deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home ब्लॉग

पेस्को-शाकाहारी आहार बुजुर्गों में मृत्यु दर को कम करने में हो सकता है सहायक : स्टडी

by
August 23, 2024
in ब्लॉग
0
पेस्को-शाकाहारी आहार बुजुर्गों में मृत्यु दर को कम करने में हो सकता है सहायक : स्टडी
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)। पौधों पर आधारित आहार को लंबे समय से स्वास्थ्यवर्धक माना जाता रहा है, लेकिन यह वृद्ध लोगों के भरण-पोषण के लिए पर्याप्त नहीं है।

शुक्रवार को जारी एक अध्ययन में दावा किया गया कि इसमें समुद्री भोजन शामिल करने से मदद मिल सकती है।

READ ALSO

विदेशी निवेशकों ने इस सप्ताह भारतीय शेयर बाजारों में 3,346 करोड़ रुपए से अधिक का किया निवेश

अहमदाबाद विमान हादसा: आईएमए ने टाटा संस से घायल और मृत मेडिकल छात्रों की सहायता करने का किया अनुरोध

अमेरिका के लोमा लिंडा विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि पेस्को-शाकाहारी आहार- जिसमें शाकाहारी तत्वों के साथ-साथ प्रोटीन के प्राथमिक स्रोत के रूप में मछली और अन्य समुद्री भोजन शामिल हैं, बुजुर्ग लोगों के लिए अधिक बेहतर विकल्प हो सकता है।

शाकाहारी आहार से समग्र मृत्यु दर में कमी आती है, विशेष रूप से मध्यम आयु वर्ग के पुरुषों में।

हालांकि, अध्ययन में पाया गया कि बहुत बूढ़े शाकाहारियों में पार्किंसंस रोग, मनोभ्रंश और स्ट्रोक जैसी तंत्रिका संबंधी बीमारियों का जोखिम कुछ हद तक अधिक होता है। लेकिन, पेस्को-शाकाहारी आहार लेने वाले बुजुर्गों में अन्य शाकाहारी और मांसाहारी आहार की तुलना में छोटा लेकिन ध्यान देने योग्य लाभ देखने को मिला।

लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर गैरी फ्रेजर ने कहा, “शाकाहारी आहार मध्यम आयु तक मृत्यु के जोखिम से सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन एक बार जब लोग 80 वर्ष की आयु में पहुंच जाते हैं, तो सख्त शाकाहारी आहार लाभ नहीं दे पाता।”

फ्रेजर ने कहा, “80 की उम्र के बाद शाकाहारी लोगों में न्यूरोलॉजिकल स्थिति कोई ज्यादा बड़ा जोखिम नहीं है, लेकिन अगर हम चाहते हैं कि सभी शाकाहारियों को उनके बुढ़ापे में भी शाकाहार का लाभ मिलता रहे तो ऐसा नहीं है।”

अध्ययन में कुल 96,000 प्रतिभागियों, जिनमें अमेरिकी और कनाडाई दोनों मूल निवासी शामिल थे, के डेटा का विश्लेषण किया गया। इसमें पाया गया कि शाकाहारियों में मांसाहारियों की तुलना में मृत्यु का जोखिम 12 प्रतिशत कम था।

पेस्को-शाकाहारी आहार लेने वाले प्रतिभागियों की मृत्यु दर में 18 प्रतिशत की कमी देखी गई, जबकि लैक्टो-ओवो-शाकाहारी आहार – जिसमें मांस, मछली और मुर्गी शामिल नहीं होते, लेकिन डेयरी और अंडे का उपयोग किया जाता है, लेने वालों की मृत्यु दर में 15 प्रतिशत की कमी देखी गई।

शाकाहारी लोगों में जोखिम में 3 प्रतिशत की कमी आई, पुरुष शाकाहारी लोगों ने महिलाओं की तुलना में बेहतर परिणाम दिखाए, इसलिए एक मामूली अंतर से भी, पेस्को-शाकाहारी आहार को सबसे अच्छा माना गया।

टीम ने कहा कि कुल मिलाकर यह वैश्विक जीवनशैली चार्ट में एक नया चलन बन सकता है, लेकिन इस आहार पर अभी और अध्ययन की आवश्यकता है।

–आईएएनएस

एकेएस/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)। पौधों पर आधारित आहार को लंबे समय से स्वास्थ्यवर्धक माना जाता रहा है, लेकिन यह वृद्ध लोगों के भरण-पोषण के लिए पर्याप्त नहीं है।

शुक्रवार को जारी एक अध्ययन में दावा किया गया कि इसमें समुद्री भोजन शामिल करने से मदद मिल सकती है।

अमेरिका के लोमा लिंडा विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि पेस्को-शाकाहारी आहार- जिसमें शाकाहारी तत्वों के साथ-साथ प्रोटीन के प्राथमिक स्रोत के रूप में मछली और अन्य समुद्री भोजन शामिल हैं, बुजुर्ग लोगों के लिए अधिक बेहतर विकल्प हो सकता है।

शाकाहारी आहार से समग्र मृत्यु दर में कमी आती है, विशेष रूप से मध्यम आयु वर्ग के पुरुषों में।

हालांकि, अध्ययन में पाया गया कि बहुत बूढ़े शाकाहारियों में पार्किंसंस रोग, मनोभ्रंश और स्ट्रोक जैसी तंत्रिका संबंधी बीमारियों का जोखिम कुछ हद तक अधिक होता है। लेकिन, पेस्को-शाकाहारी आहार लेने वाले बुजुर्गों में अन्य शाकाहारी और मांसाहारी आहार की तुलना में छोटा लेकिन ध्यान देने योग्य लाभ देखने को मिला।

लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर गैरी फ्रेजर ने कहा, “शाकाहारी आहार मध्यम आयु तक मृत्यु के जोखिम से सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन एक बार जब लोग 80 वर्ष की आयु में पहुंच जाते हैं, तो सख्त शाकाहारी आहार लाभ नहीं दे पाता।”

फ्रेजर ने कहा, “80 की उम्र के बाद शाकाहारी लोगों में न्यूरोलॉजिकल स्थिति कोई ज्यादा बड़ा जोखिम नहीं है, लेकिन अगर हम चाहते हैं कि सभी शाकाहारियों को उनके बुढ़ापे में भी शाकाहार का लाभ मिलता रहे तो ऐसा नहीं है।”

अध्ययन में कुल 96,000 प्रतिभागियों, जिनमें अमेरिकी और कनाडाई दोनों मूल निवासी शामिल थे, के डेटा का विश्लेषण किया गया। इसमें पाया गया कि शाकाहारियों में मांसाहारियों की तुलना में मृत्यु का जोखिम 12 प्रतिशत कम था।

पेस्को-शाकाहारी आहार लेने वाले प्रतिभागियों की मृत्यु दर में 18 प्रतिशत की कमी देखी गई, जबकि लैक्टो-ओवो-शाकाहारी आहार – जिसमें मांस, मछली और मुर्गी शामिल नहीं होते, लेकिन डेयरी और अंडे का उपयोग किया जाता है, लेने वालों की मृत्यु दर में 15 प्रतिशत की कमी देखी गई।

शाकाहारी लोगों में जोखिम में 3 प्रतिशत की कमी आई, पुरुष शाकाहारी लोगों ने महिलाओं की तुलना में बेहतर परिणाम दिखाए, इसलिए एक मामूली अंतर से भी, पेस्को-शाकाहारी आहार को सबसे अच्छा माना गया।

टीम ने कहा कि कुल मिलाकर यह वैश्विक जीवनशैली चार्ट में एक नया चलन बन सकता है, लेकिन इस आहार पर अभी और अध्ययन की आवश्यकता है।

–आईएएनएस

एकेएस/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)। पौधों पर आधारित आहार को लंबे समय से स्वास्थ्यवर्धक माना जाता रहा है, लेकिन यह वृद्ध लोगों के भरण-पोषण के लिए पर्याप्त नहीं है।

शुक्रवार को जारी एक अध्ययन में दावा किया गया कि इसमें समुद्री भोजन शामिल करने से मदद मिल सकती है।

अमेरिका के लोमा लिंडा विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि पेस्को-शाकाहारी आहार- जिसमें शाकाहारी तत्वों के साथ-साथ प्रोटीन के प्राथमिक स्रोत के रूप में मछली और अन्य समुद्री भोजन शामिल हैं, बुजुर्ग लोगों के लिए अधिक बेहतर विकल्प हो सकता है।

शाकाहारी आहार से समग्र मृत्यु दर में कमी आती है, विशेष रूप से मध्यम आयु वर्ग के पुरुषों में।

हालांकि, अध्ययन में पाया गया कि बहुत बूढ़े शाकाहारियों में पार्किंसंस रोग, मनोभ्रंश और स्ट्रोक जैसी तंत्रिका संबंधी बीमारियों का जोखिम कुछ हद तक अधिक होता है। लेकिन, पेस्को-शाकाहारी आहार लेने वाले बुजुर्गों में अन्य शाकाहारी और मांसाहारी आहार की तुलना में छोटा लेकिन ध्यान देने योग्य लाभ देखने को मिला।

लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर गैरी फ्रेजर ने कहा, “शाकाहारी आहार मध्यम आयु तक मृत्यु के जोखिम से सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन एक बार जब लोग 80 वर्ष की आयु में पहुंच जाते हैं, तो सख्त शाकाहारी आहार लाभ नहीं दे पाता।”

फ्रेजर ने कहा, “80 की उम्र के बाद शाकाहारी लोगों में न्यूरोलॉजिकल स्थिति कोई ज्यादा बड़ा जोखिम नहीं है, लेकिन अगर हम चाहते हैं कि सभी शाकाहारियों को उनके बुढ़ापे में भी शाकाहार का लाभ मिलता रहे तो ऐसा नहीं है।”

अध्ययन में कुल 96,000 प्रतिभागियों, जिनमें अमेरिकी और कनाडाई दोनों मूल निवासी शामिल थे, के डेटा का विश्लेषण किया गया। इसमें पाया गया कि शाकाहारियों में मांसाहारियों की तुलना में मृत्यु का जोखिम 12 प्रतिशत कम था।

पेस्को-शाकाहारी आहार लेने वाले प्रतिभागियों की मृत्यु दर में 18 प्रतिशत की कमी देखी गई, जबकि लैक्टो-ओवो-शाकाहारी आहार – जिसमें मांस, मछली और मुर्गी शामिल नहीं होते, लेकिन डेयरी और अंडे का उपयोग किया जाता है, लेने वालों की मृत्यु दर में 15 प्रतिशत की कमी देखी गई।

शाकाहारी लोगों में जोखिम में 3 प्रतिशत की कमी आई, पुरुष शाकाहारी लोगों ने महिलाओं की तुलना में बेहतर परिणाम दिखाए, इसलिए एक मामूली अंतर से भी, पेस्को-शाकाहारी आहार को सबसे अच्छा माना गया।

टीम ने कहा कि कुल मिलाकर यह वैश्विक जीवनशैली चार्ट में एक नया चलन बन सकता है, लेकिन इस आहार पर अभी और अध्ययन की आवश्यकता है।

–आईएएनएस

एकेएस/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)। पौधों पर आधारित आहार को लंबे समय से स्वास्थ्यवर्धक माना जाता रहा है, लेकिन यह वृद्ध लोगों के भरण-पोषण के लिए पर्याप्त नहीं है।

शुक्रवार को जारी एक अध्ययन में दावा किया गया कि इसमें समुद्री भोजन शामिल करने से मदद मिल सकती है।

अमेरिका के लोमा लिंडा विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि पेस्को-शाकाहारी आहार- जिसमें शाकाहारी तत्वों के साथ-साथ प्रोटीन के प्राथमिक स्रोत के रूप में मछली और अन्य समुद्री भोजन शामिल हैं, बुजुर्ग लोगों के लिए अधिक बेहतर विकल्प हो सकता है।

शाकाहारी आहार से समग्र मृत्यु दर में कमी आती है, विशेष रूप से मध्यम आयु वर्ग के पुरुषों में।

हालांकि, अध्ययन में पाया गया कि बहुत बूढ़े शाकाहारियों में पार्किंसंस रोग, मनोभ्रंश और स्ट्रोक जैसी तंत्रिका संबंधी बीमारियों का जोखिम कुछ हद तक अधिक होता है। लेकिन, पेस्को-शाकाहारी आहार लेने वाले बुजुर्गों में अन्य शाकाहारी और मांसाहारी आहार की तुलना में छोटा लेकिन ध्यान देने योग्य लाभ देखने को मिला।

लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर गैरी फ्रेजर ने कहा, “शाकाहारी आहार मध्यम आयु तक मृत्यु के जोखिम से सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन एक बार जब लोग 80 वर्ष की आयु में पहुंच जाते हैं, तो सख्त शाकाहारी आहार लाभ नहीं दे पाता।”

फ्रेजर ने कहा, “80 की उम्र के बाद शाकाहारी लोगों में न्यूरोलॉजिकल स्थिति कोई ज्यादा बड़ा जोखिम नहीं है, लेकिन अगर हम चाहते हैं कि सभी शाकाहारियों को उनके बुढ़ापे में भी शाकाहार का लाभ मिलता रहे तो ऐसा नहीं है।”

अध्ययन में कुल 96,000 प्रतिभागियों, जिनमें अमेरिकी और कनाडाई दोनों मूल निवासी शामिल थे, के डेटा का विश्लेषण किया गया। इसमें पाया गया कि शाकाहारियों में मांसाहारियों की तुलना में मृत्यु का जोखिम 12 प्रतिशत कम था।

पेस्को-शाकाहारी आहार लेने वाले प्रतिभागियों की मृत्यु दर में 18 प्रतिशत की कमी देखी गई, जबकि लैक्टो-ओवो-शाकाहारी आहार – जिसमें मांस, मछली और मुर्गी शामिल नहीं होते, लेकिन डेयरी और अंडे का उपयोग किया जाता है, लेने वालों की मृत्यु दर में 15 प्रतिशत की कमी देखी गई।

शाकाहारी लोगों में जोखिम में 3 प्रतिशत की कमी आई, पुरुष शाकाहारी लोगों ने महिलाओं की तुलना में बेहतर परिणाम दिखाए, इसलिए एक मामूली अंतर से भी, पेस्को-शाकाहारी आहार को सबसे अच्छा माना गया।

टीम ने कहा कि कुल मिलाकर यह वैश्विक जीवनशैली चार्ट में एक नया चलन बन सकता है, लेकिन इस आहार पर अभी और अध्ययन की आवश्यकता है।

–आईएएनएस

एकेएस/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)। पौधों पर आधारित आहार को लंबे समय से स्वास्थ्यवर्धक माना जाता रहा है, लेकिन यह वृद्ध लोगों के भरण-पोषण के लिए पर्याप्त नहीं है।

शुक्रवार को जारी एक अध्ययन में दावा किया गया कि इसमें समुद्री भोजन शामिल करने से मदद मिल सकती है।

अमेरिका के लोमा लिंडा विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि पेस्को-शाकाहारी आहार- जिसमें शाकाहारी तत्वों के साथ-साथ प्रोटीन के प्राथमिक स्रोत के रूप में मछली और अन्य समुद्री भोजन शामिल हैं, बुजुर्ग लोगों के लिए अधिक बेहतर विकल्प हो सकता है।

शाकाहारी आहार से समग्र मृत्यु दर में कमी आती है, विशेष रूप से मध्यम आयु वर्ग के पुरुषों में।

हालांकि, अध्ययन में पाया गया कि बहुत बूढ़े शाकाहारियों में पार्किंसंस रोग, मनोभ्रंश और स्ट्रोक जैसी तंत्रिका संबंधी बीमारियों का जोखिम कुछ हद तक अधिक होता है। लेकिन, पेस्को-शाकाहारी आहार लेने वाले बुजुर्गों में अन्य शाकाहारी और मांसाहारी आहार की तुलना में छोटा लेकिन ध्यान देने योग्य लाभ देखने को मिला।

लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर गैरी फ्रेजर ने कहा, “शाकाहारी आहार मध्यम आयु तक मृत्यु के जोखिम से सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन एक बार जब लोग 80 वर्ष की आयु में पहुंच जाते हैं, तो सख्त शाकाहारी आहार लाभ नहीं दे पाता।”

फ्रेजर ने कहा, “80 की उम्र के बाद शाकाहारी लोगों में न्यूरोलॉजिकल स्थिति कोई ज्यादा बड़ा जोखिम नहीं है, लेकिन अगर हम चाहते हैं कि सभी शाकाहारियों को उनके बुढ़ापे में भी शाकाहार का लाभ मिलता रहे तो ऐसा नहीं है।”

अध्ययन में कुल 96,000 प्रतिभागियों, जिनमें अमेरिकी और कनाडाई दोनों मूल निवासी शामिल थे, के डेटा का विश्लेषण किया गया। इसमें पाया गया कि शाकाहारियों में मांसाहारियों की तुलना में मृत्यु का जोखिम 12 प्रतिशत कम था।

पेस्को-शाकाहारी आहार लेने वाले प्रतिभागियों की मृत्यु दर में 18 प्रतिशत की कमी देखी गई, जबकि लैक्टो-ओवो-शाकाहारी आहार – जिसमें मांस, मछली और मुर्गी शामिल नहीं होते, लेकिन डेयरी और अंडे का उपयोग किया जाता है, लेने वालों की मृत्यु दर में 15 प्रतिशत की कमी देखी गई।

शाकाहारी लोगों में जोखिम में 3 प्रतिशत की कमी आई, पुरुष शाकाहारी लोगों ने महिलाओं की तुलना में बेहतर परिणाम दिखाए, इसलिए एक मामूली अंतर से भी, पेस्को-शाकाहारी आहार को सबसे अच्छा माना गया।

टीम ने कहा कि कुल मिलाकर यह वैश्विक जीवनशैली चार्ट में एक नया चलन बन सकता है, लेकिन इस आहार पर अभी और अध्ययन की आवश्यकता है।

–आईएएनएस

एकेएस/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)। पौधों पर आधारित आहार को लंबे समय से स्वास्थ्यवर्धक माना जाता रहा है, लेकिन यह वृद्ध लोगों के भरण-पोषण के लिए पर्याप्त नहीं है।

शुक्रवार को जारी एक अध्ययन में दावा किया गया कि इसमें समुद्री भोजन शामिल करने से मदद मिल सकती है।

अमेरिका के लोमा लिंडा विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि पेस्को-शाकाहारी आहार- जिसमें शाकाहारी तत्वों के साथ-साथ प्रोटीन के प्राथमिक स्रोत के रूप में मछली और अन्य समुद्री भोजन शामिल हैं, बुजुर्ग लोगों के लिए अधिक बेहतर विकल्प हो सकता है।

शाकाहारी आहार से समग्र मृत्यु दर में कमी आती है, विशेष रूप से मध्यम आयु वर्ग के पुरुषों में।

हालांकि, अध्ययन में पाया गया कि बहुत बूढ़े शाकाहारियों में पार्किंसंस रोग, मनोभ्रंश और स्ट्रोक जैसी तंत्रिका संबंधी बीमारियों का जोखिम कुछ हद तक अधिक होता है। लेकिन, पेस्को-शाकाहारी आहार लेने वाले बुजुर्गों में अन्य शाकाहारी और मांसाहारी आहार की तुलना में छोटा लेकिन ध्यान देने योग्य लाभ देखने को मिला।

लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर गैरी फ्रेजर ने कहा, “शाकाहारी आहार मध्यम आयु तक मृत्यु के जोखिम से सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन एक बार जब लोग 80 वर्ष की आयु में पहुंच जाते हैं, तो सख्त शाकाहारी आहार लाभ नहीं दे पाता।”

फ्रेजर ने कहा, “80 की उम्र के बाद शाकाहारी लोगों में न्यूरोलॉजिकल स्थिति कोई ज्यादा बड़ा जोखिम नहीं है, लेकिन अगर हम चाहते हैं कि सभी शाकाहारियों को उनके बुढ़ापे में भी शाकाहार का लाभ मिलता रहे तो ऐसा नहीं है।”

अध्ययन में कुल 96,000 प्रतिभागियों, जिनमें अमेरिकी और कनाडाई दोनों मूल निवासी शामिल थे, के डेटा का विश्लेषण किया गया। इसमें पाया गया कि शाकाहारियों में मांसाहारियों की तुलना में मृत्यु का जोखिम 12 प्रतिशत कम था।

पेस्को-शाकाहारी आहार लेने वाले प्रतिभागियों की मृत्यु दर में 18 प्रतिशत की कमी देखी गई, जबकि लैक्टो-ओवो-शाकाहारी आहार – जिसमें मांस, मछली और मुर्गी शामिल नहीं होते, लेकिन डेयरी और अंडे का उपयोग किया जाता है, लेने वालों की मृत्यु दर में 15 प्रतिशत की कमी देखी गई।

शाकाहारी लोगों में जोखिम में 3 प्रतिशत की कमी आई, पुरुष शाकाहारी लोगों ने महिलाओं की तुलना में बेहतर परिणाम दिखाए, इसलिए एक मामूली अंतर से भी, पेस्को-शाकाहारी आहार को सबसे अच्छा माना गया।

टीम ने कहा कि कुल मिलाकर यह वैश्विक जीवनशैली चार्ट में एक नया चलन बन सकता है, लेकिन इस आहार पर अभी और अध्ययन की आवश्यकता है।

–आईएएनएस

एकेएस/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)। पौधों पर आधारित आहार को लंबे समय से स्वास्थ्यवर्धक माना जाता रहा है, लेकिन यह वृद्ध लोगों के भरण-पोषण के लिए पर्याप्त नहीं है।

शुक्रवार को जारी एक अध्ययन में दावा किया गया कि इसमें समुद्री भोजन शामिल करने से मदद मिल सकती है।

अमेरिका के लोमा लिंडा विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि पेस्को-शाकाहारी आहार- जिसमें शाकाहारी तत्वों के साथ-साथ प्रोटीन के प्राथमिक स्रोत के रूप में मछली और अन्य समुद्री भोजन शामिल हैं, बुजुर्ग लोगों के लिए अधिक बेहतर विकल्प हो सकता है।

शाकाहारी आहार से समग्र मृत्यु दर में कमी आती है, विशेष रूप से मध्यम आयु वर्ग के पुरुषों में।

हालांकि, अध्ययन में पाया गया कि बहुत बूढ़े शाकाहारियों में पार्किंसंस रोग, मनोभ्रंश और स्ट्रोक जैसी तंत्रिका संबंधी बीमारियों का जोखिम कुछ हद तक अधिक होता है। लेकिन, पेस्को-शाकाहारी आहार लेने वाले बुजुर्गों में अन्य शाकाहारी और मांसाहारी आहार की तुलना में छोटा लेकिन ध्यान देने योग्य लाभ देखने को मिला।

लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर गैरी फ्रेजर ने कहा, “शाकाहारी आहार मध्यम आयु तक मृत्यु के जोखिम से सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन एक बार जब लोग 80 वर्ष की आयु में पहुंच जाते हैं, तो सख्त शाकाहारी आहार लाभ नहीं दे पाता।”

फ्रेजर ने कहा, “80 की उम्र के बाद शाकाहारी लोगों में न्यूरोलॉजिकल स्थिति कोई ज्यादा बड़ा जोखिम नहीं है, लेकिन अगर हम चाहते हैं कि सभी शाकाहारियों को उनके बुढ़ापे में भी शाकाहार का लाभ मिलता रहे तो ऐसा नहीं है।”

अध्ययन में कुल 96,000 प्रतिभागियों, जिनमें अमेरिकी और कनाडाई दोनों मूल निवासी शामिल थे, के डेटा का विश्लेषण किया गया। इसमें पाया गया कि शाकाहारियों में मांसाहारियों की तुलना में मृत्यु का जोखिम 12 प्रतिशत कम था।

पेस्को-शाकाहारी आहार लेने वाले प्रतिभागियों की मृत्यु दर में 18 प्रतिशत की कमी देखी गई, जबकि लैक्टो-ओवो-शाकाहारी आहार – जिसमें मांस, मछली और मुर्गी शामिल नहीं होते, लेकिन डेयरी और अंडे का उपयोग किया जाता है, लेने वालों की मृत्यु दर में 15 प्रतिशत की कमी देखी गई।

शाकाहारी लोगों में जोखिम में 3 प्रतिशत की कमी आई, पुरुष शाकाहारी लोगों ने महिलाओं की तुलना में बेहतर परिणाम दिखाए, इसलिए एक मामूली अंतर से भी, पेस्को-शाकाहारी आहार को सबसे अच्छा माना गया।

टीम ने कहा कि कुल मिलाकर यह वैश्विक जीवनशैली चार्ट में एक नया चलन बन सकता है, लेकिन इस आहार पर अभी और अध्ययन की आवश्यकता है।

–आईएएनएस

एकेएस/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)। पौधों पर आधारित आहार को लंबे समय से स्वास्थ्यवर्धक माना जाता रहा है, लेकिन यह वृद्ध लोगों के भरण-पोषण के लिए पर्याप्त नहीं है।

शुक्रवार को जारी एक अध्ययन में दावा किया गया कि इसमें समुद्री भोजन शामिल करने से मदद मिल सकती है।

अमेरिका के लोमा लिंडा विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि पेस्को-शाकाहारी आहार- जिसमें शाकाहारी तत्वों के साथ-साथ प्रोटीन के प्राथमिक स्रोत के रूप में मछली और अन्य समुद्री भोजन शामिल हैं, बुजुर्ग लोगों के लिए अधिक बेहतर विकल्प हो सकता है।

शाकाहारी आहार से समग्र मृत्यु दर में कमी आती है, विशेष रूप से मध्यम आयु वर्ग के पुरुषों में।

हालांकि, अध्ययन में पाया गया कि बहुत बूढ़े शाकाहारियों में पार्किंसंस रोग, मनोभ्रंश और स्ट्रोक जैसी तंत्रिका संबंधी बीमारियों का जोखिम कुछ हद तक अधिक होता है। लेकिन, पेस्को-शाकाहारी आहार लेने वाले बुजुर्गों में अन्य शाकाहारी और मांसाहारी आहार की तुलना में छोटा लेकिन ध्यान देने योग्य लाभ देखने को मिला।

लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर गैरी फ्रेजर ने कहा, “शाकाहारी आहार मध्यम आयु तक मृत्यु के जोखिम से सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन एक बार जब लोग 80 वर्ष की आयु में पहुंच जाते हैं, तो सख्त शाकाहारी आहार लाभ नहीं दे पाता।”

फ्रेजर ने कहा, “80 की उम्र के बाद शाकाहारी लोगों में न्यूरोलॉजिकल स्थिति कोई ज्यादा बड़ा जोखिम नहीं है, लेकिन अगर हम चाहते हैं कि सभी शाकाहारियों को उनके बुढ़ापे में भी शाकाहार का लाभ मिलता रहे तो ऐसा नहीं है।”

अध्ययन में कुल 96,000 प्रतिभागियों, जिनमें अमेरिकी और कनाडाई दोनों मूल निवासी शामिल थे, के डेटा का विश्लेषण किया गया। इसमें पाया गया कि शाकाहारियों में मांसाहारियों की तुलना में मृत्यु का जोखिम 12 प्रतिशत कम था।

पेस्को-शाकाहारी आहार लेने वाले प्रतिभागियों की मृत्यु दर में 18 प्रतिशत की कमी देखी गई, जबकि लैक्टो-ओवो-शाकाहारी आहार – जिसमें मांस, मछली और मुर्गी शामिल नहीं होते, लेकिन डेयरी और अंडे का उपयोग किया जाता है, लेने वालों की मृत्यु दर में 15 प्रतिशत की कमी देखी गई।

शाकाहारी लोगों में जोखिम में 3 प्रतिशत की कमी आई, पुरुष शाकाहारी लोगों ने महिलाओं की तुलना में बेहतर परिणाम दिखाए, इसलिए एक मामूली अंतर से भी, पेस्को-शाकाहारी आहार को सबसे अच्छा माना गया।

टीम ने कहा कि कुल मिलाकर यह वैश्विक जीवनशैली चार्ट में एक नया चलन बन सकता है, लेकिन इस आहार पर अभी और अध्ययन की आवश्यकता है।

–आईएएनएस

एकेएस/एसकेपी

Related Posts

ब्लॉग

विदेशी निवेशकों ने इस सप्ताह भारतीय शेयर बाजारों में 3,346 करोड़ रुपए से अधिक का किया निवेश

June 14, 2025
ब्लॉग

अहमदाबाद विमान हादसा: आईएमए ने टाटा संस से घायल और मृत मेडिकल छात्रों की सहायता करने का किया अनुरोध

June 14, 2025
ब्लॉग

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक, अंतर्देशीय उत्पादन बढ़कर 147 लाख टन हुआ : केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन

June 14, 2025
ब्लॉग

बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव से निवेशकों की धारणा प्रभावित, रक्षा शेयरों में उछाल

June 14, 2025
ब्लॉग

फ्रांस में पहले स्थानीय चिकनगुनिया मामले की पुष्टि, स्वास्थ्य अधिकारी इलाके की कर रहे जांच

June 14, 2025
ब्लॉग

राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन को 2025 में 5.41 लाख शिकायतें मिलीं, 23 प्रतिशत दक्षिणी राज्यों से : निधि खरे

June 14, 2025
Next Post
पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट के बारे में जानते हैं आप, क्या है दोनों में अंतर?

पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट के बारे में जानते हैं आप, क्या है दोनों में अंतर?

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

[email protected]

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

084399
Total views : 5892786
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In