कोलकाता, 13 जनवरी (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिमी मेदिनीपुर जिले के सरकार मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक्सपायर रिंगर्स लैक्टेट (आरएल) सलाइन चढ़ाने से एक गर्भवती की मौत की जांच सीआईडी से कराने के लिए आदेश जारी किया है।
नबान्न स्थित राज्य सचिवालय में सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि अस्पताल से जुड़े डॉक्टरों की ओर से लापरवाही बरती गई है।
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि मामले में सीआईडी की जांच राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियुक्त जांच समिति की चल रही जांच के समानांतर ही जारी रहेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा, “जांच समिति की विस्तृत रिपोर्ट आने के बाद मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी। मैं मामले में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करूंगी।”
मुख्यमंत्री ने मामले की जांच सीआईडी को सौंपने की घोषणा कलकत्ता उच्च न्यायालय में इस मामले में जनहित याचिका दायर किए जाने के कुछ ही घंटों बाद की है।
पिछले सप्ताह मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में पांच गर्भवती महिलाओं को कथित तौर पर एक्सपायर हो चुके सलाइन चढ़ाए जाने के बाद गंभीर अवस्था में भर्ती कराया गया था। इनमें से एक महिला मामोनी रुइदास (25) की शुक्रवार को मौत हो गई। शेष चार का उसी अस्पताल में इलाज चल रहा था। रविवार को उनकी हालत अचानक और बिगड़ने के बाद तीन को सरकारी एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया।
कथित तौर पर एक्सपायर हो चुकी आरएल सलाइन की आपूर्ति पश्चिम बंगा फार्मास्युटिकल लिमिटेड ने की थी, जिस पर पहले कर्नाटक सरकार और बाद में पश्चिम बंगाल सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था।
पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच के लिए 13 सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है जो इस बात की पड़ताल करेगी कि इन मरीजों को एक्सपायर हो चुकी सलाइन कैसे दी गई।
घटना ने राज्य की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में इसी तरह के मामलों को लेकर एक बार फिर चिंता पैदा कर दी है।
उल्लेखनीय है कि कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के एक हालिया मामले में कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर व्यक्तिगत वित्तीय लाभ के लिए मरीजों पर एक्सपायर और अप्रभावी दवाओं के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने का आरोप लगाया गया था।
–आईएएनएस
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