कोलकाता, 2 जून (आईएएनएस)। अप्रैल में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों में अपनी नौकरी गंवाने वाले ‘बेदाग’ या ‘सच्चे’ शिक्षकों ने सोमवार को कोलकाता और राज्य पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ एक बैठक आयोजित की जाए।
जिन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को पत्र भेजे गए हैं, उनमें पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार, कोलकाता पुलिस आयुक्त मनोज वर्मा, अतिरिक्त महानिदेशक, कानून एवं व्यवस्था, जावेद शमीम, कोलकाता पुलिस मुख्यालय के संयुक्त आयुक्त मीराज खालिद और हावड़ा पुलिस आयुक्त प्रवीण कुमार त्रिपाठी शामिल हैं।
राज्य सचिवालय ‘नबन्ना’, जिसकी 14वीं मंजिल पर मुख्यमंत्री का कार्यालय है, हावड़ा सिटी पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आता है।
प्रदर्शन कर रहे एक शिक्षक ने कहा, “हम कथित तौर पर संकट से बाहर निकलने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री और राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु से मिलने का समय मांग रहे थे। लेकिन अभी तक हमें उनमें से किसी से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। इसलिए अंतिम उपाय के रूप में, हमने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को पत्र भेजे हैं ताकि कम से कम वे मुख्यमंत्री के साथ बैठक की व्यवस्था कर सकें। अगर हमारा यह प्रयास भी कारगर नहीं होता है, तो हमारे पास ‘राज्य सचिवालय तक मार्च’ रैली सहित एक बड़े आंदोलन के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।”
उनकी मुख्य मांग यह है कि राज्य सरकार और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग को तत्काल सूची प्रकाशित करनी चाहिए। इसमें कथित तौर पर पैसे देकर स्कूल की नौकरी पाने वाले “दागी” उम्मीदवारों से “बेदाग” उम्मीदवारों को अलग किया जाए।
एक अन्य प्रदर्शनकारी शिक्षक ने सवाल किया, “नौकरी पाने के लिए अनैतिक तरीके अपनाने वालों के लिए हमें क्यों भुगतना चाहिए?”
इस साल 3 अप्रैल को, भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति शब्बर रशीदी की खंडपीठ द्वारा 25,753 स्कूली नौकरियों को रद्द करने के आदेश को बरकरार रखा।
सर्वोच्च न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की इस टिप्पणी को भी स्वीकार किया कि राज्य सरकार और आयोग द्वारा “दागी” उम्मीदवारों से “बेदाग” उम्मीदवारों को अलग करने में विफलता के कारण 25,753 उम्मीदवारों का पूरा पैनल रद्द करना पड़ा।
राज्य सरकार और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) ने इस मुद्दे पर पहले ही शीर्ष अदालत में समीक्षा याचिका दायर कर दी है।
–आईएएनएस
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