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बच्चे की दर्दनाक मौत ने अधिकारियों को आवारा कुत्तों के खिलाफ कार्रवाई को किया प्रेरित

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March 5, 2023
in Uncategorized, राष्ट्रीय
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बच्चे की दर्दनाक मौत ने अधिकारियों को आवारा कुत्तों के खिलाफ कार्रवाई को किया प्रेरित
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हैदराबाद, 5 मार्च (आईएएनएस)। हैदराबाद में चार साल के एक बच्चे को आवारा कुत्तों के झुंड द्वारा नोच-नोच कर मार डाले जाने की भयानक तस्वीरें नागरिकों को लंबे समय तक परेशान करती रहेंगी।

इस घटना ने सार्वजनिक आक्रोश पैदा कर दिया। कुत्तों के खतरों के प्रति बहस शुरू हो गई।

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न केवल हैदराबाद में, बल्कि राज्य के अन्य शहरी क्षेत्रों में भी आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए नगरपालिका के अधिकारियों ने नए दिशा-निर्देश जारी किए।

एक सप्ताह में राज्य के विभिन्न हिस्सों से कुत्तों के काटने की कई घटनाएं सामने आई हैं।

19 फरवरी को प्रदीप की मौत हैदराबाद में एक साल से भी कम समय में इस तरह की दूसरी घटना थी।

अप्रैल 2022 में गोलकुंडा के बड़ा बाजार इलाके में आवारा कुत्तों ने दो साल के एक बच्चे को नोच-नोच कर मार डाला था। घर के बाहर खेल रहे बालक अनस अहमद पर कुत्तों के एक झुंड ने हमला कर दिया और उसे घसीटते हुए निकटवर्ती सैन्य क्षेत्र में ले गए। हमले में मासूम गंभीर रूप से घायल हो गया और अस्पताल ले जाने से पहले ही उसकी मौत हो गई।

असहाय बच्चे पर हमला करने और कुत्तों द्वारा झाड़ियों में खींचे जाने के सीसीटीवी दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

इस घटना से इलाके में लोगों का आक्रोश फैल गया था। घटना के तत्काल बाद कुत्ता पकड़ने वाली टीमों को लगाया गया। लेकिन घटना के कुछ दिनों के भीतर ही समस्या को भुला दिया गया।

एक और मासूम की मौत ने नगर निगम के अधिकारियों की नींद उड़ा दी। इस बार ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) ने खतरे से निपटने को कुछ उपायों की घोषणा की।

नवीनतम घटना पर मीडिया रिपोटरें का संज्ञान लेते हुए, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका दायर की।

मुख्य न्यायाधीश उज्जल भुइयां की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने लड़के की मौत के लिए जीएचएमसी की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया और पूछा कि आवारा कुत्तों के हमलों की घटनाओं को कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

अदालत ने जीएचएमसी से यह बताने को कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाएगी कि ऐसी घटना दोबारा न हो।

तेलंगाना में 2022 में कुत्ते के काटने के 80,281 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2021 में 24,000 से बहुत अधिक थे। हालांकि, नगरपालिका के अधिकारियों का कहना है कि तुलना गलत होगी, क्योंकि 2021 एक महामारी वर्ष था, जब पशु-मानव संघर्ष कम था।

अधिकारियों के मुताबिक, 2019 में डॉग बाइट के 1.6 लाख मामले दर्ज किए गए थे और कोविड से पहले के वर्षों की तुलना में मामलों में 50 फीसदी की कमी आई है। कुत्तों के काटने के मामले में तेलंगाना देश में आठवें स्थान पर है।

ताजा घटना के बाद जीएचएमसी के अधिकारियों ने बताया कि तेलंगाना की राजधानी में 5.50 लाख आवारा कुत्ते हैं। अधिकारियों के मुताबिक, 2011 में यह आंकड़ा 8.50 लाख था, लेकिन पशु जन्म नियंत्रण-सह-एंटी रेबीज (एबीसी-एआर) कार्यक्रम के सफल होने से उनकी आबादी कम हो गई।

अधिकारियों ने कहा कि एबीसी कार्यक्रम के तहत 65 प्रतिशत आवारा कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है। चार साल की बच्ची की जघन्य मौत के बाद नगर निगम के अधिकारियों ने 100 फीसदी नसबंदी के आदेश दिए हैं।

बच्चे की मौत से नागरिकों ने आवारा कुत्तों को उनके क्षेत्रों से स्थानांतरित करने की मांग की। लेकिन जीएचएमसी के अधिकारी दुविधा में फंस गए हैं, क्योंकि वे एबीसी-एआर की प्रक्रिया के बाद भी आवारा कुत्तों को स्थानांतरित नहीं कर सकते हैं।

एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस में कहा गया है कि आवारा कुत्तों को न तो सुनसान इलाकों में शिफ्ट किया जा सकता है और न ही शहर के बाहरी इलाकों में छोड़ा जा सकता है। भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के दिशा-निदेशरें के अनुसार, आवारा कुत्तों को पिकअप स्थानों से 100 मीटर के दायरे में छोड़ देना चाहिए।

जीएचएमसी ने नसबंदी की संख्या मौजूदा 150 से बढ़ाकर 400 प्रति दिन करने का फैसला किया है।

ग्रेटर हैदराबाद की मेयर गडवाल विजयलक्ष्मी ने कहा, हम समस्या के समाधान के लिए सभी आवश्यक उपाय कर रहे हैं।

उन्होंने शहर में आवारा कुत्तों के खतरे का समाधान खोजने के लिए एक सर्वदलीय समिति की भी घोषणा की है। पैनल में प्रत्येक राजनीतिक दल के दो नगरसेवक होंगे।

विशेषज्ञों का कहना है कि सड़कों पर कूड़ा फेंकना और खुले स्थानों और होटलों, फंक्शन हॉल, चिकन और मटन की दुकानों पर कूड़ा फेंकना आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी का सबसे बड़ा कारण है।

नगर निगम के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे जीएचएमसी सीमा के भीतर होटल, रेस्तरां, समारोह हॉल, चिकन और मटन आउटलेट को सड़कों पर डंपिंग कचरे से प्रतिबंधित करें।

अधिकारियों को सड़कों पर कूड़ा फेंकने वाले प्रतिष्ठानों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया है, क्योंकि इससे आवारा कुत्तों आकर्षित होते हैं।

नगरपालिका प्रशासन के सचिव अरविंद कुमार ने जीएचएमसी के अधिकारियों को निर्देश दिया कि एबीसी (पशु जन्म नियंत्रण) नसबंदी ऑपरेशन तुरंत किया जाना चाहिए।

स्लम डेवलपमेंट फेडरेशन, टाउन डेवलपमेंट के सहयोग से अधिकारियों को नियंत्रण उपाय करने की सलाह दी गई।

अधिकारियों को सलाह दी गई कि वे शहर और पड़ोसी नगरपालिकाओं की सीमा के भीतर स्लम डेवलपमेंट फेडरेशन, टाउन डेवलपमेंट फेडरेशन और रेजिडेंट कॉलोनी वेलफेयर एसोसिएशन की मदद से नियंत्रण के उपाय करें। राज्य में अन्य नगर पालिकाओं में स्वयं सहायता समूहों की सहायता से नियंत्रण उपाय किए जाएंगे।

उन्होंने अधिकारियों को शहर और आसपास की नगर पालिकाओं में पालतू जानवरों के पंजीकरण के लिए एक अलग मोबाइल ऐप तैयार करने की सलाह दी। पंजीकरण के अनुसार संबंधित स्वामियों को पहचान पत्र जारी किए जाएंगे।

हैदराबाद में हाल ही में हुई एक घटना के मद्देनजर इसका महत्व बढ़ गया, जिसमें एक 23 वर्षीय फूड डिलीवरी ब्वॉय एक इमारत की तीसरी मंजिल से डर के मारे कूद गया, जब एक पालतू कुत्ते ने उस पर हमला किया।

चार दिन तक जिंदगी-मौत से जूझने के बाद मोहम्मद रिजवान (23) ने अंतिम सांस ली। फूड डिलीवरी ऐप स्विगी के लिए काम कर रहा रिजवान 11 जनवरी को बंजारा हिल्स में एक अपॉर्टमेंट बिल्डिंग में पार्सल देने गया था।

जब उसने फ्लैट का दरवाजा खटखटाया तो एक जर्मन शेफर्ड उसकी तरफ लपका। रिजवान ने खुद को बचाने की कोशिश करते हुए तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी और गंभीर रूप से घायल हो गया।

मृतक के परिजनों ने कहा कि पालतू कुत्ते के मालिक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

–आईएएनएस

सीबीटी

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हैदराबाद, 5 मार्च (आईएएनएस)। हैदराबाद में चार साल के एक बच्चे को आवारा कुत्तों के झुंड द्वारा नोच-नोच कर मार डाले जाने की भयानक तस्वीरें नागरिकों को लंबे समय तक परेशान करती रहेंगी।

इस घटना ने सार्वजनिक आक्रोश पैदा कर दिया। कुत्तों के खतरों के प्रति बहस शुरू हो गई।

न केवल हैदराबाद में, बल्कि राज्य के अन्य शहरी क्षेत्रों में भी आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए नगरपालिका के अधिकारियों ने नए दिशा-निर्देश जारी किए।

एक सप्ताह में राज्य के विभिन्न हिस्सों से कुत्तों के काटने की कई घटनाएं सामने आई हैं।

19 फरवरी को प्रदीप की मौत हैदराबाद में एक साल से भी कम समय में इस तरह की दूसरी घटना थी।

अप्रैल 2022 में गोलकुंडा के बड़ा बाजार इलाके में आवारा कुत्तों ने दो साल के एक बच्चे को नोच-नोच कर मार डाला था। घर के बाहर खेल रहे बालक अनस अहमद पर कुत्तों के एक झुंड ने हमला कर दिया और उसे घसीटते हुए निकटवर्ती सैन्य क्षेत्र में ले गए। हमले में मासूम गंभीर रूप से घायल हो गया और अस्पताल ले जाने से पहले ही उसकी मौत हो गई।

असहाय बच्चे पर हमला करने और कुत्तों द्वारा झाड़ियों में खींचे जाने के सीसीटीवी दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

इस घटना से इलाके में लोगों का आक्रोश फैल गया था। घटना के तत्काल बाद कुत्ता पकड़ने वाली टीमों को लगाया गया। लेकिन घटना के कुछ दिनों के भीतर ही समस्या को भुला दिया गया।

एक और मासूम की मौत ने नगर निगम के अधिकारियों की नींद उड़ा दी। इस बार ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) ने खतरे से निपटने को कुछ उपायों की घोषणा की।

नवीनतम घटना पर मीडिया रिपोटरें का संज्ञान लेते हुए, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका दायर की।

मुख्य न्यायाधीश उज्जल भुइयां की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने लड़के की मौत के लिए जीएचएमसी की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया और पूछा कि आवारा कुत्तों के हमलों की घटनाओं को कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

अदालत ने जीएचएमसी से यह बताने को कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाएगी कि ऐसी घटना दोबारा न हो।

तेलंगाना में 2022 में कुत्ते के काटने के 80,281 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2021 में 24,000 से बहुत अधिक थे। हालांकि, नगरपालिका के अधिकारियों का कहना है कि तुलना गलत होगी, क्योंकि 2021 एक महामारी वर्ष था, जब पशु-मानव संघर्ष कम था।

अधिकारियों के मुताबिक, 2019 में डॉग बाइट के 1.6 लाख मामले दर्ज किए गए थे और कोविड से पहले के वर्षों की तुलना में मामलों में 50 फीसदी की कमी आई है। कुत्तों के काटने के मामले में तेलंगाना देश में आठवें स्थान पर है।

ताजा घटना के बाद जीएचएमसी के अधिकारियों ने बताया कि तेलंगाना की राजधानी में 5.50 लाख आवारा कुत्ते हैं। अधिकारियों के मुताबिक, 2011 में यह आंकड़ा 8.50 लाख था, लेकिन पशु जन्म नियंत्रण-सह-एंटी रेबीज (एबीसी-एआर) कार्यक्रम के सफल होने से उनकी आबादी कम हो गई।

अधिकारियों ने कहा कि एबीसी कार्यक्रम के तहत 65 प्रतिशत आवारा कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है। चार साल की बच्ची की जघन्य मौत के बाद नगर निगम के अधिकारियों ने 100 फीसदी नसबंदी के आदेश दिए हैं।

बच्चे की मौत से नागरिकों ने आवारा कुत्तों को उनके क्षेत्रों से स्थानांतरित करने की मांग की। लेकिन जीएचएमसी के अधिकारी दुविधा में फंस गए हैं, क्योंकि वे एबीसी-एआर की प्रक्रिया के बाद भी आवारा कुत्तों को स्थानांतरित नहीं कर सकते हैं।

एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस में कहा गया है कि आवारा कुत्तों को न तो सुनसान इलाकों में शिफ्ट किया जा सकता है और न ही शहर के बाहरी इलाकों में छोड़ा जा सकता है। भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के दिशा-निदेशरें के अनुसार, आवारा कुत्तों को पिकअप स्थानों से 100 मीटर के दायरे में छोड़ देना चाहिए।

जीएचएमसी ने नसबंदी की संख्या मौजूदा 150 से बढ़ाकर 400 प्रति दिन करने का फैसला किया है।

ग्रेटर हैदराबाद की मेयर गडवाल विजयलक्ष्मी ने कहा, हम समस्या के समाधान के लिए सभी आवश्यक उपाय कर रहे हैं।

उन्होंने शहर में आवारा कुत्तों के खतरे का समाधान खोजने के लिए एक सर्वदलीय समिति की भी घोषणा की है। पैनल में प्रत्येक राजनीतिक दल के दो नगरसेवक होंगे।

विशेषज्ञों का कहना है कि सड़कों पर कूड़ा फेंकना और खुले स्थानों और होटलों, फंक्शन हॉल, चिकन और मटन की दुकानों पर कूड़ा फेंकना आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी का सबसे बड़ा कारण है।

नगर निगम के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे जीएचएमसी सीमा के भीतर होटल, रेस्तरां, समारोह हॉल, चिकन और मटन आउटलेट को सड़कों पर डंपिंग कचरे से प्रतिबंधित करें।

अधिकारियों को सड़कों पर कूड़ा फेंकने वाले प्रतिष्ठानों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया है, क्योंकि इससे आवारा कुत्तों आकर्षित होते हैं।

नगरपालिका प्रशासन के सचिव अरविंद कुमार ने जीएचएमसी के अधिकारियों को निर्देश दिया कि एबीसी (पशु जन्म नियंत्रण) नसबंदी ऑपरेशन तुरंत किया जाना चाहिए।

स्लम डेवलपमेंट फेडरेशन, टाउन डेवलपमेंट के सहयोग से अधिकारियों को नियंत्रण उपाय करने की सलाह दी गई।

अधिकारियों को सलाह दी गई कि वे शहर और पड़ोसी नगरपालिकाओं की सीमा के भीतर स्लम डेवलपमेंट फेडरेशन, टाउन डेवलपमेंट फेडरेशन और रेजिडेंट कॉलोनी वेलफेयर एसोसिएशन की मदद से नियंत्रण के उपाय करें। राज्य में अन्य नगर पालिकाओं में स्वयं सहायता समूहों की सहायता से नियंत्रण उपाय किए जाएंगे।

उन्होंने अधिकारियों को शहर और आसपास की नगर पालिकाओं में पालतू जानवरों के पंजीकरण के लिए एक अलग मोबाइल ऐप तैयार करने की सलाह दी। पंजीकरण के अनुसार संबंधित स्वामियों को पहचान पत्र जारी किए जाएंगे।

हैदराबाद में हाल ही में हुई एक घटना के मद्देनजर इसका महत्व बढ़ गया, जिसमें एक 23 वर्षीय फूड डिलीवरी ब्वॉय एक इमारत की तीसरी मंजिल से डर के मारे कूद गया, जब एक पालतू कुत्ते ने उस पर हमला किया।

चार दिन तक जिंदगी-मौत से जूझने के बाद मोहम्मद रिजवान (23) ने अंतिम सांस ली। फूड डिलीवरी ऐप स्विगी के लिए काम कर रहा रिजवान 11 जनवरी को बंजारा हिल्स में एक अपॉर्टमेंट बिल्डिंग में पार्सल देने गया था।

जब उसने फ्लैट का दरवाजा खटखटाया तो एक जर्मन शेफर्ड उसकी तरफ लपका। रिजवान ने खुद को बचाने की कोशिश करते हुए तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी और गंभीर रूप से घायल हो गया।

मृतक के परिजनों ने कहा कि पालतू कुत्ते के मालिक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

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इस घटना ने सार्वजनिक आक्रोश पैदा कर दिया। कुत्तों के खतरों के प्रति बहस शुरू हो गई।

न केवल हैदराबाद में, बल्कि राज्य के अन्य शहरी क्षेत्रों में भी आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए नगरपालिका के अधिकारियों ने नए दिशा-निर्देश जारी किए।

एक सप्ताह में राज्य के विभिन्न हिस्सों से कुत्तों के काटने की कई घटनाएं सामने आई हैं।

19 फरवरी को प्रदीप की मौत हैदराबाद में एक साल से भी कम समय में इस तरह की दूसरी घटना थी।

अप्रैल 2022 में गोलकुंडा के बड़ा बाजार इलाके में आवारा कुत्तों ने दो साल के एक बच्चे को नोच-नोच कर मार डाला था। घर के बाहर खेल रहे बालक अनस अहमद पर कुत्तों के एक झुंड ने हमला कर दिया और उसे घसीटते हुए निकटवर्ती सैन्य क्षेत्र में ले गए। हमले में मासूम गंभीर रूप से घायल हो गया और अस्पताल ले जाने से पहले ही उसकी मौत हो गई।

असहाय बच्चे पर हमला करने और कुत्तों द्वारा झाड़ियों में खींचे जाने के सीसीटीवी दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

इस घटना से इलाके में लोगों का आक्रोश फैल गया था। घटना के तत्काल बाद कुत्ता पकड़ने वाली टीमों को लगाया गया। लेकिन घटना के कुछ दिनों के भीतर ही समस्या को भुला दिया गया।

एक और मासूम की मौत ने नगर निगम के अधिकारियों की नींद उड़ा दी। इस बार ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) ने खतरे से निपटने को कुछ उपायों की घोषणा की।

नवीनतम घटना पर मीडिया रिपोटरें का संज्ञान लेते हुए, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका दायर की।

मुख्य न्यायाधीश उज्जल भुइयां की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने लड़के की मौत के लिए जीएचएमसी की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया और पूछा कि आवारा कुत्तों के हमलों की घटनाओं को कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

अदालत ने जीएचएमसी से यह बताने को कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाएगी कि ऐसी घटना दोबारा न हो।

तेलंगाना में 2022 में कुत्ते के काटने के 80,281 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2021 में 24,000 से बहुत अधिक थे। हालांकि, नगरपालिका के अधिकारियों का कहना है कि तुलना गलत होगी, क्योंकि 2021 एक महामारी वर्ष था, जब पशु-मानव संघर्ष कम था।

अधिकारियों के मुताबिक, 2019 में डॉग बाइट के 1.6 लाख मामले दर्ज किए गए थे और कोविड से पहले के वर्षों की तुलना में मामलों में 50 फीसदी की कमी आई है। कुत्तों के काटने के मामले में तेलंगाना देश में आठवें स्थान पर है।

ताजा घटना के बाद जीएचएमसी के अधिकारियों ने बताया कि तेलंगाना की राजधानी में 5.50 लाख आवारा कुत्ते हैं। अधिकारियों के मुताबिक, 2011 में यह आंकड़ा 8.50 लाख था, लेकिन पशु जन्म नियंत्रण-सह-एंटी रेबीज (एबीसी-एआर) कार्यक्रम के सफल होने से उनकी आबादी कम हो गई।

अधिकारियों ने कहा कि एबीसी कार्यक्रम के तहत 65 प्रतिशत आवारा कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है। चार साल की बच्ची की जघन्य मौत के बाद नगर निगम के अधिकारियों ने 100 फीसदी नसबंदी के आदेश दिए हैं।

बच्चे की मौत से नागरिकों ने आवारा कुत्तों को उनके क्षेत्रों से स्थानांतरित करने की मांग की। लेकिन जीएचएमसी के अधिकारी दुविधा में फंस गए हैं, क्योंकि वे एबीसी-एआर की प्रक्रिया के बाद भी आवारा कुत्तों को स्थानांतरित नहीं कर सकते हैं।

एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस में कहा गया है कि आवारा कुत्तों को न तो सुनसान इलाकों में शिफ्ट किया जा सकता है और न ही शहर के बाहरी इलाकों में छोड़ा जा सकता है। भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के दिशा-निदेशरें के अनुसार, आवारा कुत्तों को पिकअप स्थानों से 100 मीटर के दायरे में छोड़ देना चाहिए।

जीएचएमसी ने नसबंदी की संख्या मौजूदा 150 से बढ़ाकर 400 प्रति दिन करने का फैसला किया है।

ग्रेटर हैदराबाद की मेयर गडवाल विजयलक्ष्मी ने कहा, हम समस्या के समाधान के लिए सभी आवश्यक उपाय कर रहे हैं।

उन्होंने शहर में आवारा कुत्तों के खतरे का समाधान खोजने के लिए एक सर्वदलीय समिति की भी घोषणा की है। पैनल में प्रत्येक राजनीतिक दल के दो नगरसेवक होंगे।

विशेषज्ञों का कहना है कि सड़कों पर कूड़ा फेंकना और खुले स्थानों और होटलों, फंक्शन हॉल, चिकन और मटन की दुकानों पर कूड़ा फेंकना आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी का सबसे बड़ा कारण है।

नगर निगम के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे जीएचएमसी सीमा के भीतर होटल, रेस्तरां, समारोह हॉल, चिकन और मटन आउटलेट को सड़कों पर डंपिंग कचरे से प्रतिबंधित करें।

अधिकारियों को सड़कों पर कूड़ा फेंकने वाले प्रतिष्ठानों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया है, क्योंकि इससे आवारा कुत्तों आकर्षित होते हैं।

नगरपालिका प्रशासन के सचिव अरविंद कुमार ने जीएचएमसी के अधिकारियों को निर्देश दिया कि एबीसी (पशु जन्म नियंत्रण) नसबंदी ऑपरेशन तुरंत किया जाना चाहिए।

स्लम डेवलपमेंट फेडरेशन, टाउन डेवलपमेंट के सहयोग से अधिकारियों को नियंत्रण उपाय करने की सलाह दी गई।

अधिकारियों को सलाह दी गई कि वे शहर और पड़ोसी नगरपालिकाओं की सीमा के भीतर स्लम डेवलपमेंट फेडरेशन, टाउन डेवलपमेंट फेडरेशन और रेजिडेंट कॉलोनी वेलफेयर एसोसिएशन की मदद से नियंत्रण के उपाय करें। राज्य में अन्य नगर पालिकाओं में स्वयं सहायता समूहों की सहायता से नियंत्रण उपाय किए जाएंगे।

उन्होंने अधिकारियों को शहर और आसपास की नगर पालिकाओं में पालतू जानवरों के पंजीकरण के लिए एक अलग मोबाइल ऐप तैयार करने की सलाह दी। पंजीकरण के अनुसार संबंधित स्वामियों को पहचान पत्र जारी किए जाएंगे।

हैदराबाद में हाल ही में हुई एक घटना के मद्देनजर इसका महत्व बढ़ गया, जिसमें एक 23 वर्षीय फूड डिलीवरी ब्वॉय एक इमारत की तीसरी मंजिल से डर के मारे कूद गया, जब एक पालतू कुत्ते ने उस पर हमला किया।

चार दिन तक जिंदगी-मौत से जूझने के बाद मोहम्मद रिजवान (23) ने अंतिम सांस ली। फूड डिलीवरी ऐप स्विगी के लिए काम कर रहा रिजवान 11 जनवरी को बंजारा हिल्स में एक अपॉर्टमेंट बिल्डिंग में पार्सल देने गया था।

जब उसने फ्लैट का दरवाजा खटखटाया तो एक जर्मन शेफर्ड उसकी तरफ लपका। रिजवान ने खुद को बचाने की कोशिश करते हुए तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी और गंभीर रूप से घायल हो गया।

मृतक के परिजनों ने कहा कि पालतू कुत्ते के मालिक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

–आईएएनएस

सीबीटी

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हैदराबाद, 5 मार्च (आईएएनएस)। हैदराबाद में चार साल के एक बच्चे को आवारा कुत्तों के झुंड द्वारा नोच-नोच कर मार डाले जाने की भयानक तस्वीरें नागरिकों को लंबे समय तक परेशान करती रहेंगी।

इस घटना ने सार्वजनिक आक्रोश पैदा कर दिया। कुत्तों के खतरों के प्रति बहस शुरू हो गई।

न केवल हैदराबाद में, बल्कि राज्य के अन्य शहरी क्षेत्रों में भी आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए नगरपालिका के अधिकारियों ने नए दिशा-निर्देश जारी किए।

एक सप्ताह में राज्य के विभिन्न हिस्सों से कुत्तों के काटने की कई घटनाएं सामने आई हैं।

19 फरवरी को प्रदीप की मौत हैदराबाद में एक साल से भी कम समय में इस तरह की दूसरी घटना थी।

अप्रैल 2022 में गोलकुंडा के बड़ा बाजार इलाके में आवारा कुत्तों ने दो साल के एक बच्चे को नोच-नोच कर मार डाला था। घर के बाहर खेल रहे बालक अनस अहमद पर कुत्तों के एक झुंड ने हमला कर दिया और उसे घसीटते हुए निकटवर्ती सैन्य क्षेत्र में ले गए। हमले में मासूम गंभीर रूप से घायल हो गया और अस्पताल ले जाने से पहले ही उसकी मौत हो गई।

असहाय बच्चे पर हमला करने और कुत्तों द्वारा झाड़ियों में खींचे जाने के सीसीटीवी दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

इस घटना से इलाके में लोगों का आक्रोश फैल गया था। घटना के तत्काल बाद कुत्ता पकड़ने वाली टीमों को लगाया गया। लेकिन घटना के कुछ दिनों के भीतर ही समस्या को भुला दिया गया।

एक और मासूम की मौत ने नगर निगम के अधिकारियों की नींद उड़ा दी। इस बार ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) ने खतरे से निपटने को कुछ उपायों की घोषणा की।

नवीनतम घटना पर मीडिया रिपोटरें का संज्ञान लेते हुए, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका दायर की।

मुख्य न्यायाधीश उज्जल भुइयां की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने लड़के की मौत के लिए जीएचएमसी की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया और पूछा कि आवारा कुत्तों के हमलों की घटनाओं को कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

अदालत ने जीएचएमसी से यह बताने को कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाएगी कि ऐसी घटना दोबारा न हो।

तेलंगाना में 2022 में कुत्ते के काटने के 80,281 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2021 में 24,000 से बहुत अधिक थे। हालांकि, नगरपालिका के अधिकारियों का कहना है कि तुलना गलत होगी, क्योंकि 2021 एक महामारी वर्ष था, जब पशु-मानव संघर्ष कम था।

अधिकारियों के मुताबिक, 2019 में डॉग बाइट के 1.6 लाख मामले दर्ज किए गए थे और कोविड से पहले के वर्षों की तुलना में मामलों में 50 फीसदी की कमी आई है। कुत्तों के काटने के मामले में तेलंगाना देश में आठवें स्थान पर है।

ताजा घटना के बाद जीएचएमसी के अधिकारियों ने बताया कि तेलंगाना की राजधानी में 5.50 लाख आवारा कुत्ते हैं। अधिकारियों के मुताबिक, 2011 में यह आंकड़ा 8.50 लाख था, लेकिन पशु जन्म नियंत्रण-सह-एंटी रेबीज (एबीसी-एआर) कार्यक्रम के सफल होने से उनकी आबादी कम हो गई।

अधिकारियों ने कहा कि एबीसी कार्यक्रम के तहत 65 प्रतिशत आवारा कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है। चार साल की बच्ची की जघन्य मौत के बाद नगर निगम के अधिकारियों ने 100 फीसदी नसबंदी के आदेश दिए हैं।

बच्चे की मौत से नागरिकों ने आवारा कुत्तों को उनके क्षेत्रों से स्थानांतरित करने की मांग की। लेकिन जीएचएमसी के अधिकारी दुविधा में फंस गए हैं, क्योंकि वे एबीसी-एआर की प्रक्रिया के बाद भी आवारा कुत्तों को स्थानांतरित नहीं कर सकते हैं।

एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस में कहा गया है कि आवारा कुत्तों को न तो सुनसान इलाकों में शिफ्ट किया जा सकता है और न ही शहर के बाहरी इलाकों में छोड़ा जा सकता है। भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के दिशा-निदेशरें के अनुसार, आवारा कुत्तों को पिकअप स्थानों से 100 मीटर के दायरे में छोड़ देना चाहिए।

जीएचएमसी ने नसबंदी की संख्या मौजूदा 150 से बढ़ाकर 400 प्रति दिन करने का फैसला किया है।

ग्रेटर हैदराबाद की मेयर गडवाल विजयलक्ष्मी ने कहा, हम समस्या के समाधान के लिए सभी आवश्यक उपाय कर रहे हैं।

उन्होंने शहर में आवारा कुत्तों के खतरे का समाधान खोजने के लिए एक सर्वदलीय समिति की भी घोषणा की है। पैनल में प्रत्येक राजनीतिक दल के दो नगरसेवक होंगे।

विशेषज्ञों का कहना है कि सड़कों पर कूड़ा फेंकना और खुले स्थानों और होटलों, फंक्शन हॉल, चिकन और मटन की दुकानों पर कूड़ा फेंकना आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी का सबसे बड़ा कारण है।

नगर निगम के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे जीएचएमसी सीमा के भीतर होटल, रेस्तरां, समारोह हॉल, चिकन और मटन आउटलेट को सड़कों पर डंपिंग कचरे से प्रतिबंधित करें।

अधिकारियों को सड़कों पर कूड़ा फेंकने वाले प्रतिष्ठानों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया है, क्योंकि इससे आवारा कुत्तों आकर्षित होते हैं।

नगरपालिका प्रशासन के सचिव अरविंद कुमार ने जीएचएमसी के अधिकारियों को निर्देश दिया कि एबीसी (पशु जन्म नियंत्रण) नसबंदी ऑपरेशन तुरंत किया जाना चाहिए।

स्लम डेवलपमेंट फेडरेशन, टाउन डेवलपमेंट के सहयोग से अधिकारियों को नियंत्रण उपाय करने की सलाह दी गई।

अधिकारियों को सलाह दी गई कि वे शहर और पड़ोसी नगरपालिकाओं की सीमा के भीतर स्लम डेवलपमेंट फेडरेशन, टाउन डेवलपमेंट फेडरेशन और रेजिडेंट कॉलोनी वेलफेयर एसोसिएशन की मदद से नियंत्रण के उपाय करें। राज्य में अन्य नगर पालिकाओं में स्वयं सहायता समूहों की सहायता से नियंत्रण उपाय किए जाएंगे।

उन्होंने अधिकारियों को शहर और आसपास की नगर पालिकाओं में पालतू जानवरों के पंजीकरण के लिए एक अलग मोबाइल ऐप तैयार करने की सलाह दी। पंजीकरण के अनुसार संबंधित स्वामियों को पहचान पत्र जारी किए जाएंगे।

हैदराबाद में हाल ही में हुई एक घटना के मद्देनजर इसका महत्व बढ़ गया, जिसमें एक 23 वर्षीय फूड डिलीवरी ब्वॉय एक इमारत की तीसरी मंजिल से डर के मारे कूद गया, जब एक पालतू कुत्ते ने उस पर हमला किया।

चार दिन तक जिंदगी-मौत से जूझने के बाद मोहम्मद रिजवान (23) ने अंतिम सांस ली। फूड डिलीवरी ऐप स्विगी के लिए काम कर रहा रिजवान 11 जनवरी को बंजारा हिल्स में एक अपॉर्टमेंट बिल्डिंग में पार्सल देने गया था।

जब उसने फ्लैट का दरवाजा खटखटाया तो एक जर्मन शेफर्ड उसकी तरफ लपका। रिजवान ने खुद को बचाने की कोशिश करते हुए तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी और गंभीर रूप से घायल हो गया।

मृतक के परिजनों ने कहा कि पालतू कुत्ते के मालिक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

–आईएएनएस

सीबीटी

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हैदराबाद, 5 मार्च (आईएएनएस)। हैदराबाद में चार साल के एक बच्चे को आवारा कुत्तों के झुंड द्वारा नोच-नोच कर मार डाले जाने की भयानक तस्वीरें नागरिकों को लंबे समय तक परेशान करती रहेंगी।

इस घटना ने सार्वजनिक आक्रोश पैदा कर दिया। कुत्तों के खतरों के प्रति बहस शुरू हो गई।

न केवल हैदराबाद में, बल्कि राज्य के अन्य शहरी क्षेत्रों में भी आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए नगरपालिका के अधिकारियों ने नए दिशा-निर्देश जारी किए।

एक सप्ताह में राज्य के विभिन्न हिस्सों से कुत्तों के काटने की कई घटनाएं सामने आई हैं।

19 फरवरी को प्रदीप की मौत हैदराबाद में एक साल से भी कम समय में इस तरह की दूसरी घटना थी।

अप्रैल 2022 में गोलकुंडा के बड़ा बाजार इलाके में आवारा कुत्तों ने दो साल के एक बच्चे को नोच-नोच कर मार डाला था। घर के बाहर खेल रहे बालक अनस अहमद पर कुत्तों के एक झुंड ने हमला कर दिया और उसे घसीटते हुए निकटवर्ती सैन्य क्षेत्र में ले गए। हमले में मासूम गंभीर रूप से घायल हो गया और अस्पताल ले जाने से पहले ही उसकी मौत हो गई।

असहाय बच्चे पर हमला करने और कुत्तों द्वारा झाड़ियों में खींचे जाने के सीसीटीवी दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

इस घटना से इलाके में लोगों का आक्रोश फैल गया था। घटना के तत्काल बाद कुत्ता पकड़ने वाली टीमों को लगाया गया। लेकिन घटना के कुछ दिनों के भीतर ही समस्या को भुला दिया गया।

एक और मासूम की मौत ने नगर निगम के अधिकारियों की नींद उड़ा दी। इस बार ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) ने खतरे से निपटने को कुछ उपायों की घोषणा की।

नवीनतम घटना पर मीडिया रिपोटरें का संज्ञान लेते हुए, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका दायर की।

मुख्य न्यायाधीश उज्जल भुइयां की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने लड़के की मौत के लिए जीएचएमसी की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया और पूछा कि आवारा कुत्तों के हमलों की घटनाओं को कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

अदालत ने जीएचएमसी से यह बताने को कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाएगी कि ऐसी घटना दोबारा न हो।

तेलंगाना में 2022 में कुत्ते के काटने के 80,281 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2021 में 24,000 से बहुत अधिक थे। हालांकि, नगरपालिका के अधिकारियों का कहना है कि तुलना गलत होगी, क्योंकि 2021 एक महामारी वर्ष था, जब पशु-मानव संघर्ष कम था।

अधिकारियों के मुताबिक, 2019 में डॉग बाइट के 1.6 लाख मामले दर्ज किए गए थे और कोविड से पहले के वर्षों की तुलना में मामलों में 50 फीसदी की कमी आई है। कुत्तों के काटने के मामले में तेलंगाना देश में आठवें स्थान पर है।

ताजा घटना के बाद जीएचएमसी के अधिकारियों ने बताया कि तेलंगाना की राजधानी में 5.50 लाख आवारा कुत्ते हैं। अधिकारियों के मुताबिक, 2011 में यह आंकड़ा 8.50 लाख था, लेकिन पशु जन्म नियंत्रण-सह-एंटी रेबीज (एबीसी-एआर) कार्यक्रम के सफल होने से उनकी आबादी कम हो गई।

अधिकारियों ने कहा कि एबीसी कार्यक्रम के तहत 65 प्रतिशत आवारा कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है। चार साल की बच्ची की जघन्य मौत के बाद नगर निगम के अधिकारियों ने 100 फीसदी नसबंदी के आदेश दिए हैं।

बच्चे की मौत से नागरिकों ने आवारा कुत्तों को उनके क्षेत्रों से स्थानांतरित करने की मांग की। लेकिन जीएचएमसी के अधिकारी दुविधा में फंस गए हैं, क्योंकि वे एबीसी-एआर की प्रक्रिया के बाद भी आवारा कुत्तों को स्थानांतरित नहीं कर सकते हैं।

एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस में कहा गया है कि आवारा कुत्तों को न तो सुनसान इलाकों में शिफ्ट किया जा सकता है और न ही शहर के बाहरी इलाकों में छोड़ा जा सकता है। भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के दिशा-निदेशरें के अनुसार, आवारा कुत्तों को पिकअप स्थानों से 100 मीटर के दायरे में छोड़ देना चाहिए।

जीएचएमसी ने नसबंदी की संख्या मौजूदा 150 से बढ़ाकर 400 प्रति दिन करने का फैसला किया है।

ग्रेटर हैदराबाद की मेयर गडवाल विजयलक्ष्मी ने कहा, हम समस्या के समाधान के लिए सभी आवश्यक उपाय कर रहे हैं।

उन्होंने शहर में आवारा कुत्तों के खतरे का समाधान खोजने के लिए एक सर्वदलीय समिति की भी घोषणा की है। पैनल में प्रत्येक राजनीतिक दल के दो नगरसेवक होंगे।

विशेषज्ञों का कहना है कि सड़कों पर कूड़ा फेंकना और खुले स्थानों और होटलों, फंक्शन हॉल, चिकन और मटन की दुकानों पर कूड़ा फेंकना आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी का सबसे बड़ा कारण है।

नगर निगम के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे जीएचएमसी सीमा के भीतर होटल, रेस्तरां, समारोह हॉल, चिकन और मटन आउटलेट को सड़कों पर डंपिंग कचरे से प्रतिबंधित करें।

अधिकारियों को सड़कों पर कूड़ा फेंकने वाले प्रतिष्ठानों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया है, क्योंकि इससे आवारा कुत्तों आकर्षित होते हैं।

नगरपालिका प्रशासन के सचिव अरविंद कुमार ने जीएचएमसी के अधिकारियों को निर्देश दिया कि एबीसी (पशु जन्म नियंत्रण) नसबंदी ऑपरेशन तुरंत किया जाना चाहिए।

स्लम डेवलपमेंट फेडरेशन, टाउन डेवलपमेंट के सहयोग से अधिकारियों को नियंत्रण उपाय करने की सलाह दी गई।

अधिकारियों को सलाह दी गई कि वे शहर और पड़ोसी नगरपालिकाओं की सीमा के भीतर स्लम डेवलपमेंट फेडरेशन, टाउन डेवलपमेंट फेडरेशन और रेजिडेंट कॉलोनी वेलफेयर एसोसिएशन की मदद से नियंत्रण के उपाय करें। राज्य में अन्य नगर पालिकाओं में स्वयं सहायता समूहों की सहायता से नियंत्रण उपाय किए जाएंगे।

उन्होंने अधिकारियों को शहर और आसपास की नगर पालिकाओं में पालतू जानवरों के पंजीकरण के लिए एक अलग मोबाइल ऐप तैयार करने की सलाह दी। पंजीकरण के अनुसार संबंधित स्वामियों को पहचान पत्र जारी किए जाएंगे।

हैदराबाद में हाल ही में हुई एक घटना के मद्देनजर इसका महत्व बढ़ गया, जिसमें एक 23 वर्षीय फूड डिलीवरी ब्वॉय एक इमारत की तीसरी मंजिल से डर के मारे कूद गया, जब एक पालतू कुत्ते ने उस पर हमला किया।

चार दिन तक जिंदगी-मौत से जूझने के बाद मोहम्मद रिजवान (23) ने अंतिम सांस ली। फूड डिलीवरी ऐप स्विगी के लिए काम कर रहा रिजवान 11 जनवरी को बंजारा हिल्स में एक अपॉर्टमेंट बिल्डिंग में पार्सल देने गया था।

जब उसने फ्लैट का दरवाजा खटखटाया तो एक जर्मन शेफर्ड उसकी तरफ लपका। रिजवान ने खुद को बचाने की कोशिश करते हुए तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी और गंभीर रूप से घायल हो गया।

मृतक के परिजनों ने कहा कि पालतू कुत्ते के मालिक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

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हैदराबाद, 5 मार्च (आईएएनएस)। हैदराबाद में चार साल के एक बच्चे को आवारा कुत्तों के झुंड द्वारा नोच-नोच कर मार डाले जाने की भयानक तस्वीरें नागरिकों को लंबे समय तक परेशान करती रहेंगी।

इस घटना ने सार्वजनिक आक्रोश पैदा कर दिया। कुत्तों के खतरों के प्रति बहस शुरू हो गई।

न केवल हैदराबाद में, बल्कि राज्य के अन्य शहरी क्षेत्रों में भी आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए नगरपालिका के अधिकारियों ने नए दिशा-निर्देश जारी किए।

एक सप्ताह में राज्य के विभिन्न हिस्सों से कुत्तों के काटने की कई घटनाएं सामने आई हैं।

19 फरवरी को प्रदीप की मौत हैदराबाद में एक साल से भी कम समय में इस तरह की दूसरी घटना थी।

अप्रैल 2022 में गोलकुंडा के बड़ा बाजार इलाके में आवारा कुत्तों ने दो साल के एक बच्चे को नोच-नोच कर मार डाला था। घर के बाहर खेल रहे बालक अनस अहमद पर कुत्तों के एक झुंड ने हमला कर दिया और उसे घसीटते हुए निकटवर्ती सैन्य क्षेत्र में ले गए। हमले में मासूम गंभीर रूप से घायल हो गया और अस्पताल ले जाने से पहले ही उसकी मौत हो गई।

असहाय बच्चे पर हमला करने और कुत्तों द्वारा झाड़ियों में खींचे जाने के सीसीटीवी दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

इस घटना से इलाके में लोगों का आक्रोश फैल गया था। घटना के तत्काल बाद कुत्ता पकड़ने वाली टीमों को लगाया गया। लेकिन घटना के कुछ दिनों के भीतर ही समस्या को भुला दिया गया।

एक और मासूम की मौत ने नगर निगम के अधिकारियों की नींद उड़ा दी। इस बार ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) ने खतरे से निपटने को कुछ उपायों की घोषणा की।

नवीनतम घटना पर मीडिया रिपोटरें का संज्ञान लेते हुए, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका दायर की।

मुख्य न्यायाधीश उज्जल भुइयां की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने लड़के की मौत के लिए जीएचएमसी की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया और पूछा कि आवारा कुत्तों के हमलों की घटनाओं को कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

अदालत ने जीएचएमसी से यह बताने को कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाएगी कि ऐसी घटना दोबारा न हो।

तेलंगाना में 2022 में कुत्ते के काटने के 80,281 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2021 में 24,000 से बहुत अधिक थे। हालांकि, नगरपालिका के अधिकारियों का कहना है कि तुलना गलत होगी, क्योंकि 2021 एक महामारी वर्ष था, जब पशु-मानव संघर्ष कम था।

अधिकारियों के मुताबिक, 2019 में डॉग बाइट के 1.6 लाख मामले दर्ज किए गए थे और कोविड से पहले के वर्षों की तुलना में मामलों में 50 फीसदी की कमी आई है। कुत्तों के काटने के मामले में तेलंगाना देश में आठवें स्थान पर है।

ताजा घटना के बाद जीएचएमसी के अधिकारियों ने बताया कि तेलंगाना की राजधानी में 5.50 लाख आवारा कुत्ते हैं। अधिकारियों के मुताबिक, 2011 में यह आंकड़ा 8.50 लाख था, लेकिन पशु जन्म नियंत्रण-सह-एंटी रेबीज (एबीसी-एआर) कार्यक्रम के सफल होने से उनकी आबादी कम हो गई।

अधिकारियों ने कहा कि एबीसी कार्यक्रम के तहत 65 प्रतिशत आवारा कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है। चार साल की बच्ची की जघन्य मौत के बाद नगर निगम के अधिकारियों ने 100 फीसदी नसबंदी के आदेश दिए हैं।

बच्चे की मौत से नागरिकों ने आवारा कुत्तों को उनके क्षेत्रों से स्थानांतरित करने की मांग की। लेकिन जीएचएमसी के अधिकारी दुविधा में फंस गए हैं, क्योंकि वे एबीसी-एआर की प्रक्रिया के बाद भी आवारा कुत्तों को स्थानांतरित नहीं कर सकते हैं।

एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस में कहा गया है कि आवारा कुत्तों को न तो सुनसान इलाकों में शिफ्ट किया जा सकता है और न ही शहर के बाहरी इलाकों में छोड़ा जा सकता है। भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के दिशा-निदेशरें के अनुसार, आवारा कुत्तों को पिकअप स्थानों से 100 मीटर के दायरे में छोड़ देना चाहिए।

जीएचएमसी ने नसबंदी की संख्या मौजूदा 150 से बढ़ाकर 400 प्रति दिन करने का फैसला किया है।

ग्रेटर हैदराबाद की मेयर गडवाल विजयलक्ष्मी ने कहा, हम समस्या के समाधान के लिए सभी आवश्यक उपाय कर रहे हैं।

उन्होंने शहर में आवारा कुत्तों के खतरे का समाधान खोजने के लिए एक सर्वदलीय समिति की भी घोषणा की है। पैनल में प्रत्येक राजनीतिक दल के दो नगरसेवक होंगे।

विशेषज्ञों का कहना है कि सड़कों पर कूड़ा फेंकना और खुले स्थानों और होटलों, फंक्शन हॉल, चिकन और मटन की दुकानों पर कूड़ा फेंकना आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी का सबसे बड़ा कारण है।

नगर निगम के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे जीएचएमसी सीमा के भीतर होटल, रेस्तरां, समारोह हॉल, चिकन और मटन आउटलेट को सड़कों पर डंपिंग कचरे से प्रतिबंधित करें।

अधिकारियों को सड़कों पर कूड़ा फेंकने वाले प्रतिष्ठानों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया है, क्योंकि इससे आवारा कुत्तों आकर्षित होते हैं।

नगरपालिका प्रशासन के सचिव अरविंद कुमार ने जीएचएमसी के अधिकारियों को निर्देश दिया कि एबीसी (पशु जन्म नियंत्रण) नसबंदी ऑपरेशन तुरंत किया जाना चाहिए।

स्लम डेवलपमेंट फेडरेशन, टाउन डेवलपमेंट के सहयोग से अधिकारियों को नियंत्रण उपाय करने की सलाह दी गई।

अधिकारियों को सलाह दी गई कि वे शहर और पड़ोसी नगरपालिकाओं की सीमा के भीतर स्लम डेवलपमेंट फेडरेशन, टाउन डेवलपमेंट फेडरेशन और रेजिडेंट कॉलोनी वेलफेयर एसोसिएशन की मदद से नियंत्रण के उपाय करें। राज्य में अन्य नगर पालिकाओं में स्वयं सहायता समूहों की सहायता से नियंत्रण उपाय किए जाएंगे।

उन्होंने अधिकारियों को शहर और आसपास की नगर पालिकाओं में पालतू जानवरों के पंजीकरण के लिए एक अलग मोबाइल ऐप तैयार करने की सलाह दी। पंजीकरण के अनुसार संबंधित स्वामियों को पहचान पत्र जारी किए जाएंगे।

हैदराबाद में हाल ही में हुई एक घटना के मद्देनजर इसका महत्व बढ़ गया, जिसमें एक 23 वर्षीय फूड डिलीवरी ब्वॉय एक इमारत की तीसरी मंजिल से डर के मारे कूद गया, जब एक पालतू कुत्ते ने उस पर हमला किया।

चार दिन तक जिंदगी-मौत से जूझने के बाद मोहम्मद रिजवान (23) ने अंतिम सांस ली। फूड डिलीवरी ऐप स्विगी के लिए काम कर रहा रिजवान 11 जनवरी को बंजारा हिल्स में एक अपॉर्टमेंट बिल्डिंग में पार्सल देने गया था।

जब उसने फ्लैट का दरवाजा खटखटाया तो एक जर्मन शेफर्ड उसकी तरफ लपका। रिजवान ने खुद को बचाने की कोशिश करते हुए तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी और गंभीर रूप से घायल हो गया।

मृतक के परिजनों ने कहा कि पालतू कुत्ते के मालिक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

–आईएएनएस

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इस घटना ने सार्वजनिक आक्रोश पैदा कर दिया। कुत्तों के खतरों के प्रति बहस शुरू हो गई।

न केवल हैदराबाद में, बल्कि राज्य के अन्य शहरी क्षेत्रों में भी आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए नगरपालिका के अधिकारियों ने नए दिशा-निर्देश जारी किए।

एक सप्ताह में राज्य के विभिन्न हिस्सों से कुत्तों के काटने की कई घटनाएं सामने आई हैं।

19 फरवरी को प्रदीप की मौत हैदराबाद में एक साल से भी कम समय में इस तरह की दूसरी घटना थी।

अप्रैल 2022 में गोलकुंडा के बड़ा बाजार इलाके में आवारा कुत्तों ने दो साल के एक बच्चे को नोच-नोच कर मार डाला था। घर के बाहर खेल रहे बालक अनस अहमद पर कुत्तों के एक झुंड ने हमला कर दिया और उसे घसीटते हुए निकटवर्ती सैन्य क्षेत्र में ले गए। हमले में मासूम गंभीर रूप से घायल हो गया और अस्पताल ले जाने से पहले ही उसकी मौत हो गई।

असहाय बच्चे पर हमला करने और कुत्तों द्वारा झाड़ियों में खींचे जाने के सीसीटीवी दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

इस घटना से इलाके में लोगों का आक्रोश फैल गया था। घटना के तत्काल बाद कुत्ता पकड़ने वाली टीमों को लगाया गया। लेकिन घटना के कुछ दिनों के भीतर ही समस्या को भुला दिया गया।

एक और मासूम की मौत ने नगर निगम के अधिकारियों की नींद उड़ा दी। इस बार ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) ने खतरे से निपटने को कुछ उपायों की घोषणा की।

नवीनतम घटना पर मीडिया रिपोटरें का संज्ञान लेते हुए, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका दायर की।

मुख्य न्यायाधीश उज्जल भुइयां की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने लड़के की मौत के लिए जीएचएमसी की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया और पूछा कि आवारा कुत्तों के हमलों की घटनाओं को कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

अदालत ने जीएचएमसी से यह बताने को कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाएगी कि ऐसी घटना दोबारा न हो।

तेलंगाना में 2022 में कुत्ते के काटने के 80,281 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2021 में 24,000 से बहुत अधिक थे। हालांकि, नगरपालिका के अधिकारियों का कहना है कि तुलना गलत होगी, क्योंकि 2021 एक महामारी वर्ष था, जब पशु-मानव संघर्ष कम था।

अधिकारियों के मुताबिक, 2019 में डॉग बाइट के 1.6 लाख मामले दर्ज किए गए थे और कोविड से पहले के वर्षों की तुलना में मामलों में 50 फीसदी की कमी आई है। कुत्तों के काटने के मामले में तेलंगाना देश में आठवें स्थान पर है।

ताजा घटना के बाद जीएचएमसी के अधिकारियों ने बताया कि तेलंगाना की राजधानी में 5.50 लाख आवारा कुत्ते हैं। अधिकारियों के मुताबिक, 2011 में यह आंकड़ा 8.50 लाख था, लेकिन पशु जन्म नियंत्रण-सह-एंटी रेबीज (एबीसी-एआर) कार्यक्रम के सफल होने से उनकी आबादी कम हो गई।

अधिकारियों ने कहा कि एबीसी कार्यक्रम के तहत 65 प्रतिशत आवारा कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है। चार साल की बच्ची की जघन्य मौत के बाद नगर निगम के अधिकारियों ने 100 फीसदी नसबंदी के आदेश दिए हैं।

बच्चे की मौत से नागरिकों ने आवारा कुत्तों को उनके क्षेत्रों से स्थानांतरित करने की मांग की। लेकिन जीएचएमसी के अधिकारी दुविधा में फंस गए हैं, क्योंकि वे एबीसी-एआर की प्रक्रिया के बाद भी आवारा कुत्तों को स्थानांतरित नहीं कर सकते हैं।

एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस में कहा गया है कि आवारा कुत्तों को न तो सुनसान इलाकों में शिफ्ट किया जा सकता है और न ही शहर के बाहरी इलाकों में छोड़ा जा सकता है। भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के दिशा-निदेशरें के अनुसार, आवारा कुत्तों को पिकअप स्थानों से 100 मीटर के दायरे में छोड़ देना चाहिए।

जीएचएमसी ने नसबंदी की संख्या मौजूदा 150 से बढ़ाकर 400 प्रति दिन करने का फैसला किया है।

ग्रेटर हैदराबाद की मेयर गडवाल विजयलक्ष्मी ने कहा, हम समस्या के समाधान के लिए सभी आवश्यक उपाय कर रहे हैं।

उन्होंने शहर में आवारा कुत्तों के खतरे का समाधान खोजने के लिए एक सर्वदलीय समिति की भी घोषणा की है। पैनल में प्रत्येक राजनीतिक दल के दो नगरसेवक होंगे।

विशेषज्ञों का कहना है कि सड़कों पर कूड़ा फेंकना और खुले स्थानों और होटलों, फंक्शन हॉल, चिकन और मटन की दुकानों पर कूड़ा फेंकना आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी का सबसे बड़ा कारण है।

नगर निगम के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे जीएचएमसी सीमा के भीतर होटल, रेस्तरां, समारोह हॉल, चिकन और मटन आउटलेट को सड़कों पर डंपिंग कचरे से प्रतिबंधित करें।

अधिकारियों को सड़कों पर कूड़ा फेंकने वाले प्रतिष्ठानों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया है, क्योंकि इससे आवारा कुत्तों आकर्षित होते हैं।

नगरपालिका प्रशासन के सचिव अरविंद कुमार ने जीएचएमसी के अधिकारियों को निर्देश दिया कि एबीसी (पशु जन्म नियंत्रण) नसबंदी ऑपरेशन तुरंत किया जाना चाहिए।

स्लम डेवलपमेंट फेडरेशन, टाउन डेवलपमेंट के सहयोग से अधिकारियों को नियंत्रण उपाय करने की सलाह दी गई।

अधिकारियों को सलाह दी गई कि वे शहर और पड़ोसी नगरपालिकाओं की सीमा के भीतर स्लम डेवलपमेंट फेडरेशन, टाउन डेवलपमेंट फेडरेशन और रेजिडेंट कॉलोनी वेलफेयर एसोसिएशन की मदद से नियंत्रण के उपाय करें। राज्य में अन्य नगर पालिकाओं में स्वयं सहायता समूहों की सहायता से नियंत्रण उपाय किए जाएंगे।

उन्होंने अधिकारियों को शहर और आसपास की नगर पालिकाओं में पालतू जानवरों के पंजीकरण के लिए एक अलग मोबाइल ऐप तैयार करने की सलाह दी। पंजीकरण के अनुसार संबंधित स्वामियों को पहचान पत्र जारी किए जाएंगे।

हैदराबाद में हाल ही में हुई एक घटना के मद्देनजर इसका महत्व बढ़ गया, जिसमें एक 23 वर्षीय फूड डिलीवरी ब्वॉय एक इमारत की तीसरी मंजिल से डर के मारे कूद गया, जब एक पालतू कुत्ते ने उस पर हमला किया।

चार दिन तक जिंदगी-मौत से जूझने के बाद मोहम्मद रिजवान (23) ने अंतिम सांस ली। फूड डिलीवरी ऐप स्विगी के लिए काम कर रहा रिजवान 11 जनवरी को बंजारा हिल्स में एक अपॉर्टमेंट बिल्डिंग में पार्सल देने गया था।

जब उसने फ्लैट का दरवाजा खटखटाया तो एक जर्मन शेफर्ड उसकी तरफ लपका। रिजवान ने खुद को बचाने की कोशिश करते हुए तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी और गंभीर रूप से घायल हो गया।

मृतक के परिजनों ने कहा कि पालतू कुत्ते के मालिक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

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इस घटना ने सार्वजनिक आक्रोश पैदा कर दिया। कुत्तों के खतरों के प्रति बहस शुरू हो गई।

न केवल हैदराबाद में, बल्कि राज्य के अन्य शहरी क्षेत्रों में भी आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए नगरपालिका के अधिकारियों ने नए दिशा-निर्देश जारी किए।

एक सप्ताह में राज्य के विभिन्न हिस्सों से कुत्तों के काटने की कई घटनाएं सामने आई हैं।

19 फरवरी को प्रदीप की मौत हैदराबाद में एक साल से भी कम समय में इस तरह की दूसरी घटना थी।

अप्रैल 2022 में गोलकुंडा के बड़ा बाजार इलाके में आवारा कुत्तों ने दो साल के एक बच्चे को नोच-नोच कर मार डाला था। घर के बाहर खेल रहे बालक अनस अहमद पर कुत्तों के एक झुंड ने हमला कर दिया और उसे घसीटते हुए निकटवर्ती सैन्य क्षेत्र में ले गए। हमले में मासूम गंभीर रूप से घायल हो गया और अस्पताल ले जाने से पहले ही उसकी मौत हो गई।

असहाय बच्चे पर हमला करने और कुत्तों द्वारा झाड़ियों में खींचे जाने के सीसीटीवी दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

इस घटना से इलाके में लोगों का आक्रोश फैल गया था। घटना के तत्काल बाद कुत्ता पकड़ने वाली टीमों को लगाया गया। लेकिन घटना के कुछ दिनों के भीतर ही समस्या को भुला दिया गया।

एक और मासूम की मौत ने नगर निगम के अधिकारियों की नींद उड़ा दी। इस बार ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) ने खतरे से निपटने को कुछ उपायों की घोषणा की।

नवीनतम घटना पर मीडिया रिपोटरें का संज्ञान लेते हुए, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका दायर की।

मुख्य न्यायाधीश उज्जल भुइयां की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने लड़के की मौत के लिए जीएचएमसी की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया और पूछा कि आवारा कुत्तों के हमलों की घटनाओं को कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

अदालत ने जीएचएमसी से यह बताने को कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाएगी कि ऐसी घटना दोबारा न हो।

तेलंगाना में 2022 में कुत्ते के काटने के 80,281 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2021 में 24,000 से बहुत अधिक थे। हालांकि, नगरपालिका के अधिकारियों का कहना है कि तुलना गलत होगी, क्योंकि 2021 एक महामारी वर्ष था, जब पशु-मानव संघर्ष कम था।

अधिकारियों के मुताबिक, 2019 में डॉग बाइट के 1.6 लाख मामले दर्ज किए गए थे और कोविड से पहले के वर्षों की तुलना में मामलों में 50 फीसदी की कमी आई है। कुत्तों के काटने के मामले में तेलंगाना देश में आठवें स्थान पर है।

ताजा घटना के बाद जीएचएमसी के अधिकारियों ने बताया कि तेलंगाना की राजधानी में 5.50 लाख आवारा कुत्ते हैं। अधिकारियों के मुताबिक, 2011 में यह आंकड़ा 8.50 लाख था, लेकिन पशु जन्म नियंत्रण-सह-एंटी रेबीज (एबीसी-एआर) कार्यक्रम के सफल होने से उनकी आबादी कम हो गई।

अधिकारियों ने कहा कि एबीसी कार्यक्रम के तहत 65 प्रतिशत आवारा कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है। चार साल की बच्ची की जघन्य मौत के बाद नगर निगम के अधिकारियों ने 100 फीसदी नसबंदी के आदेश दिए हैं।

बच्चे की मौत से नागरिकों ने आवारा कुत्तों को उनके क्षेत्रों से स्थानांतरित करने की मांग की। लेकिन जीएचएमसी के अधिकारी दुविधा में फंस गए हैं, क्योंकि वे एबीसी-एआर की प्रक्रिया के बाद भी आवारा कुत्तों को स्थानांतरित नहीं कर सकते हैं।

एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस में कहा गया है कि आवारा कुत्तों को न तो सुनसान इलाकों में शिफ्ट किया जा सकता है और न ही शहर के बाहरी इलाकों में छोड़ा जा सकता है। भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के दिशा-निदेशरें के अनुसार, आवारा कुत्तों को पिकअप स्थानों से 100 मीटर के दायरे में छोड़ देना चाहिए।

जीएचएमसी ने नसबंदी की संख्या मौजूदा 150 से बढ़ाकर 400 प्रति दिन करने का फैसला किया है।

ग्रेटर हैदराबाद की मेयर गडवाल विजयलक्ष्मी ने कहा, हम समस्या के समाधान के लिए सभी आवश्यक उपाय कर रहे हैं।

उन्होंने शहर में आवारा कुत्तों के खतरे का समाधान खोजने के लिए एक सर्वदलीय समिति की भी घोषणा की है। पैनल में प्रत्येक राजनीतिक दल के दो नगरसेवक होंगे।

विशेषज्ञों का कहना है कि सड़कों पर कूड़ा फेंकना और खुले स्थानों और होटलों, फंक्शन हॉल, चिकन और मटन की दुकानों पर कूड़ा फेंकना आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी का सबसे बड़ा कारण है।

नगर निगम के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे जीएचएमसी सीमा के भीतर होटल, रेस्तरां, समारोह हॉल, चिकन और मटन आउटलेट को सड़कों पर डंपिंग कचरे से प्रतिबंधित करें।

अधिकारियों को सड़कों पर कूड़ा फेंकने वाले प्रतिष्ठानों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया है, क्योंकि इससे आवारा कुत्तों आकर्षित होते हैं।

नगरपालिका प्रशासन के सचिव अरविंद कुमार ने जीएचएमसी के अधिकारियों को निर्देश दिया कि एबीसी (पशु जन्म नियंत्रण) नसबंदी ऑपरेशन तुरंत किया जाना चाहिए।

स्लम डेवलपमेंट फेडरेशन, टाउन डेवलपमेंट के सहयोग से अधिकारियों को नियंत्रण उपाय करने की सलाह दी गई।

अधिकारियों को सलाह दी गई कि वे शहर और पड़ोसी नगरपालिकाओं की सीमा के भीतर स्लम डेवलपमेंट फेडरेशन, टाउन डेवलपमेंट फेडरेशन और रेजिडेंट कॉलोनी वेलफेयर एसोसिएशन की मदद से नियंत्रण के उपाय करें। राज्य में अन्य नगर पालिकाओं में स्वयं सहायता समूहों की सहायता से नियंत्रण उपाय किए जाएंगे।

उन्होंने अधिकारियों को शहर और आसपास की नगर पालिकाओं में पालतू जानवरों के पंजीकरण के लिए एक अलग मोबाइल ऐप तैयार करने की सलाह दी। पंजीकरण के अनुसार संबंधित स्वामियों को पहचान पत्र जारी किए जाएंगे।

हैदराबाद में हाल ही में हुई एक घटना के मद्देनजर इसका महत्व बढ़ गया, जिसमें एक 23 वर्षीय फूड डिलीवरी ब्वॉय एक इमारत की तीसरी मंजिल से डर के मारे कूद गया, जब एक पालतू कुत्ते ने उस पर हमला किया।

चार दिन तक जिंदगी-मौत से जूझने के बाद मोहम्मद रिजवान (23) ने अंतिम सांस ली। फूड डिलीवरी ऐप स्विगी के लिए काम कर रहा रिजवान 11 जनवरी को बंजारा हिल्स में एक अपॉर्टमेंट बिल्डिंग में पार्सल देने गया था।

जब उसने फ्लैट का दरवाजा खटखटाया तो एक जर्मन शेफर्ड उसकी तरफ लपका। रिजवान ने खुद को बचाने की कोशिश करते हुए तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी और गंभीर रूप से घायल हो गया।

मृतक के परिजनों ने कहा कि पालतू कुत्ते के मालिक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

–आईएएनएस

सीबीटी

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