नई दिल्ली, 19 जून (आईएएनएस)। भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग के अनुसार, 2,000 रुपये के नोट को वापस लेने के केंद्र के फैसले के प्रमुख लाभों में से एक खपत मांग में तत्काल वृद्धि हो सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारे अनुमान के मुताबिक खपत मांग में 55,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हो सकती है। नोटबंदी के विपरीत खपत में वृद्धि देखी जा सकती है।
हालांकि, आरबीआई ने ग्राहकों को 2,000 रुपये के नोट जमा करने या बदलने के लिए कहा था, लेकिन यह उम्मीद की जाती है कि दो हजार के नोट उच्च मूल्य के खर्च जैसे सोना/आभूषण, टिकाऊ सामान जैसे एसी, मोबाइल फोन आदि और रियल एस्टेट में स्थानांतरित हो सकते हैं।
पेट्रोल पंपों पर नकद लेनदेन तेजी से बढ़ा है और नकद भुगतान करने वाले ग्राहक 2,000 रुपये के नोट का उपयोग कर रहे हैं। अखिल भारतीय पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन (एआईपीडीए) ने कहा है कि डिजिटल भुगतान, जो पंपों पर दैनिक बिक्री का 40 प्रतिशत हुआ करता था, घटकर 10 प्रतिशत रह गया है जबकि नकद बिक्री में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है।
लोगों ने कैश-ऑन-डिलीवरी विकल्प के साथ ऑनलाइन आइटम ऑर्डर करना भी शुरू कर दिया है। यह बताया गया है कि कैश-ऑन-डिलीवरी का विकल्प चुनने वाले ऑनलाइन फूड डिलीवरी एग्रीगेटर जोमाटो के लगभग 75 प्रतिशत यूजर्स 2,000 रुपये के नोटों के साथ भुगतान कर रहे हैं।
ई-कॉमर्स, फूड और ऑनलाइन ग्रॉसरी सेगमेंट में कैश ऑन डिलीवरी का विकल्प चुनने वाले ग्राहकों की संख्या में बढ़ोतरी होने की संभावना है। रिपोर्ट में मंदिरों और अन्य धार्मिक संस्थानों में 2,000 रुपये के नोटों के माध्यम से दान में वृद्धि और खपत टिकाऊ वस्तुओं, बुटीक फर्नीचर इत्यादि जैसी विविध खरीद की उम्मीद है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2 हजार के नोटों के माध्यम से संचयी रूप से 92,000 करोड़ रुपये की बचत बैंक जमा राशि से जनता द्वारा लगभग 55,000 करोड़ रुपये निकाले जा सकते हैं। इससे पैसे की गति को बढ़ाने के साथ-साथ खपत को बढ़ावा मिलना चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस 55,000 करोड़ रुपये के एमपीसी को 0.7 पर देखते हुए, एसबीआई को उम्मीद है कि गुणक प्रभाव के माध्यम से निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) में 1.83 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हो सकती है।
स्थिर कीमतों पर पीएफसीई का जीडीपी से अनुपात लगभग 58 प्रतिशत है। हम इस 2,000 रुपये के नोट निकासी के प्रभाव के कारण वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में 8.1 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि की उम्मीद कर सकते हैं। आरबीआई के अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष 24 में जीडीपी 6.5 प्रतिशत से अधिक हो सकती है।
–आईएएनएस
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