पेरिस, 24 जनवरी, (आईएएनएस) । पेरिस की एक अदालत ने गुरुवार को एक पाकिस्तानी शख्स को 30 साल जेल की सजा सुनाई। यह फैसला 2020 में चार्ली हेब्दो के पूर्व कार्यालयों के बाहर दो लोगों की हत्या करने की कोशिश के केस में आया।
दोषी जहीर महमूद ने जब हमला किया था तो वह इस गलतफहमी में था कि ‘व्यंग्यात्मक अखबार’ का दफ्तर अभी भी उसी जगह पर स्थित है जहां कुछ साल पहले आतंकी हमला हुआ था।
अल-कायदा से जुड़े दो नकाबपोश बंदूकधारियों ने ‘इस्लाम के ईशनिंदा’ वाले कथित कैरिकेचर प्रकाशित करने के लिए चार्ली हेब्दो के कार्यालयों पर धावा बोला था। उन्होंने अखबार के आठ संपादकीय कर्मचारियों सहित 12 लोगों की हत्या कर दी थी। हमले के बाद अखबार ने अपना ऑफिर ट्रांसफर कर दिया था।
जनवरी 2015 में हुई हत्याओं ने फ्रांस को झकझोर कर रख दिया था। इस घटना के बाद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धर्म के बारे में तीखी बहस शुरू हो गई।
चार्ली हेब्दो ने 2 सितंबर, 2020 को इस्लाम विरोधी कार्टून फिर से प्रकाशित किए। 2015 के नरसंहार के मुकदमे की शुरुआत के मौके पर उसने ऐसा किया। इस महीने के अंत में, ईशनिंदा वाले कार्टूनों का बदला लेने के लिए महमूद चार्ली हेब्दो के पुराने ऑफिस के सामने पहुंचा। उसने चाकू से प्रीमियर लिग्नेस समाचार एजेंसी के दो कर्मचारियों को गंभीर रूप से घायल कर दिया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पूरे मुकदमे के दौरान, महमूद के वकील ने मुख्य तर्क यह दिया कि उसके कृत्य फ्रांस से उसके गहरे अलगाव का नतीजा, क्योंकि उसका पालन-पोषण पाकिस्तान के कट्टर मुस्लिम ग्रामीण इलाके में हुआ था।
मूल रूप से पंजाब के कोथली काजी गांव का रहने वाला महमूद 2019 की गर्मियों में अवैध रूप से फ्रांस पहुंचा था। अदालत को पहले बताया गया था कि महमूद किस तरह से तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के दिवंगत संस्थापक खादिम हुसैन रिजवी से प्रभावित था, जिसने ईशनिंदा करने वालों का सिर कलम करने का आह्वान किया था।
महमूद के बचाव पक्ष के वकील अल्बेरिक डी गेयार्डन ने बुधवार को कहा, ‘उसके दिमाग ने पाकिस्तान को कभी नहीं छोड़ा। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि उसके हर वार का उद्देश्य हत्या करना था।”।
गेयार्डन ने कहा, “वह फ्रेंच नहीं बोलता, वह पाकिस्तानियों के साथ रहता था और पाकिस्तानियों के लिए काम करता था।”
पांच अन्य पाकिस्तानी नागरिक, जिनमें से कुछ उस समय नाबालिग थे, महमूद के साथ आतंकी साजिश के आरोप में मुकदमे का सामना कर रहे थे, क्योंकि इन लोगों ने उसकी गतिविधियों का समर्थन और प्रोत्साहन दिया था।
फ्रांस की राजधानी में नाबालिगों के लिए विशेष अदालत ने महमूद के सह-प्रतिवादियों को तीन से 12 साल की सजा सुनाई। इस फैसले पर छह में से किसी ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
–आईएएनएस
एमके/