इस्लामाबाद, 31 दिसम्बर (आईएएनएस)। पाकिस्तान अपनी आर्थिक आवश्यकताओं के लिए बहुत हद तक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ)पर निर्भर है। यह देश की तेजी से चरमराती और बिगड़ती अर्थव्यवस्था के लिए एकमात्र विकल्प बन गया है।
फिलहाल, पाकिस्तान का सिकुड़ता विदेशी मुद्रा भंडार और मुद्रास्फीति मौजूदा सरकार के लिए दो सबसे महत्वपूर्ण चुनौती है। चालू वित्त वर्ष के छह महीनों के दौरान इसके बढ़ने की उम्मीद है।
शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की बैठक शीर्ष नागरिक और सैन्य अधिकारियों को आर्थिक मोर्चे पर देश के सामने आने वाली चुनौतियों की जानकारी दी गई।
एनएससी की बैठक के पहले से ठीक पहले, वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार एक मासिक आर्थिक ²ष्टिकोण रिपोर्ट को वित्त मंत्री इशाक डार ने प्रस्तुत किया।
रिपोर्ट के विवरण के अनुसार मंत्रालय ने कहा है कि मुद्रास्फीति और कम विदेशी मुद्रा भंडार नीति निर्माताओं के लिए बड़ी चुनौती बने रहेंगे।
वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक ²ष्टिकोण रिपोर्ट में कहा गया है, निम्न आर्थिक विकास, उच्च मुद्रास्फीति और आधिकारिक भंडार के निम्न स्तर नीति निर्माताओं के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हैं।
रिपोर्ट, जो केंद्रीय बैंक द्वारा खुलासा किए जाने के एक दिन बाद आई थी कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 6 बिलियन डॉलर से नीचे गिर गया है। यह भी पता चला कि चालू वित्त वर्ष के शेष छह महीनों के लिए आवश्यकताओं के मुकाबले 8 बिलियन डॉलर का बाहरी वित्तपोषण अंतर था।
मुद्रास्फीति के 23 प्रतिशत से अधिक रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि विकास दर केवल 2 प्रतिशत अनुमानित है।
मुद्रास्फीति और विकास दर के बीच चौड़ी खाई कम क्रेडिट रेटिंग और चूक के उच्च जोखिम के कारण है, जो विभिन्न ऋणदाता देशों से धन के प्रवाह और भौतिककरण को सीधे प्रभावित कर रहे हैं।
एनएससी की बंद कमरे में हुई बैठक के दौरान यह भी जानकारी दी गई कि आईएमएफ कार्यक्रम अपनी विस्तारित फंड सुविधा (ईएफएफ) के तहत पाकिस्तान के लिए एकमात्र विकल्प के रूप में बना रहा।
यह भी रेखांकित किया गया कि अगर पाकिस्तान आईएमएफ की शर्तों से सहमत नहीं होता है और कार्यक्रम में नहीं रहता है, तो देश का आर्थिक पुनरुद्धार न केवल लंबे समय तक चलेगा, बल्कि यह उच्च जोखिमयुक्त व दर्दनाक होगा।
–आईएएनएस
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