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बर्थडे स्पेशल : ’83’ विश्व कप की जीत का हीरो था भारतीय क्रिकेट का ‘जिम्मी’

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September 23, 2024
in खेल
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बर्थडे स्पेशल : ’83’ विश्व कप की जीत का हीरो था भारतीय क्रिकेट का ‘जिम्मी’
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नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। 24 सितंबर को कई बरसों पहले एक ऐसे खिलाड़ी का जन्म हुआ था, जो भारत के पहले व‍िश्‍व खिताब का हीरो था। नाम है- मोहिंदर अमरनाथ। उन्हें ‘जिम्मी’ के नाम से भी जाना जाता है। अपने समय के तेज गेंदबाजों का सामना करने में ये बल्लेबाज माहिर था।

मोहिंदर अमरनाथ पूर्व भारतीय क्रिकेटर और वर्तमान क्रिकेट विश्लेषक (एनालिस्ट) हैं। उन्होंने ऐतिहासिक विश्व कप 1983 में शानदार प्रदर्शन किया था। सेमीफाइनल और फाइनल मैच में उन्हें मैन ऑफ द मैच’ के खिताब से भी नवाजा गया।

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‘जिमी’ के नाम से मशहूर मोहिंदर के खून में ही क्रिकेट था। उनके पिता लाला अमरनाथ और भाई सुरिंदर अमरनाथ भी क्रिकेटर थे। खास तौर पर लाला अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के इतिहास में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।

वहीं मोहिंदर एक ऐसे अद्भुत और जुझारू खिलाड़ी थे, जिन पर पूरी टीम भरोसा करती थी। 1970 और 1980 के दशक में वो भारतीय बल्लेबाजी लाइन अप की ताकत हुआ करते थे। बल्ले के साथ-साथ वो गेंदबाजी में भी माहिर थे।

मोहिंदर न सिर्फ एक जुझारू क्रिकेटर थे, बल्कि बेखौफ होकर अपनी बात रखने वाले इंसान भी रहे हैं। क्रिकेट की गहरी समझ और बतौर एनालिस्ट वो खिलाड़ियों और टीमों को आइना दिखाने में कभी पीछे नहीं हटे।

मोहिंदर ने 1969 में अपना पहला मैच एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर के रूप में किया, लेकिन अपने करियर के टॉप पर वे हमेशा एक शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के रूप में पहचाने गए। हालांकि, वे गेंदबाजी में भी कुशल थे और गेंद को बड़े कौशल और नियंत्रण के साथ स्विंग और कट करने का माद्दा रखते थे।

उनके नाम 69 टेस्ट मैच में 4,378 रन, जिसमें 11 शतक और 24 अर्धशतक शामिल हैं। साथ ही उन्होंने 55.68 औसत से 32 विकेट भी लिए हैं। 85 वनडे मैच में उन्होंने 30.53 के औसत से 1924 रन बनाए। उनका सर्वोच्च स्कोर (नाबाद 102 रन) का है। 42.84 रन के औसत से उन्होंने 46 विकेट भी लिए।

–आईएएनएस

एएमजे/सीबीटी

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नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। 24 सितंबर को कई बरसों पहले एक ऐसे खिलाड़ी का जन्म हुआ था, जो भारत के पहले व‍िश्‍व खिताब का हीरो था। नाम है- मोहिंदर अमरनाथ। उन्हें ‘जिम्मी’ के नाम से भी जाना जाता है। अपने समय के तेज गेंदबाजों का सामना करने में ये बल्लेबाज माहिर था।

मोहिंदर अमरनाथ पूर्व भारतीय क्रिकेटर और वर्तमान क्रिकेट विश्लेषक (एनालिस्ट) हैं। उन्होंने ऐतिहासिक विश्व कप 1983 में शानदार प्रदर्शन किया था। सेमीफाइनल और फाइनल मैच में उन्हें मैन ऑफ द मैच’ के खिताब से भी नवाजा गया।

‘जिमी’ के नाम से मशहूर मोहिंदर के खून में ही क्रिकेट था। उनके पिता लाला अमरनाथ और भाई सुरिंदर अमरनाथ भी क्रिकेटर थे। खास तौर पर लाला अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के इतिहास में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।

वहीं मोहिंदर एक ऐसे अद्भुत और जुझारू खिलाड़ी थे, जिन पर पूरी टीम भरोसा करती थी। 1970 और 1980 के दशक में वो भारतीय बल्लेबाजी लाइन अप की ताकत हुआ करते थे। बल्ले के साथ-साथ वो गेंदबाजी में भी माहिर थे।

मोहिंदर न सिर्फ एक जुझारू क्रिकेटर थे, बल्कि बेखौफ होकर अपनी बात रखने वाले इंसान भी रहे हैं। क्रिकेट की गहरी समझ और बतौर एनालिस्ट वो खिलाड़ियों और टीमों को आइना दिखाने में कभी पीछे नहीं हटे।

मोहिंदर ने 1969 में अपना पहला मैच एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर के रूप में किया, लेकिन अपने करियर के टॉप पर वे हमेशा एक शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के रूप में पहचाने गए। हालांकि, वे गेंदबाजी में भी कुशल थे और गेंद को बड़े कौशल और नियंत्रण के साथ स्विंग और कट करने का माद्दा रखते थे।

उनके नाम 69 टेस्ट मैच में 4,378 रन, जिसमें 11 शतक और 24 अर्धशतक शामिल हैं। साथ ही उन्होंने 55.68 औसत से 32 विकेट भी लिए हैं। 85 वनडे मैच में उन्होंने 30.53 के औसत से 1924 रन बनाए। उनका सर्वोच्च स्कोर (नाबाद 102 रन) का है। 42.84 रन के औसत से उन्होंने 46 विकेट भी लिए।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। 24 सितंबर को कई बरसों पहले एक ऐसे खिलाड़ी का जन्म हुआ था, जो भारत के पहले व‍िश्‍व खिताब का हीरो था। नाम है- मोहिंदर अमरनाथ। उन्हें ‘जिम्मी’ के नाम से भी जाना जाता है। अपने समय के तेज गेंदबाजों का सामना करने में ये बल्लेबाज माहिर था।

मोहिंदर अमरनाथ पूर्व भारतीय क्रिकेटर और वर्तमान क्रिकेट विश्लेषक (एनालिस्ट) हैं। उन्होंने ऐतिहासिक विश्व कप 1983 में शानदार प्रदर्शन किया था। सेमीफाइनल और फाइनल मैच में उन्हें मैन ऑफ द मैच’ के खिताब से भी नवाजा गया।

‘जिमी’ के नाम से मशहूर मोहिंदर के खून में ही क्रिकेट था। उनके पिता लाला अमरनाथ और भाई सुरिंदर अमरनाथ भी क्रिकेटर थे। खास तौर पर लाला अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के इतिहास में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।

वहीं मोहिंदर एक ऐसे अद्भुत और जुझारू खिलाड़ी थे, जिन पर पूरी टीम भरोसा करती थी। 1970 और 1980 के दशक में वो भारतीय बल्लेबाजी लाइन अप की ताकत हुआ करते थे। बल्ले के साथ-साथ वो गेंदबाजी में भी माहिर थे।

मोहिंदर न सिर्फ एक जुझारू क्रिकेटर थे, बल्कि बेखौफ होकर अपनी बात रखने वाले इंसान भी रहे हैं। क्रिकेट की गहरी समझ और बतौर एनालिस्ट वो खिलाड़ियों और टीमों को आइना दिखाने में कभी पीछे नहीं हटे।

मोहिंदर ने 1969 में अपना पहला मैच एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर के रूप में किया, लेकिन अपने करियर के टॉप पर वे हमेशा एक शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के रूप में पहचाने गए। हालांकि, वे गेंदबाजी में भी कुशल थे और गेंद को बड़े कौशल और नियंत्रण के साथ स्विंग और कट करने का माद्दा रखते थे।

उनके नाम 69 टेस्ट मैच में 4,378 रन, जिसमें 11 शतक और 24 अर्धशतक शामिल हैं। साथ ही उन्होंने 55.68 औसत से 32 विकेट भी लिए हैं। 85 वनडे मैच में उन्होंने 30.53 के औसत से 1924 रन बनाए। उनका सर्वोच्च स्कोर (नाबाद 102 रन) का है। 42.84 रन के औसत से उन्होंने 46 विकेट भी लिए।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। 24 सितंबर को कई बरसों पहले एक ऐसे खिलाड़ी का जन्म हुआ था, जो भारत के पहले व‍िश्‍व खिताब का हीरो था। नाम है- मोहिंदर अमरनाथ। उन्हें ‘जिम्मी’ के नाम से भी जाना जाता है। अपने समय के तेज गेंदबाजों का सामना करने में ये बल्लेबाज माहिर था।

मोहिंदर अमरनाथ पूर्व भारतीय क्रिकेटर और वर्तमान क्रिकेट विश्लेषक (एनालिस्ट) हैं। उन्होंने ऐतिहासिक विश्व कप 1983 में शानदार प्रदर्शन किया था। सेमीफाइनल और फाइनल मैच में उन्हें मैन ऑफ द मैच’ के खिताब से भी नवाजा गया।

‘जिमी’ के नाम से मशहूर मोहिंदर के खून में ही क्रिकेट था। उनके पिता लाला अमरनाथ और भाई सुरिंदर अमरनाथ भी क्रिकेटर थे। खास तौर पर लाला अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के इतिहास में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।

वहीं मोहिंदर एक ऐसे अद्भुत और जुझारू खिलाड़ी थे, जिन पर पूरी टीम भरोसा करती थी। 1970 और 1980 के दशक में वो भारतीय बल्लेबाजी लाइन अप की ताकत हुआ करते थे। बल्ले के साथ-साथ वो गेंदबाजी में भी माहिर थे।

मोहिंदर न सिर्फ एक जुझारू क्रिकेटर थे, बल्कि बेखौफ होकर अपनी बात रखने वाले इंसान भी रहे हैं। क्रिकेट की गहरी समझ और बतौर एनालिस्ट वो खिलाड़ियों और टीमों को आइना दिखाने में कभी पीछे नहीं हटे।

मोहिंदर ने 1969 में अपना पहला मैच एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर के रूप में किया, लेकिन अपने करियर के टॉप पर वे हमेशा एक शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के रूप में पहचाने गए। हालांकि, वे गेंदबाजी में भी कुशल थे और गेंद को बड़े कौशल और नियंत्रण के साथ स्विंग और कट करने का माद्दा रखते थे।

उनके नाम 69 टेस्ट मैच में 4,378 रन, जिसमें 11 शतक और 24 अर्धशतक शामिल हैं। साथ ही उन्होंने 55.68 औसत से 32 विकेट भी लिए हैं। 85 वनडे मैच में उन्होंने 30.53 के औसत से 1924 रन बनाए। उनका सर्वोच्च स्कोर (नाबाद 102 रन) का है। 42.84 रन के औसत से उन्होंने 46 विकेट भी लिए।

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मोहिंदर अमरनाथ पूर्व भारतीय क्रिकेटर और वर्तमान क्रिकेट विश्लेषक (एनालिस्ट) हैं। उन्होंने ऐतिहासिक विश्व कप 1983 में शानदार प्रदर्शन किया था। सेमीफाइनल और फाइनल मैच में उन्हें मैन ऑफ द मैच’ के खिताब से भी नवाजा गया।

‘जिमी’ के नाम से मशहूर मोहिंदर के खून में ही क्रिकेट था। उनके पिता लाला अमरनाथ और भाई सुरिंदर अमरनाथ भी क्रिकेटर थे। खास तौर पर लाला अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के इतिहास में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।

वहीं मोहिंदर एक ऐसे अद्भुत और जुझारू खिलाड़ी थे, जिन पर पूरी टीम भरोसा करती थी। 1970 और 1980 के दशक में वो भारतीय बल्लेबाजी लाइन अप की ताकत हुआ करते थे। बल्ले के साथ-साथ वो गेंदबाजी में भी माहिर थे।

मोहिंदर न सिर्फ एक जुझारू क्रिकेटर थे, बल्कि बेखौफ होकर अपनी बात रखने वाले इंसान भी रहे हैं। क्रिकेट की गहरी समझ और बतौर एनालिस्ट वो खिलाड़ियों और टीमों को आइना दिखाने में कभी पीछे नहीं हटे।

मोहिंदर ने 1969 में अपना पहला मैच एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर के रूप में किया, लेकिन अपने करियर के टॉप पर वे हमेशा एक शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के रूप में पहचाने गए। हालांकि, वे गेंदबाजी में भी कुशल थे और गेंद को बड़े कौशल और नियंत्रण के साथ स्विंग और कट करने का माद्दा रखते थे।

उनके नाम 69 टेस्ट मैच में 4,378 रन, जिसमें 11 शतक और 24 अर्धशतक शामिल हैं। साथ ही उन्होंने 55.68 औसत से 32 विकेट भी लिए हैं। 85 वनडे मैच में उन्होंने 30.53 के औसत से 1924 रन बनाए। उनका सर्वोच्च स्कोर (नाबाद 102 रन) का है। 42.84 रन के औसत से उन्होंने 46 विकेट भी लिए।

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नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। 24 सितंबर को कई बरसों पहले एक ऐसे खिलाड़ी का जन्म हुआ था, जो भारत के पहले व‍िश्‍व खिताब का हीरो था। नाम है- मोहिंदर अमरनाथ। उन्हें ‘जिम्मी’ के नाम से भी जाना जाता है। अपने समय के तेज गेंदबाजों का सामना करने में ये बल्लेबाज माहिर था।

मोहिंदर अमरनाथ पूर्व भारतीय क्रिकेटर और वर्तमान क्रिकेट विश्लेषक (एनालिस्ट) हैं। उन्होंने ऐतिहासिक विश्व कप 1983 में शानदार प्रदर्शन किया था। सेमीफाइनल और फाइनल मैच में उन्हें मैन ऑफ द मैच’ के खिताब से भी नवाजा गया।

‘जिमी’ के नाम से मशहूर मोहिंदर के खून में ही क्रिकेट था। उनके पिता लाला अमरनाथ और भाई सुरिंदर अमरनाथ भी क्रिकेटर थे। खास तौर पर लाला अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के इतिहास में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।

वहीं मोहिंदर एक ऐसे अद्भुत और जुझारू खिलाड़ी थे, जिन पर पूरी टीम भरोसा करती थी। 1970 और 1980 के दशक में वो भारतीय बल्लेबाजी लाइन अप की ताकत हुआ करते थे। बल्ले के साथ-साथ वो गेंदबाजी में भी माहिर थे।

मोहिंदर न सिर्फ एक जुझारू क्रिकेटर थे, बल्कि बेखौफ होकर अपनी बात रखने वाले इंसान भी रहे हैं। क्रिकेट की गहरी समझ और बतौर एनालिस्ट वो खिलाड़ियों और टीमों को आइना दिखाने में कभी पीछे नहीं हटे।

मोहिंदर ने 1969 में अपना पहला मैच एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर के रूप में किया, लेकिन अपने करियर के टॉप पर वे हमेशा एक शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के रूप में पहचाने गए। हालांकि, वे गेंदबाजी में भी कुशल थे और गेंद को बड़े कौशल और नियंत्रण के साथ स्विंग और कट करने का माद्दा रखते थे।

उनके नाम 69 टेस्ट मैच में 4,378 रन, जिसमें 11 शतक और 24 अर्धशतक शामिल हैं। साथ ही उन्होंने 55.68 औसत से 32 विकेट भी लिए हैं। 85 वनडे मैच में उन्होंने 30.53 के औसत से 1924 रन बनाए। उनका सर्वोच्च स्कोर (नाबाद 102 रन) का है। 42.84 रन के औसत से उन्होंने 46 विकेट भी लिए।

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मोहिंदर अमरनाथ पूर्व भारतीय क्रिकेटर और वर्तमान क्रिकेट विश्लेषक (एनालिस्ट) हैं। उन्होंने ऐतिहासिक विश्व कप 1983 में शानदार प्रदर्शन किया था। सेमीफाइनल और फाइनल मैच में उन्हें मैन ऑफ द मैच’ के खिताब से भी नवाजा गया।

‘जिमी’ के नाम से मशहूर मोहिंदर के खून में ही क्रिकेट था। उनके पिता लाला अमरनाथ और भाई सुरिंदर अमरनाथ भी क्रिकेटर थे। खास तौर पर लाला अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के इतिहास में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।

वहीं मोहिंदर एक ऐसे अद्भुत और जुझारू खिलाड़ी थे, जिन पर पूरी टीम भरोसा करती थी। 1970 और 1980 के दशक में वो भारतीय बल्लेबाजी लाइन अप की ताकत हुआ करते थे। बल्ले के साथ-साथ वो गेंदबाजी में भी माहिर थे।

मोहिंदर न सिर्फ एक जुझारू क्रिकेटर थे, बल्कि बेखौफ होकर अपनी बात रखने वाले इंसान भी रहे हैं। क्रिकेट की गहरी समझ और बतौर एनालिस्ट वो खिलाड़ियों और टीमों को आइना दिखाने में कभी पीछे नहीं हटे।

मोहिंदर ने 1969 में अपना पहला मैच एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर के रूप में किया, लेकिन अपने करियर के टॉप पर वे हमेशा एक शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के रूप में पहचाने गए। हालांकि, वे गेंदबाजी में भी कुशल थे और गेंद को बड़े कौशल और नियंत्रण के साथ स्विंग और कट करने का माद्दा रखते थे।

उनके नाम 69 टेस्ट मैच में 4,378 रन, जिसमें 11 शतक और 24 अर्धशतक शामिल हैं। साथ ही उन्होंने 55.68 औसत से 32 विकेट भी लिए हैं। 85 वनडे मैच में उन्होंने 30.53 के औसत से 1924 रन बनाए। उनका सर्वोच्च स्कोर (नाबाद 102 रन) का है। 42.84 रन के औसत से उन्होंने 46 विकेट भी लिए।

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मोहिंदर अमरनाथ पूर्व भारतीय क्रिकेटर और वर्तमान क्रिकेट विश्लेषक (एनालिस्ट) हैं। उन्होंने ऐतिहासिक विश्व कप 1983 में शानदार प्रदर्शन किया था। सेमीफाइनल और फाइनल मैच में उन्हें मैन ऑफ द मैच’ के खिताब से भी नवाजा गया।

‘जिमी’ के नाम से मशहूर मोहिंदर के खून में ही क्रिकेट था। उनके पिता लाला अमरनाथ और भाई सुरिंदर अमरनाथ भी क्रिकेटर थे। खास तौर पर लाला अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के इतिहास में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।

वहीं मोहिंदर एक ऐसे अद्भुत और जुझारू खिलाड़ी थे, जिन पर पूरी टीम भरोसा करती थी। 1970 और 1980 के दशक में वो भारतीय बल्लेबाजी लाइन अप की ताकत हुआ करते थे। बल्ले के साथ-साथ वो गेंदबाजी में भी माहिर थे।

मोहिंदर न सिर्फ एक जुझारू क्रिकेटर थे, बल्कि बेखौफ होकर अपनी बात रखने वाले इंसान भी रहे हैं। क्रिकेट की गहरी समझ और बतौर एनालिस्ट वो खिलाड़ियों और टीमों को आइना दिखाने में कभी पीछे नहीं हटे।

मोहिंदर ने 1969 में अपना पहला मैच एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर के रूप में किया, लेकिन अपने करियर के टॉप पर वे हमेशा एक शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के रूप में पहचाने गए। हालांकि, वे गेंदबाजी में भी कुशल थे और गेंद को बड़े कौशल और नियंत्रण के साथ स्विंग और कट करने का माद्दा रखते थे।

उनके नाम 69 टेस्ट मैच में 4,378 रन, जिसमें 11 शतक और 24 अर्धशतक शामिल हैं। साथ ही उन्होंने 55.68 औसत से 32 विकेट भी लिए हैं। 85 वनडे मैच में उन्होंने 30.53 के औसत से 1924 रन बनाए। उनका सर्वोच्च स्कोर (नाबाद 102 रन) का है। 42.84 रन के औसत से उन्होंने 46 विकेट भी लिए।

–आईएएनएस

एएमजे/सीबीटी

नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। 24 सितंबर को कई बरसों पहले एक ऐसे खिलाड़ी का जन्म हुआ था, जो भारत के पहले व‍िश्‍व खिताब का हीरो था। नाम है- मोहिंदर अमरनाथ। उन्हें ‘जिम्मी’ के नाम से भी जाना जाता है। अपने समय के तेज गेंदबाजों का सामना करने में ये बल्लेबाज माहिर था।

मोहिंदर अमरनाथ पूर्व भारतीय क्रिकेटर और वर्तमान क्रिकेट विश्लेषक (एनालिस्ट) हैं। उन्होंने ऐतिहासिक विश्व कप 1983 में शानदार प्रदर्शन किया था। सेमीफाइनल और फाइनल मैच में उन्हें मैन ऑफ द मैच’ के खिताब से भी नवाजा गया।

‘जिमी’ के नाम से मशहूर मोहिंदर के खून में ही क्रिकेट था। उनके पिता लाला अमरनाथ और भाई सुरिंदर अमरनाथ भी क्रिकेटर थे। खास तौर पर लाला अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के इतिहास में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।

वहीं मोहिंदर एक ऐसे अद्भुत और जुझारू खिलाड़ी थे, जिन पर पूरी टीम भरोसा करती थी। 1970 और 1980 के दशक में वो भारतीय बल्लेबाजी लाइन अप की ताकत हुआ करते थे। बल्ले के साथ-साथ वो गेंदबाजी में भी माहिर थे।

मोहिंदर न सिर्फ एक जुझारू क्रिकेटर थे, बल्कि बेखौफ होकर अपनी बात रखने वाले इंसान भी रहे हैं। क्रिकेट की गहरी समझ और बतौर एनालिस्ट वो खिलाड़ियों और टीमों को आइना दिखाने में कभी पीछे नहीं हटे।

मोहिंदर ने 1969 में अपना पहला मैच एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर के रूप में किया, लेकिन अपने करियर के टॉप पर वे हमेशा एक शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के रूप में पहचाने गए। हालांकि, वे गेंदबाजी में भी कुशल थे और गेंद को बड़े कौशल और नियंत्रण के साथ स्विंग और कट करने का माद्दा रखते थे।

उनके नाम 69 टेस्ट मैच में 4,378 रन, जिसमें 11 शतक और 24 अर्धशतक शामिल हैं। साथ ही उन्होंने 55.68 औसत से 32 विकेट भी लिए हैं। 85 वनडे मैच में उन्होंने 30.53 के औसत से 1924 रन बनाए। उनका सर्वोच्च स्कोर (नाबाद 102 रन) का है। 42.84 रन के औसत से उन्होंने 46 विकेट भी लिए।

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मोहिंदर अमरनाथ पूर्व भारतीय क्रिकेटर और वर्तमान क्रिकेट विश्लेषक (एनालिस्ट) हैं। उन्होंने ऐतिहासिक विश्व कप 1983 में शानदार प्रदर्शन किया था। सेमीफाइनल और फाइनल मैच में उन्हें मैन ऑफ द मैच’ के खिताब से भी नवाजा गया।

‘जिमी’ के नाम से मशहूर मोहिंदर के खून में ही क्रिकेट था। उनके पिता लाला अमरनाथ और भाई सुरिंदर अमरनाथ भी क्रिकेटर थे। खास तौर पर लाला अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के इतिहास में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।

वहीं मोहिंदर एक ऐसे अद्भुत और जुझारू खिलाड़ी थे, जिन पर पूरी टीम भरोसा करती थी। 1970 और 1980 के दशक में वो भारतीय बल्लेबाजी लाइन अप की ताकत हुआ करते थे। बल्ले के साथ-साथ वो गेंदबाजी में भी माहिर थे।

मोहिंदर न सिर्फ एक जुझारू क्रिकेटर थे, बल्कि बेखौफ होकर अपनी बात रखने वाले इंसान भी रहे हैं। क्रिकेट की गहरी समझ और बतौर एनालिस्ट वो खिलाड़ियों और टीमों को आइना दिखाने में कभी पीछे नहीं हटे।

मोहिंदर ने 1969 में अपना पहला मैच एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर के रूप में किया, लेकिन अपने करियर के टॉप पर वे हमेशा एक शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के रूप में पहचाने गए। हालांकि, वे गेंदबाजी में भी कुशल थे और गेंद को बड़े कौशल और नियंत्रण के साथ स्विंग और कट करने का माद्दा रखते थे।

उनके नाम 69 टेस्ट मैच में 4,378 रन, जिसमें 11 शतक और 24 अर्धशतक शामिल हैं। साथ ही उन्होंने 55.68 औसत से 32 विकेट भी लिए हैं। 85 वनडे मैच में उन्होंने 30.53 के औसत से 1924 रन बनाए। उनका सर्वोच्च स्कोर (नाबाद 102 रन) का है। 42.84 रन के औसत से उन्होंने 46 विकेट भी लिए।

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मोहिंदर अमरनाथ पूर्व भारतीय क्रिकेटर और वर्तमान क्रिकेट विश्लेषक (एनालिस्ट) हैं। उन्होंने ऐतिहासिक विश्व कप 1983 में शानदार प्रदर्शन किया था। सेमीफाइनल और फाइनल मैच में उन्हें मैन ऑफ द मैच’ के खिताब से भी नवाजा गया।

‘जिमी’ के नाम से मशहूर मोहिंदर के खून में ही क्रिकेट था। उनके पिता लाला अमरनाथ और भाई सुरिंदर अमरनाथ भी क्रिकेटर थे। खास तौर पर लाला अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के इतिहास में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।

वहीं मोहिंदर एक ऐसे अद्भुत और जुझारू खिलाड़ी थे, जिन पर पूरी टीम भरोसा करती थी। 1970 और 1980 के दशक में वो भारतीय बल्लेबाजी लाइन अप की ताकत हुआ करते थे। बल्ले के साथ-साथ वो गेंदबाजी में भी माहिर थे।

मोहिंदर न सिर्फ एक जुझारू क्रिकेटर थे, बल्कि बेखौफ होकर अपनी बात रखने वाले इंसान भी रहे हैं। क्रिकेट की गहरी समझ और बतौर एनालिस्ट वो खिलाड़ियों और टीमों को आइना दिखाने में कभी पीछे नहीं हटे।

मोहिंदर ने 1969 में अपना पहला मैच एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर के रूप में किया, लेकिन अपने करियर के टॉप पर वे हमेशा एक शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के रूप में पहचाने गए। हालांकि, वे गेंदबाजी में भी कुशल थे और गेंद को बड़े कौशल और नियंत्रण के साथ स्विंग और कट करने का माद्दा रखते थे।

उनके नाम 69 टेस्ट मैच में 4,378 रन, जिसमें 11 शतक और 24 अर्धशतक शामिल हैं। साथ ही उन्होंने 55.68 औसत से 32 विकेट भी लिए हैं। 85 वनडे मैच में उन्होंने 30.53 के औसत से 1924 रन बनाए। उनका सर्वोच्च स्कोर (नाबाद 102 रन) का है। 42.84 रन के औसत से उन्होंने 46 विकेट भी लिए।

–आईएएनएस

एएमजे/सीबीटी

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नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। 24 सितंबर को कई बरसों पहले एक ऐसे खिलाड़ी का जन्म हुआ था, जो भारत के पहले व‍िश्‍व खिताब का हीरो था। नाम है- मोहिंदर अमरनाथ। उन्हें ‘जिम्मी’ के नाम से भी जाना जाता है। अपने समय के तेज गेंदबाजों का सामना करने में ये बल्लेबाज माहिर था।

मोहिंदर अमरनाथ पूर्व भारतीय क्रिकेटर और वर्तमान क्रिकेट विश्लेषक (एनालिस्ट) हैं। उन्होंने ऐतिहासिक विश्व कप 1983 में शानदार प्रदर्शन किया था। सेमीफाइनल और फाइनल मैच में उन्हें मैन ऑफ द मैच’ के खिताब से भी नवाजा गया।

‘जिमी’ के नाम से मशहूर मोहिंदर के खून में ही क्रिकेट था। उनके पिता लाला अमरनाथ और भाई सुरिंदर अमरनाथ भी क्रिकेटर थे। खास तौर पर लाला अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के इतिहास में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।

वहीं मोहिंदर एक ऐसे अद्भुत और जुझारू खिलाड़ी थे, जिन पर पूरी टीम भरोसा करती थी। 1970 और 1980 के दशक में वो भारतीय बल्लेबाजी लाइन अप की ताकत हुआ करते थे। बल्ले के साथ-साथ वो गेंदबाजी में भी माहिर थे।

मोहिंदर न सिर्फ एक जुझारू क्रिकेटर थे, बल्कि बेखौफ होकर अपनी बात रखने वाले इंसान भी रहे हैं। क्रिकेट की गहरी समझ और बतौर एनालिस्ट वो खिलाड़ियों और टीमों को आइना दिखाने में कभी पीछे नहीं हटे।

मोहिंदर ने 1969 में अपना पहला मैच एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर के रूप में किया, लेकिन अपने करियर के टॉप पर वे हमेशा एक शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के रूप में पहचाने गए। हालांकि, वे गेंदबाजी में भी कुशल थे और गेंद को बड़े कौशल और नियंत्रण के साथ स्विंग और कट करने का माद्दा रखते थे।

उनके नाम 69 टेस्ट मैच में 4,378 रन, जिसमें 11 शतक और 24 अर्धशतक शामिल हैं। साथ ही उन्होंने 55.68 औसत से 32 विकेट भी लिए हैं। 85 वनडे मैच में उन्होंने 30.53 के औसत से 1924 रन बनाए। उनका सर्वोच्च स्कोर (नाबाद 102 रन) का है। 42.84 रन के औसत से उन्होंने 46 विकेट भी लिए।

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नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। 24 सितंबर को कई बरसों पहले एक ऐसे खिलाड़ी का जन्म हुआ था, जो भारत के पहले व‍िश्‍व खिताब का हीरो था। नाम है- मोहिंदर अमरनाथ। उन्हें ‘जिम्मी’ के नाम से भी जाना जाता है। अपने समय के तेज गेंदबाजों का सामना करने में ये बल्लेबाज माहिर था।

मोहिंदर अमरनाथ पूर्व भारतीय क्रिकेटर और वर्तमान क्रिकेट विश्लेषक (एनालिस्ट) हैं। उन्होंने ऐतिहासिक विश्व कप 1983 में शानदार प्रदर्शन किया था। सेमीफाइनल और फाइनल मैच में उन्हें मैन ऑफ द मैच’ के खिताब से भी नवाजा गया।

‘जिमी’ के नाम से मशहूर मोहिंदर के खून में ही क्रिकेट था। उनके पिता लाला अमरनाथ और भाई सुरिंदर अमरनाथ भी क्रिकेटर थे। खास तौर पर लाला अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के इतिहास में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।

वहीं मोहिंदर एक ऐसे अद्भुत और जुझारू खिलाड़ी थे, जिन पर पूरी टीम भरोसा करती थी। 1970 और 1980 के दशक में वो भारतीय बल्लेबाजी लाइन अप की ताकत हुआ करते थे। बल्ले के साथ-साथ वो गेंदबाजी में भी माहिर थे।

मोहिंदर न सिर्फ एक जुझारू क्रिकेटर थे, बल्कि बेखौफ होकर अपनी बात रखने वाले इंसान भी रहे हैं। क्रिकेट की गहरी समझ और बतौर एनालिस्ट वो खिलाड़ियों और टीमों को आइना दिखाने में कभी पीछे नहीं हटे।

मोहिंदर ने 1969 में अपना पहला मैच एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर के रूप में किया, लेकिन अपने करियर के टॉप पर वे हमेशा एक शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के रूप में पहचाने गए। हालांकि, वे गेंदबाजी में भी कुशल थे और गेंद को बड़े कौशल और नियंत्रण के साथ स्विंग और कट करने का माद्दा रखते थे।

उनके नाम 69 टेस्ट मैच में 4,378 रन, जिसमें 11 शतक और 24 अर्धशतक शामिल हैं। साथ ही उन्होंने 55.68 औसत से 32 विकेट भी लिए हैं। 85 वनडे मैच में उन्होंने 30.53 के औसत से 1924 रन बनाए। उनका सर्वोच्च स्कोर (नाबाद 102 रन) का है। 42.84 रन के औसत से उन्होंने 46 विकेट भी लिए।

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नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। 24 सितंबर को कई बरसों पहले एक ऐसे खिलाड़ी का जन्म हुआ था, जो भारत के पहले व‍िश्‍व खिताब का हीरो था। नाम है- मोहिंदर अमरनाथ। उन्हें ‘जिम्मी’ के नाम से भी जाना जाता है। अपने समय के तेज गेंदबाजों का सामना करने में ये बल्लेबाज माहिर था।

मोहिंदर अमरनाथ पूर्व भारतीय क्रिकेटर और वर्तमान क्रिकेट विश्लेषक (एनालिस्ट) हैं। उन्होंने ऐतिहासिक विश्व कप 1983 में शानदार प्रदर्शन किया था। सेमीफाइनल और फाइनल मैच में उन्हें मैन ऑफ द मैच’ के खिताब से भी नवाजा गया।

‘जिमी’ के नाम से मशहूर मोहिंदर के खून में ही क्रिकेट था। उनके पिता लाला अमरनाथ और भाई सुरिंदर अमरनाथ भी क्रिकेटर थे। खास तौर पर लाला अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के इतिहास में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।

वहीं मोहिंदर एक ऐसे अद्भुत और जुझारू खिलाड़ी थे, जिन पर पूरी टीम भरोसा करती थी। 1970 और 1980 के दशक में वो भारतीय बल्लेबाजी लाइन अप की ताकत हुआ करते थे। बल्ले के साथ-साथ वो गेंदबाजी में भी माहिर थे।

मोहिंदर न सिर्फ एक जुझारू क्रिकेटर थे, बल्कि बेखौफ होकर अपनी बात रखने वाले इंसान भी रहे हैं। क्रिकेट की गहरी समझ और बतौर एनालिस्ट वो खिलाड़ियों और टीमों को आइना दिखाने में कभी पीछे नहीं हटे।

मोहिंदर ने 1969 में अपना पहला मैच एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर के रूप में किया, लेकिन अपने करियर के टॉप पर वे हमेशा एक शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के रूप में पहचाने गए। हालांकि, वे गेंदबाजी में भी कुशल थे और गेंद को बड़े कौशल और नियंत्रण के साथ स्विंग और कट करने का माद्दा रखते थे।

उनके नाम 69 टेस्ट मैच में 4,378 रन, जिसमें 11 शतक और 24 अर्धशतक शामिल हैं। साथ ही उन्होंने 55.68 औसत से 32 विकेट भी लिए हैं। 85 वनडे मैच में उन्होंने 30.53 के औसत से 1924 रन बनाए। उनका सर्वोच्च स्कोर (नाबाद 102 रन) का है। 42.84 रन के औसत से उन्होंने 46 विकेट भी लिए।

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नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। 24 सितंबर को कई बरसों पहले एक ऐसे खिलाड़ी का जन्म हुआ था, जो भारत के पहले व‍िश्‍व खिताब का हीरो था। नाम है- मोहिंदर अमरनाथ। उन्हें ‘जिम्मी’ के नाम से भी जाना जाता है। अपने समय के तेज गेंदबाजों का सामना करने में ये बल्लेबाज माहिर था।

मोहिंदर अमरनाथ पूर्व भारतीय क्रिकेटर और वर्तमान क्रिकेट विश्लेषक (एनालिस्ट) हैं। उन्होंने ऐतिहासिक विश्व कप 1983 में शानदार प्रदर्शन किया था। सेमीफाइनल और फाइनल मैच में उन्हें मैन ऑफ द मैच’ के खिताब से भी नवाजा गया।

‘जिमी’ के नाम से मशहूर मोहिंदर के खून में ही क्रिकेट था। उनके पिता लाला अमरनाथ और भाई सुरिंदर अमरनाथ भी क्रिकेटर थे। खास तौर पर लाला अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के इतिहास में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।

वहीं मोहिंदर एक ऐसे अद्भुत और जुझारू खिलाड़ी थे, जिन पर पूरी टीम भरोसा करती थी। 1970 और 1980 के दशक में वो भारतीय बल्लेबाजी लाइन अप की ताकत हुआ करते थे। बल्ले के साथ-साथ वो गेंदबाजी में भी माहिर थे।

मोहिंदर न सिर्फ एक जुझारू क्रिकेटर थे, बल्कि बेखौफ होकर अपनी बात रखने वाले इंसान भी रहे हैं। क्रिकेट की गहरी समझ और बतौर एनालिस्ट वो खिलाड़ियों और टीमों को आइना दिखाने में कभी पीछे नहीं हटे।

मोहिंदर ने 1969 में अपना पहला मैच एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर के रूप में किया, लेकिन अपने करियर के टॉप पर वे हमेशा एक शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के रूप में पहचाने गए। हालांकि, वे गेंदबाजी में भी कुशल थे और गेंद को बड़े कौशल और नियंत्रण के साथ स्विंग और कट करने का माद्दा रखते थे।

उनके नाम 69 टेस्ट मैच में 4,378 रन, जिसमें 11 शतक और 24 अर्धशतक शामिल हैं। साथ ही उन्होंने 55.68 औसत से 32 विकेट भी लिए हैं। 85 वनडे मैच में उन्होंने 30.53 के औसत से 1924 रन बनाए। उनका सर्वोच्च स्कोर (नाबाद 102 रन) का है। 42.84 रन के औसत से उन्होंने 46 विकेट भी लिए।

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नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। 24 सितंबर को कई बरसों पहले एक ऐसे खिलाड़ी का जन्म हुआ था, जो भारत के पहले व‍िश्‍व खिताब का हीरो था। नाम है- मोहिंदर अमरनाथ। उन्हें ‘जिम्मी’ के नाम से भी जाना जाता है। अपने समय के तेज गेंदबाजों का सामना करने में ये बल्लेबाज माहिर था।

मोहिंदर अमरनाथ पूर्व भारतीय क्रिकेटर और वर्तमान क्रिकेट विश्लेषक (एनालिस्ट) हैं। उन्होंने ऐतिहासिक विश्व कप 1983 में शानदार प्रदर्शन किया था। सेमीफाइनल और फाइनल मैच में उन्हें मैन ऑफ द मैच’ के खिताब से भी नवाजा गया।

‘जिमी’ के नाम से मशहूर मोहिंदर के खून में ही क्रिकेट था। उनके पिता लाला अमरनाथ और भाई सुरिंदर अमरनाथ भी क्रिकेटर थे। खास तौर पर लाला अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के इतिहास में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।

वहीं मोहिंदर एक ऐसे अद्भुत और जुझारू खिलाड़ी थे, जिन पर पूरी टीम भरोसा करती थी। 1970 और 1980 के दशक में वो भारतीय बल्लेबाजी लाइन अप की ताकत हुआ करते थे। बल्ले के साथ-साथ वो गेंदबाजी में भी माहिर थे।

मोहिंदर न सिर्फ एक जुझारू क्रिकेटर थे, बल्कि बेखौफ होकर अपनी बात रखने वाले इंसान भी रहे हैं। क्रिकेट की गहरी समझ और बतौर एनालिस्ट वो खिलाड़ियों और टीमों को आइना दिखाने में कभी पीछे नहीं हटे।

मोहिंदर ने 1969 में अपना पहला मैच एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर के रूप में किया, लेकिन अपने करियर के टॉप पर वे हमेशा एक शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के रूप में पहचाने गए। हालांकि, वे गेंदबाजी में भी कुशल थे और गेंद को बड़े कौशल और नियंत्रण के साथ स्विंग और कट करने का माद्दा रखते थे।

उनके नाम 69 टेस्ट मैच में 4,378 रन, जिसमें 11 शतक और 24 अर्धशतक शामिल हैं। साथ ही उन्होंने 55.68 औसत से 32 विकेट भी लिए हैं। 85 वनडे मैच में उन्होंने 30.53 के औसत से 1924 रन बनाए। उनका सर्वोच्च स्कोर (नाबाद 102 रन) का है। 42.84 रन के औसत से उन्होंने 46 विकेट भी लिए।

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