नई दिल्ली, 17 मार्च (आईएएनएस)। जलवायु परिवर्तन के मौजूदा संदर्भ में जहां पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की भूमिका और अधिक गंभीर हो गई है, वहीं एक संसदीय स्थायी समिति ने अपनी सभी प्रमुख योजनाओं के तहत मंत्रालय को किए गए आवंटन के अत्यधिक कम उपयोग पर ध्यान दिया, एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी।
बयान में कहा गया- समिति इस तथ्य को स्वीकार करती है कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की भूमिका जलवायु परिवर्तन के वर्तमान संदर्भ में और साथ ही विशाल महासागरीय संसाधनों और ज्ञान तक पहुंच के माध्यम से ब्लू अर्थव्यवस्था के संबल के रूप में कार्य करने में अधिक गहन हो गई है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन पर स्थायी समिति द्वारा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय पर अनुदान की मांग रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा, चरम मौसम की घटनाओं की बढ़ती संख्या ने मौसम के अपडेट की भविष्यवाणी और प्रसार में सटीकता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है।
समिति ने निराशा के साथ देखा कि ओ-स्मार्ट मद के तहत मंत्रालय को संशोधित अनुमान 2022-23 में 340 करोड़ रुपये दिए गए थे, जिसके विरुद्ध वह केवल 143.48 करोड़ रुपये खर्च कर सका, जिससे केवल 29 प्रतिशत उपयोग (जनवरी 2023 तक) प्राप्त हुआ। इसी तरह मंत्रालय की एक अन्य प्रमुख योजना – रीचाउट के तहत, आरई 2022-23 में 63.13 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई थी, जिसके खिलाफ मंत्रालय केवल 27.43 करोड़ रुपये या सिर्फ 43 प्रतिशत का उपयोग कर सका।
डीप ओशन मिशन, जिसके लिए मंत्रालय को आरई 2022-23 के दौरान 300 करोड़ रुपये दिए गए थे, यह देखा गया है कि मंत्रालय आवंटन का 61 प्रतिशत खर्च कर सकता है जो कि 184.39 करोड़ रुपये है। रिपोर्ट में कहा गया है ति, इसके अलावा, 400 करोड़ रुपये के आरई आवंटन के मुकाबले मंत्रालय केवल 209 करोड़ रुपये खर्च कर सका, लगभग 52 प्रतिशत।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति अपनी सभी प्रमुख योजनाओं के तहत मंत्रालय को किए गए आवंटन के इस तरह के भारी कम उपयोग को देखकर निराश है। मंत्रालय की सभी प्रमुख योजनाओं में अत्यधिक उपयोग इस तथ्य का संकेत है कि मंत्रालय अपने भौतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम नहीं रहा है जो उसने पहले निर्धारित किया था।
रिपोर्ट में कहा गया- इसके अलावा, इस तरह के सकल कम उपयोग और बाद में कमी पर समिति की चिंता पर मंत्रालय का स्पष्टीकरण आश्वस्त करने वाला नहीं है और वित्त वर्ष 2022-23 के साथ-साथ 2023-24 में किए गए आवंटन के लिए धन का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय की सिफारिश करता है।
समिति ने पुरजोर सिफारिश की कि मंत्रालय को सुधार के कारणों और क्षेत्रों का गहन विश्लेषण करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मंत्रालय के पास उपलब्ध धन निर्धारित भौतिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए लगाया जाता है और यह कि मंत्रालय की प्रमुख योजनाएं इन अत्यधिक देरी के कारण अपना उद्देश्य और महत्व नहीं खोती हैं।
रिपोर्ट में कहा गया- समिति इस बात पर भी जोर देना चाहेगी कि मंत्रालय को विशेष रूप से मौसम पूवार्नुमान, आपदा प्रबंधन, मत्स्य पालन आदि के क्षेत्र में मंत्रालय द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं की पहुंच और प्रभावकारिता बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र के साथ एकीकरण पर एक विस्तृत कार्य योजना तैयार करनी चाहिए।
–आईएएनएस
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