कोलकाता, 22 मई (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने सोमवार को दक्षिण 24 परगना जिले के महेशतला में एक अवैध पटाखा गोदाम में रविवार रात हुए विस्फोट की जांच अपने हाथ में ले ली। विस्फोट में 10 साल के बच्चे समेत तीन लोगों की जान चली गई।
ठीक पांच दिन पहले, पिछले मंगलवार को पूर्वी मिदनापुर जिले के एगरा में एक अवैध पटाखा कारखाने में इसी तरह का विस्फोट हुआ था, जिसमें कारखाने के मालिक सहित 12 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे की जांच भी सीआईडी ही कर रही है।
सीआईडी और फोरेंसिक विभाग की दो टीमें सोमवार दोपहर महेशतला में विस्फोट स्थल पर पहुंचीं। जहां फोरेंसिक अधिकारियों ने विस्फोट स्थल से नमूने एकत्र किए, वहीं सीआईडी टीम के सदस्यों ने स्थानीय लोगों से अवैध गोदाम के बारे में बात की।
रविवार को हुए विस्फोट के बाद से डीएसपी रैंक के एक अधिकारी के नेतृत्व में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों ने इलाके में तलाशी अभियान चलाया और महेशतला में अवैध पटाखा निर्माण इकाइयों से जुड़े 40 लोगों को गिरफ्तार किया, जो वर्षो से इस अवैध कारोबार का केंद्र रहा है।
रविवार देर रात से शुरू हुई छापेमारी के दौरान पुलिस ने 20,000 किलोग्राम अवैध पटाखे भी जब्त किए। छापे सोमवार दोपहर तक जारी रहे।
हालांकि, स्थानीय पटाखा निर्माताओं ने इन कार्रवाइयों को पुलिस की ज्यादती बताया है। उनका दावा है कि पुलिस उन लोगों को भी परेशान कर रही है, जो कानूनी तरीके से अपना कारोबार कर रहे हैं।
महेशतला विस्फोट के मामले में स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि इस घटना से साबित होता है कि एगरा में पहले विस्फोट होने के बावजूद पुलिस या प्रशासन ने अवैध पटाखों के कारखानों और गोदामों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि महेशतला में अवैध गोदाम एक आवासीय परिसर के भूतल पर था और काफी समय से वहां अवैध कारोबार चल रहा था।
उन्होंने यह भी दावा किया कि इस तरह के अवैध गोदामों की मौजूदगी की जानकारी होने के बावजूद स्थानीय प्रशासन पूरी तरह से खामोश है और अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
–आईएएनएस
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