रायपुर, 8 मार्च (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके में तैनात सुरक्षा बल के जवान अपनी समस्याओं और जरुरतों को दरकिनार कर जिम्मेदारी का निर्वहन करते हैं। ऐसी ही हैं बस्तर फाइटर्स की दल कमांडर सुनैना पटेल, जिन्होंने गर्भावस्था के सातवें माह तक जंगल में गश्त किया।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय दंतेवाड़ा जिले के जावंगा पहुंचे। यहां उन्होंने डीआरजी, सीआरपीएफ और नारायणपुर के बस्तर फाईटर्स की महिला सैनिकों से संवाद किया।
संवाद के दौरान मुख्यमंत्री से बस्तर फाइटर्स की दल कमांडर सुनैना पटेल ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने होम गार्ड के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की थी। एक कमांडों के रूप में उन्होंने अपनी गर्भावस्था के 7वें महीने तक जंगल में गश्त किया। नक्सली मुठभेड़ में उनकी भूमिका के परिणाम स्वरूप उन्हें आउट ऑफ टर्न पदोन्नति भी मिली है।
मुख्यमंत्री साय ने आश्चर्य व्यक्त कर कहा कि आज बहुत ही भावुक करने वाला दिन है। बचपन में मुझसे एक बुजुर्ग पूछते थे कि क्या मैं अपने हाथ में एक ईंट लेकर नौ महीने तक चल सकता हूं। मेरा जवाब था कि बिलकुल नहीं, नौ महीना क्या शायद एक दिन भी मैं इतना बोझ लेकर नहीं चल सकता। तब, मेरे बुजुर्ग बताते थे कि सोचो एक मां नौ महीने तक अपने पेट में एक बोझ लिए चलती रहती है और उसे बोझ भी नहीं मानती, उसे वह जीवन मानती है। इसलिए, मां को महान माना गया है। आपने अपनी गर्भावस्था के दौरान भी अपने व्यावसायिक कर्तव्य के लिए कठिन शारीरिक परिश्रम जारी रखा, जिसे लोग सामान्य समय में भी करने में आलस्य करते हैं।
मुख्यमंत्री से संवाद के दौरान दंतेश्वरी फाइटर्स की सैलेंद्री ने उन्हें बताया कि वह 33 साल की गृहिणी और दो बच्चों की मां भी हैं। उन्हें वर्दी के आकर्षण ने सुरक्षा बल में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। दो बार उन्होंने प्रवेश परीक्षा दी, जिसमें असफल रहीं। अंततः सभी बाधाओं को पार करते हुए सफल होकर आज वो जॉब कर रही हैं। साथ ही अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं।
मुख्यमंत्री ने उनकी बात सुनकर आश्चर्यचकित होते हुए कहा कि 33 वर्षीय सामान्य गृहिणी के साथ ही दो बच्चों की मां होने के बावजूद आपने पुलिस कांस्टेबल की फिजिकल परीक्षा को सरलता से क्वालीफाई किया, ये आसान बात नहीं है।
–आईएएनएस
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