कोलकाता, 27 अगस्त (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना के दत्तपुकुर में रविवार को एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए बड़े विस्फोट के बाद एक राजनीतिक विवाद सामने आ गया। धमाके में सात लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने दावा किया कि राज्य प्रशासन हताहतों की संख्या कम करके बता रहा है। उनके पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार मरने वालों की संख्या लगभग 10 है।
उन्होंने कहा, “अवैध पटाखा फैक्ट्री और गोदाम के मालिक और संचालक सभी सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के करीबी विश्वासपात्र हैं और इसलिए प्रशासन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगा। प्रशासन इस मुद्दे पर मीडिया का ध्यान और हंगामा कम होने का इंतजार करेगा। तृणमूल कांग्रेस के राजनीतिक हित इन अवैध पटाखा इकाइयों के संचालन से जुड़े हैं।”
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के राज्य प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि यह गलत धारणा है कि सभी पटाखा फैक्ट्रियां अवैध हैं।
उन्होंने कहा, “घटना दु:खद है। लेकिन यह एक्सीडेंट का मामला है, जो कभी भी हो सकता है। इसका मतलब यह नहीं है कि राज्य की सभी पटाखा इकाइयां बंद कर दी जाएं। इस व्यापार से लाखों लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है। तमिलनाडु के शिवकाशी के पटाखा मैन्युफैक्चरिंग हब में अक्सर ऐसे धमाकों की खबरें आती रहती हैं। लेकिन इसके परिणामस्वरूप वहां की पटाखा इकाइयां बंद नहीं हुईं।”
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पश्चिम बंगाल के मंत्री रथिन घोष ने कहा कि स्थानीय ऑल इंडिया सेक्युलर फ्रंट (एआईएसएफ) नेता रमजान अली दत्तपुकुर में अवैध पटाखा गोदाम चलाने के पीछे थे, जहां रविवार सुबह विस्फोट हुआ था। उन्होंने कहा, “एआईएसएफ क्षेत्र में बेहद मजबूत है। दुर्भाग्य से न तो हमें और न ही स्थानीय पुलिस को इस अवैध कारोबार के बारे में पता था।”
हालांकि, विस्फोट के बाद से स्थानीय लोग यह दावा करते हुए विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे कि बार-बार शिकायत के बावजूद स्थानीय पुलिस ने अवैध पटाखा फैक्ट्री के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में एआईएसएफ के एकमात्र प्रतिनिधि नौशाद सिद्दीकी ने कहा कि इस त्रासदी के लिए तृणमूल कांग्रेस के दो स्थानीय नेता केरामत अली और अजीबर अली जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा, “वे भागने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें तुरंत हिरासत में लिया जाना चाहिए और पूछताछ की जानी चाहिए। स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व को उनसे नियमित कमीशन मिलता था।”
–आईएएनएस
एकेजे