काठमांडू, 25 दिसंबर (आईएएनएस)। नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने रविवार शाम नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड को हिमालयी देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया।
संसद के 265 सांसदों में से प्रचंड ने 170 सदस्यों के समर्थन का दावा किया है। राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक- संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के अनुसार, राष्ट्रपति भंडारी ने प्रचंड को नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया है।
राष्ट्रपति भंडारी के सूचना एवं संचार सहयोगी टीका ढकाल ने कहा कि उन्हें सोमवार को शाम चार बजे पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी। प्रचंड नेपाली कांग्रेस के मौजूदा प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा का स्थान लेंगे।
उन्होंने इससे पहले हिमालयी राष्ट्र में नई सरकार का नेतृत्व करने का दावा पेश किया। सात राजनीतिक दलों- उनके अपने सीपीएन-माओवादी सेंटर, सीपीएन-यूएमएल, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी, जनमत पार्टी, जनता समाजवादी पार्टी और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी – और तीन निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन से, प्रचंड रविवार शाम राष्ट्रपति कार्यालय पहुंचे और एक पत्र पेश किया जिसमें दावा किया गया कि उन्हें संसद के अधिकांश सदस्यों से समर्थन प्राप्त है।
निचले सदन में सीपीएन-यूएमएल के पास 77, माओवादी सेंटर के पास 32, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के पास 20, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के पास 14, जनमत पार्टी के पास 6, जनता समाजवादी पार्टी के पास 12 और नागरीक उन्मुक्ति पार्टी के पास 4 सीटें हैं। संयुक्त रूप से, अब उनके पास नई सरकार बनाने के लिए पर्याप्त बहुमत है।
प्रचंड की पार्टी देउबा के साथ आम सहमति तक पहुंचने के असफल प्रयास के बाद रविवार दोपहर नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन से बाहर हो गई। नेपाली कांग्रेस द्वारा प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति में से किसी भी पद को माओवादी सेंटर को देने से इनकार करने के बाद, प्रचंड ने देउबा से कहा था कि उनकी पार्टी अब गठबंधन में नहीं रह सकती है।
इसके बाद वह यूएमएल अध्यक्ष ओली से मिलने के लिए बालकोट गए। बाद में अन्य दलों के प्रमुख नेताओं ने उनका साथ दिया। प्रचंड और यूएमएल के केपी ओली के बीच समझौते के अनुसार, प्रचंड अगले पांच साल के कार्यकाल की पहली छमाही के लिए प्रधानमंत्री होंगे।
चूंकि किसी भी पार्टी को प्रतिनिधि सभा में अकेले दम पर बहुमत नहीं मिला, इसलिए राष्ट्रपति ने 19 दिसंबर को पार्टियों को संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के तहत सात दिनों के भीतर सरकार बनाने के लिए कहा था।
–आईएएनएस
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