इस्लामाबाद, 19 नवंबर (आईएएनएस)। पोलियो को जड़ से मिटाने के लिए पाकिस्तान का संघर्ष जारी है। खैबर पख्तूनख्वा (केपी) और बलूचिस्तान प्रांतों से नए मामले सामने आने के बाद मंगलवार को देश में सक्रिय पोलियो मामलों की कुल संख्या 50 तक पहुंच गई।
अब तक बलूचिस्तान से कम से कम 24 मामले, सिंध से 13, खैबर पख्तूनख्वा (केपी) से 11, पंजाब और इस्लामाबाद से एक-एक मामले सामने आए हैं।
मंगलवार को एक बच्ची में वाइल्ड पोलियोवायरस (डब्ल्यूपीवी1) पाया गया, जो केपी के टैंक जिले से पोलियो वायरस का दूसरा मामला है।
पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों में पोलियो टीकाकरण अभियान का विरोध भी हो रहा है और यहां तक कि स्वास्थ्य कर्मियों पर भी हमला हुआ है जिसमें लोगों की जान भी गई।
टारगेटेड अटैक के खत्म होने का कोई संकेत नहीं दिखने के कारण, पोलियो टीकाकरण अभियान को सुचारू रूप से चलाना लगभग असंभव हो गया है, जिससे बच्चों के संक्रमित होने की संभावना बढ़ गई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के विभिन्न भागों में पोलियो के मामलों में उत्साहजनक गिरावट देखी गई है। हालांकि उसने चेतावनी दी है कि नवीनतम मामलों का पता चलना एक खतरनाक और चिंताजनक संकेत है। यह दर्शाता है कि कई जिलों में बच्चे अभी भी जोखिम में हैं।
पाकिस्तान और पड़ोसी अफगानिस्तान, दुनिया के दो ऐसे देश हैं जहां पोलियो अभी भी स्थानिक है।
अतीत में, पाकिस्तान ने सालाना 300 मिलियन से अधिक ओरल वैक्सीन लगाए हैं। लेकिन यह बीमारी देश में अभी भी व्याप्त है।
कई विश्लेषकों ने पोलियो वायरस के प्रसार को संभालने में पाकिस्तान सरकार की निरंतर नाकामी पर सवाल उठाए हैं।
पाकिस्तान में पोलियो टीकाकरण अभियान के प्रति विरोध तब बढ़ा जब अमेरिकी जासूसी एजेंसी सीआईए ने देश में अल-कायदा नेता ओसामा बिन लादेन का पता लगाने के लिए एक फर्जी हेपेटाइटिस टीकाकरण अभियान चलाया।
दुनिया के सबसे वॉन्टेड आतंकवादियों में से एक, बिन लादेन को 2011 में केपी के एबटाबाद में यूएस नेवी सील के ऑपरेशन में मार दिया गया।
कई धार्मिक नेताओं का यह भी मानना है कि पोलियो टीकाकरण की बूंदों में सूअर का मांस और शराब के अंश होते हैं, जो इस्लाम में निषिद्ध है।
–आईएएनएस
एमके/