बदायूं, 1 जून (आईएएनएस)। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने एक अदालत के समक्ष कहा है कि बदायूं में 800 साल पुरानी जामा मस्जिद पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 के तहत संरक्षित है, यह 15 अगस्त, 1947 को जैसे थी, वैसे ही रहेगी।
एएसआई अखिल भारतीय हिंदू महासभा (एबीएचएम) द्वारा पिछले साल 8 अगस्त को बदायूं की एक दीवानी अदालत में दायर एक याचिका का जवाब दे रहा था, इसमें दावा किया गया था कि मस्जिद एक प्राचीन शिव मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी, इसकी पुष्टि के लिए सर्वेक्षण करना चाहिए।
एएसआई और केंद्र की ओर से पेश वकील (सिविल) संजीव कुमार वैश्य ने अदालत में जवाब दाखिल किया।
कुमार ने संवाददाताओं से कहा, हमने चार आपत्तियां उठाई हैं और अदालत तय करेगी कि मामला विचारणीय है या नहीं।
कोर्ट ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 30 जुलाई तय की है।
यह स्थल मुसलमानों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे साम्राज्ञी रजिया सुल्ताना का जन्मस्थान माना जाता है, जबकि हिंदुओं का मानना है कि नीलकंठ के एक प्राचीन मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया था।
–आईएएनएस
सीबीटी
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बदायूं, 1 जून (आईएएनएस)। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने एक अदालत के समक्ष कहा है कि बदायूं में 800 साल पुरानी जामा मस्जिद पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 के तहत संरक्षित है, यह 15 अगस्त, 1947 को जैसे थी, वैसे ही रहेगी।
एएसआई अखिल भारतीय हिंदू महासभा (एबीएचएम) द्वारा पिछले साल 8 अगस्त को बदायूं की एक दीवानी अदालत में दायर एक याचिका का जवाब दे रहा था, इसमें दावा किया गया था कि मस्जिद एक प्राचीन शिव मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी, इसकी पुष्टि के लिए सर्वेक्षण करना चाहिए।
एएसआई और केंद्र की ओर से पेश वकील (सिविल) संजीव कुमार वैश्य ने अदालत में जवाब दाखिल किया।
कुमार ने संवाददाताओं से कहा, हमने चार आपत्तियां उठाई हैं और अदालत तय करेगी कि मामला विचारणीय है या नहीं।
कोर्ट ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 30 जुलाई तय की है।
यह स्थल मुसलमानों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे साम्राज्ञी रजिया सुल्ताना का जन्मस्थान माना जाता है, जबकि हिंदुओं का मानना है कि नीलकंठ के एक प्राचीन मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया था।
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एएसआई अखिल भारतीय हिंदू महासभा (एबीएचएम) द्वारा पिछले साल 8 अगस्त को बदायूं की एक दीवानी अदालत में दायर एक याचिका का जवाब दे रहा था, इसमें दावा किया गया था कि मस्जिद एक प्राचीन शिव मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी, इसकी पुष्टि के लिए सर्वेक्षण करना चाहिए।
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कोर्ट ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 30 जुलाई तय की है।
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एएसआई अखिल भारतीय हिंदू महासभा (एबीएचएम) द्वारा पिछले साल 8 अगस्त को बदायूं की एक दीवानी अदालत में दायर एक याचिका का जवाब दे रहा था, इसमें दावा किया गया था कि मस्जिद एक प्राचीन शिव मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी, इसकी पुष्टि के लिए सर्वेक्षण करना चाहिए।
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कुमार ने संवाददाताओं से कहा, हमने चार आपत्तियां उठाई हैं और अदालत तय करेगी कि मामला विचारणीय है या नहीं।
कोर्ट ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 30 जुलाई तय की है।
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