कोलकाता, 4 जुलाई (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को हुए पंचायत चुनाव के दौरान पिछले 26 दिनों के दौरान चुनाव पूर्व हिंसा में 14 लोगों की मौत की सूचना के बावजूद राज्य के पुलिस महानिदेशक मनोज मालवीय ने हिंसक मामलों को छिटपुट करार दिया है।
सोमवार रात पुरुलिया में सड़क किनारे से भाजपा कार्यकर्ता बंकिम हांसदा का शव बरामद होने के साथ 8 जून को मतदान की तारीख की घोषणा के बाद से पिछले 26 दिनों में चुनाव पूर्व हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है।
हालांकि, मीडिया से बात करते हुए, मालवीय ने कहा कि हिंसा और झड़प की छिटपुट घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि कुछ घटनाएं हुई थीं, जहां पुलिस ने तत्काल कार्रवाई की थी। हम दिशानिर्देशों के अनुसार काम कर रहे हैं। स्थिति काफी नियंत्रण में है और हिंसा की घटनाओं में कमी आई है। मीडिया छोटी-छोटी घटनाओं को बड़ी घटना के रूप में पेश कर रहा है। यह ठीक नहीं है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि पिछले चुनावों में अधिक गंभीर हिंसा हुई थी। पंचायत चुनाव खत्म होने के बाद मैं इस संबंध में तुलनात्मक आंकड़े दूंगा। इस बीच डीजीपी की टिप्पणी पर सियासी घमासान शुरू हो गया है। पश्चिम बंगाल में भाजपा के राज्य प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने उनकी टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इतने सारे मौत के मामलों के बाद डीजीपी की इस तरह की टिप्पणी स्वीकार्य नहीं है। भट्टाचार्य ने कहा, ऐसा लगता है कि डीजीपी सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता की तरह बोल रहे हैं।
सीपीआई (एम) के पूर्व लोकसभा सदस्य समिक लाहिड़ी ने कहा कि राज्य में स्थिति पुलिस के नियंत्रण में नहीं बल्कि असामाजिक तत्वों के नियंत्रण में है। आगे कहा कि डीजीपी की इस तरह की टिप्पणियों के बाद हम ग्रामीण निकाय चुनावों में शांति की उम्मीद कैसे कर सकते हैं।
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य शांतनु सेन ने मालवीय का समर्थन किया और कहा कि इस बार पश्चिम बंगाल में चुनाव पूर्व हिंसा पिछले वाम मोर्चा शासन के दौरान की तुलना में बहुत कम अनुपात में थी।
–आईएएनएस
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