कोलकाता, 4 सितंबर (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने सोमवार को 16 राज्य विश्वविद्यालयों के लिए अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति की घोषणा की। इससे राजभवन और राज्य सचिवालय के बीच नए सिरे से विवाद हो सकता है।
एक सितंबर को, गवर्नर हाउस ने घोषणा की कि वह राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में उन राज्य विश्वविद्यालयों के लिए अंतरिम कुलपति की भूमिका निभाएंगे, जहां वर्तमान में इनके पद खाली हैं।
अब, उस घोषणा के 72 घंटों के भीतर, राज्यपाल ने 16 राज्य विश्वविद्यालयों के लिए अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति की घोषणा की, जहां काफी समय से पद खाली था। इन 16 विश्वविद्यालयों में दो कृषि विश्वविद्यालय और 14 सामान्य अध्ययन विश्वविद्यालय शामिल हैं।
इन 16 विश्वविद्यालयों के लिए अंतरिम कुलपतियों की घोषणा राज्यपाल भवन द्वारा रविवार सुबह अधिसूचना जारी करने के ठीक एक दिन बाद हुई है, इसमें राज्य विश्वविद्यालयों पर राज्य सरकार के अधिकार को लगभग शून्य कर दिया गया है।
अधिसूचना में स्पष्ट कहा गया है कि सभी राज्य विश्वविद्यालयों के संकाय और गैर-संकाय कर्मचारी पहले चांसलर और फिर कुलपति के प्रति जवाबदेह हैं। वहां यह भी कहा गया कि राज्य सरकार राज्य विश्वविद्यालयों के अधिकारियों को निर्देश दे सकती है, लेकिन वे निर्देश विश्वविद्यालय के अधिकारियों या कर्मचारियों के लिए बाध्यकारी नहीं हैं।
16 राज्य विश्वविद्यालयों के लिए अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति के राज्यपाल के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, राज्य की महिला एवं बाल विकास और समाज कल्याण मंत्री शशि पांजा ने कहा कि राज्यपाल समानांतर प्रशासन चलाने की कोशिश करके राज्य में समृद्ध शैक्षणिक माहौल को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।
राज्य भाजपा के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने राज्यपाल के फैसले को उचित ठहराया और कहा कि राज्य सरकार द्वारा उन पर थोपे गए राजनीतिक निर्णयों से मुक्त विश्वविद्यालयों की स्वायत्त प्रकृति को सुरक्षित करने के लिए यह आवश्यक था।
–आईएएनएस
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