चंडीगढ़, 6 जून (आईएएनएस)। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) ने कैबिनेट मंत्री लाल चंद कटारूचक द्वारा लगाए गए यौन दुराचार के आरोपों के संबंध में अपने अध्यक्ष विजय सांपला के आदेश पर पंजाब सरकार के अधिकारियों को तीसरा नोटिस जारी किया है। सरकार कार्रवाई रिपोर्ट आयोग को प्रस्तुत करने में विफल रही है।
पीड़ित केशव कुमार ने एनसीएससी को बार-बार शिकायत कर अपनी जान को खतरा बताते हुए न्याय और सुरक्षा की मांग की।
तीसरे नोटिस में, एनसीएससी ने मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और डीआईजी बॉर्डर रेंज (अमृतसर) को वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग या दिल्ली में व्यक्तिगत रूप से पीड़ित का बयान दर्ज करने, उसे सुरक्षा प्रदान करने और 12 जून तक रिपोर्ट की गई कार्रवाई प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
मंत्री पर यौन दुराचार का आरोप लगाने वाले कुमार की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए एनसीएससी ने 5 मई को सरकारी अधिकारियों को पहला नोटिस जारी किया था और उन्हें कार्रवाई रिपोर्ट जमा करने और पीड़ित को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कहा था।
नोटिस के बाद, राज्य सरकार ने 8 मई को मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था, लेकिन एनसीएससी के समक्ष कोई कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई थी।
इसके बाद एनसीएससी ने 25 मई को सरकार को दूसरा नोटिस जारी किया था। पीड़ित को जान का खतरा बताते हुए एनसीएससी ने अधिकारियों और पुलिस को पीड़ित का बयान दर्ज करने और 12 जून तक रिपोर्ट सौंपने को कहा था।
पीड़ित को न्याय और सुरक्षा प्रदान करने में सरकार की देरी को देखते हुए एनसीएससी के अध्यक्ष सांपला ने कहा, बार-बार नोटिस देने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
राज्य सरकार को 12 जून तक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है। साथ ही, सरकार को निर्देश दिया जाता है कि वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग या दिल्ली में व्यक्तिगत रूप से पीड़ित के बयान तुरंत दर्ज किए जाएं।
इससे पहले नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने मुख्यमंत्री भगवंत मान पर मंत्री को बचाने का आरोप लगाया।
बाजवा ने राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को भी पत्र लिखकर संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के प्रतिनिधियों से अपेक्षित ईमानदारी बनाए रखने के लिए निष्पक्ष कार्रवाई के लिए मामले को सीबीआई को सौंपने में उनके हस्तक्षेप की मांग की।
पत्र में, विपक्ष के नेता ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से स्वत: संज्ञान लेने और मामले को सीबीआई को सौंपने का भी आग्रह किया।
बाजवा ने कहा कि राज्यपाल द्वारा मांगी गई फॉरेंसिक जांच की रिपोर्ट में कहा गया है कि यौन दुराचार का वीडियो मॉर्फ नहीं किया गया था।
अब उन्होंने कटारूचक द्वारा किए गए अपराध को जघन्य प्रकृति का करार दिया था।
बाजवा ने कहा, जैसा कि अनुमान था, आप सरकार पीड़ित पर अपना वीडियो बयान और एनसीएससी से शिकायत वापस लेने के लिए दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। उन लोगों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जा रहे हैं, जो पीड़ित के समर्थन में आ रहे हैं। आप सरकार पीड़ित और उसके परिवार को परेशान करने के लिए,कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
–आईएएनएस
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