्रदान करने के लिए एनएचआरसी समय समय पर कार्यशालाएं और सेमिनार भी आयोजित करते हैं।
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केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए एक लिखित उत्तर में राज्यसभा में बताया कि साल 2021 से 2022 के बीच में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 175, 2020 से 2021 में 100, 2019 से 2020 में 112, 2018 से 2019 में 136 और 2017 से 2018 में 146 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी 1 अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2022 तक पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज हुए।
नित्यानंद राय ने बताया कि एनएचआरसी ने पुलिस हिरासत में मौत की घटनाओं में 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2022 की अवधि के दौरान 201 मामलों में 5,80,74,998 रुपये की आर्थिक राहत और एक मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित राज्य सरकार मुख्य रूप से जिम्मेदार है।
राय ने बताया कि केंद्र सरकार समय समय पर एडवाइजरी जारी करती है और उसने मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 भी अधिनियमित किया है, जिसमें लोक सेवकों द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों की जांच करने के लिए एनएचआरसी और राज्य मानव अधिकार आयोगों की स्थापना किए जाने का प्रावधान किया गया है।
नित्यानंद राय ने कहा कि जब एनएचआरसी को मानव अधिकारों के कथित उल्लंघनों की शिकायतें प्राप्त होती हैं, तो आयोग द्वारा मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अंतर्गत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। लोक सेवकों को मानव अधिकारों और विशेष तौर पर हिरासत में व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा की बेहतर समझ प्रदान करने के लिए एनएचआरसी समय समय पर कार्यशालाएं और सेमिनार भी आयोजित करते हैं।
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केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए एक लिखित उत्तर में राज्यसभा में बताया कि साल 2021 से 2022 के बीच में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 175, 2020 से 2021 में 100, 2019 से 2020 में 112, 2018 से 2019 में 136 और 2017 से 2018 में 146 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी 1 अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2022 तक पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज हुए।
नित्यानंद राय ने बताया कि एनएचआरसी ने पुलिस हिरासत में मौत की घटनाओं में 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2022 की अवधि के दौरान 201 मामलों में 5,80,74,998 रुपये की आर्थिक राहत और एक मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित राज्य सरकार मुख्य रूप से जिम्मेदार है।
राय ने बताया कि केंद्र सरकार समय समय पर एडवाइजरी जारी करती है और उसने मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 भी अधिनियमित किया है, जिसमें लोक सेवकों द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों की जांच करने के लिए एनएचआरसी और राज्य मानव अधिकार आयोगों की स्थापना किए जाने का प्रावधान किया गया है।
नित्यानंद राय ने कहा कि जब एनएचआरसी को मानव अधिकारों के कथित उल्लंघनों की शिकायतें प्राप्त होती हैं, तो आयोग द्वारा मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अंतर्गत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। लोक सेवकों को मानव अधिकारों और विशेष तौर पर हिरासत में व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा की बेहतर समझ प्रदान करने के लिए एनएचआरसी समय समय पर कार्यशालाएं और सेमिनार भी आयोजित करते हैं।
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केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए एक लिखित उत्तर में राज्यसभा में बताया कि साल 2021 से 2022 के बीच में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 175, 2020 से 2021 में 100, 2019 से 2020 में 112, 2018 से 2019 में 136 और 2017 से 2018 में 146 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी 1 अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2022 तक पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज हुए।
नित्यानंद राय ने बताया कि एनएचआरसी ने पुलिस हिरासत में मौत की घटनाओं में 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2022 की अवधि के दौरान 201 मामलों में 5,80,74,998 रुपये की आर्थिक राहत और एक मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित राज्य सरकार मुख्य रूप से जिम्मेदार है।
राय ने बताया कि केंद्र सरकार समय समय पर एडवाइजरी जारी करती है और उसने मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 भी अधिनियमित किया है, जिसमें लोक सेवकों द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों की जांच करने के लिए एनएचआरसी और राज्य मानव अधिकार आयोगों की स्थापना किए जाने का प्रावधान किया गया है।
नित्यानंद राय ने कहा कि जब एनएचआरसी को मानव अधिकारों के कथित उल्लंघनों की शिकायतें प्राप्त होती हैं, तो आयोग द्वारा मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अंतर्गत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। लोक सेवकों को मानव अधिकारों और विशेष तौर पर हिरासत में व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा की बेहतर समझ प्रदान करने के लिए एनएचआरसी समय समय पर कार्यशालाएं और सेमिनार भी आयोजित करते हैं।
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केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए एक लिखित उत्तर में राज्यसभा में बताया कि साल 2021 से 2022 के बीच में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 175, 2020 से 2021 में 100, 2019 से 2020 में 112, 2018 से 2019 में 136 और 2017 से 2018 में 146 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी 1 अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2022 तक पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज हुए।
नित्यानंद राय ने बताया कि एनएचआरसी ने पुलिस हिरासत में मौत की घटनाओं में 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2022 की अवधि के दौरान 201 मामलों में 5,80,74,998 रुपये की आर्थिक राहत और एक मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित राज्य सरकार मुख्य रूप से जिम्मेदार है।
राय ने बताया कि केंद्र सरकार समय समय पर एडवाइजरी जारी करती है और उसने मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 भी अधिनियमित किया है, जिसमें लोक सेवकों द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों की जांच करने के लिए एनएचआरसी और राज्य मानव अधिकार आयोगों की स्थापना किए जाने का प्रावधान किया गया है।
नित्यानंद राय ने कहा कि जब एनएचआरसी को मानव अधिकारों के कथित उल्लंघनों की शिकायतें प्राप्त होती हैं, तो आयोग द्वारा मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अंतर्गत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। लोक सेवकों को मानव अधिकारों और विशेष तौर पर हिरासत में व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा की बेहतर समझ प्रदान करने के लिए एनएचआरसी समय समय पर कार्यशालाएं और सेमिनार भी आयोजित करते हैं।
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केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए एक लिखित उत्तर में राज्यसभा में बताया कि साल 2021 से 2022 के बीच में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 175, 2020 से 2021 में 100, 2019 से 2020 में 112, 2018 से 2019 में 136 और 2017 से 2018 में 146 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी 1 अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2022 तक पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज हुए।
नित्यानंद राय ने बताया कि एनएचआरसी ने पुलिस हिरासत में मौत की घटनाओं में 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2022 की अवधि के दौरान 201 मामलों में 5,80,74,998 रुपये की आर्थिक राहत और एक मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित राज्य सरकार मुख्य रूप से जिम्मेदार है।
राय ने बताया कि केंद्र सरकार समय समय पर एडवाइजरी जारी करती है और उसने मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 भी अधिनियमित किया है, जिसमें लोक सेवकों द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों की जांच करने के लिए एनएचआरसी और राज्य मानव अधिकार आयोगों की स्थापना किए जाने का प्रावधान किया गया है।
नित्यानंद राय ने कहा कि जब एनएचआरसी को मानव अधिकारों के कथित उल्लंघनों की शिकायतें प्राप्त होती हैं, तो आयोग द्वारा मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अंतर्गत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। लोक सेवकों को मानव अधिकारों और विशेष तौर पर हिरासत में व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा की बेहतर समझ प्रदान करने के लिए एनएचआरसी समय समय पर कार्यशालाएं और सेमिनार भी आयोजित करते हैं।
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केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए एक लिखित उत्तर में राज्यसभा में बताया कि साल 2021 से 2022 के बीच में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 175, 2020 से 2021 में 100, 2019 से 2020 में 112, 2018 से 2019 में 136 और 2017 से 2018 में 146 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी 1 अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2022 तक पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज हुए।
नित्यानंद राय ने बताया कि एनएचआरसी ने पुलिस हिरासत में मौत की घटनाओं में 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2022 की अवधि के दौरान 201 मामलों में 5,80,74,998 रुपये की आर्थिक राहत और एक मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित राज्य सरकार मुख्य रूप से जिम्मेदार है।
राय ने बताया कि केंद्र सरकार समय समय पर एडवाइजरी जारी करती है और उसने मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 भी अधिनियमित किया है, जिसमें लोक सेवकों द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों की जांच करने के लिए एनएचआरसी और राज्य मानव अधिकार आयोगों की स्थापना किए जाने का प्रावधान किया गया है।
नित्यानंद राय ने कहा कि जब एनएचआरसी को मानव अधिकारों के कथित उल्लंघनों की शिकायतें प्राप्त होती हैं, तो आयोग द्वारा मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अंतर्गत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। लोक सेवकों को मानव अधिकारों और विशेष तौर पर हिरासत में व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा की बेहतर समझ प्रदान करने के लिए एनएचआरसी समय समय पर कार्यशालाएं और सेमिनार भी आयोजित करते हैं।
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केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए एक लिखित उत्तर में राज्यसभा में बताया कि साल 2021 से 2022 के बीच में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 175, 2020 से 2021 में 100, 2019 से 2020 में 112, 2018 से 2019 में 136 और 2017 से 2018 में 146 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी 1 अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2022 तक पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज हुए।
नित्यानंद राय ने बताया कि एनएचआरसी ने पुलिस हिरासत में मौत की घटनाओं में 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2022 की अवधि के दौरान 201 मामलों में 5,80,74,998 रुपये की आर्थिक राहत और एक मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित राज्य सरकार मुख्य रूप से जिम्मेदार है।
राय ने बताया कि केंद्र सरकार समय समय पर एडवाइजरी जारी करती है और उसने मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 भी अधिनियमित किया है, जिसमें लोक सेवकों द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों की जांच करने के लिए एनएचआरसी और राज्य मानव अधिकार आयोगों की स्थापना किए जाने का प्रावधान किया गया है।
नित्यानंद राय ने कहा कि जब एनएचआरसी को मानव अधिकारों के कथित उल्लंघनों की शिकायतें प्राप्त होती हैं, तो आयोग द्वारा मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अंतर्गत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। लोक सेवकों को मानव अधिकारों और विशेष तौर पर हिरासत में व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा की बेहतर समझ प्रदान करने के लिए एनएचआरसी समय समय पर कार्यशालाएं और सेमिनार भी आयोजित करते हैं।
–आईएएनएस
एसपीटी/एएनएम
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नई दिल्ली, 8 फरवरी (आईएएनएस)। देश में पुलिस हिरासत में मौतों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि देशभर में पिछले पांच सालों में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 175 मामले 2021 से 2022 के बीच में सामने आए हैं।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए एक लिखित उत्तर में राज्यसभा में बताया कि साल 2021 से 2022 के बीच में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 175, 2020 से 2021 में 100, 2019 से 2020 में 112, 2018 से 2019 में 136 और 2017 से 2018 में 146 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी 1 अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2022 तक पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज हुए।
नित्यानंद राय ने बताया कि एनएचआरसी ने पुलिस हिरासत में मौत की घटनाओं में 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2022 की अवधि के दौरान 201 मामलों में 5,80,74,998 रुपये की आर्थिक राहत और एक मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित राज्य सरकार मुख्य रूप से जिम्मेदार है।
राय ने बताया कि केंद्र सरकार समय समय पर एडवाइजरी जारी करती है और उसने मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 भी अधिनियमित किया है, जिसमें लोक सेवकों द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों की जांच करने के लिए एनएचआरसी और राज्य मानव अधिकार आयोगों की स्थापना किए जाने का प्रावधान किया गया है।
नित्यानंद राय ने कहा कि जब एनएचआरसी को मानव अधिकारों के कथित उल्लंघनों की शिकायतें प्राप्त होती हैं, तो आयोग द्वारा मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अंतर्गत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। लोक सेवकों को मानव अधिकारों और विशेष तौर पर हिरासत में व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा की बेहतर समझ प्रदान करने के लिए एनएचआरसी समय समय पर कार्यशालाएं और सेमिनार भी आयोजित करते हैं।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 8 फरवरी (आईएएनएस)। देश में पुलिस हिरासत में मौतों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि देशभर में पिछले पांच सालों में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 175 मामले 2021 से 2022 के बीच में सामने आए हैं।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए एक लिखित उत्तर में राज्यसभा में बताया कि साल 2021 से 2022 के बीच में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 175, 2020 से 2021 में 100, 2019 से 2020 में 112, 2018 से 2019 में 136 और 2017 से 2018 में 146 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी 1 अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2022 तक पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज हुए।
नित्यानंद राय ने बताया कि एनएचआरसी ने पुलिस हिरासत में मौत की घटनाओं में 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2022 की अवधि के दौरान 201 मामलों में 5,80,74,998 रुपये की आर्थिक राहत और एक मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित राज्य सरकार मुख्य रूप से जिम्मेदार है।
राय ने बताया कि केंद्र सरकार समय समय पर एडवाइजरी जारी करती है और उसने मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 भी अधिनियमित किया है, जिसमें लोक सेवकों द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों की जांच करने के लिए एनएचआरसी और राज्य मानव अधिकार आयोगों की स्थापना किए जाने का प्रावधान किया गया है।
नित्यानंद राय ने कहा कि जब एनएचआरसी को मानव अधिकारों के कथित उल्लंघनों की शिकायतें प्राप्त होती हैं, तो आयोग द्वारा मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अंतर्गत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। लोक सेवकों को मानव अधिकारों और विशेष तौर पर हिरासत में व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा की बेहतर समझ प्रदान करने के लिए एनएचआरसी समय समय पर कार्यशालाएं और सेमिनार भी आयोजित करते हैं।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 8 फरवरी (आईएएनएस)। देश में पुलिस हिरासत में मौतों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि देशभर में पिछले पांच सालों में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 175 मामले 2021 से 2022 के बीच में सामने आए हैं।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए एक लिखित उत्तर में राज्यसभा में बताया कि साल 2021 से 2022 के बीच में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 175, 2020 से 2021 में 100, 2019 से 2020 में 112, 2018 से 2019 में 136 और 2017 से 2018 में 146 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी 1 अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2022 तक पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज हुए।
नित्यानंद राय ने बताया कि एनएचआरसी ने पुलिस हिरासत में मौत की घटनाओं में 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2022 की अवधि के दौरान 201 मामलों में 5,80,74,998 रुपये की आर्थिक राहत और एक मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित राज्य सरकार मुख्य रूप से जिम्मेदार है।
राय ने बताया कि केंद्र सरकार समय समय पर एडवाइजरी जारी करती है और उसने मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 भी अधिनियमित किया है, जिसमें लोक सेवकों द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों की जांच करने के लिए एनएचआरसी और राज्य मानव अधिकार आयोगों की स्थापना किए जाने का प्रावधान किया गया है।
नित्यानंद राय ने कहा कि जब एनएचआरसी को मानव अधिकारों के कथित उल्लंघनों की शिकायतें प्राप्त होती हैं, तो आयोग द्वारा मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अंतर्गत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। लोक सेवकों को मानव अधिकारों और विशेष तौर पर हिरासत में व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा की बेहतर समझ प्रदान करने के लिए एनएचआरसी समय समय पर कार्यशालाएं और सेमिनार भी आयोजित करते हैं।
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नई दिल्ली, 8 फरवरी (आईएएनएस)। देश में पुलिस हिरासत में मौतों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि देशभर में पिछले पांच सालों में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 175 मामले 2021 से 2022 के बीच में सामने आए हैं।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए एक लिखित उत्तर में राज्यसभा में बताया कि साल 2021 से 2022 के बीच में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 175, 2020 से 2021 में 100, 2019 से 2020 में 112, 2018 से 2019 में 136 और 2017 से 2018 में 146 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी 1 अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2022 तक पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज हुए।
नित्यानंद राय ने बताया कि एनएचआरसी ने पुलिस हिरासत में मौत की घटनाओं में 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2022 की अवधि के दौरान 201 मामलों में 5,80,74,998 रुपये की आर्थिक राहत और एक मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित राज्य सरकार मुख्य रूप से जिम्मेदार है।
राय ने बताया कि केंद्र सरकार समय समय पर एडवाइजरी जारी करती है और उसने मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 भी अधिनियमित किया है, जिसमें लोक सेवकों द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों की जांच करने के लिए एनएचआरसी और राज्य मानव अधिकार आयोगों की स्थापना किए जाने का प्रावधान किया गया है।
नित्यानंद राय ने कहा कि जब एनएचआरसी को मानव अधिकारों के कथित उल्लंघनों की शिकायतें प्राप्त होती हैं, तो आयोग द्वारा मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अंतर्गत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। लोक सेवकों को मानव अधिकारों और विशेष तौर पर हिरासत में व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा की बेहतर समझ प्रदान करने के लिए एनएचआरसी समय समय पर कार्यशालाएं और सेमिनार भी आयोजित करते हैं।