कोलकाता, 11 मार्च (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल सरकार ने केंद्र को सूचित किया है कि अगर अनुमति दी जाती है, तो राज्य सरकार कड़ी निगरानी के तहत खसखस की खेती की व्यवस्था करेगी और उत्पादन को केवल राज्य संचालित कृषि फार्मो तक सीमित रखेगी।
गुरुवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा के पटल पर घोषणा की थी कि उन्होंने उत्पाद की आसमान छूती कीमत के खिलाफ पसंदीदा बंगाली तालु के रूप में बाजार में इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए केंद्र को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल में खसखस की खेती की अनुमति मांगी है।
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा को भेजे पत्र में राज्य सरकार ने राज्य में उपलब्ध विस्तृत बुनियादी ढांचे की रूपरेखा तैयार की है, ताकि मादक और नशीले पदार्थो के निर्माण में इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए अफीम की खेती की जा सके।
अधिकारी ने कहा, राज्य सरकार ने पत्र में राज्य द्वारा संचालित कृषि फार्मो का विवरण दिया है, जिनका उपयोग सख्त निगरानी के तहत खसखस की खेती के लिए किया जा सकता है।
राज्य के कृषि मंत्री सोवनदेब चट्टोपाध्याय के अनुसार, इस समय 160 राज्य संचालित कृषि फार्म हैं, जिनमें से कुछ का उपयोग राज्य मशीनरी की कड़ी निगरानी में खसखस की खेती के लिए किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, तालु के रूप में पोस्त की मांग पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक है। इसलिए अगर राज्य को खसखस की खेती की अनुमति दी जाती है, तो आयातित खसखस पर निर्भरता काफी हद तक कम हो जाएगी। इससे राज्य और देश को आर्थिक रूप से भी लाभ होगा।
मुख्यमंत्री ने गुरुवार को इस मांग को आगे बढ़ाने में विपक्षी भाजपा का समर्थन भी मांगा था।
इस समय केवल तीन राज्यों- उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में खसखस की खेती की अनुमति है। पश्चिम बंगाल सरकार का तर्क है कि तीन राज्यों में इस विशेष किस्म के बीज की खेती की अनुमति है, जहां मांग पश्चिम बंगाल की तुलना में बहुत कम है।
यह पहली बार नहीं है, जब पश्चिम बंगाल सरकार ने खसखस की खेती की अनुमति मांगी है।
ममता ने भुवनेश्वर में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में यह मामला उठाया था, जिसकी अध्यक्षता गृहमंत्री अमित शाह ने की थी। हालांकि अभी तक इस पर कोई सकारात्मक फैसला नहीं आया है।
–आईएएनएस
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