deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home ताज़ा समाचार

फर्जी पासपोर्ट पर भारत में रहा तिब्बती नागरिक गिरफ्तार, साइबर जालसाज को देता था बैंक खाते

by
September 12, 2024
in ताज़ा समाचार
0
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

ग्रेटर नोएडा, 12 सितंबर (आईएएनएस)। एसटीएफ गौतमबुद्ध नगर की टीम ने फर्जी दस्तावेज के जरिए भारतीय पासपोर्ट बनवाकर साइबर फ्रॉड करने वाले एक तिब्बती नागरिक को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। आरोपी भारत में अपना नाम बदलकर रह रहा था। आरोपी के भारतीय पासपोर्ट के जरिए विदेशों में आता जाता था। वह साइबर अपराधियों के साथ मिलकर करोड़ों की साइबर ठगी भी कर चुका है।

तिब्बती नागरिक ने फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कर भारतीय नाम चंद्रा ठाकुर रखा और इसी नाम से पासपोर्ट भी बनवाया था। एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक, 11 सितंबर को एसटीएफ ने आरोपी छीन्जों थारचिंन उर्फ चंद्रा ठाकुर उर्फ तंजीम को दिल्ली के द्वारका में उसके फ्लैट से गिरफ्तार किया है।

READ ALSO

उत्तर प्रदेश : संभल में त्योहारों को लेकर पुलिस ने निकाली फ्लैग मार्च, सीओ ने दी चेतावनी

वर्ल्ड चैंपियन मैरी कॉम के घर में चोरी, सीसीटीवी फुटेज से हुआ खुलासा

एसटीएफ के मुताबिक, उसके पास से पासपोर्ट, एक फर्जी वोटर आईडी कार्ड, एक पैन कार्ड, एक आधार कार्ड, दो एटीएम कार्ड, एक कंबोडिया का सिम कार्ड, दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। एसटीएफ टीम ने बताया है कि कुछ दिनों से एसटीएफ को विदेशी नागरिकों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय नागरिकता के दस्तावेज तैयार कर पासपोर्ट आदि बनाने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं।

एसटीएफ ने द्वारका में रह रहे चंद्रा ठाकुर को पूछताछ के लिए एसटीएफ ऑफिस बुलाया था। गहन पूछताछ में आरोपी के खिलाफ साइबर फ्रॉड के लिए बैंक खाते विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने के सबूत मिले। आरोपी चंद्रा ठाकुर के तिब्बती नागरिक होने की पहचान को छिपाते हुए पश्चिमी बंगाल से फर्जी दस्तावेज तैयार करके फर्जी पासपोर्ट बनाने के साक्ष्य भी एसटीएफ के हाथ लगे। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

एसटीएफ के मुताबिक, वह 14 साल की उम्र में भागकर तिब्बत आ गया। जहां से वह 50-60 लोगों के ग्रुप के साथ नेपाल आया और लगभग 3 माह काठमांडू के रिफ्यूजी सेंटर में रहा। वहां से दिल्ली के बुद्ध विहार रिफ्यूजी सेंटर आया। करीब एक माह बाद उसने हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल में पढ़ाई शुरू की और लगभग 3 वर्ष पढ़ाई करने के बाद दिल्ली भाग आया था।

उसके बाद धर्मशाला एवं दिल्ली के विभिन्न रेस्टोरेंट में चार साल तक काम किया। आरोपी साल 2008 में मजनू का टीला (दिल्ली) में आकर रहने लगा। वह नेपाल से चाइनीज इलेक्ट्रॉनिक सामान वहां से लाकर चोरी छिपे दिल्ली के मार्केट में बेचने लगा। धीरे-धीरे इसे चाइनीज भाषा का भी अच्छा ज्ञान हो गया। साल 2010-11 में फेसबुक पर एक महिला से दोस्ती करने के बाद गंगटोक (सिक्किम) आ गया और एक होटल में कुक का काम करने लगा।

यहीं पर इसकी मुलाकात दार्जिलिंग में होटल चलाने वाले एक लड़के से हो गई। फिर वह दार्जिलिंग आकर रहने लगा। दार्जिलिंग में रहते हुए उसने चंद्रा ठाकुर के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड बनवाया। इसके बाद उसने चंद्र ठाकुर के नाम से साल 2013 में भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया। इसके बाद उसने चीन, मलेशिया, थाईलैंड और दुबई जैसे कई देशों की यात्राएं की।

आरोपी की साल 2021 में नेपाल यात्रा के दौरान काठमांडू में चीन के रहने वाले “ली” से मुलाकात हुई थी। ली ने उसे नेट बैंकिंग समेत भारतीय बैंक के करंट अकाउंट को उपलब्ध कराने को कहा, जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के गेमिंग ऐप, लॉगिन ऐप, ट्रेडिंग ऐप में किया गया।

आरोपी ने एक भारतीय बैंक अकाउंट, चाइनीज को उपलब्ध कराया था। उस अकाउंट में लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन होने के बाद खाता धारक ने दिल्ली के जीटीबी एनक्लेव थाने में 9 दिसंबर 2021 को मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में तिब्बती नागरिक जेल गया था। उसने करीब नौ महीने जेल में बिताए।

जेल से छूटने के बाद छीन्जों थारचिंन की मुलाकात द्वारका के रहने वाले नंदू उर्फ नरेंद्र यादव से हुई, जो पहले से ही चाइनीज के संपर्क में था, जो उनको पैसा लेकर भारतीय अकाउंट उपलब्ध कराता था। आरोपी छीन्जों थारचिंन नेपाल और श्रीलंका में बैठे चाइनीज के संपर्क में आ गया और भारतीय व्यक्तियों के एंव फर्मों के बैंक खाते सक्रिय करके अपने परिचित विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने लगा। जिसका प्रयोग वे लोग साइबर क्राइम में कर रहे थे। पूछताछ में लगभग 26 भारतीय बैंक अकाउंट आरोपी से जुड़े हुए सामने आए हैं जिनके संबंध में गहन छानबीन की जा रही है।

–आईएएनएस

पीकेटी/एफजेड

ADVERTISEMENT

ग्रेटर नोएडा, 12 सितंबर (आईएएनएस)। एसटीएफ गौतमबुद्ध नगर की टीम ने फर्जी दस्तावेज के जरिए भारतीय पासपोर्ट बनवाकर साइबर फ्रॉड करने वाले एक तिब्बती नागरिक को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। आरोपी भारत में अपना नाम बदलकर रह रहा था। आरोपी के भारतीय पासपोर्ट के जरिए विदेशों में आता जाता था। वह साइबर अपराधियों के साथ मिलकर करोड़ों की साइबर ठगी भी कर चुका है।

तिब्बती नागरिक ने फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कर भारतीय नाम चंद्रा ठाकुर रखा और इसी नाम से पासपोर्ट भी बनवाया था। एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक, 11 सितंबर को एसटीएफ ने आरोपी छीन्जों थारचिंन उर्फ चंद्रा ठाकुर उर्फ तंजीम को दिल्ली के द्वारका में उसके फ्लैट से गिरफ्तार किया है।

एसटीएफ के मुताबिक, उसके पास से पासपोर्ट, एक फर्जी वोटर आईडी कार्ड, एक पैन कार्ड, एक आधार कार्ड, दो एटीएम कार्ड, एक कंबोडिया का सिम कार्ड, दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। एसटीएफ टीम ने बताया है कि कुछ दिनों से एसटीएफ को विदेशी नागरिकों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय नागरिकता के दस्तावेज तैयार कर पासपोर्ट आदि बनाने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं।

एसटीएफ ने द्वारका में रह रहे चंद्रा ठाकुर को पूछताछ के लिए एसटीएफ ऑफिस बुलाया था। गहन पूछताछ में आरोपी के खिलाफ साइबर फ्रॉड के लिए बैंक खाते विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने के सबूत मिले। आरोपी चंद्रा ठाकुर के तिब्बती नागरिक होने की पहचान को छिपाते हुए पश्चिमी बंगाल से फर्जी दस्तावेज तैयार करके फर्जी पासपोर्ट बनाने के साक्ष्य भी एसटीएफ के हाथ लगे। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

एसटीएफ के मुताबिक, वह 14 साल की उम्र में भागकर तिब्बत आ गया। जहां से वह 50-60 लोगों के ग्रुप के साथ नेपाल आया और लगभग 3 माह काठमांडू के रिफ्यूजी सेंटर में रहा। वहां से दिल्ली के बुद्ध विहार रिफ्यूजी सेंटर आया। करीब एक माह बाद उसने हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल में पढ़ाई शुरू की और लगभग 3 वर्ष पढ़ाई करने के बाद दिल्ली भाग आया था।

उसके बाद धर्मशाला एवं दिल्ली के विभिन्न रेस्टोरेंट में चार साल तक काम किया। आरोपी साल 2008 में मजनू का टीला (दिल्ली) में आकर रहने लगा। वह नेपाल से चाइनीज इलेक्ट्रॉनिक सामान वहां से लाकर चोरी छिपे दिल्ली के मार्केट में बेचने लगा। धीरे-धीरे इसे चाइनीज भाषा का भी अच्छा ज्ञान हो गया। साल 2010-11 में फेसबुक पर एक महिला से दोस्ती करने के बाद गंगटोक (सिक्किम) आ गया और एक होटल में कुक का काम करने लगा।

यहीं पर इसकी मुलाकात दार्जिलिंग में होटल चलाने वाले एक लड़के से हो गई। फिर वह दार्जिलिंग आकर रहने लगा। दार्जिलिंग में रहते हुए उसने चंद्रा ठाकुर के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड बनवाया। इसके बाद उसने चंद्र ठाकुर के नाम से साल 2013 में भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया। इसके बाद उसने चीन, मलेशिया, थाईलैंड और दुबई जैसे कई देशों की यात्राएं की।

आरोपी की साल 2021 में नेपाल यात्रा के दौरान काठमांडू में चीन के रहने वाले “ली” से मुलाकात हुई थी। ली ने उसे नेट बैंकिंग समेत भारतीय बैंक के करंट अकाउंट को उपलब्ध कराने को कहा, जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के गेमिंग ऐप, लॉगिन ऐप, ट्रेडिंग ऐप में किया गया।

आरोपी ने एक भारतीय बैंक अकाउंट, चाइनीज को उपलब्ध कराया था। उस अकाउंट में लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन होने के बाद खाता धारक ने दिल्ली के जीटीबी एनक्लेव थाने में 9 दिसंबर 2021 को मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में तिब्बती नागरिक जेल गया था। उसने करीब नौ महीने जेल में बिताए।

जेल से छूटने के बाद छीन्जों थारचिंन की मुलाकात द्वारका के रहने वाले नंदू उर्फ नरेंद्र यादव से हुई, जो पहले से ही चाइनीज के संपर्क में था, जो उनको पैसा लेकर भारतीय अकाउंट उपलब्ध कराता था। आरोपी छीन्जों थारचिंन नेपाल और श्रीलंका में बैठे चाइनीज के संपर्क में आ गया और भारतीय व्यक्तियों के एंव फर्मों के बैंक खाते सक्रिय करके अपने परिचित विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने लगा। जिसका प्रयोग वे लोग साइबर क्राइम में कर रहे थे। पूछताछ में लगभग 26 भारतीय बैंक अकाउंट आरोपी से जुड़े हुए सामने आए हैं जिनके संबंध में गहन छानबीन की जा रही है।

–आईएएनएस

पीकेटी/एफजेड

ADVERTISEMENT

ग्रेटर नोएडा, 12 सितंबर (आईएएनएस)। एसटीएफ गौतमबुद्ध नगर की टीम ने फर्जी दस्तावेज के जरिए भारतीय पासपोर्ट बनवाकर साइबर फ्रॉड करने वाले एक तिब्बती नागरिक को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। आरोपी भारत में अपना नाम बदलकर रह रहा था। आरोपी के भारतीय पासपोर्ट के जरिए विदेशों में आता जाता था। वह साइबर अपराधियों के साथ मिलकर करोड़ों की साइबर ठगी भी कर चुका है।

तिब्बती नागरिक ने फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कर भारतीय नाम चंद्रा ठाकुर रखा और इसी नाम से पासपोर्ट भी बनवाया था। एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक, 11 सितंबर को एसटीएफ ने आरोपी छीन्जों थारचिंन उर्फ चंद्रा ठाकुर उर्फ तंजीम को दिल्ली के द्वारका में उसके फ्लैट से गिरफ्तार किया है।

एसटीएफ के मुताबिक, उसके पास से पासपोर्ट, एक फर्जी वोटर आईडी कार्ड, एक पैन कार्ड, एक आधार कार्ड, दो एटीएम कार्ड, एक कंबोडिया का सिम कार्ड, दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। एसटीएफ टीम ने बताया है कि कुछ दिनों से एसटीएफ को विदेशी नागरिकों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय नागरिकता के दस्तावेज तैयार कर पासपोर्ट आदि बनाने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं।

एसटीएफ ने द्वारका में रह रहे चंद्रा ठाकुर को पूछताछ के लिए एसटीएफ ऑफिस बुलाया था। गहन पूछताछ में आरोपी के खिलाफ साइबर फ्रॉड के लिए बैंक खाते विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने के सबूत मिले। आरोपी चंद्रा ठाकुर के तिब्बती नागरिक होने की पहचान को छिपाते हुए पश्चिमी बंगाल से फर्जी दस्तावेज तैयार करके फर्जी पासपोर्ट बनाने के साक्ष्य भी एसटीएफ के हाथ लगे। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

एसटीएफ के मुताबिक, वह 14 साल की उम्र में भागकर तिब्बत आ गया। जहां से वह 50-60 लोगों के ग्रुप के साथ नेपाल आया और लगभग 3 माह काठमांडू के रिफ्यूजी सेंटर में रहा। वहां से दिल्ली के बुद्ध विहार रिफ्यूजी सेंटर आया। करीब एक माह बाद उसने हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल में पढ़ाई शुरू की और लगभग 3 वर्ष पढ़ाई करने के बाद दिल्ली भाग आया था।

उसके बाद धर्मशाला एवं दिल्ली के विभिन्न रेस्टोरेंट में चार साल तक काम किया। आरोपी साल 2008 में मजनू का टीला (दिल्ली) में आकर रहने लगा। वह नेपाल से चाइनीज इलेक्ट्रॉनिक सामान वहां से लाकर चोरी छिपे दिल्ली के मार्केट में बेचने लगा। धीरे-धीरे इसे चाइनीज भाषा का भी अच्छा ज्ञान हो गया। साल 2010-11 में फेसबुक पर एक महिला से दोस्ती करने के बाद गंगटोक (सिक्किम) आ गया और एक होटल में कुक का काम करने लगा।

यहीं पर इसकी मुलाकात दार्जिलिंग में होटल चलाने वाले एक लड़के से हो गई। फिर वह दार्जिलिंग आकर रहने लगा। दार्जिलिंग में रहते हुए उसने चंद्रा ठाकुर के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड बनवाया। इसके बाद उसने चंद्र ठाकुर के नाम से साल 2013 में भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया। इसके बाद उसने चीन, मलेशिया, थाईलैंड और दुबई जैसे कई देशों की यात्राएं की।

आरोपी की साल 2021 में नेपाल यात्रा के दौरान काठमांडू में चीन के रहने वाले “ली” से मुलाकात हुई थी। ली ने उसे नेट बैंकिंग समेत भारतीय बैंक के करंट अकाउंट को उपलब्ध कराने को कहा, जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के गेमिंग ऐप, लॉगिन ऐप, ट्रेडिंग ऐप में किया गया।

आरोपी ने एक भारतीय बैंक अकाउंट, चाइनीज को उपलब्ध कराया था। उस अकाउंट में लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन होने के बाद खाता धारक ने दिल्ली के जीटीबी एनक्लेव थाने में 9 दिसंबर 2021 को मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में तिब्बती नागरिक जेल गया था। उसने करीब नौ महीने जेल में बिताए।

जेल से छूटने के बाद छीन्जों थारचिंन की मुलाकात द्वारका के रहने वाले नंदू उर्फ नरेंद्र यादव से हुई, जो पहले से ही चाइनीज के संपर्क में था, जो उनको पैसा लेकर भारतीय अकाउंट उपलब्ध कराता था। आरोपी छीन्जों थारचिंन नेपाल और श्रीलंका में बैठे चाइनीज के संपर्क में आ गया और भारतीय व्यक्तियों के एंव फर्मों के बैंक खाते सक्रिय करके अपने परिचित विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने लगा। जिसका प्रयोग वे लोग साइबर क्राइम में कर रहे थे। पूछताछ में लगभग 26 भारतीय बैंक अकाउंट आरोपी से जुड़े हुए सामने आए हैं जिनके संबंध में गहन छानबीन की जा रही है।

–आईएएनएस

पीकेटी/एफजेड

ADVERTISEMENT

ग्रेटर नोएडा, 12 सितंबर (आईएएनएस)। एसटीएफ गौतमबुद्ध नगर की टीम ने फर्जी दस्तावेज के जरिए भारतीय पासपोर्ट बनवाकर साइबर फ्रॉड करने वाले एक तिब्बती नागरिक को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। आरोपी भारत में अपना नाम बदलकर रह रहा था। आरोपी के भारतीय पासपोर्ट के जरिए विदेशों में आता जाता था। वह साइबर अपराधियों के साथ मिलकर करोड़ों की साइबर ठगी भी कर चुका है।

तिब्बती नागरिक ने फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कर भारतीय नाम चंद्रा ठाकुर रखा और इसी नाम से पासपोर्ट भी बनवाया था। एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक, 11 सितंबर को एसटीएफ ने आरोपी छीन्जों थारचिंन उर्फ चंद्रा ठाकुर उर्फ तंजीम को दिल्ली के द्वारका में उसके फ्लैट से गिरफ्तार किया है।

एसटीएफ के मुताबिक, उसके पास से पासपोर्ट, एक फर्जी वोटर आईडी कार्ड, एक पैन कार्ड, एक आधार कार्ड, दो एटीएम कार्ड, एक कंबोडिया का सिम कार्ड, दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। एसटीएफ टीम ने बताया है कि कुछ दिनों से एसटीएफ को विदेशी नागरिकों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय नागरिकता के दस्तावेज तैयार कर पासपोर्ट आदि बनाने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं।

एसटीएफ ने द्वारका में रह रहे चंद्रा ठाकुर को पूछताछ के लिए एसटीएफ ऑफिस बुलाया था। गहन पूछताछ में आरोपी के खिलाफ साइबर फ्रॉड के लिए बैंक खाते विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने के सबूत मिले। आरोपी चंद्रा ठाकुर के तिब्बती नागरिक होने की पहचान को छिपाते हुए पश्चिमी बंगाल से फर्जी दस्तावेज तैयार करके फर्जी पासपोर्ट बनाने के साक्ष्य भी एसटीएफ के हाथ लगे। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

एसटीएफ के मुताबिक, वह 14 साल की उम्र में भागकर तिब्बत आ गया। जहां से वह 50-60 लोगों के ग्रुप के साथ नेपाल आया और लगभग 3 माह काठमांडू के रिफ्यूजी सेंटर में रहा। वहां से दिल्ली के बुद्ध विहार रिफ्यूजी सेंटर आया। करीब एक माह बाद उसने हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल में पढ़ाई शुरू की और लगभग 3 वर्ष पढ़ाई करने के बाद दिल्ली भाग आया था।

उसके बाद धर्मशाला एवं दिल्ली के विभिन्न रेस्टोरेंट में चार साल तक काम किया। आरोपी साल 2008 में मजनू का टीला (दिल्ली) में आकर रहने लगा। वह नेपाल से चाइनीज इलेक्ट्रॉनिक सामान वहां से लाकर चोरी छिपे दिल्ली के मार्केट में बेचने लगा। धीरे-धीरे इसे चाइनीज भाषा का भी अच्छा ज्ञान हो गया। साल 2010-11 में फेसबुक पर एक महिला से दोस्ती करने के बाद गंगटोक (सिक्किम) आ गया और एक होटल में कुक का काम करने लगा।

यहीं पर इसकी मुलाकात दार्जिलिंग में होटल चलाने वाले एक लड़के से हो गई। फिर वह दार्जिलिंग आकर रहने लगा। दार्जिलिंग में रहते हुए उसने चंद्रा ठाकुर के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड बनवाया। इसके बाद उसने चंद्र ठाकुर के नाम से साल 2013 में भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया। इसके बाद उसने चीन, मलेशिया, थाईलैंड और दुबई जैसे कई देशों की यात्राएं की।

आरोपी की साल 2021 में नेपाल यात्रा के दौरान काठमांडू में चीन के रहने वाले “ली” से मुलाकात हुई थी। ली ने उसे नेट बैंकिंग समेत भारतीय बैंक के करंट अकाउंट को उपलब्ध कराने को कहा, जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के गेमिंग ऐप, लॉगिन ऐप, ट्रेडिंग ऐप में किया गया।

आरोपी ने एक भारतीय बैंक अकाउंट, चाइनीज को उपलब्ध कराया था। उस अकाउंट में लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन होने के बाद खाता धारक ने दिल्ली के जीटीबी एनक्लेव थाने में 9 दिसंबर 2021 को मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में तिब्बती नागरिक जेल गया था। उसने करीब नौ महीने जेल में बिताए।

जेल से छूटने के बाद छीन्जों थारचिंन की मुलाकात द्वारका के रहने वाले नंदू उर्फ नरेंद्र यादव से हुई, जो पहले से ही चाइनीज के संपर्क में था, जो उनको पैसा लेकर भारतीय अकाउंट उपलब्ध कराता था। आरोपी छीन्जों थारचिंन नेपाल और श्रीलंका में बैठे चाइनीज के संपर्क में आ गया और भारतीय व्यक्तियों के एंव फर्मों के बैंक खाते सक्रिय करके अपने परिचित विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने लगा। जिसका प्रयोग वे लोग साइबर क्राइम में कर रहे थे। पूछताछ में लगभग 26 भारतीय बैंक अकाउंट आरोपी से जुड़े हुए सामने आए हैं जिनके संबंध में गहन छानबीन की जा रही है।

–आईएएनएस

पीकेटी/एफजेड

ADVERTISEMENT

ग्रेटर नोएडा, 12 सितंबर (आईएएनएस)। एसटीएफ गौतमबुद्ध नगर की टीम ने फर्जी दस्तावेज के जरिए भारतीय पासपोर्ट बनवाकर साइबर फ्रॉड करने वाले एक तिब्बती नागरिक को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। आरोपी भारत में अपना नाम बदलकर रह रहा था। आरोपी के भारतीय पासपोर्ट के जरिए विदेशों में आता जाता था। वह साइबर अपराधियों के साथ मिलकर करोड़ों की साइबर ठगी भी कर चुका है।

तिब्बती नागरिक ने फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कर भारतीय नाम चंद्रा ठाकुर रखा और इसी नाम से पासपोर्ट भी बनवाया था। एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक, 11 सितंबर को एसटीएफ ने आरोपी छीन्जों थारचिंन उर्फ चंद्रा ठाकुर उर्फ तंजीम को दिल्ली के द्वारका में उसके फ्लैट से गिरफ्तार किया है।

एसटीएफ के मुताबिक, उसके पास से पासपोर्ट, एक फर्जी वोटर आईडी कार्ड, एक पैन कार्ड, एक आधार कार्ड, दो एटीएम कार्ड, एक कंबोडिया का सिम कार्ड, दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। एसटीएफ टीम ने बताया है कि कुछ दिनों से एसटीएफ को विदेशी नागरिकों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय नागरिकता के दस्तावेज तैयार कर पासपोर्ट आदि बनाने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं।

एसटीएफ ने द्वारका में रह रहे चंद्रा ठाकुर को पूछताछ के लिए एसटीएफ ऑफिस बुलाया था। गहन पूछताछ में आरोपी के खिलाफ साइबर फ्रॉड के लिए बैंक खाते विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने के सबूत मिले। आरोपी चंद्रा ठाकुर के तिब्बती नागरिक होने की पहचान को छिपाते हुए पश्चिमी बंगाल से फर्जी दस्तावेज तैयार करके फर्जी पासपोर्ट बनाने के साक्ष्य भी एसटीएफ के हाथ लगे। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

एसटीएफ के मुताबिक, वह 14 साल की उम्र में भागकर तिब्बत आ गया। जहां से वह 50-60 लोगों के ग्रुप के साथ नेपाल आया और लगभग 3 माह काठमांडू के रिफ्यूजी सेंटर में रहा। वहां से दिल्ली के बुद्ध विहार रिफ्यूजी सेंटर आया। करीब एक माह बाद उसने हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल में पढ़ाई शुरू की और लगभग 3 वर्ष पढ़ाई करने के बाद दिल्ली भाग आया था।

उसके बाद धर्मशाला एवं दिल्ली के विभिन्न रेस्टोरेंट में चार साल तक काम किया। आरोपी साल 2008 में मजनू का टीला (दिल्ली) में आकर रहने लगा। वह नेपाल से चाइनीज इलेक्ट्रॉनिक सामान वहां से लाकर चोरी छिपे दिल्ली के मार्केट में बेचने लगा। धीरे-धीरे इसे चाइनीज भाषा का भी अच्छा ज्ञान हो गया। साल 2010-11 में फेसबुक पर एक महिला से दोस्ती करने के बाद गंगटोक (सिक्किम) आ गया और एक होटल में कुक का काम करने लगा।

यहीं पर इसकी मुलाकात दार्जिलिंग में होटल चलाने वाले एक लड़के से हो गई। फिर वह दार्जिलिंग आकर रहने लगा। दार्जिलिंग में रहते हुए उसने चंद्रा ठाकुर के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड बनवाया। इसके बाद उसने चंद्र ठाकुर के नाम से साल 2013 में भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया। इसके बाद उसने चीन, मलेशिया, थाईलैंड और दुबई जैसे कई देशों की यात्राएं की।

आरोपी की साल 2021 में नेपाल यात्रा के दौरान काठमांडू में चीन के रहने वाले “ली” से मुलाकात हुई थी। ली ने उसे नेट बैंकिंग समेत भारतीय बैंक के करंट अकाउंट को उपलब्ध कराने को कहा, जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के गेमिंग ऐप, लॉगिन ऐप, ट्रेडिंग ऐप में किया गया।

आरोपी ने एक भारतीय बैंक अकाउंट, चाइनीज को उपलब्ध कराया था। उस अकाउंट में लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन होने के बाद खाता धारक ने दिल्ली के जीटीबी एनक्लेव थाने में 9 दिसंबर 2021 को मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में तिब्बती नागरिक जेल गया था। उसने करीब नौ महीने जेल में बिताए।

जेल से छूटने के बाद छीन्जों थारचिंन की मुलाकात द्वारका के रहने वाले नंदू उर्फ नरेंद्र यादव से हुई, जो पहले से ही चाइनीज के संपर्क में था, जो उनको पैसा लेकर भारतीय अकाउंट उपलब्ध कराता था। आरोपी छीन्जों थारचिंन नेपाल और श्रीलंका में बैठे चाइनीज के संपर्क में आ गया और भारतीय व्यक्तियों के एंव फर्मों के बैंक खाते सक्रिय करके अपने परिचित विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने लगा। जिसका प्रयोग वे लोग साइबर क्राइम में कर रहे थे। पूछताछ में लगभग 26 भारतीय बैंक अकाउंट आरोपी से जुड़े हुए सामने आए हैं जिनके संबंध में गहन छानबीन की जा रही है।

–आईएएनएस

पीकेटी/एफजेड

ADVERTISEMENT

ग्रेटर नोएडा, 12 सितंबर (आईएएनएस)। एसटीएफ गौतमबुद्ध नगर की टीम ने फर्जी दस्तावेज के जरिए भारतीय पासपोर्ट बनवाकर साइबर फ्रॉड करने वाले एक तिब्बती नागरिक को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। आरोपी भारत में अपना नाम बदलकर रह रहा था। आरोपी के भारतीय पासपोर्ट के जरिए विदेशों में आता जाता था। वह साइबर अपराधियों के साथ मिलकर करोड़ों की साइबर ठगी भी कर चुका है।

तिब्बती नागरिक ने फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कर भारतीय नाम चंद्रा ठाकुर रखा और इसी नाम से पासपोर्ट भी बनवाया था। एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक, 11 सितंबर को एसटीएफ ने आरोपी छीन्जों थारचिंन उर्फ चंद्रा ठाकुर उर्फ तंजीम को दिल्ली के द्वारका में उसके फ्लैट से गिरफ्तार किया है।

एसटीएफ के मुताबिक, उसके पास से पासपोर्ट, एक फर्जी वोटर आईडी कार्ड, एक पैन कार्ड, एक आधार कार्ड, दो एटीएम कार्ड, एक कंबोडिया का सिम कार्ड, दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। एसटीएफ टीम ने बताया है कि कुछ दिनों से एसटीएफ को विदेशी नागरिकों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय नागरिकता के दस्तावेज तैयार कर पासपोर्ट आदि बनाने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं।

एसटीएफ ने द्वारका में रह रहे चंद्रा ठाकुर को पूछताछ के लिए एसटीएफ ऑफिस बुलाया था। गहन पूछताछ में आरोपी के खिलाफ साइबर फ्रॉड के लिए बैंक खाते विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने के सबूत मिले। आरोपी चंद्रा ठाकुर के तिब्बती नागरिक होने की पहचान को छिपाते हुए पश्चिमी बंगाल से फर्जी दस्तावेज तैयार करके फर्जी पासपोर्ट बनाने के साक्ष्य भी एसटीएफ के हाथ लगे। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

एसटीएफ के मुताबिक, वह 14 साल की उम्र में भागकर तिब्बत आ गया। जहां से वह 50-60 लोगों के ग्रुप के साथ नेपाल आया और लगभग 3 माह काठमांडू के रिफ्यूजी सेंटर में रहा। वहां से दिल्ली के बुद्ध विहार रिफ्यूजी सेंटर आया। करीब एक माह बाद उसने हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल में पढ़ाई शुरू की और लगभग 3 वर्ष पढ़ाई करने के बाद दिल्ली भाग आया था।

उसके बाद धर्मशाला एवं दिल्ली के विभिन्न रेस्टोरेंट में चार साल तक काम किया। आरोपी साल 2008 में मजनू का टीला (दिल्ली) में आकर रहने लगा। वह नेपाल से चाइनीज इलेक्ट्रॉनिक सामान वहां से लाकर चोरी छिपे दिल्ली के मार्केट में बेचने लगा। धीरे-धीरे इसे चाइनीज भाषा का भी अच्छा ज्ञान हो गया। साल 2010-11 में फेसबुक पर एक महिला से दोस्ती करने के बाद गंगटोक (सिक्किम) आ गया और एक होटल में कुक का काम करने लगा।

यहीं पर इसकी मुलाकात दार्जिलिंग में होटल चलाने वाले एक लड़के से हो गई। फिर वह दार्जिलिंग आकर रहने लगा। दार्जिलिंग में रहते हुए उसने चंद्रा ठाकुर के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड बनवाया। इसके बाद उसने चंद्र ठाकुर के नाम से साल 2013 में भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया। इसके बाद उसने चीन, मलेशिया, थाईलैंड और दुबई जैसे कई देशों की यात्राएं की।

आरोपी की साल 2021 में नेपाल यात्रा के दौरान काठमांडू में चीन के रहने वाले “ली” से मुलाकात हुई थी। ली ने उसे नेट बैंकिंग समेत भारतीय बैंक के करंट अकाउंट को उपलब्ध कराने को कहा, जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के गेमिंग ऐप, लॉगिन ऐप, ट्रेडिंग ऐप में किया गया।

आरोपी ने एक भारतीय बैंक अकाउंट, चाइनीज को उपलब्ध कराया था। उस अकाउंट में लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन होने के बाद खाता धारक ने दिल्ली के जीटीबी एनक्लेव थाने में 9 दिसंबर 2021 को मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में तिब्बती नागरिक जेल गया था। उसने करीब नौ महीने जेल में बिताए।

जेल से छूटने के बाद छीन्जों थारचिंन की मुलाकात द्वारका के रहने वाले नंदू उर्फ नरेंद्र यादव से हुई, जो पहले से ही चाइनीज के संपर्क में था, जो उनको पैसा लेकर भारतीय अकाउंट उपलब्ध कराता था। आरोपी छीन्जों थारचिंन नेपाल और श्रीलंका में बैठे चाइनीज के संपर्क में आ गया और भारतीय व्यक्तियों के एंव फर्मों के बैंक खाते सक्रिय करके अपने परिचित विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने लगा। जिसका प्रयोग वे लोग साइबर क्राइम में कर रहे थे। पूछताछ में लगभग 26 भारतीय बैंक अकाउंट आरोपी से जुड़े हुए सामने आए हैं जिनके संबंध में गहन छानबीन की जा रही है।

–आईएएनएस

पीकेटी/एफजेड

ADVERTISEMENT

ग्रेटर नोएडा, 12 सितंबर (आईएएनएस)। एसटीएफ गौतमबुद्ध नगर की टीम ने फर्जी दस्तावेज के जरिए भारतीय पासपोर्ट बनवाकर साइबर फ्रॉड करने वाले एक तिब्बती नागरिक को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। आरोपी भारत में अपना नाम बदलकर रह रहा था। आरोपी के भारतीय पासपोर्ट के जरिए विदेशों में आता जाता था। वह साइबर अपराधियों के साथ मिलकर करोड़ों की साइबर ठगी भी कर चुका है।

तिब्बती नागरिक ने फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कर भारतीय नाम चंद्रा ठाकुर रखा और इसी नाम से पासपोर्ट भी बनवाया था। एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक, 11 सितंबर को एसटीएफ ने आरोपी छीन्जों थारचिंन उर्फ चंद्रा ठाकुर उर्फ तंजीम को दिल्ली के द्वारका में उसके फ्लैट से गिरफ्तार किया है।

एसटीएफ के मुताबिक, उसके पास से पासपोर्ट, एक फर्जी वोटर आईडी कार्ड, एक पैन कार्ड, एक आधार कार्ड, दो एटीएम कार्ड, एक कंबोडिया का सिम कार्ड, दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। एसटीएफ टीम ने बताया है कि कुछ दिनों से एसटीएफ को विदेशी नागरिकों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय नागरिकता के दस्तावेज तैयार कर पासपोर्ट आदि बनाने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं।

एसटीएफ ने द्वारका में रह रहे चंद्रा ठाकुर को पूछताछ के लिए एसटीएफ ऑफिस बुलाया था। गहन पूछताछ में आरोपी के खिलाफ साइबर फ्रॉड के लिए बैंक खाते विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने के सबूत मिले। आरोपी चंद्रा ठाकुर के तिब्बती नागरिक होने की पहचान को छिपाते हुए पश्चिमी बंगाल से फर्जी दस्तावेज तैयार करके फर्जी पासपोर्ट बनाने के साक्ष्य भी एसटीएफ के हाथ लगे। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

एसटीएफ के मुताबिक, वह 14 साल की उम्र में भागकर तिब्बत आ गया। जहां से वह 50-60 लोगों के ग्रुप के साथ नेपाल आया और लगभग 3 माह काठमांडू के रिफ्यूजी सेंटर में रहा। वहां से दिल्ली के बुद्ध विहार रिफ्यूजी सेंटर आया। करीब एक माह बाद उसने हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल में पढ़ाई शुरू की और लगभग 3 वर्ष पढ़ाई करने के बाद दिल्ली भाग आया था।

उसके बाद धर्मशाला एवं दिल्ली के विभिन्न रेस्टोरेंट में चार साल तक काम किया। आरोपी साल 2008 में मजनू का टीला (दिल्ली) में आकर रहने लगा। वह नेपाल से चाइनीज इलेक्ट्रॉनिक सामान वहां से लाकर चोरी छिपे दिल्ली के मार्केट में बेचने लगा। धीरे-धीरे इसे चाइनीज भाषा का भी अच्छा ज्ञान हो गया। साल 2010-11 में फेसबुक पर एक महिला से दोस्ती करने के बाद गंगटोक (सिक्किम) आ गया और एक होटल में कुक का काम करने लगा।

यहीं पर इसकी मुलाकात दार्जिलिंग में होटल चलाने वाले एक लड़के से हो गई। फिर वह दार्जिलिंग आकर रहने लगा। दार्जिलिंग में रहते हुए उसने चंद्रा ठाकुर के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड बनवाया। इसके बाद उसने चंद्र ठाकुर के नाम से साल 2013 में भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया। इसके बाद उसने चीन, मलेशिया, थाईलैंड और दुबई जैसे कई देशों की यात्राएं की।

आरोपी की साल 2021 में नेपाल यात्रा के दौरान काठमांडू में चीन के रहने वाले “ली” से मुलाकात हुई थी। ली ने उसे नेट बैंकिंग समेत भारतीय बैंक के करंट अकाउंट को उपलब्ध कराने को कहा, जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के गेमिंग ऐप, लॉगिन ऐप, ट्रेडिंग ऐप में किया गया।

आरोपी ने एक भारतीय बैंक अकाउंट, चाइनीज को उपलब्ध कराया था। उस अकाउंट में लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन होने के बाद खाता धारक ने दिल्ली के जीटीबी एनक्लेव थाने में 9 दिसंबर 2021 को मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में तिब्बती नागरिक जेल गया था। उसने करीब नौ महीने जेल में बिताए।

जेल से छूटने के बाद छीन्जों थारचिंन की मुलाकात द्वारका के रहने वाले नंदू उर्फ नरेंद्र यादव से हुई, जो पहले से ही चाइनीज के संपर्क में था, जो उनको पैसा लेकर भारतीय अकाउंट उपलब्ध कराता था। आरोपी छीन्जों थारचिंन नेपाल और श्रीलंका में बैठे चाइनीज के संपर्क में आ गया और भारतीय व्यक्तियों के एंव फर्मों के बैंक खाते सक्रिय करके अपने परिचित विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने लगा। जिसका प्रयोग वे लोग साइबर क्राइम में कर रहे थे। पूछताछ में लगभग 26 भारतीय बैंक अकाउंट आरोपी से जुड़े हुए सामने आए हैं जिनके संबंध में गहन छानबीन की जा रही है।

–आईएएनएस

पीकेटी/एफजेड

ADVERTISEMENT

ग्रेटर नोएडा, 12 सितंबर (आईएएनएस)। एसटीएफ गौतमबुद्ध नगर की टीम ने फर्जी दस्तावेज के जरिए भारतीय पासपोर्ट बनवाकर साइबर फ्रॉड करने वाले एक तिब्बती नागरिक को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। आरोपी भारत में अपना नाम बदलकर रह रहा था। आरोपी के भारतीय पासपोर्ट के जरिए विदेशों में आता जाता था। वह साइबर अपराधियों के साथ मिलकर करोड़ों की साइबर ठगी भी कर चुका है।

तिब्बती नागरिक ने फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कर भारतीय नाम चंद्रा ठाकुर रखा और इसी नाम से पासपोर्ट भी बनवाया था। एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक, 11 सितंबर को एसटीएफ ने आरोपी छीन्जों थारचिंन उर्फ चंद्रा ठाकुर उर्फ तंजीम को दिल्ली के द्वारका में उसके फ्लैट से गिरफ्तार किया है।

एसटीएफ के मुताबिक, उसके पास से पासपोर्ट, एक फर्जी वोटर आईडी कार्ड, एक पैन कार्ड, एक आधार कार्ड, दो एटीएम कार्ड, एक कंबोडिया का सिम कार्ड, दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। एसटीएफ टीम ने बताया है कि कुछ दिनों से एसटीएफ को विदेशी नागरिकों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय नागरिकता के दस्तावेज तैयार कर पासपोर्ट आदि बनाने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं।

एसटीएफ ने द्वारका में रह रहे चंद्रा ठाकुर को पूछताछ के लिए एसटीएफ ऑफिस बुलाया था। गहन पूछताछ में आरोपी के खिलाफ साइबर फ्रॉड के लिए बैंक खाते विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने के सबूत मिले। आरोपी चंद्रा ठाकुर के तिब्बती नागरिक होने की पहचान को छिपाते हुए पश्चिमी बंगाल से फर्जी दस्तावेज तैयार करके फर्जी पासपोर्ट बनाने के साक्ष्य भी एसटीएफ के हाथ लगे। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

एसटीएफ के मुताबिक, वह 14 साल की उम्र में भागकर तिब्बत आ गया। जहां से वह 50-60 लोगों के ग्रुप के साथ नेपाल आया और लगभग 3 माह काठमांडू के रिफ्यूजी सेंटर में रहा। वहां से दिल्ली के बुद्ध विहार रिफ्यूजी सेंटर आया। करीब एक माह बाद उसने हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल में पढ़ाई शुरू की और लगभग 3 वर्ष पढ़ाई करने के बाद दिल्ली भाग आया था।

उसके बाद धर्मशाला एवं दिल्ली के विभिन्न रेस्टोरेंट में चार साल तक काम किया। आरोपी साल 2008 में मजनू का टीला (दिल्ली) में आकर रहने लगा। वह नेपाल से चाइनीज इलेक्ट्रॉनिक सामान वहां से लाकर चोरी छिपे दिल्ली के मार्केट में बेचने लगा। धीरे-धीरे इसे चाइनीज भाषा का भी अच्छा ज्ञान हो गया। साल 2010-11 में फेसबुक पर एक महिला से दोस्ती करने के बाद गंगटोक (सिक्किम) आ गया और एक होटल में कुक का काम करने लगा।

यहीं पर इसकी मुलाकात दार्जिलिंग में होटल चलाने वाले एक लड़के से हो गई। फिर वह दार्जिलिंग आकर रहने लगा। दार्जिलिंग में रहते हुए उसने चंद्रा ठाकुर के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड बनवाया। इसके बाद उसने चंद्र ठाकुर के नाम से साल 2013 में भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया। इसके बाद उसने चीन, मलेशिया, थाईलैंड और दुबई जैसे कई देशों की यात्राएं की।

आरोपी की साल 2021 में नेपाल यात्रा के दौरान काठमांडू में चीन के रहने वाले “ली” से मुलाकात हुई थी। ली ने उसे नेट बैंकिंग समेत भारतीय बैंक के करंट अकाउंट को उपलब्ध कराने को कहा, जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के गेमिंग ऐप, लॉगिन ऐप, ट्रेडिंग ऐप में किया गया।

आरोपी ने एक भारतीय बैंक अकाउंट, चाइनीज को उपलब्ध कराया था। उस अकाउंट में लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन होने के बाद खाता धारक ने दिल्ली के जीटीबी एनक्लेव थाने में 9 दिसंबर 2021 को मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में तिब्बती नागरिक जेल गया था। उसने करीब नौ महीने जेल में बिताए।

जेल से छूटने के बाद छीन्जों थारचिंन की मुलाकात द्वारका के रहने वाले नंदू उर्फ नरेंद्र यादव से हुई, जो पहले से ही चाइनीज के संपर्क में था, जो उनको पैसा लेकर भारतीय अकाउंट उपलब्ध कराता था। आरोपी छीन्जों थारचिंन नेपाल और श्रीलंका में बैठे चाइनीज के संपर्क में आ गया और भारतीय व्यक्तियों के एंव फर्मों के बैंक खाते सक्रिय करके अपने परिचित विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने लगा। जिसका प्रयोग वे लोग साइबर क्राइम में कर रहे थे। पूछताछ में लगभग 26 भारतीय बैंक अकाउंट आरोपी से जुड़े हुए सामने आए हैं जिनके संबंध में गहन छानबीन की जा रही है।

–आईएएनएस

पीकेटी/एफजेड

ग्रेटर नोएडा, 12 सितंबर (आईएएनएस)। एसटीएफ गौतमबुद्ध नगर की टीम ने फर्जी दस्तावेज के जरिए भारतीय पासपोर्ट बनवाकर साइबर फ्रॉड करने वाले एक तिब्बती नागरिक को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। आरोपी भारत में अपना नाम बदलकर रह रहा था। आरोपी के भारतीय पासपोर्ट के जरिए विदेशों में आता जाता था। वह साइबर अपराधियों के साथ मिलकर करोड़ों की साइबर ठगी भी कर चुका है।

तिब्बती नागरिक ने फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कर भारतीय नाम चंद्रा ठाकुर रखा और इसी नाम से पासपोर्ट भी बनवाया था। एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक, 11 सितंबर को एसटीएफ ने आरोपी छीन्जों थारचिंन उर्फ चंद्रा ठाकुर उर्फ तंजीम को दिल्ली के द्वारका में उसके फ्लैट से गिरफ्तार किया है।

एसटीएफ के मुताबिक, उसके पास से पासपोर्ट, एक फर्जी वोटर आईडी कार्ड, एक पैन कार्ड, एक आधार कार्ड, दो एटीएम कार्ड, एक कंबोडिया का सिम कार्ड, दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। एसटीएफ टीम ने बताया है कि कुछ दिनों से एसटीएफ को विदेशी नागरिकों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय नागरिकता के दस्तावेज तैयार कर पासपोर्ट आदि बनाने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं।

एसटीएफ ने द्वारका में रह रहे चंद्रा ठाकुर को पूछताछ के लिए एसटीएफ ऑफिस बुलाया था। गहन पूछताछ में आरोपी के खिलाफ साइबर फ्रॉड के लिए बैंक खाते विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने के सबूत मिले। आरोपी चंद्रा ठाकुर के तिब्बती नागरिक होने की पहचान को छिपाते हुए पश्चिमी बंगाल से फर्जी दस्तावेज तैयार करके फर्जी पासपोर्ट बनाने के साक्ष्य भी एसटीएफ के हाथ लगे। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

एसटीएफ के मुताबिक, वह 14 साल की उम्र में भागकर तिब्बत आ गया। जहां से वह 50-60 लोगों के ग्रुप के साथ नेपाल आया और लगभग 3 माह काठमांडू के रिफ्यूजी सेंटर में रहा। वहां से दिल्ली के बुद्ध विहार रिफ्यूजी सेंटर आया। करीब एक माह बाद उसने हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल में पढ़ाई शुरू की और लगभग 3 वर्ष पढ़ाई करने के बाद दिल्ली भाग आया था।

उसके बाद धर्मशाला एवं दिल्ली के विभिन्न रेस्टोरेंट में चार साल तक काम किया। आरोपी साल 2008 में मजनू का टीला (दिल्ली) में आकर रहने लगा। वह नेपाल से चाइनीज इलेक्ट्रॉनिक सामान वहां से लाकर चोरी छिपे दिल्ली के मार्केट में बेचने लगा। धीरे-धीरे इसे चाइनीज भाषा का भी अच्छा ज्ञान हो गया। साल 2010-11 में फेसबुक पर एक महिला से दोस्ती करने के बाद गंगटोक (सिक्किम) आ गया और एक होटल में कुक का काम करने लगा।

यहीं पर इसकी मुलाकात दार्जिलिंग में होटल चलाने वाले एक लड़के से हो गई। फिर वह दार्जिलिंग आकर रहने लगा। दार्जिलिंग में रहते हुए उसने चंद्रा ठाकुर के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड बनवाया। इसके बाद उसने चंद्र ठाकुर के नाम से साल 2013 में भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया। इसके बाद उसने चीन, मलेशिया, थाईलैंड और दुबई जैसे कई देशों की यात्राएं की।

आरोपी की साल 2021 में नेपाल यात्रा के दौरान काठमांडू में चीन के रहने वाले “ली” से मुलाकात हुई थी। ली ने उसे नेट बैंकिंग समेत भारतीय बैंक के करंट अकाउंट को उपलब्ध कराने को कहा, जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के गेमिंग ऐप, लॉगिन ऐप, ट्रेडिंग ऐप में किया गया।

आरोपी ने एक भारतीय बैंक अकाउंट, चाइनीज को उपलब्ध कराया था। उस अकाउंट में लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन होने के बाद खाता धारक ने दिल्ली के जीटीबी एनक्लेव थाने में 9 दिसंबर 2021 को मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में तिब्बती नागरिक जेल गया था। उसने करीब नौ महीने जेल में बिताए।

जेल से छूटने के बाद छीन्जों थारचिंन की मुलाकात द्वारका के रहने वाले नंदू उर्फ नरेंद्र यादव से हुई, जो पहले से ही चाइनीज के संपर्क में था, जो उनको पैसा लेकर भारतीय अकाउंट उपलब्ध कराता था। आरोपी छीन्जों थारचिंन नेपाल और श्रीलंका में बैठे चाइनीज के संपर्क में आ गया और भारतीय व्यक्तियों के एंव फर्मों के बैंक खाते सक्रिय करके अपने परिचित विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने लगा। जिसका प्रयोग वे लोग साइबर क्राइम में कर रहे थे। पूछताछ में लगभग 26 भारतीय बैंक अकाउंट आरोपी से जुड़े हुए सामने आए हैं जिनके संबंध में गहन छानबीन की जा रही है।

–आईएएनएस

पीकेटी/एफजेड

ADVERTISEMENT

ग्रेटर नोएडा, 12 सितंबर (आईएएनएस)। एसटीएफ गौतमबुद्ध नगर की टीम ने फर्जी दस्तावेज के जरिए भारतीय पासपोर्ट बनवाकर साइबर फ्रॉड करने वाले एक तिब्बती नागरिक को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। आरोपी भारत में अपना नाम बदलकर रह रहा था। आरोपी के भारतीय पासपोर्ट के जरिए विदेशों में आता जाता था। वह साइबर अपराधियों के साथ मिलकर करोड़ों की साइबर ठगी भी कर चुका है।

तिब्बती नागरिक ने फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कर भारतीय नाम चंद्रा ठाकुर रखा और इसी नाम से पासपोर्ट भी बनवाया था। एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक, 11 सितंबर को एसटीएफ ने आरोपी छीन्जों थारचिंन उर्फ चंद्रा ठाकुर उर्फ तंजीम को दिल्ली के द्वारका में उसके फ्लैट से गिरफ्तार किया है।

एसटीएफ के मुताबिक, उसके पास से पासपोर्ट, एक फर्जी वोटर आईडी कार्ड, एक पैन कार्ड, एक आधार कार्ड, दो एटीएम कार्ड, एक कंबोडिया का सिम कार्ड, दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। एसटीएफ टीम ने बताया है कि कुछ दिनों से एसटीएफ को विदेशी नागरिकों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय नागरिकता के दस्तावेज तैयार कर पासपोर्ट आदि बनाने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं।

एसटीएफ ने द्वारका में रह रहे चंद्रा ठाकुर को पूछताछ के लिए एसटीएफ ऑफिस बुलाया था। गहन पूछताछ में आरोपी के खिलाफ साइबर फ्रॉड के लिए बैंक खाते विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने के सबूत मिले। आरोपी चंद्रा ठाकुर के तिब्बती नागरिक होने की पहचान को छिपाते हुए पश्चिमी बंगाल से फर्जी दस्तावेज तैयार करके फर्जी पासपोर्ट बनाने के साक्ष्य भी एसटीएफ के हाथ लगे। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

एसटीएफ के मुताबिक, वह 14 साल की उम्र में भागकर तिब्बत आ गया। जहां से वह 50-60 लोगों के ग्रुप के साथ नेपाल आया और लगभग 3 माह काठमांडू के रिफ्यूजी सेंटर में रहा। वहां से दिल्ली के बुद्ध विहार रिफ्यूजी सेंटर आया। करीब एक माह बाद उसने हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल में पढ़ाई शुरू की और लगभग 3 वर्ष पढ़ाई करने के बाद दिल्ली भाग आया था।

उसके बाद धर्मशाला एवं दिल्ली के विभिन्न रेस्टोरेंट में चार साल तक काम किया। आरोपी साल 2008 में मजनू का टीला (दिल्ली) में आकर रहने लगा। वह नेपाल से चाइनीज इलेक्ट्रॉनिक सामान वहां से लाकर चोरी छिपे दिल्ली के मार्केट में बेचने लगा। धीरे-धीरे इसे चाइनीज भाषा का भी अच्छा ज्ञान हो गया। साल 2010-11 में फेसबुक पर एक महिला से दोस्ती करने के बाद गंगटोक (सिक्किम) आ गया और एक होटल में कुक का काम करने लगा।

यहीं पर इसकी मुलाकात दार्जिलिंग में होटल चलाने वाले एक लड़के से हो गई। फिर वह दार्जिलिंग आकर रहने लगा। दार्जिलिंग में रहते हुए उसने चंद्रा ठाकुर के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड बनवाया। इसके बाद उसने चंद्र ठाकुर के नाम से साल 2013 में भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया। इसके बाद उसने चीन, मलेशिया, थाईलैंड और दुबई जैसे कई देशों की यात्राएं की।

आरोपी की साल 2021 में नेपाल यात्रा के दौरान काठमांडू में चीन के रहने वाले “ली” से मुलाकात हुई थी। ली ने उसे नेट बैंकिंग समेत भारतीय बैंक के करंट अकाउंट को उपलब्ध कराने को कहा, जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के गेमिंग ऐप, लॉगिन ऐप, ट्रेडिंग ऐप में किया गया।

आरोपी ने एक भारतीय बैंक अकाउंट, चाइनीज को उपलब्ध कराया था। उस अकाउंट में लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन होने के बाद खाता धारक ने दिल्ली के जीटीबी एनक्लेव थाने में 9 दिसंबर 2021 को मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में तिब्बती नागरिक जेल गया था। उसने करीब नौ महीने जेल में बिताए।

जेल से छूटने के बाद छीन्जों थारचिंन की मुलाकात द्वारका के रहने वाले नंदू उर्फ नरेंद्र यादव से हुई, जो पहले से ही चाइनीज के संपर्क में था, जो उनको पैसा लेकर भारतीय अकाउंट उपलब्ध कराता था। आरोपी छीन्जों थारचिंन नेपाल और श्रीलंका में बैठे चाइनीज के संपर्क में आ गया और भारतीय व्यक्तियों के एंव फर्मों के बैंक खाते सक्रिय करके अपने परिचित विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने लगा। जिसका प्रयोग वे लोग साइबर क्राइम में कर रहे थे। पूछताछ में लगभग 26 भारतीय बैंक अकाउंट आरोपी से जुड़े हुए सामने आए हैं जिनके संबंध में गहन छानबीन की जा रही है।

–आईएएनएस

पीकेटी/एफजेड

ADVERTISEMENT

ग्रेटर नोएडा, 12 सितंबर (आईएएनएस)। एसटीएफ गौतमबुद्ध नगर की टीम ने फर्जी दस्तावेज के जरिए भारतीय पासपोर्ट बनवाकर साइबर फ्रॉड करने वाले एक तिब्बती नागरिक को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। आरोपी भारत में अपना नाम बदलकर रह रहा था। आरोपी के भारतीय पासपोर्ट के जरिए विदेशों में आता जाता था। वह साइबर अपराधियों के साथ मिलकर करोड़ों की साइबर ठगी भी कर चुका है।

तिब्बती नागरिक ने फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कर भारतीय नाम चंद्रा ठाकुर रखा और इसी नाम से पासपोर्ट भी बनवाया था। एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक, 11 सितंबर को एसटीएफ ने आरोपी छीन्जों थारचिंन उर्फ चंद्रा ठाकुर उर्फ तंजीम को दिल्ली के द्वारका में उसके फ्लैट से गिरफ्तार किया है।

एसटीएफ के मुताबिक, उसके पास से पासपोर्ट, एक फर्जी वोटर आईडी कार्ड, एक पैन कार्ड, एक आधार कार्ड, दो एटीएम कार्ड, एक कंबोडिया का सिम कार्ड, दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। एसटीएफ टीम ने बताया है कि कुछ दिनों से एसटीएफ को विदेशी नागरिकों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय नागरिकता के दस्तावेज तैयार कर पासपोर्ट आदि बनाने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं।

एसटीएफ ने द्वारका में रह रहे चंद्रा ठाकुर को पूछताछ के लिए एसटीएफ ऑफिस बुलाया था। गहन पूछताछ में आरोपी के खिलाफ साइबर फ्रॉड के लिए बैंक खाते विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने के सबूत मिले। आरोपी चंद्रा ठाकुर के तिब्बती नागरिक होने की पहचान को छिपाते हुए पश्चिमी बंगाल से फर्जी दस्तावेज तैयार करके फर्जी पासपोर्ट बनाने के साक्ष्य भी एसटीएफ के हाथ लगे। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

एसटीएफ के मुताबिक, वह 14 साल की उम्र में भागकर तिब्बत आ गया। जहां से वह 50-60 लोगों के ग्रुप के साथ नेपाल आया और लगभग 3 माह काठमांडू के रिफ्यूजी सेंटर में रहा। वहां से दिल्ली के बुद्ध विहार रिफ्यूजी सेंटर आया। करीब एक माह बाद उसने हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल में पढ़ाई शुरू की और लगभग 3 वर्ष पढ़ाई करने के बाद दिल्ली भाग आया था।

उसके बाद धर्मशाला एवं दिल्ली के विभिन्न रेस्टोरेंट में चार साल तक काम किया। आरोपी साल 2008 में मजनू का टीला (दिल्ली) में आकर रहने लगा। वह नेपाल से चाइनीज इलेक्ट्रॉनिक सामान वहां से लाकर चोरी छिपे दिल्ली के मार्केट में बेचने लगा। धीरे-धीरे इसे चाइनीज भाषा का भी अच्छा ज्ञान हो गया। साल 2010-11 में फेसबुक पर एक महिला से दोस्ती करने के बाद गंगटोक (सिक्किम) आ गया और एक होटल में कुक का काम करने लगा।

यहीं पर इसकी मुलाकात दार्जिलिंग में होटल चलाने वाले एक लड़के से हो गई। फिर वह दार्जिलिंग आकर रहने लगा। दार्जिलिंग में रहते हुए उसने चंद्रा ठाकुर के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड बनवाया। इसके बाद उसने चंद्र ठाकुर के नाम से साल 2013 में भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया। इसके बाद उसने चीन, मलेशिया, थाईलैंड और दुबई जैसे कई देशों की यात्राएं की।

आरोपी की साल 2021 में नेपाल यात्रा के दौरान काठमांडू में चीन के रहने वाले “ली” से मुलाकात हुई थी। ली ने उसे नेट बैंकिंग समेत भारतीय बैंक के करंट अकाउंट को उपलब्ध कराने को कहा, जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के गेमिंग ऐप, लॉगिन ऐप, ट्रेडिंग ऐप में किया गया।

आरोपी ने एक भारतीय बैंक अकाउंट, चाइनीज को उपलब्ध कराया था। उस अकाउंट में लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन होने के बाद खाता धारक ने दिल्ली के जीटीबी एनक्लेव थाने में 9 दिसंबर 2021 को मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में तिब्बती नागरिक जेल गया था। उसने करीब नौ महीने जेल में बिताए।

जेल से छूटने के बाद छीन्जों थारचिंन की मुलाकात द्वारका के रहने वाले नंदू उर्फ नरेंद्र यादव से हुई, जो पहले से ही चाइनीज के संपर्क में था, जो उनको पैसा लेकर भारतीय अकाउंट उपलब्ध कराता था। आरोपी छीन्जों थारचिंन नेपाल और श्रीलंका में बैठे चाइनीज के संपर्क में आ गया और भारतीय व्यक्तियों के एंव फर्मों के बैंक खाते सक्रिय करके अपने परिचित विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने लगा। जिसका प्रयोग वे लोग साइबर क्राइम में कर रहे थे। पूछताछ में लगभग 26 भारतीय बैंक अकाउंट आरोपी से जुड़े हुए सामने आए हैं जिनके संबंध में गहन छानबीन की जा रही है।

–आईएएनएस

पीकेटी/एफजेड

ADVERTISEMENT

ग्रेटर नोएडा, 12 सितंबर (आईएएनएस)। एसटीएफ गौतमबुद्ध नगर की टीम ने फर्जी दस्तावेज के जरिए भारतीय पासपोर्ट बनवाकर साइबर फ्रॉड करने वाले एक तिब्बती नागरिक को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। आरोपी भारत में अपना नाम बदलकर रह रहा था। आरोपी के भारतीय पासपोर्ट के जरिए विदेशों में आता जाता था। वह साइबर अपराधियों के साथ मिलकर करोड़ों की साइबर ठगी भी कर चुका है।

तिब्बती नागरिक ने फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कर भारतीय नाम चंद्रा ठाकुर रखा और इसी नाम से पासपोर्ट भी बनवाया था। एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक, 11 सितंबर को एसटीएफ ने आरोपी छीन्जों थारचिंन उर्फ चंद्रा ठाकुर उर्फ तंजीम को दिल्ली के द्वारका में उसके फ्लैट से गिरफ्तार किया है।

एसटीएफ के मुताबिक, उसके पास से पासपोर्ट, एक फर्जी वोटर आईडी कार्ड, एक पैन कार्ड, एक आधार कार्ड, दो एटीएम कार्ड, एक कंबोडिया का सिम कार्ड, दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। एसटीएफ टीम ने बताया है कि कुछ दिनों से एसटीएफ को विदेशी नागरिकों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय नागरिकता के दस्तावेज तैयार कर पासपोर्ट आदि बनाने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं।

एसटीएफ ने द्वारका में रह रहे चंद्रा ठाकुर को पूछताछ के लिए एसटीएफ ऑफिस बुलाया था। गहन पूछताछ में आरोपी के खिलाफ साइबर फ्रॉड के लिए बैंक खाते विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने के सबूत मिले। आरोपी चंद्रा ठाकुर के तिब्बती नागरिक होने की पहचान को छिपाते हुए पश्चिमी बंगाल से फर्जी दस्तावेज तैयार करके फर्जी पासपोर्ट बनाने के साक्ष्य भी एसटीएफ के हाथ लगे। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

एसटीएफ के मुताबिक, वह 14 साल की उम्र में भागकर तिब्बत आ गया। जहां से वह 50-60 लोगों के ग्रुप के साथ नेपाल आया और लगभग 3 माह काठमांडू के रिफ्यूजी सेंटर में रहा। वहां से दिल्ली के बुद्ध विहार रिफ्यूजी सेंटर आया। करीब एक माह बाद उसने हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल में पढ़ाई शुरू की और लगभग 3 वर्ष पढ़ाई करने के बाद दिल्ली भाग आया था।

उसके बाद धर्मशाला एवं दिल्ली के विभिन्न रेस्टोरेंट में चार साल तक काम किया। आरोपी साल 2008 में मजनू का टीला (दिल्ली) में आकर रहने लगा। वह नेपाल से चाइनीज इलेक्ट्रॉनिक सामान वहां से लाकर चोरी छिपे दिल्ली के मार्केट में बेचने लगा। धीरे-धीरे इसे चाइनीज भाषा का भी अच्छा ज्ञान हो गया। साल 2010-11 में फेसबुक पर एक महिला से दोस्ती करने के बाद गंगटोक (सिक्किम) आ गया और एक होटल में कुक का काम करने लगा।

यहीं पर इसकी मुलाकात दार्जिलिंग में होटल चलाने वाले एक लड़के से हो गई। फिर वह दार्जिलिंग आकर रहने लगा। दार्जिलिंग में रहते हुए उसने चंद्रा ठाकुर के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड बनवाया। इसके बाद उसने चंद्र ठाकुर के नाम से साल 2013 में भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया। इसके बाद उसने चीन, मलेशिया, थाईलैंड और दुबई जैसे कई देशों की यात्राएं की।

आरोपी की साल 2021 में नेपाल यात्रा के दौरान काठमांडू में चीन के रहने वाले “ली” से मुलाकात हुई थी। ली ने उसे नेट बैंकिंग समेत भारतीय बैंक के करंट अकाउंट को उपलब्ध कराने को कहा, जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के गेमिंग ऐप, लॉगिन ऐप, ट्रेडिंग ऐप में किया गया।

आरोपी ने एक भारतीय बैंक अकाउंट, चाइनीज को उपलब्ध कराया था। उस अकाउंट में लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन होने के बाद खाता धारक ने दिल्ली के जीटीबी एनक्लेव थाने में 9 दिसंबर 2021 को मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में तिब्बती नागरिक जेल गया था। उसने करीब नौ महीने जेल में बिताए।

जेल से छूटने के बाद छीन्जों थारचिंन की मुलाकात द्वारका के रहने वाले नंदू उर्फ नरेंद्र यादव से हुई, जो पहले से ही चाइनीज के संपर्क में था, जो उनको पैसा लेकर भारतीय अकाउंट उपलब्ध कराता था। आरोपी छीन्जों थारचिंन नेपाल और श्रीलंका में बैठे चाइनीज के संपर्क में आ गया और भारतीय व्यक्तियों के एंव फर्मों के बैंक खाते सक्रिय करके अपने परिचित विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने लगा। जिसका प्रयोग वे लोग साइबर क्राइम में कर रहे थे। पूछताछ में लगभग 26 भारतीय बैंक अकाउंट आरोपी से जुड़े हुए सामने आए हैं जिनके संबंध में गहन छानबीन की जा रही है।

–आईएएनएस

पीकेटी/एफजेड

ADVERTISEMENT

ग्रेटर नोएडा, 12 सितंबर (आईएएनएस)। एसटीएफ गौतमबुद्ध नगर की टीम ने फर्जी दस्तावेज के जरिए भारतीय पासपोर्ट बनवाकर साइबर फ्रॉड करने वाले एक तिब्बती नागरिक को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। आरोपी भारत में अपना नाम बदलकर रह रहा था। आरोपी के भारतीय पासपोर्ट के जरिए विदेशों में आता जाता था। वह साइबर अपराधियों के साथ मिलकर करोड़ों की साइबर ठगी भी कर चुका है।

तिब्बती नागरिक ने फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कर भारतीय नाम चंद्रा ठाकुर रखा और इसी नाम से पासपोर्ट भी बनवाया था। एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक, 11 सितंबर को एसटीएफ ने आरोपी छीन्जों थारचिंन उर्फ चंद्रा ठाकुर उर्फ तंजीम को दिल्ली के द्वारका में उसके फ्लैट से गिरफ्तार किया है।

एसटीएफ के मुताबिक, उसके पास से पासपोर्ट, एक फर्जी वोटर आईडी कार्ड, एक पैन कार्ड, एक आधार कार्ड, दो एटीएम कार्ड, एक कंबोडिया का सिम कार्ड, दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। एसटीएफ टीम ने बताया है कि कुछ दिनों से एसटीएफ को विदेशी नागरिकों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय नागरिकता के दस्तावेज तैयार कर पासपोर्ट आदि बनाने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं।

एसटीएफ ने द्वारका में रह रहे चंद्रा ठाकुर को पूछताछ के लिए एसटीएफ ऑफिस बुलाया था। गहन पूछताछ में आरोपी के खिलाफ साइबर फ्रॉड के लिए बैंक खाते विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने के सबूत मिले। आरोपी चंद्रा ठाकुर के तिब्बती नागरिक होने की पहचान को छिपाते हुए पश्चिमी बंगाल से फर्जी दस्तावेज तैयार करके फर्जी पासपोर्ट बनाने के साक्ष्य भी एसटीएफ के हाथ लगे। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

एसटीएफ के मुताबिक, वह 14 साल की उम्र में भागकर तिब्बत आ गया। जहां से वह 50-60 लोगों के ग्रुप के साथ नेपाल आया और लगभग 3 माह काठमांडू के रिफ्यूजी सेंटर में रहा। वहां से दिल्ली के बुद्ध विहार रिफ्यूजी सेंटर आया। करीब एक माह बाद उसने हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल में पढ़ाई शुरू की और लगभग 3 वर्ष पढ़ाई करने के बाद दिल्ली भाग आया था।

उसके बाद धर्मशाला एवं दिल्ली के विभिन्न रेस्टोरेंट में चार साल तक काम किया। आरोपी साल 2008 में मजनू का टीला (दिल्ली) में आकर रहने लगा। वह नेपाल से चाइनीज इलेक्ट्रॉनिक सामान वहां से लाकर चोरी छिपे दिल्ली के मार्केट में बेचने लगा। धीरे-धीरे इसे चाइनीज भाषा का भी अच्छा ज्ञान हो गया। साल 2010-11 में फेसबुक पर एक महिला से दोस्ती करने के बाद गंगटोक (सिक्किम) आ गया और एक होटल में कुक का काम करने लगा।

यहीं पर इसकी मुलाकात दार्जिलिंग में होटल चलाने वाले एक लड़के से हो गई। फिर वह दार्जिलिंग आकर रहने लगा। दार्जिलिंग में रहते हुए उसने चंद्रा ठाकुर के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड बनवाया। इसके बाद उसने चंद्र ठाकुर के नाम से साल 2013 में भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया। इसके बाद उसने चीन, मलेशिया, थाईलैंड और दुबई जैसे कई देशों की यात्राएं की।

आरोपी की साल 2021 में नेपाल यात्रा के दौरान काठमांडू में चीन के रहने वाले “ली” से मुलाकात हुई थी। ली ने उसे नेट बैंकिंग समेत भारतीय बैंक के करंट अकाउंट को उपलब्ध कराने को कहा, जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के गेमिंग ऐप, लॉगिन ऐप, ट्रेडिंग ऐप में किया गया।

आरोपी ने एक भारतीय बैंक अकाउंट, चाइनीज को उपलब्ध कराया था। उस अकाउंट में लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन होने के बाद खाता धारक ने दिल्ली के जीटीबी एनक्लेव थाने में 9 दिसंबर 2021 को मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में तिब्बती नागरिक जेल गया था। उसने करीब नौ महीने जेल में बिताए।

जेल से छूटने के बाद छीन्जों थारचिंन की मुलाकात द्वारका के रहने वाले नंदू उर्फ नरेंद्र यादव से हुई, जो पहले से ही चाइनीज के संपर्क में था, जो उनको पैसा लेकर भारतीय अकाउंट उपलब्ध कराता था। आरोपी छीन्जों थारचिंन नेपाल और श्रीलंका में बैठे चाइनीज के संपर्क में आ गया और भारतीय व्यक्तियों के एंव फर्मों के बैंक खाते सक्रिय करके अपने परिचित विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने लगा। जिसका प्रयोग वे लोग साइबर क्राइम में कर रहे थे। पूछताछ में लगभग 26 भारतीय बैंक अकाउंट आरोपी से जुड़े हुए सामने आए हैं जिनके संबंध में गहन छानबीन की जा रही है।

–आईएएनएस

पीकेटी/एफजेड

ADVERTISEMENT

ग्रेटर नोएडा, 12 सितंबर (आईएएनएस)। एसटीएफ गौतमबुद्ध नगर की टीम ने फर्जी दस्तावेज के जरिए भारतीय पासपोर्ट बनवाकर साइबर फ्रॉड करने वाले एक तिब्बती नागरिक को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। आरोपी भारत में अपना नाम बदलकर रह रहा था। आरोपी के भारतीय पासपोर्ट के जरिए विदेशों में आता जाता था। वह साइबर अपराधियों के साथ मिलकर करोड़ों की साइबर ठगी भी कर चुका है।

तिब्बती नागरिक ने फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कर भारतीय नाम चंद्रा ठाकुर रखा और इसी नाम से पासपोर्ट भी बनवाया था। एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक, 11 सितंबर को एसटीएफ ने आरोपी छीन्जों थारचिंन उर्फ चंद्रा ठाकुर उर्फ तंजीम को दिल्ली के द्वारका में उसके फ्लैट से गिरफ्तार किया है।

एसटीएफ के मुताबिक, उसके पास से पासपोर्ट, एक फर्जी वोटर आईडी कार्ड, एक पैन कार्ड, एक आधार कार्ड, दो एटीएम कार्ड, एक कंबोडिया का सिम कार्ड, दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। एसटीएफ टीम ने बताया है कि कुछ दिनों से एसटीएफ को विदेशी नागरिकों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय नागरिकता के दस्तावेज तैयार कर पासपोर्ट आदि बनाने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं।

एसटीएफ ने द्वारका में रह रहे चंद्रा ठाकुर को पूछताछ के लिए एसटीएफ ऑफिस बुलाया था। गहन पूछताछ में आरोपी के खिलाफ साइबर फ्रॉड के लिए बैंक खाते विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने के सबूत मिले। आरोपी चंद्रा ठाकुर के तिब्बती नागरिक होने की पहचान को छिपाते हुए पश्चिमी बंगाल से फर्जी दस्तावेज तैयार करके फर्जी पासपोर्ट बनाने के साक्ष्य भी एसटीएफ के हाथ लगे। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

एसटीएफ के मुताबिक, वह 14 साल की उम्र में भागकर तिब्बत आ गया। जहां से वह 50-60 लोगों के ग्रुप के साथ नेपाल आया और लगभग 3 माह काठमांडू के रिफ्यूजी सेंटर में रहा। वहां से दिल्ली के बुद्ध विहार रिफ्यूजी सेंटर आया। करीब एक माह बाद उसने हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल में पढ़ाई शुरू की और लगभग 3 वर्ष पढ़ाई करने के बाद दिल्ली भाग आया था।

उसके बाद धर्मशाला एवं दिल्ली के विभिन्न रेस्टोरेंट में चार साल तक काम किया। आरोपी साल 2008 में मजनू का टीला (दिल्ली) में आकर रहने लगा। वह नेपाल से चाइनीज इलेक्ट्रॉनिक सामान वहां से लाकर चोरी छिपे दिल्ली के मार्केट में बेचने लगा। धीरे-धीरे इसे चाइनीज भाषा का भी अच्छा ज्ञान हो गया। साल 2010-11 में फेसबुक पर एक महिला से दोस्ती करने के बाद गंगटोक (सिक्किम) आ गया और एक होटल में कुक का काम करने लगा।

यहीं पर इसकी मुलाकात दार्जिलिंग में होटल चलाने वाले एक लड़के से हो गई। फिर वह दार्जिलिंग आकर रहने लगा। दार्जिलिंग में रहते हुए उसने चंद्रा ठाकुर के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड बनवाया। इसके बाद उसने चंद्र ठाकुर के नाम से साल 2013 में भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया। इसके बाद उसने चीन, मलेशिया, थाईलैंड और दुबई जैसे कई देशों की यात्राएं की।

आरोपी की साल 2021 में नेपाल यात्रा के दौरान काठमांडू में चीन के रहने वाले “ली” से मुलाकात हुई थी। ली ने उसे नेट बैंकिंग समेत भारतीय बैंक के करंट अकाउंट को उपलब्ध कराने को कहा, जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के गेमिंग ऐप, लॉगिन ऐप, ट्रेडिंग ऐप में किया गया।

आरोपी ने एक भारतीय बैंक अकाउंट, चाइनीज को उपलब्ध कराया था। उस अकाउंट में लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन होने के बाद खाता धारक ने दिल्ली के जीटीबी एनक्लेव थाने में 9 दिसंबर 2021 को मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में तिब्बती नागरिक जेल गया था। उसने करीब नौ महीने जेल में बिताए।

जेल से छूटने के बाद छीन्जों थारचिंन की मुलाकात द्वारका के रहने वाले नंदू उर्फ नरेंद्र यादव से हुई, जो पहले से ही चाइनीज के संपर्क में था, जो उनको पैसा लेकर भारतीय अकाउंट उपलब्ध कराता था। आरोपी छीन्जों थारचिंन नेपाल और श्रीलंका में बैठे चाइनीज के संपर्क में आ गया और भारतीय व्यक्तियों के एंव फर्मों के बैंक खाते सक्रिय करके अपने परिचित विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने लगा। जिसका प्रयोग वे लोग साइबर क्राइम में कर रहे थे। पूछताछ में लगभग 26 भारतीय बैंक अकाउंट आरोपी से जुड़े हुए सामने आए हैं जिनके संबंध में गहन छानबीन की जा रही है।

–आईएएनएस

पीकेटी/एफजेड

ADVERTISEMENT

ग्रेटर नोएडा, 12 सितंबर (आईएएनएस)। एसटीएफ गौतमबुद्ध नगर की टीम ने फर्जी दस्तावेज के जरिए भारतीय पासपोर्ट बनवाकर साइबर फ्रॉड करने वाले एक तिब्बती नागरिक को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। आरोपी भारत में अपना नाम बदलकर रह रहा था। आरोपी के भारतीय पासपोर्ट के जरिए विदेशों में आता जाता था। वह साइबर अपराधियों के साथ मिलकर करोड़ों की साइबर ठगी भी कर चुका है।

तिब्बती नागरिक ने फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कर भारतीय नाम चंद्रा ठाकुर रखा और इसी नाम से पासपोर्ट भी बनवाया था। एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक, 11 सितंबर को एसटीएफ ने आरोपी छीन्जों थारचिंन उर्फ चंद्रा ठाकुर उर्फ तंजीम को दिल्ली के द्वारका में उसके फ्लैट से गिरफ्तार किया है।

एसटीएफ के मुताबिक, उसके पास से पासपोर्ट, एक फर्जी वोटर आईडी कार्ड, एक पैन कार्ड, एक आधार कार्ड, दो एटीएम कार्ड, एक कंबोडिया का सिम कार्ड, दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। एसटीएफ टीम ने बताया है कि कुछ दिनों से एसटीएफ को विदेशी नागरिकों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय नागरिकता के दस्तावेज तैयार कर पासपोर्ट आदि बनाने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं।

एसटीएफ ने द्वारका में रह रहे चंद्रा ठाकुर को पूछताछ के लिए एसटीएफ ऑफिस बुलाया था। गहन पूछताछ में आरोपी के खिलाफ साइबर फ्रॉड के लिए बैंक खाते विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने के सबूत मिले। आरोपी चंद्रा ठाकुर के तिब्बती नागरिक होने की पहचान को छिपाते हुए पश्चिमी बंगाल से फर्जी दस्तावेज तैयार करके फर्जी पासपोर्ट बनाने के साक्ष्य भी एसटीएफ के हाथ लगे। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

एसटीएफ के मुताबिक, वह 14 साल की उम्र में भागकर तिब्बत आ गया। जहां से वह 50-60 लोगों के ग्रुप के साथ नेपाल आया और लगभग 3 माह काठमांडू के रिफ्यूजी सेंटर में रहा। वहां से दिल्ली के बुद्ध विहार रिफ्यूजी सेंटर आया। करीब एक माह बाद उसने हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल में पढ़ाई शुरू की और लगभग 3 वर्ष पढ़ाई करने के बाद दिल्ली भाग आया था।

उसके बाद धर्मशाला एवं दिल्ली के विभिन्न रेस्टोरेंट में चार साल तक काम किया। आरोपी साल 2008 में मजनू का टीला (दिल्ली) में आकर रहने लगा। वह नेपाल से चाइनीज इलेक्ट्रॉनिक सामान वहां से लाकर चोरी छिपे दिल्ली के मार्केट में बेचने लगा। धीरे-धीरे इसे चाइनीज भाषा का भी अच्छा ज्ञान हो गया। साल 2010-11 में फेसबुक पर एक महिला से दोस्ती करने के बाद गंगटोक (सिक्किम) आ गया और एक होटल में कुक का काम करने लगा।

यहीं पर इसकी मुलाकात दार्जिलिंग में होटल चलाने वाले एक लड़के से हो गई। फिर वह दार्जिलिंग आकर रहने लगा। दार्जिलिंग में रहते हुए उसने चंद्रा ठाकुर के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड बनवाया। इसके बाद उसने चंद्र ठाकुर के नाम से साल 2013 में भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया। इसके बाद उसने चीन, मलेशिया, थाईलैंड और दुबई जैसे कई देशों की यात्राएं की।

आरोपी की साल 2021 में नेपाल यात्रा के दौरान काठमांडू में चीन के रहने वाले “ली” से मुलाकात हुई थी। ली ने उसे नेट बैंकिंग समेत भारतीय बैंक के करंट अकाउंट को उपलब्ध कराने को कहा, जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के गेमिंग ऐप, लॉगिन ऐप, ट्रेडिंग ऐप में किया गया।

आरोपी ने एक भारतीय बैंक अकाउंट, चाइनीज को उपलब्ध कराया था। उस अकाउंट में लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन होने के बाद खाता धारक ने दिल्ली के जीटीबी एनक्लेव थाने में 9 दिसंबर 2021 को मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में तिब्बती नागरिक जेल गया था। उसने करीब नौ महीने जेल में बिताए।

जेल से छूटने के बाद छीन्जों थारचिंन की मुलाकात द्वारका के रहने वाले नंदू उर्फ नरेंद्र यादव से हुई, जो पहले से ही चाइनीज के संपर्क में था, जो उनको पैसा लेकर भारतीय अकाउंट उपलब्ध कराता था। आरोपी छीन्जों थारचिंन नेपाल और श्रीलंका में बैठे चाइनीज के संपर्क में आ गया और भारतीय व्यक्तियों के एंव फर्मों के बैंक खाते सक्रिय करके अपने परिचित विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने लगा। जिसका प्रयोग वे लोग साइबर क्राइम में कर रहे थे। पूछताछ में लगभग 26 भारतीय बैंक अकाउंट आरोपी से जुड़े हुए सामने आए हैं जिनके संबंध में गहन छानबीन की जा रही है।

–आईएएनएस

पीकेटी/एफजेड

ADVERTISEMENT

ग्रेटर नोएडा, 12 सितंबर (आईएएनएस)। एसटीएफ गौतमबुद्ध नगर की टीम ने फर्जी दस्तावेज के जरिए भारतीय पासपोर्ट बनवाकर साइबर फ्रॉड करने वाले एक तिब्बती नागरिक को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। आरोपी भारत में अपना नाम बदलकर रह रहा था। आरोपी के भारतीय पासपोर्ट के जरिए विदेशों में आता जाता था। वह साइबर अपराधियों के साथ मिलकर करोड़ों की साइबर ठगी भी कर चुका है।

तिब्बती नागरिक ने फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कर भारतीय नाम चंद्रा ठाकुर रखा और इसी नाम से पासपोर्ट भी बनवाया था। एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक, 11 सितंबर को एसटीएफ ने आरोपी छीन्जों थारचिंन उर्फ चंद्रा ठाकुर उर्फ तंजीम को दिल्ली के द्वारका में उसके फ्लैट से गिरफ्तार किया है।

एसटीएफ के मुताबिक, उसके पास से पासपोर्ट, एक फर्जी वोटर आईडी कार्ड, एक पैन कार्ड, एक आधार कार्ड, दो एटीएम कार्ड, एक कंबोडिया का सिम कार्ड, दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। एसटीएफ टीम ने बताया है कि कुछ दिनों से एसटीएफ को विदेशी नागरिकों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय नागरिकता के दस्तावेज तैयार कर पासपोर्ट आदि बनाने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं।

एसटीएफ ने द्वारका में रह रहे चंद्रा ठाकुर को पूछताछ के लिए एसटीएफ ऑफिस बुलाया था। गहन पूछताछ में आरोपी के खिलाफ साइबर फ्रॉड के लिए बैंक खाते विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने के सबूत मिले। आरोपी चंद्रा ठाकुर के तिब्बती नागरिक होने की पहचान को छिपाते हुए पश्चिमी बंगाल से फर्जी दस्तावेज तैयार करके फर्जी पासपोर्ट बनाने के साक्ष्य भी एसटीएफ के हाथ लगे। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

एसटीएफ के मुताबिक, वह 14 साल की उम्र में भागकर तिब्बत आ गया। जहां से वह 50-60 लोगों के ग्रुप के साथ नेपाल आया और लगभग 3 माह काठमांडू के रिफ्यूजी सेंटर में रहा। वहां से दिल्ली के बुद्ध विहार रिफ्यूजी सेंटर आया। करीब एक माह बाद उसने हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल में पढ़ाई शुरू की और लगभग 3 वर्ष पढ़ाई करने के बाद दिल्ली भाग आया था।

उसके बाद धर्मशाला एवं दिल्ली के विभिन्न रेस्टोरेंट में चार साल तक काम किया। आरोपी साल 2008 में मजनू का टीला (दिल्ली) में आकर रहने लगा। वह नेपाल से चाइनीज इलेक्ट्रॉनिक सामान वहां से लाकर चोरी छिपे दिल्ली के मार्केट में बेचने लगा। धीरे-धीरे इसे चाइनीज भाषा का भी अच्छा ज्ञान हो गया। साल 2010-11 में फेसबुक पर एक महिला से दोस्ती करने के बाद गंगटोक (सिक्किम) आ गया और एक होटल में कुक का काम करने लगा।

यहीं पर इसकी मुलाकात दार्जिलिंग में होटल चलाने वाले एक लड़के से हो गई। फिर वह दार्जिलिंग आकर रहने लगा। दार्जिलिंग में रहते हुए उसने चंद्रा ठाकुर के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड बनवाया। इसके बाद उसने चंद्र ठाकुर के नाम से साल 2013 में भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया। इसके बाद उसने चीन, मलेशिया, थाईलैंड और दुबई जैसे कई देशों की यात्राएं की।

आरोपी की साल 2021 में नेपाल यात्रा के दौरान काठमांडू में चीन के रहने वाले “ली” से मुलाकात हुई थी। ली ने उसे नेट बैंकिंग समेत भारतीय बैंक के करंट अकाउंट को उपलब्ध कराने को कहा, जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के गेमिंग ऐप, लॉगिन ऐप, ट्रेडिंग ऐप में किया गया।

आरोपी ने एक भारतीय बैंक अकाउंट, चाइनीज को उपलब्ध कराया था। उस अकाउंट में लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन होने के बाद खाता धारक ने दिल्ली के जीटीबी एनक्लेव थाने में 9 दिसंबर 2021 को मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में तिब्बती नागरिक जेल गया था। उसने करीब नौ महीने जेल में बिताए।

जेल से छूटने के बाद छीन्जों थारचिंन की मुलाकात द्वारका के रहने वाले नंदू उर्फ नरेंद्र यादव से हुई, जो पहले से ही चाइनीज के संपर्क में था, जो उनको पैसा लेकर भारतीय अकाउंट उपलब्ध कराता था। आरोपी छीन्जों थारचिंन नेपाल और श्रीलंका में बैठे चाइनीज के संपर्क में आ गया और भारतीय व्यक्तियों के एंव फर्मों के बैंक खाते सक्रिय करके अपने परिचित विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने लगा। जिसका प्रयोग वे लोग साइबर क्राइम में कर रहे थे। पूछताछ में लगभग 26 भारतीय बैंक अकाउंट आरोपी से जुड़े हुए सामने आए हैं जिनके संबंध में गहन छानबीन की जा रही है।

–आईएएनएस

पीकेटी/एफजेड

Related Posts

ताज़ा समाचार

उत्तर प्रदेश : संभल में त्योहारों को लेकर पुलिस ने निकाली फ्लैग मार्च, सीओ ने दी चेतावनी

September 28, 2025
ताज़ा समाचार

वर्ल्ड चैंपियन मैरी कॉम के घर में चोरी, सीसीटीवी फुटेज से हुआ खुलासा

September 28, 2025
ताज़ा समाचार

बृजेश मिश्रा: भारत के पहले एनएसए, जिन्होंने सुरक्षा और कूटनीति को दी नई दिशा

September 28, 2025
ताज़ा समाचार

दिल्ली : मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का ऐतिहासिक महासम्मेलन, इंद्रेश कुमार बोले- घुसपैठिए खा रहे देश के मुसलमानों का हक

September 28, 2025
ताज़ा समाचार

छत्तीसगढ़: गरबा में यूट्यूबर एल्विश के कार्यक्रम का विरोध, लोगों ने उठाए सवाल

September 28, 2025
ताज़ा समाचार

लद्दाख हिंसा के पीछे कांग्रेस की विभाजनकारी मानसिकता कर रही काम : सैयद जफर इस्लाम

September 28, 2025
Next Post

चंपावत में भारी बारिश के बाद भूस्खलन, टनकपुर-पिथौरागढ़ नेशनल हाईवे बंद

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

114709
Total views : 6020431
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In