नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। बाजार भू-राजनीतिक तनाव से ज्यादा आर्थिक प्रतिकूल परिस्थितियों पर प्रतिक्रिया करता है। अमेरिकी बांड यील्ड में निरंतर वृद्धि वैश्विक बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। ये बात जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कही है।
उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड के 4.95 प्रतिशत पर पहुंचने को झेलने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए, यील्ड में यह अप्रत्याशित वृद्धि इक्विटी बाजारों पर अपना असर डालेगी।
उन्होंने कहा, यह समझना महत्वपूर्ण है कि बांड यील्ड में बढ़ोतरी केवल मौद्रिक कारकों से नहीं है, इसके अन्य कारण भी हैं। अमेरिका में उच्च राजकोषीय घाटा इसमें योगदान दे रहा है। इसलिए, राजकोषीय और मौद्रिक कारकों का यह संयोजन बांड यील्ड को बढ़ा रहा है, जो इक्विटी बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा करेगा।
एफपीआई बिकवाली जारी रखेंगे, जिसका असर बाजार पर पड़ेगा। उन्होंने कहा, हालांकि वित्तीय स्थिति बुनियादी तौर पर मजबूत है, लेकिन अधिक बिकवाली दबाव का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि एफपीआई के एयूएम का बड़ा हिस्सा वित्तीय, खासकर अग्रणी बैंकों में है।
लंबी अवधि के निवेशक एफपीआई की बिक्री के कारण बैंकिंग शेयरों में गिरावट का फायदा उठा सकते हैं। यह खंड अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और मूल्यांकन उचित, यहां तक कि आकर्षक भी है।
गुरुवार को बीएसई सेंसेक्स 334 अंक गिरकर 65,542 अंक पर है। विप्रो में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।
–आईएएनएस
एसकेपी
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नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। बाजार भू-राजनीतिक तनाव से ज्यादा आर्थिक प्रतिकूल परिस्थितियों पर प्रतिक्रिया करता है। अमेरिकी बांड यील्ड में निरंतर वृद्धि वैश्विक बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। ये बात जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कही है।
उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड के 4.95 प्रतिशत पर पहुंचने को झेलने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए, यील्ड में यह अप्रत्याशित वृद्धि इक्विटी बाजारों पर अपना असर डालेगी।
उन्होंने कहा, यह समझना महत्वपूर्ण है कि बांड यील्ड में बढ़ोतरी केवल मौद्रिक कारकों से नहीं है, इसके अन्य कारण भी हैं। अमेरिका में उच्च राजकोषीय घाटा इसमें योगदान दे रहा है। इसलिए, राजकोषीय और मौद्रिक कारकों का यह संयोजन बांड यील्ड को बढ़ा रहा है, जो इक्विटी बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा करेगा।
एफपीआई बिकवाली जारी रखेंगे, जिसका असर बाजार पर पड़ेगा। उन्होंने कहा, हालांकि वित्तीय स्थिति बुनियादी तौर पर मजबूत है, लेकिन अधिक बिकवाली दबाव का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि एफपीआई के एयूएम का बड़ा हिस्सा वित्तीय, खासकर अग्रणी बैंकों में है।
लंबी अवधि के निवेशक एफपीआई की बिक्री के कारण बैंकिंग शेयरों में गिरावट का फायदा उठा सकते हैं। यह खंड अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और मूल्यांकन उचित, यहां तक कि आकर्षक भी है।
गुरुवार को बीएसई सेंसेक्स 334 अंक गिरकर 65,542 अंक पर है। विप्रो में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।
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नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। बाजार भू-राजनीतिक तनाव से ज्यादा आर्थिक प्रतिकूल परिस्थितियों पर प्रतिक्रिया करता है। अमेरिकी बांड यील्ड में निरंतर वृद्धि वैश्विक बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। ये बात जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कही है।
उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड के 4.95 प्रतिशत पर पहुंचने को झेलने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए, यील्ड में यह अप्रत्याशित वृद्धि इक्विटी बाजारों पर अपना असर डालेगी।
उन्होंने कहा, यह समझना महत्वपूर्ण है कि बांड यील्ड में बढ़ोतरी केवल मौद्रिक कारकों से नहीं है, इसके अन्य कारण भी हैं। अमेरिका में उच्च राजकोषीय घाटा इसमें योगदान दे रहा है। इसलिए, राजकोषीय और मौद्रिक कारकों का यह संयोजन बांड यील्ड को बढ़ा रहा है, जो इक्विटी बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा करेगा।
एफपीआई बिकवाली जारी रखेंगे, जिसका असर बाजार पर पड़ेगा। उन्होंने कहा, हालांकि वित्तीय स्थिति बुनियादी तौर पर मजबूत है, लेकिन अधिक बिकवाली दबाव का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि एफपीआई के एयूएम का बड़ा हिस्सा वित्तीय, खासकर अग्रणी बैंकों में है।
लंबी अवधि के निवेशक एफपीआई की बिक्री के कारण बैंकिंग शेयरों में गिरावट का फायदा उठा सकते हैं। यह खंड अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और मूल्यांकन उचित, यहां तक कि आकर्षक भी है।
गुरुवार को बीएसई सेंसेक्स 334 अंक गिरकर 65,542 अंक पर है। विप्रो में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।
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नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। बाजार भू-राजनीतिक तनाव से ज्यादा आर्थिक प्रतिकूल परिस्थितियों पर प्रतिक्रिया करता है। अमेरिकी बांड यील्ड में निरंतर वृद्धि वैश्विक बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। ये बात जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कही है।
उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड के 4.95 प्रतिशत पर पहुंचने को झेलने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए, यील्ड में यह अप्रत्याशित वृद्धि इक्विटी बाजारों पर अपना असर डालेगी।
उन्होंने कहा, यह समझना महत्वपूर्ण है कि बांड यील्ड में बढ़ोतरी केवल मौद्रिक कारकों से नहीं है, इसके अन्य कारण भी हैं। अमेरिका में उच्च राजकोषीय घाटा इसमें योगदान दे रहा है। इसलिए, राजकोषीय और मौद्रिक कारकों का यह संयोजन बांड यील्ड को बढ़ा रहा है, जो इक्विटी बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा करेगा।
एफपीआई बिकवाली जारी रखेंगे, जिसका असर बाजार पर पड़ेगा। उन्होंने कहा, हालांकि वित्तीय स्थिति बुनियादी तौर पर मजबूत है, लेकिन अधिक बिकवाली दबाव का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि एफपीआई के एयूएम का बड़ा हिस्सा वित्तीय, खासकर अग्रणी बैंकों में है।
लंबी अवधि के निवेशक एफपीआई की बिक्री के कारण बैंकिंग शेयरों में गिरावट का फायदा उठा सकते हैं। यह खंड अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और मूल्यांकन उचित, यहां तक कि आकर्षक भी है।
गुरुवार को बीएसई सेंसेक्स 334 अंक गिरकर 65,542 अंक पर है। विप्रो में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।
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नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। बाजार भू-राजनीतिक तनाव से ज्यादा आर्थिक प्रतिकूल परिस्थितियों पर प्रतिक्रिया करता है। अमेरिकी बांड यील्ड में निरंतर वृद्धि वैश्विक बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। ये बात जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कही है।
उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड के 4.95 प्रतिशत पर पहुंचने को झेलने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए, यील्ड में यह अप्रत्याशित वृद्धि इक्विटी बाजारों पर अपना असर डालेगी।
उन्होंने कहा, यह समझना महत्वपूर्ण है कि बांड यील्ड में बढ़ोतरी केवल मौद्रिक कारकों से नहीं है, इसके अन्य कारण भी हैं। अमेरिका में उच्च राजकोषीय घाटा इसमें योगदान दे रहा है। इसलिए, राजकोषीय और मौद्रिक कारकों का यह संयोजन बांड यील्ड को बढ़ा रहा है, जो इक्विटी बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा करेगा।
एफपीआई बिकवाली जारी रखेंगे, जिसका असर बाजार पर पड़ेगा। उन्होंने कहा, हालांकि वित्तीय स्थिति बुनियादी तौर पर मजबूत है, लेकिन अधिक बिकवाली दबाव का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि एफपीआई के एयूएम का बड़ा हिस्सा वित्तीय, खासकर अग्रणी बैंकों में है।
लंबी अवधि के निवेशक एफपीआई की बिक्री के कारण बैंकिंग शेयरों में गिरावट का फायदा उठा सकते हैं। यह खंड अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और मूल्यांकन उचित, यहां तक कि आकर्षक भी है।
गुरुवार को बीएसई सेंसेक्स 334 अंक गिरकर 65,542 अंक पर है। विप्रो में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।
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नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। बाजार भू-राजनीतिक तनाव से ज्यादा आर्थिक प्रतिकूल परिस्थितियों पर प्रतिक्रिया करता है। अमेरिकी बांड यील्ड में निरंतर वृद्धि वैश्विक बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। ये बात जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कही है।
उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड के 4.95 प्रतिशत पर पहुंचने को झेलने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए, यील्ड में यह अप्रत्याशित वृद्धि इक्विटी बाजारों पर अपना असर डालेगी।
उन्होंने कहा, यह समझना महत्वपूर्ण है कि बांड यील्ड में बढ़ोतरी केवल मौद्रिक कारकों से नहीं है, इसके अन्य कारण भी हैं। अमेरिका में उच्च राजकोषीय घाटा इसमें योगदान दे रहा है। इसलिए, राजकोषीय और मौद्रिक कारकों का यह संयोजन बांड यील्ड को बढ़ा रहा है, जो इक्विटी बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा करेगा।
एफपीआई बिकवाली जारी रखेंगे, जिसका असर बाजार पर पड़ेगा। उन्होंने कहा, हालांकि वित्तीय स्थिति बुनियादी तौर पर मजबूत है, लेकिन अधिक बिकवाली दबाव का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि एफपीआई के एयूएम का बड़ा हिस्सा वित्तीय, खासकर अग्रणी बैंकों में है।
लंबी अवधि के निवेशक एफपीआई की बिक्री के कारण बैंकिंग शेयरों में गिरावट का फायदा उठा सकते हैं। यह खंड अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और मूल्यांकन उचित, यहां तक कि आकर्षक भी है।
गुरुवार को बीएसई सेंसेक्स 334 अंक गिरकर 65,542 अंक पर है। विप्रो में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।
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नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। बाजार भू-राजनीतिक तनाव से ज्यादा आर्थिक प्रतिकूल परिस्थितियों पर प्रतिक्रिया करता है। अमेरिकी बांड यील्ड में निरंतर वृद्धि वैश्विक बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। ये बात जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कही है।
उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड के 4.95 प्रतिशत पर पहुंचने को झेलने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए, यील्ड में यह अप्रत्याशित वृद्धि इक्विटी बाजारों पर अपना असर डालेगी।
उन्होंने कहा, यह समझना महत्वपूर्ण है कि बांड यील्ड में बढ़ोतरी केवल मौद्रिक कारकों से नहीं है, इसके अन्य कारण भी हैं। अमेरिका में उच्च राजकोषीय घाटा इसमें योगदान दे रहा है। इसलिए, राजकोषीय और मौद्रिक कारकों का यह संयोजन बांड यील्ड को बढ़ा रहा है, जो इक्विटी बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा करेगा।
एफपीआई बिकवाली जारी रखेंगे, जिसका असर बाजार पर पड़ेगा। उन्होंने कहा, हालांकि वित्तीय स्थिति बुनियादी तौर पर मजबूत है, लेकिन अधिक बिकवाली दबाव का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि एफपीआई के एयूएम का बड़ा हिस्सा वित्तीय, खासकर अग्रणी बैंकों में है।
लंबी अवधि के निवेशक एफपीआई की बिक्री के कारण बैंकिंग शेयरों में गिरावट का फायदा उठा सकते हैं। यह खंड अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और मूल्यांकन उचित, यहां तक कि आकर्षक भी है।
गुरुवार को बीएसई सेंसेक्स 334 अंक गिरकर 65,542 अंक पर है। विप्रो में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।
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नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। बाजार भू-राजनीतिक तनाव से ज्यादा आर्थिक प्रतिकूल परिस्थितियों पर प्रतिक्रिया करता है। अमेरिकी बांड यील्ड में निरंतर वृद्धि वैश्विक बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। ये बात जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कही है।
उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड के 4.95 प्रतिशत पर पहुंचने को झेलने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए, यील्ड में यह अप्रत्याशित वृद्धि इक्विटी बाजारों पर अपना असर डालेगी।
उन्होंने कहा, यह समझना महत्वपूर्ण है कि बांड यील्ड में बढ़ोतरी केवल मौद्रिक कारकों से नहीं है, इसके अन्य कारण भी हैं। अमेरिका में उच्च राजकोषीय घाटा इसमें योगदान दे रहा है। इसलिए, राजकोषीय और मौद्रिक कारकों का यह संयोजन बांड यील्ड को बढ़ा रहा है, जो इक्विटी बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा करेगा।
एफपीआई बिकवाली जारी रखेंगे, जिसका असर बाजार पर पड़ेगा। उन्होंने कहा, हालांकि वित्तीय स्थिति बुनियादी तौर पर मजबूत है, लेकिन अधिक बिकवाली दबाव का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि एफपीआई के एयूएम का बड़ा हिस्सा वित्तीय, खासकर अग्रणी बैंकों में है।
लंबी अवधि के निवेशक एफपीआई की बिक्री के कारण बैंकिंग शेयरों में गिरावट का फायदा उठा सकते हैं। यह खंड अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और मूल्यांकन उचित, यहां तक कि आकर्षक भी है।
गुरुवार को बीएसई सेंसेक्स 334 अंक गिरकर 65,542 अंक पर है। विप्रो में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।
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उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड के 4.95 प्रतिशत पर पहुंचने को झेलने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए, यील्ड में यह अप्रत्याशित वृद्धि इक्विटी बाजारों पर अपना असर डालेगी।
उन्होंने कहा, यह समझना महत्वपूर्ण है कि बांड यील्ड में बढ़ोतरी केवल मौद्रिक कारकों से नहीं है, इसके अन्य कारण भी हैं। अमेरिका में उच्च राजकोषीय घाटा इसमें योगदान दे रहा है। इसलिए, राजकोषीय और मौद्रिक कारकों का यह संयोजन बांड यील्ड को बढ़ा रहा है, जो इक्विटी बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा करेगा।
एफपीआई बिकवाली जारी रखेंगे, जिसका असर बाजार पर पड़ेगा। उन्होंने कहा, हालांकि वित्तीय स्थिति बुनियादी तौर पर मजबूत है, लेकिन अधिक बिकवाली दबाव का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि एफपीआई के एयूएम का बड़ा हिस्सा वित्तीय, खासकर अग्रणी बैंकों में है।
लंबी अवधि के निवेशक एफपीआई की बिक्री के कारण बैंकिंग शेयरों में गिरावट का फायदा उठा सकते हैं। यह खंड अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और मूल्यांकन उचित, यहां तक कि आकर्षक भी है।
गुरुवार को बीएसई सेंसेक्स 334 अंक गिरकर 65,542 अंक पर है। विप्रो में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।
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नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। बाजार भू-राजनीतिक तनाव से ज्यादा आर्थिक प्रतिकूल परिस्थितियों पर प्रतिक्रिया करता है। अमेरिकी बांड यील्ड में निरंतर वृद्धि वैश्विक बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। ये बात जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कही है।
उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड के 4.95 प्रतिशत पर पहुंचने को झेलने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए, यील्ड में यह अप्रत्याशित वृद्धि इक्विटी बाजारों पर अपना असर डालेगी।
उन्होंने कहा, यह समझना महत्वपूर्ण है कि बांड यील्ड में बढ़ोतरी केवल मौद्रिक कारकों से नहीं है, इसके अन्य कारण भी हैं। अमेरिका में उच्च राजकोषीय घाटा इसमें योगदान दे रहा है। इसलिए, राजकोषीय और मौद्रिक कारकों का यह संयोजन बांड यील्ड को बढ़ा रहा है, जो इक्विटी बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा करेगा।
एफपीआई बिकवाली जारी रखेंगे, जिसका असर बाजार पर पड़ेगा। उन्होंने कहा, हालांकि वित्तीय स्थिति बुनियादी तौर पर मजबूत है, लेकिन अधिक बिकवाली दबाव का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि एफपीआई के एयूएम का बड़ा हिस्सा वित्तीय, खासकर अग्रणी बैंकों में है।
लंबी अवधि के निवेशक एफपीआई की बिक्री के कारण बैंकिंग शेयरों में गिरावट का फायदा उठा सकते हैं। यह खंड अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और मूल्यांकन उचित, यहां तक कि आकर्षक भी है।
गुरुवार को बीएसई सेंसेक्स 334 अंक गिरकर 65,542 अंक पर है। विप्रो में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।
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उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड के 4.95 प्रतिशत पर पहुंचने को झेलने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए, यील्ड में यह अप्रत्याशित वृद्धि इक्विटी बाजारों पर अपना असर डालेगी।
उन्होंने कहा, यह समझना महत्वपूर्ण है कि बांड यील्ड में बढ़ोतरी केवल मौद्रिक कारकों से नहीं है, इसके अन्य कारण भी हैं। अमेरिका में उच्च राजकोषीय घाटा इसमें योगदान दे रहा है। इसलिए, राजकोषीय और मौद्रिक कारकों का यह संयोजन बांड यील्ड को बढ़ा रहा है, जो इक्विटी बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा करेगा।
एफपीआई बिकवाली जारी रखेंगे, जिसका असर बाजार पर पड़ेगा। उन्होंने कहा, हालांकि वित्तीय स्थिति बुनियादी तौर पर मजबूत है, लेकिन अधिक बिकवाली दबाव का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि एफपीआई के एयूएम का बड़ा हिस्सा वित्तीय, खासकर अग्रणी बैंकों में है।
लंबी अवधि के निवेशक एफपीआई की बिक्री के कारण बैंकिंग शेयरों में गिरावट का फायदा उठा सकते हैं। यह खंड अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और मूल्यांकन उचित, यहां तक कि आकर्षक भी है।
गुरुवार को बीएसई सेंसेक्स 334 अंक गिरकर 65,542 अंक पर है। विप्रो में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।
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उन्होंने कहा, यह समझना महत्वपूर्ण है कि बांड यील्ड में बढ़ोतरी केवल मौद्रिक कारकों से नहीं है, इसके अन्य कारण भी हैं। अमेरिका में उच्च राजकोषीय घाटा इसमें योगदान दे रहा है। इसलिए, राजकोषीय और मौद्रिक कारकों का यह संयोजन बांड यील्ड को बढ़ा रहा है, जो इक्विटी बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा करेगा।
एफपीआई बिकवाली जारी रखेंगे, जिसका असर बाजार पर पड़ेगा। उन्होंने कहा, हालांकि वित्तीय स्थिति बुनियादी तौर पर मजबूत है, लेकिन अधिक बिकवाली दबाव का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि एफपीआई के एयूएम का बड़ा हिस्सा वित्तीय, खासकर अग्रणी बैंकों में है।
लंबी अवधि के निवेशक एफपीआई की बिक्री के कारण बैंकिंग शेयरों में गिरावट का फायदा उठा सकते हैं। यह खंड अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और मूल्यांकन उचित, यहां तक कि आकर्षक भी है।
गुरुवार को बीएसई सेंसेक्स 334 अंक गिरकर 65,542 अंक पर है। विप्रो में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।
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लंबी अवधि के निवेशक एफपीआई की बिक्री के कारण बैंकिंग शेयरों में गिरावट का फायदा उठा सकते हैं। यह खंड अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और मूल्यांकन उचित, यहां तक कि आकर्षक भी है।
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लंबी अवधि के निवेशक एफपीआई की बिक्री के कारण बैंकिंग शेयरों में गिरावट का फायदा उठा सकते हैं। यह खंड अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और मूल्यांकन उचित, यहां तक कि आकर्षक भी है।
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उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड के 4.95 प्रतिशत पर पहुंचने को झेलने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए, यील्ड में यह अप्रत्याशित वृद्धि इक्विटी बाजारों पर अपना असर डालेगी।
उन्होंने कहा, यह समझना महत्वपूर्ण है कि बांड यील्ड में बढ़ोतरी केवल मौद्रिक कारकों से नहीं है, इसके अन्य कारण भी हैं। अमेरिका में उच्च राजकोषीय घाटा इसमें योगदान दे रहा है। इसलिए, राजकोषीय और मौद्रिक कारकों का यह संयोजन बांड यील्ड को बढ़ा रहा है, जो इक्विटी बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा करेगा।
एफपीआई बिकवाली जारी रखेंगे, जिसका असर बाजार पर पड़ेगा। उन्होंने कहा, हालांकि वित्तीय स्थिति बुनियादी तौर पर मजबूत है, लेकिन अधिक बिकवाली दबाव का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि एफपीआई के एयूएम का बड़ा हिस्सा वित्तीय, खासकर अग्रणी बैंकों में है।
लंबी अवधि के निवेशक एफपीआई की बिक्री के कारण बैंकिंग शेयरों में गिरावट का फायदा उठा सकते हैं। यह खंड अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और मूल्यांकन उचित, यहां तक कि आकर्षक भी है।
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नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। बाजार भू-राजनीतिक तनाव से ज्यादा आर्थिक प्रतिकूल परिस्थितियों पर प्रतिक्रिया करता है। अमेरिकी बांड यील्ड में निरंतर वृद्धि वैश्विक बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। ये बात जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कही है।
उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड के 4.95 प्रतिशत पर पहुंचने को झेलने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए, यील्ड में यह अप्रत्याशित वृद्धि इक्विटी बाजारों पर अपना असर डालेगी।
उन्होंने कहा, यह समझना महत्वपूर्ण है कि बांड यील्ड में बढ़ोतरी केवल मौद्रिक कारकों से नहीं है, इसके अन्य कारण भी हैं। अमेरिका में उच्च राजकोषीय घाटा इसमें योगदान दे रहा है। इसलिए, राजकोषीय और मौद्रिक कारकों का यह संयोजन बांड यील्ड को बढ़ा रहा है, जो इक्विटी बाजारों के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा करेगा।
एफपीआई बिकवाली जारी रखेंगे, जिसका असर बाजार पर पड़ेगा। उन्होंने कहा, हालांकि वित्तीय स्थिति बुनियादी तौर पर मजबूत है, लेकिन अधिक बिकवाली दबाव का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि एफपीआई के एयूएम का बड़ा हिस्सा वित्तीय, खासकर अग्रणी बैंकों में है।
लंबी अवधि के निवेशक एफपीआई की बिक्री के कारण बैंकिंग शेयरों में गिरावट का फायदा उठा सकते हैं। यह खंड अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और मूल्यांकन उचित, यहां तक कि आकर्षक भी है।
गुरुवार को बीएसई सेंसेक्स 334 अंक गिरकर 65,542 अंक पर है। विप्रो में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।