अगरतला/शिलॉन्ग, 5 फरवरी (आईएएनएस)। पूर्वोत्तर के तीन राज्यों- त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय बजट 2023 को लेकर राजनीतिक दल बंटे हुए हैं, जबकि व्यापार और उद्योग निकायों का अनुमान है कि इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र को काफी फायदा होगा।
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की पूर्वोत्तर सलाहकार परिषद, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की नॉर्थ ईस्ट काउंसिल, फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स ऑफ नॉर्थ ईस्टर्न रीजन (एफआईएनईआर) और अन्य संगठनों ने बजट की सराहना की है, लेकिन राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया भिन्न है।
भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने बजट को विकासोन्मुखी और जन-समर्थक बताया है, जबकि कांग्रेस और वाम दलों सहित विपक्षी दलों ने कहा कि लोग चुनाव में अपनी राय बताएंगे।
माकपा नेता नारायण कार ने कहा कि ऐसे समय में जब बेरोजगारी की दर ऐतिहासिक ऊंचाई पर है, बजट मनरेगा आवंटन में 33 प्रतिशत की कमी करता है।
उन्होंने कहा, पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बजट में कोई विशेष आवंटन नहीं है। मूल्य वृद्धि को रोकने और पूर्वोत्तर के विकास को बढ़ावा देने के लिए कोई विशेष योजना नहीं है। उन्होंने दावा किया कि बजट में केवल कुछ अवास्तविक वादे किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान वे लोगों को केंद्रीय बजट के हानिकारक पक्षों से अवगत कराएंगे।
कांग्रेस नेता बिरजीत सिन्हा ने कहा कि बजट ने पूर्वोत्तर क्षेत्र को वंचित कर दिया और भाजपा सरकार लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए हमेशा खोखले वादे कर रही है।
हालांकि, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि बजट वंचित और निम्न मध्यम वर्ग की सहायता करेगा। भाजपा नेता और त्रिपुरा के उपमुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा ने कहा कि बजट कृषि, पर्यटन, कनेक्टिविटी, बुनियादी ढांचे के अलावा रोजगार सृजन को बढ़ावा देगा।
देव वर्मा ने कहा, केंद्रीय बजट में रेलवे के लिए 2.40 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड आवंटन पूर्वोत्तर क्षेत्र में रेलवे के बुनियादी ढांचे को गति देने में मदद करेगा। क्षेत्र में रेलवे के बुनियादी ढांचे के विकास से पर्यटन, कृषि और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।
केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डीओएनईआर) मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा पूर्वोत्तर के लिए आवंटन 30 प्रतिशत बढ़ाकर 72,540 करोड़ रुपये से 94,680 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
जहां डीओएनईआर मंत्रालय का बजट 2022-23 में 2,800.44 करोड़ रुपये से बढ़कर 5,892 करोड़ रुपये हो गया है, वहीं पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री की विकास पहल का आवंटन 400 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,200 करोड़ रुपये हो गया है।
क्षेत्रीय हवाई संपर्क में सुधार के लिए बजट में 50 अतिरिक्त हवाईअड्डों, हेलीपोर्ट, वाटर एयरोड्रोम और एडवांस लैंडिंग ग्राउंड के लिए धन आवंटित किया गया है। यह 22 हवाईअड्डों को पुनर्जीवित करने और 100 आरसीएस मार्गों को शुरू करने और व्यवहार्यता अंतराल वित्त पोषण का प्रस्ताव करता है। हवाई संपर्क और विमानन बुनियादी ढांचे के लिए भी एक नई योजना तैयार की गई है।
राजनीतिक पंडितों ने कहा कि हालांकि बजट में कई मुद्दे हैं, लेकिन कांग्रेस सहित विपक्षी दल चुनाव प्रचार के दौरान लोगों तक इसे पहुंचाने में असमर्थ हैं, क्योंकि उनके पास तीन चुनावी राज्यों में आवश्यक कौशल और संगठनात्मक आधार नहीं है।
प्रमुख अर्थशास्त्री प्रशांत बरुआ ने कहा कि हालांकि बजट में कुछ अच्छे प्रस्ताव हैं, लेकिन रोजगार और सूक्ष्म और मध्यम उद्योगों के निर्माण के लिए कोई विशेष योजना नहीं है।
बरुआ ने आईएएनएस को बताया, सरकार को विभिन्न क्षेत्रों में कौशल के उन्नयन के लिए कुछ योजनाओं और परियोजनाओं को शुरू करना चाहिए। बांस, रबर, फल, औषधीय पौधों, विभिन्न वन उत्पादों, लघु और मध्यम उद्योगों जैसे संसाधनों का उपयोग करके शोषण के दोहरे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पूर्वोत्तर में स्थापित किया जाना चाहिए।
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के पूर्वोत्तर चैप्टर ने आसियान क्षेत्र सहित पड़ोसी देशों से व्यापार और निवेश को आकर्षित करने के लिए क्षेत्र में गुजरात के गिफ्ट सिटी जैसे औद्योगिक क्षेत्र का सुझाव दिया है।
फिक्की पूर्वोत्तर सलाहकार परिषद के अध्यक्ष रंजीत बारठाकुर ने कहा, इससे भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी को काफी बढ़ावा मिलेगा।
उत्तर पूर्वी क्षेत्र के उद्योग और वाणिज्य संघ ने केंद्रीय बजट को कोई शिकायत नहीं बजट करार दिया और कहा कि यह पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए काफी हद तक फायदेमंद था।
एफआईएनईआर के पूर्व अध्यक्ष और विश्लेषक आर.एस. जोशी ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों को बेहतर जीवन प्रदान करने के उद्देश्य से बुनियादी ढांचे और सामाजिक-आर्थिक परियोजनाओं के वित्तपोषण में बजट बहुत उदार है।
सीआईआई ईस्ट काउंसिल के अध्यक्ष प्रदीप बागला ने कहा कि कृषि क्षेत्र में, विशेष रूप से बाजरा के लिए गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री उपलब्ध कराकर, कृषि स्टार्ट-अप को समर्थन देने के लिए एक कृषि-त्वरक कोष, नवीन समाधानों के साथ युवा उद्यमियों को स्टार्ट-अप को लाभान्वित और प्रोत्साहित करेगा, पूर्वोत्तर में उद्यमी और किसान।
सीआईआई नॉर्थ ईस्ट काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष अभिजीत बरूआ ने कहा कि 2014 से लॉन्च किए गए 157 मेडिकल कॉलेजों के साथ को-लोकेशन में 157 नए नसिर्ंग कॉलेज स्थापित करने की घोषणा भी भारत को जनसांख्यिकीय लाभांश प्राप्त करने में सक्षम बनाएगी।
उन्होंने कहा था कि भारतीय नर्सें, विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों से, दुनिया भर में मांग में हैं और क्षेत्र में ऐसे कुछ कॉलेजों की पहचान से क्षेत्र को लाभ होगा।
बरूआ ने यह भी कहा कि कच्चे माल की खरीद और कौशल विकास में सहायता के मामले में स्वयं सहायता समूहों का उन्नयन पूर्वोत्तर अर्थव्यवस्था को मजबूत लाभांश प्रदान करेगा।
–आईएएनएस
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