नई दिल्ली, 30 सितंबर (आईएएनएस)। सेना चिकित्सा सेवाओं ने पेंशन संबंधी विसंगतियों को दूर करने के लिए एक विशेष पहल शुरू की है। इस पहल के अंतर्गत आर्मी मेडिकल कॉर्प्स, आर्मी डेंटल कॉर्प्स और मिलिट्री नर्सिंग सर्विसेज के दिग्गज अधिकारियों, विधवाओं तथा आश्रित परिजनों को बकाया पेंशन एरियर का भुगतान किया गया है।
भारतीय सेना के अधिकारियों का कहना है कि एरियर के तहत अब तक 18 करोड़ रुपए से अधिक की राशि वितरित की जा चुकी है। इसका एक बड़ा लाभ यह हुआ है कि इससे अनेक परिवारों की मासिक पेंशन में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
लेफ्टिनेंट जनरल साधना सक्सेना नायर, महानिदेशक चिकित्सा सेवा (सेना) ने इस संबंध में कहा, ”कई वेटरन्स और उनके परिवारों को इस बात की जानकारी तक नहीं थी कि उन्हें एरियर का भुगतान मिलना है। हमने आगे बढ़कर उनसे संपर्क किया, स्थिति की जांच की और सुनिश्चित किया कि उनका हक उन्हें वापस मिले।”
वहीं, रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से सेना के हजारों वेटरन्स और उनके परिजनों को राहत मिली है। यह मनोबल बढ़ाने वाला कदम है तथा यह पहल भविष्य में भी समयबद्ध और पारदर्शी पेंशन वितरण की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगी।
इस पहल के तहत पूर्व सैनिकों के लंबे समय से लंबित मामलों को सुलझाया गया है। लिबरलाइज्ड फैमिली पेंशन, स्पेशल फैमिली पेंशन, गैलेंट्री अवॉर्ड्स से जुड़े मौद्रिक लाभ, और वन रैंक वन पेंशन संशोधन का भी इस पहल के तहत समाधान किया गया है।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि वेटरन्स, विधवाओं और परिजनों से अपील की गई है कि वे अपने पेंशन संबंधी विवरण स्पर्श पोर्टल पर देखें या फिर डिफेन्स पेंशन लायजन सेंटर्स से संपर्क करें। इस दौरान विशेष रूप से उन परिवारों पर ध्यान केंद्रित किया गया जो लिबरलाइज्ड फैमिली पेंशन, स्पेशल फैमिली पेंशन और वन रैंक वन पेंशन संशोधन के हकदार थे, लेकिन वर्गीकरण और दरों में विसंगति के कारण सही लाभ नहीं पा रहे थे।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार करुणामय पहुंच अभियान के अंतर्गत कई ऐसे लाभार्थियों की पहचान की गई जो अब तक अपने अधिकारों से अनभिज्ञ थे। अब उनसे संपर्क कर उनके बकाया लाभ दिलाए गए। इसके लिए व्यक्तिगत सहायता डेस्क सीडीए पुणे और सीडीए इलाहाबाद के लायजन सेल में स्थापित किए गए हैं, ताकि दस्तावेजीकरण व भुगतान प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके।
वहीं, डिजिटल पारदर्शिता के लिए रियल-टाइम स्टेटस अपडेट और शिकायत निवारण तंत्र भी शुरू किया गया है।
–आईएएनएस
जीसीबी/एसके