deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home अंतरराष्ट्रीय

बलूचिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा और इस्लामिक स्टेट खुरासान का नया आतंकी गठजोड़

देशबन्धु by देशबन्धु
October 7, 2025
in अंतरराष्ट्रीय
0
बलूचिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा और इस्लामिक स्टेट खुरासान का नया आतंकी गठजोड़
0
SHARES
2
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई, आतंकवादी संगठनों को क्षेत्रीय नीतियों के साधन के रूप में इस्तेमाल करते आए हैं। पाकिस्तान की यह नीति अब और भी गहराती जा रही है।

READ ALSO

प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन को 73वें जन्मदिन की दी बधाई

साउथ कोरिया में राष्ट्रीय त्योहार का जश्न, राष्ट्रपति ने लोगों का जीवन सुधारने का दोहराया संकल्प

ताजा रिपोर्ट्स से पता चला है कि पाकिस्तान अब इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) को अपने हाइब्रिड वॉरफेयर उपकरण के रूप में प्रयोग कर रहा है। वह ऐसा इसलिए कर रहा है ताकि बलूच राष्ट्रवादियों और अफगान तालिबान के उन गुटों को निशाना बनाया जा सके, जो इस्लामाबाद के नियंत्रण में नहीं हैं।

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

हाल ही में आईएसकेपी की प्रचार पत्रिका ‘यलगार’ में प्रकाशित लेखों ने एक चिंताजनक संकेत दिया है। इस संगठन ने अब जम्मू-कश्मीर में अपनी आतंकी गतिविधियों का विस्तार करने का खुला इरादा जताया है।

सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम पाकिस्तान की ‘डीप स्टेट’ की प्रत्यक्ष प्रेरणा और संरक्षण में उठाया गया है। इस खतरनाक योजना की ताजा कड़ी के रूप में, पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा और आईएसकेपी के बीच गुप्त गठजोड़ के प्रमाण सामने आए हैं।

सूत्रों के अनुसार, आईएसआई ने दोनों संगठनों को एक साथ लाकर उनके नेटवर्क, फंडिंग और हथियार आपूर्ति को साझा कराने का नया ढांचा तैयार किया है। हाल ही में सामने आई एक तस्वीर ने इस आतंकी गठबंधन को उजागर कर दिया है। इसमें आईएसकेपी के बलूचिस्तान समन्वयक मीर शफीक को लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर राणा मोहम्मद अशफाक को पिस्तौल भेंट करते देखा गया है। यह फोटो पाकिस्तान की आतंकी संरचना में आईएसआई की गहरी भूमिका का एक और प्रमाण मानी जा रही है।

मुख्य किरदार राणा मोहम्मद अशफाक इस समय लश्कर-ए-तैयबा का ‘नाजिम-ए-आला’ है, जो पूरे पाकिस्तान में संगठन के नए मरकज स्थापित कर रहा है। वहीं, मीर शफीक बलूचिस्तान के पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री नासिर मेंगल का बेटा है। वह पिछले एक दशक से आईएसआई का प्रमुख सहयोगी माना जाता है। 2010 से उसने आईएसआई के आदेश पर एक निजी ‘डेथ स्क्वॉड’ का संचालन किया, जिसने बलूच राष्ट्रवादी नेताओं और कार्यकर्ताओं की हत्या की। वह 2015 के बाद से आईएसकेपी का मुख्य संपर्क सूत्र बन गया, जिसने मास्टुंग और खुजदार जिलों में आतंकी ठिकाने स्थापित किए। पाकिस्तान की ही एक जॉइंट इन्वेस्टिगेशन टीम रिपोर्ट में 2015 में उसका नाम दर्ज किया गया था।

रिपोर्ट बताती है कि 2018 तक आईएसकेपी को आईएसआई की सीधी मदद से बलूचिस्तान में दो बड़े ऑपरेशनल कैंप मिले। शफीक इन कैंपों का ‘इंचार्ज’ था और हथियारों, पैसों और आतंकियों की आपूर्ति की जिम्मेदारी उसी के पास थी। 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद आईएसआई ने आईएसकेपी को बलूचिस्तान में मजबूत किया। मास्टुंग कैंप को बलूच विद्रोहियों पर हमला करने का काम दिया गया, जबकि खुजदार कैंप अफगानिस्तान में सीमा पार हमलों के लिए सक्रिय रहा।

मार्च 2025 में बलूच विद्रोहियों ने मास्टुंग स्थित आईएसकेपी ठिकाने पर हमला किया, जिसमें लगभग 30 आतंकी मारे गए। इसके बाद आईएसआई ने लश्कर-ए-तैयबा को हस्तक्षेप का आदेश दिया। जून 2025 में लश्कर प्रमुख राणा अशफाक और उसका डिप्टी सैफुल्लाह कसूरी बलूचिस्तान पहुंचे, जहां एक जिरगा में जिहाद की घोषणा की गई। अब सामने आई मीर शफीक मेंगल और राणा अशफाक की तस्वीर इस गठबंधन की औपचारिक पुष्टि करती है।

विश्लेषकों का मानना है कि यह साझेदारी बलूच विद्रोहियों और अफगान तालिबान के उन गुटों पर हमलों के लिए बनाई गई है, जो पाकिस्तान के नियंत्रण से बाहर हैं। लश्कर-ए-तैयबा का बलूचिस्तान में प्रभाव नया नहीं है। क्वेटा स्थित मरकज तकवा, जिसकी अगुवाई अफगान युद्ध के अनुभवी मियां साकिब हुसैन करते हैं, यहां वर्षों से सक्रिय है। 2002 से 2009 तक लश्कर ने यहां प्रशिक्षण शिविर भी चलाए। यही वह जगह है, जहां इंडियन मुजाहिदीन के सह-संस्थापक यासीन भटकल ने 2006 में हथियार प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

अब यह आशंका जताई जा रही है कि लश्कर अपने लड़ाकों को आईएसकेपी के साथ मिलाकर बलूच विद्रोहियों के खिलाफ तैनात करेगा। यह ठीक उसी तरह है, जैसे उसने अफगान जिहाद के समय अल-कायदा के साथ गठबंधन किया था। विशेषज्ञों का मानना है कि लश्कर-ए-तैयबा और इस्लामिक स्टेट खुरासान के बीच आईएसआई की मध्यस्थता में हुआ यह गठबंधन पाकिस्तान के आतंकी तंत्र में एक खतरनाक बदलाव का संकेत है। विचारधारात्मक रूप से भिन्न संगठन अब एक ही उद्देश्य से इस्लामाबाद की भू-राजनीतिक और सांप्रदायिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए काम कर रहे हैं। यह गठजोड़ न केवल बलूचिस्तान और अफगानिस्तान की स्थिरता के लिए बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की शांति के लिए एक गंभीर खतरा बन चुका है।

ADVERTISEMENT

–आईएएनएस

जीसीबी/एसके

देशबन्धु

Related Posts

प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन को 73वें जन्मदिन की दी बधाई
अंतरराष्ट्रीय

प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन को 73वें जन्मदिन की दी बधाई

October 7, 2025
साउथ कोरिया में राष्ट्रीय त्योहार का जश्न, राष्ट्रपति ने लोगों का जीवन सुधारने का दोहराया संकल्प
अंतरराष्ट्रीय

साउथ कोरिया में राष्ट्रीय त्योहार का जश्न, राष्ट्रपति ने लोगों का जीवन सुधारने का दोहराया संकल्प

October 7, 2025
राष्ट्रीय दिवस की छुट्टियों में मकाऊ का पर्यटन बाजार हुआ गुलजार
अंतरराष्ट्रीय

राष्ट्रीय दिवस की छुट्टियों में मकाऊ का पर्यटन बाजार हुआ गुलजार

October 7, 2025
ली छ्यांग की डीपीआरके यात्रा पर चीनी विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
अंतरराष्ट्रीय

ली छ्यांग की डीपीआरके यात्रा पर चीनी विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया

October 7, 2025
ली छ्यांग डीपीआरके की आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे
अंतरराष्ट्रीय

ली छ्यांग डीपीआरके की आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे

October 7, 2025
क्वांटम यांत्रिकी में कार्य के लिए 3 वैज्ञानिकों को भौतिकी का नोबेल पुरस्कारक्वांटम यांत्रिकी में कार्य के लिए 3 वैज्ञानिकों को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार
अंतरराष्ट्रीय

क्वांटम यांत्रिकी में कार्य के लिए 3 वैज्ञानिकों को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार

October 7, 2025
Next Post
हिमालय की गोद में बसे गर्ब्यांग गांव में सेना ने शुरू किया होमस्टे, बुकिंग के लिए नंबर जारी

हिमालय की गोद में बसे गर्ब्यांग गांव में सेना ने शुरू किया होमस्टे, बुकिंग के लिए नंबर जारी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

119584
Total views : 6043358
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In