जबलपुर. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने सरकार को निर्देशित किया है कि प्रदेश के थानों परिसरों में मंदिर व अन्य धार्मिक स्थलों का निर्माण कब और किस अधिकारी को निर्देश पर हुआ,इसकी जानकारी पेश करें. युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई जनवरी माह के दूसरे सप्ताह में निर्धारित की गयी है.
जबलपुर निवासी एडवोकेट ओपी यादव की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि सर्वोच्च न्यायालय ने सार्वजनिक स्थानों में धार्मिक स्थलों के निर्माण पर प्रतिबंधित आदेश जारी किये थे. पुलिस थाने भी सार्वजनिक स्थलों की श्रेणी में आते है. सर्वोच्च न्यायालय के प्रतिबंधित आदेश के बावजूद भी मध्य प्रदेश के कई थाने में मंदिरों का निर्माण करवाया गया है या करवाया जा रहा है.
न्यायालयीन आदेशों को नजरअंदाज कर थाना परिसर के अंदर मंदिर निर्माण कराया सुप्रीम कोर्ट आदेशों का खुला उल्लंघन है.
याचिकाकर्ता की तरफ से जिले के चार थाना में किये गये मंदिर निर्माण की फोटो भी याचिका के साथ प्रस्तुत की गयी थी. याचिका में राहत चाही गयी थी कि थाना परिसर में बने सभी मंदिरों को तत्काल हटाया जाये.
इसके अलावा संबंधित थाना प्रभारियों के खिलाफ सिविल सर्विस रूल्स के तहत कार्यवाही की जाये. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जबलपुर की तरफ से इंटर विनर बनने का आवेदन पेश किया गया.
इंटर विनर के प्रारंभिक तर्को को सुनने के बाद युगलपीठ ने सरकार को जवाब पेश करने के निर्देश दिये. याचिका में प्रदेश के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह विभाग, नगरीय प्रशासन, डीजीपी, कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक जबलपुर सहित जिले के सिविल लाइंस, विजय नगर, मदन महल और लार्डगंज को अनावेदक बनाया गया था. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता सतीश वर्मा, अमित पटेल व ग्रीष्म जैन ने पक्ष रखा.