deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home मनोरंजन

फादर्स डे : जीनत अमान ने बताया, कैसे मिला सरनेम

by
June 18, 2023
in मनोरंजन
0
फादर्स डे : जीनत अमान ने बताया, कैसे मिला सरनेम
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

मुंबई, 18 जून (आईएएनएस)। दिग्गज अभिनेत्री जीनत अमान ने फादर्स डे पर अपने दिवंगत पिता अमानुल्लाह खान और मां वर्धिनी सिंधिया को याद किया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अमान सरनेम कैसे मिला। जीनत अपने पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन करना चाहती हैं।

जीनत ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की और लिखा कि कैसे उनके माता-पिता ने शादी की और कुछ साल बाद अलग हो गए।

READ ALSO

बच्चों के जीवन की सबसे बड़ी ढाल हैं मां : हिना खान

मदर्स डे पर काजल, नुसरत समेत इन एक्ट्रेसेस ने दी बधाई, कहा- ‘आज मैं जो हूं, सिर्फ आपकी वजह से’

अभिनेत्री ने लिखा, यह बहुमूल्य छवि एक फोटो स्टूडियो में ली गई थी, जब मैं छोटी सी बच्ची थी। मेरे पिता मेरे पीछे बैठे हैं, और एक रिश्तेदार सामने हैं। मेरे पिता अमानुल्लाह खान शाही घराने के थे। उनकी मां अख्तर जहां बेगम भोपाल सूबे के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान की चचेरी बहन थीं।

जीनत ने निखा, मेरे पिता को लोग अमान साहब कहा करते थे। वे आठ भाई-बहनों में से एक थे। वह भोपाल में बड़े इत्मीनान से जिंदगी गुजार रहे थे। उन्हें बेहद सुंदर माना जाता था। वह और उनके चचेरे भाई अल नासिर हिंदी सिनेमा में किस्मत आजमाने के लिए मुंबई चले आए। शहर में आयोजित एक पार्टी में अमान साहब की मुलाकात वर्धिनी सिंधिया से हुई। इसके बाद उनके बीच प्रेमालाप चला और उन्होंने जल्द ही शादी कर ली।

अभिनेत्री ने आगे लिखा, अप्रत्याशित रूप से इस शादी को परिवार की मंजूरी नहीं मिली, क्योंकि वह हिंदू थीं और मेरे पिता मुस्लिम परिवार से थे। एक संक्षिप्त अभिनय करियर के बाद अमन साहब लेखक बन गए। बतौर लेखक उन्हें प्रोजेक्ट मिले, उन्होंने मुगल-ए-आजम और पाकीजा के लिए पटकथा और संवाद लिखे। हालांकि वह एक लेखक के रूप में बेहद प्रतिभाशाली और सम्मानित थे, मुझे नहीं लगता कि उन्हें कभी भी उनका बकाया मिला।

जीनत ने लिखा, मेरे जन्म के कुछ साल बाद मेरे माता-पिता ने अलग होने का फैसला किया। मैं अपनी मां के साथ रही और मेरे पिता बांद्रा में माउंट मैरी हिल पर बने एक बड़े बंगले में चले गए।

उन्हें याद आया कि जब वह पिता के साथ लंबी सैर पर जाते थे तो वह आइसक्रीम खिलाते थे।

पिता को याद करते हुए उन्होंने लिखा, वह मुझे कहानियां और उर्दू कविताएं सुनाते थे, जिनमें से कुछ उन्होंने विशेष रूप से मेरे लिए बनाई थीं। वह मेरी मां को और मुझे अंग्रेजी में सुंदर चिट्ठियां भी लिखते थे।

ये मेरे पिता की कुछ यादें हैं। उनका 41 साल की कम उम्र में ही निधन हो गया। उस समय मैं स्कूल में पढ़ती थी। काश, मुझे उनके साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलता! उनकी कुछ चीजों में से जो मेरे दिल के करीब हैं, वे हैं उनकी उर्दू कविताएं। मैं उनकी लिखी कविताओं की किताब छपवाना चाहती हूं।

जीनत ने अखिर में लिखा, मुझे उम्मीद है कि किसी दिन मेरे पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन होगा। अपने माता-पिता को याद कर हर कोई अपनी उम्र भूल जाता है, मैं भी। फादर्स डे पर मैं अपने पिता अमानुल्लाह खान यानी अमान साहब के बारे में सोच रही हूं, जिनका नाम मैंने अपने नाम में जोड़ लिया। मैंने सही किया न!!

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

मुंबई, 18 जून (आईएएनएस)। दिग्गज अभिनेत्री जीनत अमान ने फादर्स डे पर अपने दिवंगत पिता अमानुल्लाह खान और मां वर्धिनी सिंधिया को याद किया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अमान सरनेम कैसे मिला। जीनत अपने पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन करना चाहती हैं।

जीनत ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की और लिखा कि कैसे उनके माता-पिता ने शादी की और कुछ साल बाद अलग हो गए।

अभिनेत्री ने लिखा, यह बहुमूल्य छवि एक फोटो स्टूडियो में ली गई थी, जब मैं छोटी सी बच्ची थी। मेरे पिता मेरे पीछे बैठे हैं, और एक रिश्तेदार सामने हैं। मेरे पिता अमानुल्लाह खान शाही घराने के थे। उनकी मां अख्तर जहां बेगम भोपाल सूबे के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान की चचेरी बहन थीं।

जीनत ने निखा, मेरे पिता को लोग अमान साहब कहा करते थे। वे आठ भाई-बहनों में से एक थे। वह भोपाल में बड़े इत्मीनान से जिंदगी गुजार रहे थे। उन्हें बेहद सुंदर माना जाता था। वह और उनके चचेरे भाई अल नासिर हिंदी सिनेमा में किस्मत आजमाने के लिए मुंबई चले आए। शहर में आयोजित एक पार्टी में अमान साहब की मुलाकात वर्धिनी सिंधिया से हुई। इसके बाद उनके बीच प्रेमालाप चला और उन्होंने जल्द ही शादी कर ली।

अभिनेत्री ने आगे लिखा, अप्रत्याशित रूप से इस शादी को परिवार की मंजूरी नहीं मिली, क्योंकि वह हिंदू थीं और मेरे पिता मुस्लिम परिवार से थे। एक संक्षिप्त अभिनय करियर के बाद अमन साहब लेखक बन गए। बतौर लेखक उन्हें प्रोजेक्ट मिले, उन्होंने मुगल-ए-आजम और पाकीजा के लिए पटकथा और संवाद लिखे। हालांकि वह एक लेखक के रूप में बेहद प्रतिभाशाली और सम्मानित थे, मुझे नहीं लगता कि उन्हें कभी भी उनका बकाया मिला।

जीनत ने लिखा, मेरे जन्म के कुछ साल बाद मेरे माता-पिता ने अलग होने का फैसला किया। मैं अपनी मां के साथ रही और मेरे पिता बांद्रा में माउंट मैरी हिल पर बने एक बड़े बंगले में चले गए।

उन्हें याद आया कि जब वह पिता के साथ लंबी सैर पर जाते थे तो वह आइसक्रीम खिलाते थे।

पिता को याद करते हुए उन्होंने लिखा, वह मुझे कहानियां और उर्दू कविताएं सुनाते थे, जिनमें से कुछ उन्होंने विशेष रूप से मेरे लिए बनाई थीं। वह मेरी मां को और मुझे अंग्रेजी में सुंदर चिट्ठियां भी लिखते थे।

ये मेरे पिता की कुछ यादें हैं। उनका 41 साल की कम उम्र में ही निधन हो गया। उस समय मैं स्कूल में पढ़ती थी। काश, मुझे उनके साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलता! उनकी कुछ चीजों में से जो मेरे दिल के करीब हैं, वे हैं उनकी उर्दू कविताएं। मैं उनकी लिखी कविताओं की किताब छपवाना चाहती हूं।

जीनत ने अखिर में लिखा, मुझे उम्मीद है कि किसी दिन मेरे पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन होगा। अपने माता-पिता को याद कर हर कोई अपनी उम्र भूल जाता है, मैं भी। फादर्स डे पर मैं अपने पिता अमानुल्लाह खान यानी अमान साहब के बारे में सोच रही हूं, जिनका नाम मैंने अपने नाम में जोड़ लिया। मैंने सही किया न!!

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

मुंबई, 18 जून (आईएएनएस)। दिग्गज अभिनेत्री जीनत अमान ने फादर्स डे पर अपने दिवंगत पिता अमानुल्लाह खान और मां वर्धिनी सिंधिया को याद किया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अमान सरनेम कैसे मिला। जीनत अपने पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन करना चाहती हैं।

जीनत ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की और लिखा कि कैसे उनके माता-पिता ने शादी की और कुछ साल बाद अलग हो गए।

अभिनेत्री ने लिखा, यह बहुमूल्य छवि एक फोटो स्टूडियो में ली गई थी, जब मैं छोटी सी बच्ची थी। मेरे पिता मेरे पीछे बैठे हैं, और एक रिश्तेदार सामने हैं। मेरे पिता अमानुल्लाह खान शाही घराने के थे। उनकी मां अख्तर जहां बेगम भोपाल सूबे के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान की चचेरी बहन थीं।

जीनत ने निखा, मेरे पिता को लोग अमान साहब कहा करते थे। वे आठ भाई-बहनों में से एक थे। वह भोपाल में बड़े इत्मीनान से जिंदगी गुजार रहे थे। उन्हें बेहद सुंदर माना जाता था। वह और उनके चचेरे भाई अल नासिर हिंदी सिनेमा में किस्मत आजमाने के लिए मुंबई चले आए। शहर में आयोजित एक पार्टी में अमान साहब की मुलाकात वर्धिनी सिंधिया से हुई। इसके बाद उनके बीच प्रेमालाप चला और उन्होंने जल्द ही शादी कर ली।

अभिनेत्री ने आगे लिखा, अप्रत्याशित रूप से इस शादी को परिवार की मंजूरी नहीं मिली, क्योंकि वह हिंदू थीं और मेरे पिता मुस्लिम परिवार से थे। एक संक्षिप्त अभिनय करियर के बाद अमन साहब लेखक बन गए। बतौर लेखक उन्हें प्रोजेक्ट मिले, उन्होंने मुगल-ए-आजम और पाकीजा के लिए पटकथा और संवाद लिखे। हालांकि वह एक लेखक के रूप में बेहद प्रतिभाशाली और सम्मानित थे, मुझे नहीं लगता कि उन्हें कभी भी उनका बकाया मिला।

जीनत ने लिखा, मेरे जन्म के कुछ साल बाद मेरे माता-पिता ने अलग होने का फैसला किया। मैं अपनी मां के साथ रही और मेरे पिता बांद्रा में माउंट मैरी हिल पर बने एक बड़े बंगले में चले गए।

उन्हें याद आया कि जब वह पिता के साथ लंबी सैर पर जाते थे तो वह आइसक्रीम खिलाते थे।

पिता को याद करते हुए उन्होंने लिखा, वह मुझे कहानियां और उर्दू कविताएं सुनाते थे, जिनमें से कुछ उन्होंने विशेष रूप से मेरे लिए बनाई थीं। वह मेरी मां को और मुझे अंग्रेजी में सुंदर चिट्ठियां भी लिखते थे।

ये मेरे पिता की कुछ यादें हैं। उनका 41 साल की कम उम्र में ही निधन हो गया। उस समय मैं स्कूल में पढ़ती थी। काश, मुझे उनके साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलता! उनकी कुछ चीजों में से जो मेरे दिल के करीब हैं, वे हैं उनकी उर्दू कविताएं। मैं उनकी लिखी कविताओं की किताब छपवाना चाहती हूं।

जीनत ने अखिर में लिखा, मुझे उम्मीद है कि किसी दिन मेरे पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन होगा। अपने माता-पिता को याद कर हर कोई अपनी उम्र भूल जाता है, मैं भी। फादर्स डे पर मैं अपने पिता अमानुल्लाह खान यानी अमान साहब के बारे में सोच रही हूं, जिनका नाम मैंने अपने नाम में जोड़ लिया। मैंने सही किया न!!

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

मुंबई, 18 जून (आईएएनएस)। दिग्गज अभिनेत्री जीनत अमान ने फादर्स डे पर अपने दिवंगत पिता अमानुल्लाह खान और मां वर्धिनी सिंधिया को याद किया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अमान सरनेम कैसे मिला। जीनत अपने पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन करना चाहती हैं।

जीनत ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की और लिखा कि कैसे उनके माता-पिता ने शादी की और कुछ साल बाद अलग हो गए।

अभिनेत्री ने लिखा, यह बहुमूल्य छवि एक फोटो स्टूडियो में ली गई थी, जब मैं छोटी सी बच्ची थी। मेरे पिता मेरे पीछे बैठे हैं, और एक रिश्तेदार सामने हैं। मेरे पिता अमानुल्लाह खान शाही घराने के थे। उनकी मां अख्तर जहां बेगम भोपाल सूबे के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान की चचेरी बहन थीं।

जीनत ने निखा, मेरे पिता को लोग अमान साहब कहा करते थे। वे आठ भाई-बहनों में से एक थे। वह भोपाल में बड़े इत्मीनान से जिंदगी गुजार रहे थे। उन्हें बेहद सुंदर माना जाता था। वह और उनके चचेरे भाई अल नासिर हिंदी सिनेमा में किस्मत आजमाने के लिए मुंबई चले आए। शहर में आयोजित एक पार्टी में अमान साहब की मुलाकात वर्धिनी सिंधिया से हुई। इसके बाद उनके बीच प्रेमालाप चला और उन्होंने जल्द ही शादी कर ली।

अभिनेत्री ने आगे लिखा, अप्रत्याशित रूप से इस शादी को परिवार की मंजूरी नहीं मिली, क्योंकि वह हिंदू थीं और मेरे पिता मुस्लिम परिवार से थे। एक संक्षिप्त अभिनय करियर के बाद अमन साहब लेखक बन गए। बतौर लेखक उन्हें प्रोजेक्ट मिले, उन्होंने मुगल-ए-आजम और पाकीजा के लिए पटकथा और संवाद लिखे। हालांकि वह एक लेखक के रूप में बेहद प्रतिभाशाली और सम्मानित थे, मुझे नहीं लगता कि उन्हें कभी भी उनका बकाया मिला।

जीनत ने लिखा, मेरे जन्म के कुछ साल बाद मेरे माता-पिता ने अलग होने का फैसला किया। मैं अपनी मां के साथ रही और मेरे पिता बांद्रा में माउंट मैरी हिल पर बने एक बड़े बंगले में चले गए।

उन्हें याद आया कि जब वह पिता के साथ लंबी सैर पर जाते थे तो वह आइसक्रीम खिलाते थे।

पिता को याद करते हुए उन्होंने लिखा, वह मुझे कहानियां और उर्दू कविताएं सुनाते थे, जिनमें से कुछ उन्होंने विशेष रूप से मेरे लिए बनाई थीं। वह मेरी मां को और मुझे अंग्रेजी में सुंदर चिट्ठियां भी लिखते थे।

ये मेरे पिता की कुछ यादें हैं। उनका 41 साल की कम उम्र में ही निधन हो गया। उस समय मैं स्कूल में पढ़ती थी। काश, मुझे उनके साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलता! उनकी कुछ चीजों में से जो मेरे दिल के करीब हैं, वे हैं उनकी उर्दू कविताएं। मैं उनकी लिखी कविताओं की किताब छपवाना चाहती हूं।

जीनत ने अखिर में लिखा, मुझे उम्मीद है कि किसी दिन मेरे पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन होगा। अपने माता-पिता को याद कर हर कोई अपनी उम्र भूल जाता है, मैं भी। फादर्स डे पर मैं अपने पिता अमानुल्लाह खान यानी अमान साहब के बारे में सोच रही हूं, जिनका नाम मैंने अपने नाम में जोड़ लिया। मैंने सही किया न!!

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

मुंबई, 18 जून (आईएएनएस)। दिग्गज अभिनेत्री जीनत अमान ने फादर्स डे पर अपने दिवंगत पिता अमानुल्लाह खान और मां वर्धिनी सिंधिया को याद किया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अमान सरनेम कैसे मिला। जीनत अपने पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन करना चाहती हैं।

जीनत ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की और लिखा कि कैसे उनके माता-पिता ने शादी की और कुछ साल बाद अलग हो गए।

अभिनेत्री ने लिखा, यह बहुमूल्य छवि एक फोटो स्टूडियो में ली गई थी, जब मैं छोटी सी बच्ची थी। मेरे पिता मेरे पीछे बैठे हैं, और एक रिश्तेदार सामने हैं। मेरे पिता अमानुल्लाह खान शाही घराने के थे। उनकी मां अख्तर जहां बेगम भोपाल सूबे के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान की चचेरी बहन थीं।

जीनत ने निखा, मेरे पिता को लोग अमान साहब कहा करते थे। वे आठ भाई-बहनों में से एक थे। वह भोपाल में बड़े इत्मीनान से जिंदगी गुजार रहे थे। उन्हें बेहद सुंदर माना जाता था। वह और उनके चचेरे भाई अल नासिर हिंदी सिनेमा में किस्मत आजमाने के लिए मुंबई चले आए। शहर में आयोजित एक पार्टी में अमान साहब की मुलाकात वर्धिनी सिंधिया से हुई। इसके बाद उनके बीच प्रेमालाप चला और उन्होंने जल्द ही शादी कर ली।

अभिनेत्री ने आगे लिखा, अप्रत्याशित रूप से इस शादी को परिवार की मंजूरी नहीं मिली, क्योंकि वह हिंदू थीं और मेरे पिता मुस्लिम परिवार से थे। एक संक्षिप्त अभिनय करियर के बाद अमन साहब लेखक बन गए। बतौर लेखक उन्हें प्रोजेक्ट मिले, उन्होंने मुगल-ए-आजम और पाकीजा के लिए पटकथा और संवाद लिखे। हालांकि वह एक लेखक के रूप में बेहद प्रतिभाशाली और सम्मानित थे, मुझे नहीं लगता कि उन्हें कभी भी उनका बकाया मिला।

जीनत ने लिखा, मेरे जन्म के कुछ साल बाद मेरे माता-पिता ने अलग होने का फैसला किया। मैं अपनी मां के साथ रही और मेरे पिता बांद्रा में माउंट मैरी हिल पर बने एक बड़े बंगले में चले गए।

उन्हें याद आया कि जब वह पिता के साथ लंबी सैर पर जाते थे तो वह आइसक्रीम खिलाते थे।

पिता को याद करते हुए उन्होंने लिखा, वह मुझे कहानियां और उर्दू कविताएं सुनाते थे, जिनमें से कुछ उन्होंने विशेष रूप से मेरे लिए बनाई थीं। वह मेरी मां को और मुझे अंग्रेजी में सुंदर चिट्ठियां भी लिखते थे।

ये मेरे पिता की कुछ यादें हैं। उनका 41 साल की कम उम्र में ही निधन हो गया। उस समय मैं स्कूल में पढ़ती थी। काश, मुझे उनके साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलता! उनकी कुछ चीजों में से जो मेरे दिल के करीब हैं, वे हैं उनकी उर्दू कविताएं। मैं उनकी लिखी कविताओं की किताब छपवाना चाहती हूं।

जीनत ने अखिर में लिखा, मुझे उम्मीद है कि किसी दिन मेरे पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन होगा। अपने माता-पिता को याद कर हर कोई अपनी उम्र भूल जाता है, मैं भी। फादर्स डे पर मैं अपने पिता अमानुल्लाह खान यानी अमान साहब के बारे में सोच रही हूं, जिनका नाम मैंने अपने नाम में जोड़ लिया। मैंने सही किया न!!

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

मुंबई, 18 जून (आईएएनएस)। दिग्गज अभिनेत्री जीनत अमान ने फादर्स डे पर अपने दिवंगत पिता अमानुल्लाह खान और मां वर्धिनी सिंधिया को याद किया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अमान सरनेम कैसे मिला। जीनत अपने पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन करना चाहती हैं।

जीनत ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की और लिखा कि कैसे उनके माता-पिता ने शादी की और कुछ साल बाद अलग हो गए।

अभिनेत्री ने लिखा, यह बहुमूल्य छवि एक फोटो स्टूडियो में ली गई थी, जब मैं छोटी सी बच्ची थी। मेरे पिता मेरे पीछे बैठे हैं, और एक रिश्तेदार सामने हैं। मेरे पिता अमानुल्लाह खान शाही घराने के थे। उनकी मां अख्तर जहां बेगम भोपाल सूबे के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान की चचेरी बहन थीं।

जीनत ने निखा, मेरे पिता को लोग अमान साहब कहा करते थे। वे आठ भाई-बहनों में से एक थे। वह भोपाल में बड़े इत्मीनान से जिंदगी गुजार रहे थे। उन्हें बेहद सुंदर माना जाता था। वह और उनके चचेरे भाई अल नासिर हिंदी सिनेमा में किस्मत आजमाने के लिए मुंबई चले आए। शहर में आयोजित एक पार्टी में अमान साहब की मुलाकात वर्धिनी सिंधिया से हुई। इसके बाद उनके बीच प्रेमालाप चला और उन्होंने जल्द ही शादी कर ली।

अभिनेत्री ने आगे लिखा, अप्रत्याशित रूप से इस शादी को परिवार की मंजूरी नहीं मिली, क्योंकि वह हिंदू थीं और मेरे पिता मुस्लिम परिवार से थे। एक संक्षिप्त अभिनय करियर के बाद अमन साहब लेखक बन गए। बतौर लेखक उन्हें प्रोजेक्ट मिले, उन्होंने मुगल-ए-आजम और पाकीजा के लिए पटकथा और संवाद लिखे। हालांकि वह एक लेखक के रूप में बेहद प्रतिभाशाली और सम्मानित थे, मुझे नहीं लगता कि उन्हें कभी भी उनका बकाया मिला।

जीनत ने लिखा, मेरे जन्म के कुछ साल बाद मेरे माता-पिता ने अलग होने का फैसला किया। मैं अपनी मां के साथ रही और मेरे पिता बांद्रा में माउंट मैरी हिल पर बने एक बड़े बंगले में चले गए।

उन्हें याद आया कि जब वह पिता के साथ लंबी सैर पर जाते थे तो वह आइसक्रीम खिलाते थे।

पिता को याद करते हुए उन्होंने लिखा, वह मुझे कहानियां और उर्दू कविताएं सुनाते थे, जिनमें से कुछ उन्होंने विशेष रूप से मेरे लिए बनाई थीं। वह मेरी मां को और मुझे अंग्रेजी में सुंदर चिट्ठियां भी लिखते थे।

ये मेरे पिता की कुछ यादें हैं। उनका 41 साल की कम उम्र में ही निधन हो गया। उस समय मैं स्कूल में पढ़ती थी। काश, मुझे उनके साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलता! उनकी कुछ चीजों में से जो मेरे दिल के करीब हैं, वे हैं उनकी उर्दू कविताएं। मैं उनकी लिखी कविताओं की किताब छपवाना चाहती हूं।

जीनत ने अखिर में लिखा, मुझे उम्मीद है कि किसी दिन मेरे पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन होगा। अपने माता-पिता को याद कर हर कोई अपनी उम्र भूल जाता है, मैं भी। फादर्स डे पर मैं अपने पिता अमानुल्लाह खान यानी अमान साहब के बारे में सोच रही हूं, जिनका नाम मैंने अपने नाम में जोड़ लिया। मैंने सही किया न!!

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

मुंबई, 18 जून (आईएएनएस)। दिग्गज अभिनेत्री जीनत अमान ने फादर्स डे पर अपने दिवंगत पिता अमानुल्लाह खान और मां वर्धिनी सिंधिया को याद किया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अमान सरनेम कैसे मिला। जीनत अपने पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन करना चाहती हैं।

जीनत ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की और लिखा कि कैसे उनके माता-पिता ने शादी की और कुछ साल बाद अलग हो गए।

अभिनेत्री ने लिखा, यह बहुमूल्य छवि एक फोटो स्टूडियो में ली गई थी, जब मैं छोटी सी बच्ची थी। मेरे पिता मेरे पीछे बैठे हैं, और एक रिश्तेदार सामने हैं। मेरे पिता अमानुल्लाह खान शाही घराने के थे। उनकी मां अख्तर जहां बेगम भोपाल सूबे के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान की चचेरी बहन थीं।

जीनत ने निखा, मेरे पिता को लोग अमान साहब कहा करते थे। वे आठ भाई-बहनों में से एक थे। वह भोपाल में बड़े इत्मीनान से जिंदगी गुजार रहे थे। उन्हें बेहद सुंदर माना जाता था। वह और उनके चचेरे भाई अल नासिर हिंदी सिनेमा में किस्मत आजमाने के लिए मुंबई चले आए। शहर में आयोजित एक पार्टी में अमान साहब की मुलाकात वर्धिनी सिंधिया से हुई। इसके बाद उनके बीच प्रेमालाप चला और उन्होंने जल्द ही शादी कर ली।

अभिनेत्री ने आगे लिखा, अप्रत्याशित रूप से इस शादी को परिवार की मंजूरी नहीं मिली, क्योंकि वह हिंदू थीं और मेरे पिता मुस्लिम परिवार से थे। एक संक्षिप्त अभिनय करियर के बाद अमन साहब लेखक बन गए। बतौर लेखक उन्हें प्रोजेक्ट मिले, उन्होंने मुगल-ए-आजम और पाकीजा के लिए पटकथा और संवाद लिखे। हालांकि वह एक लेखक के रूप में बेहद प्रतिभाशाली और सम्मानित थे, मुझे नहीं लगता कि उन्हें कभी भी उनका बकाया मिला।

जीनत ने लिखा, मेरे जन्म के कुछ साल बाद मेरे माता-पिता ने अलग होने का फैसला किया। मैं अपनी मां के साथ रही और मेरे पिता बांद्रा में माउंट मैरी हिल पर बने एक बड़े बंगले में चले गए।

उन्हें याद आया कि जब वह पिता के साथ लंबी सैर पर जाते थे तो वह आइसक्रीम खिलाते थे।

पिता को याद करते हुए उन्होंने लिखा, वह मुझे कहानियां और उर्दू कविताएं सुनाते थे, जिनमें से कुछ उन्होंने विशेष रूप से मेरे लिए बनाई थीं। वह मेरी मां को और मुझे अंग्रेजी में सुंदर चिट्ठियां भी लिखते थे।

ये मेरे पिता की कुछ यादें हैं। उनका 41 साल की कम उम्र में ही निधन हो गया। उस समय मैं स्कूल में पढ़ती थी। काश, मुझे उनके साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलता! उनकी कुछ चीजों में से जो मेरे दिल के करीब हैं, वे हैं उनकी उर्दू कविताएं। मैं उनकी लिखी कविताओं की किताब छपवाना चाहती हूं।

जीनत ने अखिर में लिखा, मुझे उम्मीद है कि किसी दिन मेरे पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन होगा। अपने माता-पिता को याद कर हर कोई अपनी उम्र भूल जाता है, मैं भी। फादर्स डे पर मैं अपने पिता अमानुल्लाह खान यानी अमान साहब के बारे में सोच रही हूं, जिनका नाम मैंने अपने नाम में जोड़ लिया। मैंने सही किया न!!

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

मुंबई, 18 जून (आईएएनएस)। दिग्गज अभिनेत्री जीनत अमान ने फादर्स डे पर अपने दिवंगत पिता अमानुल्लाह खान और मां वर्धिनी सिंधिया को याद किया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अमान सरनेम कैसे मिला। जीनत अपने पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन करना चाहती हैं।

जीनत ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की और लिखा कि कैसे उनके माता-पिता ने शादी की और कुछ साल बाद अलग हो गए।

अभिनेत्री ने लिखा, यह बहुमूल्य छवि एक फोटो स्टूडियो में ली गई थी, जब मैं छोटी सी बच्ची थी। मेरे पिता मेरे पीछे बैठे हैं, और एक रिश्तेदार सामने हैं। मेरे पिता अमानुल्लाह खान शाही घराने के थे। उनकी मां अख्तर जहां बेगम भोपाल सूबे के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान की चचेरी बहन थीं।

जीनत ने निखा, मेरे पिता को लोग अमान साहब कहा करते थे। वे आठ भाई-बहनों में से एक थे। वह भोपाल में बड़े इत्मीनान से जिंदगी गुजार रहे थे। उन्हें बेहद सुंदर माना जाता था। वह और उनके चचेरे भाई अल नासिर हिंदी सिनेमा में किस्मत आजमाने के लिए मुंबई चले आए। शहर में आयोजित एक पार्टी में अमान साहब की मुलाकात वर्धिनी सिंधिया से हुई। इसके बाद उनके बीच प्रेमालाप चला और उन्होंने जल्द ही शादी कर ली।

अभिनेत्री ने आगे लिखा, अप्रत्याशित रूप से इस शादी को परिवार की मंजूरी नहीं मिली, क्योंकि वह हिंदू थीं और मेरे पिता मुस्लिम परिवार से थे। एक संक्षिप्त अभिनय करियर के बाद अमन साहब लेखक बन गए। बतौर लेखक उन्हें प्रोजेक्ट मिले, उन्होंने मुगल-ए-आजम और पाकीजा के लिए पटकथा और संवाद लिखे। हालांकि वह एक लेखक के रूप में बेहद प्रतिभाशाली और सम्मानित थे, मुझे नहीं लगता कि उन्हें कभी भी उनका बकाया मिला।

जीनत ने लिखा, मेरे जन्म के कुछ साल बाद मेरे माता-पिता ने अलग होने का फैसला किया। मैं अपनी मां के साथ रही और मेरे पिता बांद्रा में माउंट मैरी हिल पर बने एक बड़े बंगले में चले गए।

उन्हें याद आया कि जब वह पिता के साथ लंबी सैर पर जाते थे तो वह आइसक्रीम खिलाते थे।

पिता को याद करते हुए उन्होंने लिखा, वह मुझे कहानियां और उर्दू कविताएं सुनाते थे, जिनमें से कुछ उन्होंने विशेष रूप से मेरे लिए बनाई थीं। वह मेरी मां को और मुझे अंग्रेजी में सुंदर चिट्ठियां भी लिखते थे।

ये मेरे पिता की कुछ यादें हैं। उनका 41 साल की कम उम्र में ही निधन हो गया। उस समय मैं स्कूल में पढ़ती थी। काश, मुझे उनके साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलता! उनकी कुछ चीजों में से जो मेरे दिल के करीब हैं, वे हैं उनकी उर्दू कविताएं। मैं उनकी लिखी कविताओं की किताब छपवाना चाहती हूं।

जीनत ने अखिर में लिखा, मुझे उम्मीद है कि किसी दिन मेरे पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन होगा। अपने माता-पिता को याद कर हर कोई अपनी उम्र भूल जाता है, मैं भी। फादर्स डे पर मैं अपने पिता अमानुल्लाह खान यानी अमान साहब के बारे में सोच रही हूं, जिनका नाम मैंने अपने नाम में जोड़ लिया। मैंने सही किया न!!

–आईएएनएस

एसजीके

मुंबई, 18 जून (आईएएनएस)। दिग्गज अभिनेत्री जीनत अमान ने फादर्स डे पर अपने दिवंगत पिता अमानुल्लाह खान और मां वर्धिनी सिंधिया को याद किया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अमान सरनेम कैसे मिला। जीनत अपने पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन करना चाहती हैं।

जीनत ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की और लिखा कि कैसे उनके माता-पिता ने शादी की और कुछ साल बाद अलग हो गए।

अभिनेत्री ने लिखा, यह बहुमूल्य छवि एक फोटो स्टूडियो में ली गई थी, जब मैं छोटी सी बच्ची थी। मेरे पिता मेरे पीछे बैठे हैं, और एक रिश्तेदार सामने हैं। मेरे पिता अमानुल्लाह खान शाही घराने के थे। उनकी मां अख्तर जहां बेगम भोपाल सूबे के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान की चचेरी बहन थीं।

जीनत ने निखा, मेरे पिता को लोग अमान साहब कहा करते थे। वे आठ भाई-बहनों में से एक थे। वह भोपाल में बड़े इत्मीनान से जिंदगी गुजार रहे थे। उन्हें बेहद सुंदर माना जाता था। वह और उनके चचेरे भाई अल नासिर हिंदी सिनेमा में किस्मत आजमाने के लिए मुंबई चले आए। शहर में आयोजित एक पार्टी में अमान साहब की मुलाकात वर्धिनी सिंधिया से हुई। इसके बाद उनके बीच प्रेमालाप चला और उन्होंने जल्द ही शादी कर ली।

अभिनेत्री ने आगे लिखा, अप्रत्याशित रूप से इस शादी को परिवार की मंजूरी नहीं मिली, क्योंकि वह हिंदू थीं और मेरे पिता मुस्लिम परिवार से थे। एक संक्षिप्त अभिनय करियर के बाद अमन साहब लेखक बन गए। बतौर लेखक उन्हें प्रोजेक्ट मिले, उन्होंने मुगल-ए-आजम और पाकीजा के लिए पटकथा और संवाद लिखे। हालांकि वह एक लेखक के रूप में बेहद प्रतिभाशाली और सम्मानित थे, मुझे नहीं लगता कि उन्हें कभी भी उनका बकाया मिला।

जीनत ने लिखा, मेरे जन्म के कुछ साल बाद मेरे माता-पिता ने अलग होने का फैसला किया। मैं अपनी मां के साथ रही और मेरे पिता बांद्रा में माउंट मैरी हिल पर बने एक बड़े बंगले में चले गए।

उन्हें याद आया कि जब वह पिता के साथ लंबी सैर पर जाते थे तो वह आइसक्रीम खिलाते थे।

पिता को याद करते हुए उन्होंने लिखा, वह मुझे कहानियां और उर्दू कविताएं सुनाते थे, जिनमें से कुछ उन्होंने विशेष रूप से मेरे लिए बनाई थीं। वह मेरी मां को और मुझे अंग्रेजी में सुंदर चिट्ठियां भी लिखते थे।

ये मेरे पिता की कुछ यादें हैं। उनका 41 साल की कम उम्र में ही निधन हो गया। उस समय मैं स्कूल में पढ़ती थी। काश, मुझे उनके साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलता! उनकी कुछ चीजों में से जो मेरे दिल के करीब हैं, वे हैं उनकी उर्दू कविताएं। मैं उनकी लिखी कविताओं की किताब छपवाना चाहती हूं।

जीनत ने अखिर में लिखा, मुझे उम्मीद है कि किसी दिन मेरे पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन होगा। अपने माता-पिता को याद कर हर कोई अपनी उम्र भूल जाता है, मैं भी। फादर्स डे पर मैं अपने पिता अमानुल्लाह खान यानी अमान साहब के बारे में सोच रही हूं, जिनका नाम मैंने अपने नाम में जोड़ लिया। मैंने सही किया न!!

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

मुंबई, 18 जून (आईएएनएस)। दिग्गज अभिनेत्री जीनत अमान ने फादर्स डे पर अपने दिवंगत पिता अमानुल्लाह खान और मां वर्धिनी सिंधिया को याद किया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अमान सरनेम कैसे मिला। जीनत अपने पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन करना चाहती हैं।

जीनत ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की और लिखा कि कैसे उनके माता-पिता ने शादी की और कुछ साल बाद अलग हो गए।

अभिनेत्री ने लिखा, यह बहुमूल्य छवि एक फोटो स्टूडियो में ली गई थी, जब मैं छोटी सी बच्ची थी। मेरे पिता मेरे पीछे बैठे हैं, और एक रिश्तेदार सामने हैं। मेरे पिता अमानुल्लाह खान शाही घराने के थे। उनकी मां अख्तर जहां बेगम भोपाल सूबे के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान की चचेरी बहन थीं।

जीनत ने निखा, मेरे पिता को लोग अमान साहब कहा करते थे। वे आठ भाई-बहनों में से एक थे। वह भोपाल में बड़े इत्मीनान से जिंदगी गुजार रहे थे। उन्हें बेहद सुंदर माना जाता था। वह और उनके चचेरे भाई अल नासिर हिंदी सिनेमा में किस्मत आजमाने के लिए मुंबई चले आए। शहर में आयोजित एक पार्टी में अमान साहब की मुलाकात वर्धिनी सिंधिया से हुई। इसके बाद उनके बीच प्रेमालाप चला और उन्होंने जल्द ही शादी कर ली।

अभिनेत्री ने आगे लिखा, अप्रत्याशित रूप से इस शादी को परिवार की मंजूरी नहीं मिली, क्योंकि वह हिंदू थीं और मेरे पिता मुस्लिम परिवार से थे। एक संक्षिप्त अभिनय करियर के बाद अमन साहब लेखक बन गए। बतौर लेखक उन्हें प्रोजेक्ट मिले, उन्होंने मुगल-ए-आजम और पाकीजा के लिए पटकथा और संवाद लिखे। हालांकि वह एक लेखक के रूप में बेहद प्रतिभाशाली और सम्मानित थे, मुझे नहीं लगता कि उन्हें कभी भी उनका बकाया मिला।

जीनत ने लिखा, मेरे जन्म के कुछ साल बाद मेरे माता-पिता ने अलग होने का फैसला किया। मैं अपनी मां के साथ रही और मेरे पिता बांद्रा में माउंट मैरी हिल पर बने एक बड़े बंगले में चले गए।

उन्हें याद आया कि जब वह पिता के साथ लंबी सैर पर जाते थे तो वह आइसक्रीम खिलाते थे।

पिता को याद करते हुए उन्होंने लिखा, वह मुझे कहानियां और उर्दू कविताएं सुनाते थे, जिनमें से कुछ उन्होंने विशेष रूप से मेरे लिए बनाई थीं। वह मेरी मां को और मुझे अंग्रेजी में सुंदर चिट्ठियां भी लिखते थे।

ये मेरे पिता की कुछ यादें हैं। उनका 41 साल की कम उम्र में ही निधन हो गया। उस समय मैं स्कूल में पढ़ती थी। काश, मुझे उनके साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलता! उनकी कुछ चीजों में से जो मेरे दिल के करीब हैं, वे हैं उनकी उर्दू कविताएं। मैं उनकी लिखी कविताओं की किताब छपवाना चाहती हूं।

जीनत ने अखिर में लिखा, मुझे उम्मीद है कि किसी दिन मेरे पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन होगा। अपने माता-पिता को याद कर हर कोई अपनी उम्र भूल जाता है, मैं भी। फादर्स डे पर मैं अपने पिता अमानुल्लाह खान यानी अमान साहब के बारे में सोच रही हूं, जिनका नाम मैंने अपने नाम में जोड़ लिया। मैंने सही किया न!!

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

मुंबई, 18 जून (आईएएनएस)। दिग्गज अभिनेत्री जीनत अमान ने फादर्स डे पर अपने दिवंगत पिता अमानुल्लाह खान और मां वर्धिनी सिंधिया को याद किया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अमान सरनेम कैसे मिला। जीनत अपने पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन करना चाहती हैं।

जीनत ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की और लिखा कि कैसे उनके माता-पिता ने शादी की और कुछ साल बाद अलग हो गए।

अभिनेत्री ने लिखा, यह बहुमूल्य छवि एक फोटो स्टूडियो में ली गई थी, जब मैं छोटी सी बच्ची थी। मेरे पिता मेरे पीछे बैठे हैं, और एक रिश्तेदार सामने हैं। मेरे पिता अमानुल्लाह खान शाही घराने के थे। उनकी मां अख्तर जहां बेगम भोपाल सूबे के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान की चचेरी बहन थीं।

जीनत ने निखा, मेरे पिता को लोग अमान साहब कहा करते थे। वे आठ भाई-बहनों में से एक थे। वह भोपाल में बड़े इत्मीनान से जिंदगी गुजार रहे थे। उन्हें बेहद सुंदर माना जाता था। वह और उनके चचेरे भाई अल नासिर हिंदी सिनेमा में किस्मत आजमाने के लिए मुंबई चले आए। शहर में आयोजित एक पार्टी में अमान साहब की मुलाकात वर्धिनी सिंधिया से हुई। इसके बाद उनके बीच प्रेमालाप चला और उन्होंने जल्द ही शादी कर ली।

अभिनेत्री ने आगे लिखा, अप्रत्याशित रूप से इस शादी को परिवार की मंजूरी नहीं मिली, क्योंकि वह हिंदू थीं और मेरे पिता मुस्लिम परिवार से थे। एक संक्षिप्त अभिनय करियर के बाद अमन साहब लेखक बन गए। बतौर लेखक उन्हें प्रोजेक्ट मिले, उन्होंने मुगल-ए-आजम और पाकीजा के लिए पटकथा और संवाद लिखे। हालांकि वह एक लेखक के रूप में बेहद प्रतिभाशाली और सम्मानित थे, मुझे नहीं लगता कि उन्हें कभी भी उनका बकाया मिला।

जीनत ने लिखा, मेरे जन्म के कुछ साल बाद मेरे माता-पिता ने अलग होने का फैसला किया। मैं अपनी मां के साथ रही और मेरे पिता बांद्रा में माउंट मैरी हिल पर बने एक बड़े बंगले में चले गए।

उन्हें याद आया कि जब वह पिता के साथ लंबी सैर पर जाते थे तो वह आइसक्रीम खिलाते थे।

पिता को याद करते हुए उन्होंने लिखा, वह मुझे कहानियां और उर्दू कविताएं सुनाते थे, जिनमें से कुछ उन्होंने विशेष रूप से मेरे लिए बनाई थीं। वह मेरी मां को और मुझे अंग्रेजी में सुंदर चिट्ठियां भी लिखते थे।

ये मेरे पिता की कुछ यादें हैं। उनका 41 साल की कम उम्र में ही निधन हो गया। उस समय मैं स्कूल में पढ़ती थी। काश, मुझे उनके साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलता! उनकी कुछ चीजों में से जो मेरे दिल के करीब हैं, वे हैं उनकी उर्दू कविताएं। मैं उनकी लिखी कविताओं की किताब छपवाना चाहती हूं।

जीनत ने अखिर में लिखा, मुझे उम्मीद है कि किसी दिन मेरे पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन होगा। अपने माता-पिता को याद कर हर कोई अपनी उम्र भूल जाता है, मैं भी। फादर्स डे पर मैं अपने पिता अमानुल्लाह खान यानी अमान साहब के बारे में सोच रही हूं, जिनका नाम मैंने अपने नाम में जोड़ लिया। मैंने सही किया न!!

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

मुंबई, 18 जून (आईएएनएस)। दिग्गज अभिनेत्री जीनत अमान ने फादर्स डे पर अपने दिवंगत पिता अमानुल्लाह खान और मां वर्धिनी सिंधिया को याद किया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अमान सरनेम कैसे मिला। जीनत अपने पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन करना चाहती हैं।

जीनत ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की और लिखा कि कैसे उनके माता-पिता ने शादी की और कुछ साल बाद अलग हो गए।

अभिनेत्री ने लिखा, यह बहुमूल्य छवि एक फोटो स्टूडियो में ली गई थी, जब मैं छोटी सी बच्ची थी। मेरे पिता मेरे पीछे बैठे हैं, और एक रिश्तेदार सामने हैं। मेरे पिता अमानुल्लाह खान शाही घराने के थे। उनकी मां अख्तर जहां बेगम भोपाल सूबे के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान की चचेरी बहन थीं।

जीनत ने निखा, मेरे पिता को लोग अमान साहब कहा करते थे। वे आठ भाई-बहनों में से एक थे। वह भोपाल में बड़े इत्मीनान से जिंदगी गुजार रहे थे। उन्हें बेहद सुंदर माना जाता था। वह और उनके चचेरे भाई अल नासिर हिंदी सिनेमा में किस्मत आजमाने के लिए मुंबई चले आए। शहर में आयोजित एक पार्टी में अमान साहब की मुलाकात वर्धिनी सिंधिया से हुई। इसके बाद उनके बीच प्रेमालाप चला और उन्होंने जल्द ही शादी कर ली।

अभिनेत्री ने आगे लिखा, अप्रत्याशित रूप से इस शादी को परिवार की मंजूरी नहीं मिली, क्योंकि वह हिंदू थीं और मेरे पिता मुस्लिम परिवार से थे। एक संक्षिप्त अभिनय करियर के बाद अमन साहब लेखक बन गए। बतौर लेखक उन्हें प्रोजेक्ट मिले, उन्होंने मुगल-ए-आजम और पाकीजा के लिए पटकथा और संवाद लिखे। हालांकि वह एक लेखक के रूप में बेहद प्रतिभाशाली और सम्मानित थे, मुझे नहीं लगता कि उन्हें कभी भी उनका बकाया मिला।

जीनत ने लिखा, मेरे जन्म के कुछ साल बाद मेरे माता-पिता ने अलग होने का फैसला किया। मैं अपनी मां के साथ रही और मेरे पिता बांद्रा में माउंट मैरी हिल पर बने एक बड़े बंगले में चले गए।

उन्हें याद आया कि जब वह पिता के साथ लंबी सैर पर जाते थे तो वह आइसक्रीम खिलाते थे।

पिता को याद करते हुए उन्होंने लिखा, वह मुझे कहानियां और उर्दू कविताएं सुनाते थे, जिनमें से कुछ उन्होंने विशेष रूप से मेरे लिए बनाई थीं। वह मेरी मां को और मुझे अंग्रेजी में सुंदर चिट्ठियां भी लिखते थे।

ये मेरे पिता की कुछ यादें हैं। उनका 41 साल की कम उम्र में ही निधन हो गया। उस समय मैं स्कूल में पढ़ती थी। काश, मुझे उनके साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलता! उनकी कुछ चीजों में से जो मेरे दिल के करीब हैं, वे हैं उनकी उर्दू कविताएं। मैं उनकी लिखी कविताओं की किताब छपवाना चाहती हूं।

जीनत ने अखिर में लिखा, मुझे उम्मीद है कि किसी दिन मेरे पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन होगा। अपने माता-पिता को याद कर हर कोई अपनी उम्र भूल जाता है, मैं भी। फादर्स डे पर मैं अपने पिता अमानुल्लाह खान यानी अमान साहब के बारे में सोच रही हूं, जिनका नाम मैंने अपने नाम में जोड़ लिया। मैंने सही किया न!!

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

मुंबई, 18 जून (आईएएनएस)। दिग्गज अभिनेत्री जीनत अमान ने फादर्स डे पर अपने दिवंगत पिता अमानुल्लाह खान और मां वर्धिनी सिंधिया को याद किया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अमान सरनेम कैसे मिला। जीनत अपने पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन करना चाहती हैं।

जीनत ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की और लिखा कि कैसे उनके माता-पिता ने शादी की और कुछ साल बाद अलग हो गए।

अभिनेत्री ने लिखा, यह बहुमूल्य छवि एक फोटो स्टूडियो में ली गई थी, जब मैं छोटी सी बच्ची थी। मेरे पिता मेरे पीछे बैठे हैं, और एक रिश्तेदार सामने हैं। मेरे पिता अमानुल्लाह खान शाही घराने के थे। उनकी मां अख्तर जहां बेगम भोपाल सूबे के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान की चचेरी बहन थीं।

जीनत ने निखा, मेरे पिता को लोग अमान साहब कहा करते थे। वे आठ भाई-बहनों में से एक थे। वह भोपाल में बड़े इत्मीनान से जिंदगी गुजार रहे थे। उन्हें बेहद सुंदर माना जाता था। वह और उनके चचेरे भाई अल नासिर हिंदी सिनेमा में किस्मत आजमाने के लिए मुंबई चले आए। शहर में आयोजित एक पार्टी में अमान साहब की मुलाकात वर्धिनी सिंधिया से हुई। इसके बाद उनके बीच प्रेमालाप चला और उन्होंने जल्द ही शादी कर ली।

अभिनेत्री ने आगे लिखा, अप्रत्याशित रूप से इस शादी को परिवार की मंजूरी नहीं मिली, क्योंकि वह हिंदू थीं और मेरे पिता मुस्लिम परिवार से थे। एक संक्षिप्त अभिनय करियर के बाद अमन साहब लेखक बन गए। बतौर लेखक उन्हें प्रोजेक्ट मिले, उन्होंने मुगल-ए-आजम और पाकीजा के लिए पटकथा और संवाद लिखे। हालांकि वह एक लेखक के रूप में बेहद प्रतिभाशाली और सम्मानित थे, मुझे नहीं लगता कि उन्हें कभी भी उनका बकाया मिला।

जीनत ने लिखा, मेरे जन्म के कुछ साल बाद मेरे माता-पिता ने अलग होने का फैसला किया। मैं अपनी मां के साथ रही और मेरे पिता बांद्रा में माउंट मैरी हिल पर बने एक बड़े बंगले में चले गए।

उन्हें याद आया कि जब वह पिता के साथ लंबी सैर पर जाते थे तो वह आइसक्रीम खिलाते थे।

पिता को याद करते हुए उन्होंने लिखा, वह मुझे कहानियां और उर्दू कविताएं सुनाते थे, जिनमें से कुछ उन्होंने विशेष रूप से मेरे लिए बनाई थीं। वह मेरी मां को और मुझे अंग्रेजी में सुंदर चिट्ठियां भी लिखते थे।

ये मेरे पिता की कुछ यादें हैं। उनका 41 साल की कम उम्र में ही निधन हो गया। उस समय मैं स्कूल में पढ़ती थी। काश, मुझे उनके साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलता! उनकी कुछ चीजों में से जो मेरे दिल के करीब हैं, वे हैं उनकी उर्दू कविताएं। मैं उनकी लिखी कविताओं की किताब छपवाना चाहती हूं।

जीनत ने अखिर में लिखा, मुझे उम्मीद है कि किसी दिन मेरे पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन होगा। अपने माता-पिता को याद कर हर कोई अपनी उम्र भूल जाता है, मैं भी। फादर्स डे पर मैं अपने पिता अमानुल्लाह खान यानी अमान साहब के बारे में सोच रही हूं, जिनका नाम मैंने अपने नाम में जोड़ लिया। मैंने सही किया न!!

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

मुंबई, 18 जून (आईएएनएस)। दिग्गज अभिनेत्री जीनत अमान ने फादर्स डे पर अपने दिवंगत पिता अमानुल्लाह खान और मां वर्धिनी सिंधिया को याद किया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अमान सरनेम कैसे मिला। जीनत अपने पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन करना चाहती हैं।

जीनत ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की और लिखा कि कैसे उनके माता-पिता ने शादी की और कुछ साल बाद अलग हो गए।

अभिनेत्री ने लिखा, यह बहुमूल्य छवि एक फोटो स्टूडियो में ली गई थी, जब मैं छोटी सी बच्ची थी। मेरे पिता मेरे पीछे बैठे हैं, और एक रिश्तेदार सामने हैं। मेरे पिता अमानुल्लाह खान शाही घराने के थे। उनकी मां अख्तर जहां बेगम भोपाल सूबे के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान की चचेरी बहन थीं।

जीनत ने निखा, मेरे पिता को लोग अमान साहब कहा करते थे। वे आठ भाई-बहनों में से एक थे। वह भोपाल में बड़े इत्मीनान से जिंदगी गुजार रहे थे। उन्हें बेहद सुंदर माना जाता था। वह और उनके चचेरे भाई अल नासिर हिंदी सिनेमा में किस्मत आजमाने के लिए मुंबई चले आए। शहर में आयोजित एक पार्टी में अमान साहब की मुलाकात वर्धिनी सिंधिया से हुई। इसके बाद उनके बीच प्रेमालाप चला और उन्होंने जल्द ही शादी कर ली।

अभिनेत्री ने आगे लिखा, अप्रत्याशित रूप से इस शादी को परिवार की मंजूरी नहीं मिली, क्योंकि वह हिंदू थीं और मेरे पिता मुस्लिम परिवार से थे। एक संक्षिप्त अभिनय करियर के बाद अमन साहब लेखक बन गए। बतौर लेखक उन्हें प्रोजेक्ट मिले, उन्होंने मुगल-ए-आजम और पाकीजा के लिए पटकथा और संवाद लिखे। हालांकि वह एक लेखक के रूप में बेहद प्रतिभाशाली और सम्मानित थे, मुझे नहीं लगता कि उन्हें कभी भी उनका बकाया मिला।

जीनत ने लिखा, मेरे जन्म के कुछ साल बाद मेरे माता-पिता ने अलग होने का फैसला किया। मैं अपनी मां के साथ रही और मेरे पिता बांद्रा में माउंट मैरी हिल पर बने एक बड़े बंगले में चले गए।

उन्हें याद आया कि जब वह पिता के साथ लंबी सैर पर जाते थे तो वह आइसक्रीम खिलाते थे।

पिता को याद करते हुए उन्होंने लिखा, वह मुझे कहानियां और उर्दू कविताएं सुनाते थे, जिनमें से कुछ उन्होंने विशेष रूप से मेरे लिए बनाई थीं। वह मेरी मां को और मुझे अंग्रेजी में सुंदर चिट्ठियां भी लिखते थे।

ये मेरे पिता की कुछ यादें हैं। उनका 41 साल की कम उम्र में ही निधन हो गया। उस समय मैं स्कूल में पढ़ती थी। काश, मुझे उनके साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलता! उनकी कुछ चीजों में से जो मेरे दिल के करीब हैं, वे हैं उनकी उर्दू कविताएं। मैं उनकी लिखी कविताओं की किताब छपवाना चाहती हूं।

जीनत ने अखिर में लिखा, मुझे उम्मीद है कि किसी दिन मेरे पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन होगा। अपने माता-पिता को याद कर हर कोई अपनी उम्र भूल जाता है, मैं भी। फादर्स डे पर मैं अपने पिता अमानुल्लाह खान यानी अमान साहब के बारे में सोच रही हूं, जिनका नाम मैंने अपने नाम में जोड़ लिया। मैंने सही किया न!!

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

मुंबई, 18 जून (आईएएनएस)। दिग्गज अभिनेत्री जीनत अमान ने फादर्स डे पर अपने दिवंगत पिता अमानुल्लाह खान और मां वर्धिनी सिंधिया को याद किया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अमान सरनेम कैसे मिला। जीनत अपने पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन करना चाहती हैं।

जीनत ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की और लिखा कि कैसे उनके माता-पिता ने शादी की और कुछ साल बाद अलग हो गए।

अभिनेत्री ने लिखा, यह बहुमूल्य छवि एक फोटो स्टूडियो में ली गई थी, जब मैं छोटी सी बच्ची थी। मेरे पिता मेरे पीछे बैठे हैं, और एक रिश्तेदार सामने हैं। मेरे पिता अमानुल्लाह खान शाही घराने के थे। उनकी मां अख्तर जहां बेगम भोपाल सूबे के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान की चचेरी बहन थीं।

जीनत ने निखा, मेरे पिता को लोग अमान साहब कहा करते थे। वे आठ भाई-बहनों में से एक थे। वह भोपाल में बड़े इत्मीनान से जिंदगी गुजार रहे थे। उन्हें बेहद सुंदर माना जाता था। वह और उनके चचेरे भाई अल नासिर हिंदी सिनेमा में किस्मत आजमाने के लिए मुंबई चले आए। शहर में आयोजित एक पार्टी में अमान साहब की मुलाकात वर्धिनी सिंधिया से हुई। इसके बाद उनके बीच प्रेमालाप चला और उन्होंने जल्द ही शादी कर ली।

अभिनेत्री ने आगे लिखा, अप्रत्याशित रूप से इस शादी को परिवार की मंजूरी नहीं मिली, क्योंकि वह हिंदू थीं और मेरे पिता मुस्लिम परिवार से थे। एक संक्षिप्त अभिनय करियर के बाद अमन साहब लेखक बन गए। बतौर लेखक उन्हें प्रोजेक्ट मिले, उन्होंने मुगल-ए-आजम और पाकीजा के लिए पटकथा और संवाद लिखे। हालांकि वह एक लेखक के रूप में बेहद प्रतिभाशाली और सम्मानित थे, मुझे नहीं लगता कि उन्हें कभी भी उनका बकाया मिला।

जीनत ने लिखा, मेरे जन्म के कुछ साल बाद मेरे माता-पिता ने अलग होने का फैसला किया। मैं अपनी मां के साथ रही और मेरे पिता बांद्रा में माउंट मैरी हिल पर बने एक बड़े बंगले में चले गए।

उन्हें याद आया कि जब वह पिता के साथ लंबी सैर पर जाते थे तो वह आइसक्रीम खिलाते थे।

पिता को याद करते हुए उन्होंने लिखा, वह मुझे कहानियां और उर्दू कविताएं सुनाते थे, जिनमें से कुछ उन्होंने विशेष रूप से मेरे लिए बनाई थीं। वह मेरी मां को और मुझे अंग्रेजी में सुंदर चिट्ठियां भी लिखते थे।

ये मेरे पिता की कुछ यादें हैं। उनका 41 साल की कम उम्र में ही निधन हो गया। उस समय मैं स्कूल में पढ़ती थी। काश, मुझे उनके साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलता! उनकी कुछ चीजों में से जो मेरे दिल के करीब हैं, वे हैं उनकी उर्दू कविताएं। मैं उनकी लिखी कविताओं की किताब छपवाना चाहती हूं।

जीनत ने अखिर में लिखा, मुझे उम्मीद है कि किसी दिन मेरे पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन होगा। अपने माता-पिता को याद कर हर कोई अपनी उम्र भूल जाता है, मैं भी। फादर्स डे पर मैं अपने पिता अमानुल्लाह खान यानी अमान साहब के बारे में सोच रही हूं, जिनका नाम मैंने अपने नाम में जोड़ लिया। मैंने सही किया न!!

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

मुंबई, 18 जून (आईएएनएस)। दिग्गज अभिनेत्री जीनत अमान ने फादर्स डे पर अपने दिवंगत पिता अमानुल्लाह खान और मां वर्धिनी सिंधिया को याद किया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अमान सरनेम कैसे मिला। जीनत अपने पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन करना चाहती हैं।

जीनत ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की और लिखा कि कैसे उनके माता-पिता ने शादी की और कुछ साल बाद अलग हो गए।

अभिनेत्री ने लिखा, यह बहुमूल्य छवि एक फोटो स्टूडियो में ली गई थी, जब मैं छोटी सी बच्ची थी। मेरे पिता मेरे पीछे बैठे हैं, और एक रिश्तेदार सामने हैं। मेरे पिता अमानुल्लाह खान शाही घराने के थे। उनकी मां अख्तर जहां बेगम भोपाल सूबे के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान की चचेरी बहन थीं।

जीनत ने निखा, मेरे पिता को लोग अमान साहब कहा करते थे। वे आठ भाई-बहनों में से एक थे। वह भोपाल में बड़े इत्मीनान से जिंदगी गुजार रहे थे। उन्हें बेहद सुंदर माना जाता था। वह और उनके चचेरे भाई अल नासिर हिंदी सिनेमा में किस्मत आजमाने के लिए मुंबई चले आए। शहर में आयोजित एक पार्टी में अमान साहब की मुलाकात वर्धिनी सिंधिया से हुई। इसके बाद उनके बीच प्रेमालाप चला और उन्होंने जल्द ही शादी कर ली।

अभिनेत्री ने आगे लिखा, अप्रत्याशित रूप से इस शादी को परिवार की मंजूरी नहीं मिली, क्योंकि वह हिंदू थीं और मेरे पिता मुस्लिम परिवार से थे। एक संक्षिप्त अभिनय करियर के बाद अमन साहब लेखक बन गए। बतौर लेखक उन्हें प्रोजेक्ट मिले, उन्होंने मुगल-ए-आजम और पाकीजा के लिए पटकथा और संवाद लिखे। हालांकि वह एक लेखक के रूप में बेहद प्रतिभाशाली और सम्मानित थे, मुझे नहीं लगता कि उन्हें कभी भी उनका बकाया मिला।

जीनत ने लिखा, मेरे जन्म के कुछ साल बाद मेरे माता-पिता ने अलग होने का फैसला किया। मैं अपनी मां के साथ रही और मेरे पिता बांद्रा में माउंट मैरी हिल पर बने एक बड़े बंगले में चले गए।

उन्हें याद आया कि जब वह पिता के साथ लंबी सैर पर जाते थे तो वह आइसक्रीम खिलाते थे।

पिता को याद करते हुए उन्होंने लिखा, वह मुझे कहानियां और उर्दू कविताएं सुनाते थे, जिनमें से कुछ उन्होंने विशेष रूप से मेरे लिए बनाई थीं। वह मेरी मां को और मुझे अंग्रेजी में सुंदर चिट्ठियां भी लिखते थे।

ये मेरे पिता की कुछ यादें हैं। उनका 41 साल की कम उम्र में ही निधन हो गया। उस समय मैं स्कूल में पढ़ती थी। काश, मुझे उनके साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलता! उनकी कुछ चीजों में से जो मेरे दिल के करीब हैं, वे हैं उनकी उर्दू कविताएं। मैं उनकी लिखी कविताओं की किताब छपवाना चाहती हूं।

जीनत ने अखिर में लिखा, मुझे उम्मीद है कि किसी दिन मेरे पिता की लिखी उर्दू कविताओं का अनुवाद और प्रकाशन होगा। अपने माता-पिता को याद कर हर कोई अपनी उम्र भूल जाता है, मैं भी। फादर्स डे पर मैं अपने पिता अमानुल्लाह खान यानी अमान साहब के बारे में सोच रही हूं, जिनका नाम मैंने अपने नाम में जोड़ लिया। मैंने सही किया न!!

–आईएएनएस

एसजीके

Related Posts

बच्चों के जीवन की सबसे बड़ी ढाल हैं मां : हिना खान
मनोरंजन

बच्चों के जीवन की सबसे बड़ी ढाल हैं मां : हिना खान

May 11, 2025
मदर्स डे पर काजल, नुसरत समेत इन एक्ट्रेसेस ने दी बधाई, कहा- ‘आज मैं जो हूं, सिर्फ आपकी वजह से’
मनोरंजन

मदर्स डे पर काजल, नुसरत समेत इन एक्ट्रेसेस ने दी बधाई, कहा- ‘आज मैं जो हूं, सिर्फ आपकी वजह से’

May 11, 2025
मनोरंजन

इलैयाराजा का कोयंबटूर म्यूजिक इवेंट स्थगित, जल्द होगी नई डेट की घोषणा

May 11, 2025
रणवीर सिंह से अनुष्का शर्मा तक, विक्रम गायकवाड़ के निधन से टूटे सितारे, बोले- ‘दादा, यकीन नहीं हो रहा’
मनोरंजन

रणवीर सिंह से अनुष्का शर्मा तक, विक्रम गायकवाड़ के निधन से टूटे सितारे, बोले- ‘दादा, यकीन नहीं हो रहा’

May 11, 2025
मदर्स डे पर सलमान ने शेयर की मां सलमा और हेलन के साथ फोटो, फैंस बोले – ‘आप मुस्कुराते हुए अच्छे लगते हैं’
मनोरंजन

मदर्स डे पर सलमान ने शेयर की मां सलमा और हेलन के साथ फोटो, फैंस बोले – ‘आप मुस्कुराते हुए अच्छे लगते हैं’

May 11, 2025
युद्ध की असली कीमत सामान्य जिंदगी जी रहे निर्दोष आम लोग चुकाते हैं : ऋचा चड्ढा
मनोरंजन

युद्ध की असली कीमत सामान्य जिंदगी जी रहे निर्दोष आम लोग चुकाते हैं : ऋचा चड्ढा

May 11, 2025
Next Post
फादर्स डे : जीनत अमान ने बताया, कैसे मिला सरनेम

फादर्स डे : जीनत अमान ने बताया, कैसे मिला सरनेम

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

POPULAR NEWS

बंदा प्रकाश तेलंगाना विधान परिषद के उप सभापति चुने गए

बंदा प्रकाश तेलंगाना विधान परिषद के उप सभापति चुने गए

February 12, 2023
बीएसएफ ने मेघालय में 40 मवेशियों को छुड़ाया, 3 तस्कर गिरफ्तार

बीएसएफ ने मेघालय में 40 मवेशियों को छुड़ाया, 3 तस्कर गिरफ्तार

February 12, 2023
चीनी शताब्दी की दूर-दूर तक संभावना नहीं

चीनी शताब्दी की दूर-दूर तक संभावना नहीं

February 12, 2023

बंगाल के जलपाईगुड़ी में बाढ़ जैसे हालात, शहर में घुसने लगा नदी का पानी

August 26, 2023

4 में से 1 शख्स बिना डॉक्टर के पर्चे के वेट लॉस ड्रग्स का उपयोग करने पर करता है विचार : अध्ययन

September 17, 2024

EDITOR'S PICK

सुप्रीम कोर्ट को जम्मू-कश्मीर में लगाए गए राष्ट्रपति शासन की वैधता पर निर्णय लेने की आवश्यकता नहीं : सीजेआई

December 11, 2023
दुनिया भर के पैरा-एथलीट भारत की क्षमता को पहचान रहे हैं: पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता हेनरिक पोपोव

दुनिया भर के पैरा-एथलीट भारत की क्षमता को पहचान रहे हैं: पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता हेनरिक पोपोव

March 18, 2025

हिंडनबर्ग के प्रति कांग्रेस की निष्ठा भारत की प्रगति के समक्ष खतरा : तमिलनाडु भाजपा

August 11, 2024
वनडे में 10 हजार रन बनाने वाले छठे भारतीय बने रोहित शर्मा

वनडे में 10 हजार रन बनाने वाले छठे भारतीय बने रोहित शर्मा

September 12, 2023
ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

081011
Total views : 5871305
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Notifications