उमरिया. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हालहीं में हुई 10 हाथियों की मौत की गुत्थी अब भी सुलझ नहीं पा रही हैं. मामले में अब भी जहां कई जगहों पर भेजी गई विसरा जांच रिपोर्ट आने की प्रतीक्षा की जा रही हैं वहीं आनन-फानन में आई प्रारंभिक जांच रिपोर्ट खास तौर पर पर्यावरणविदों, वन्य प्राणी विशेषज्ञों के साथ ही क्षेत्रीय आदिवासी ग्रामीणों के गले नहीं उतर रही हैं. जिसमें हाथियों की आंतों में न्यूरोटॉक्सिन साइक्लोपियाज़ोनिक एसिड बताते हुए कहा जा रहा था कि फफूंदी लगे कोदो और बाजरा में इस एसिड के होने की वजह से हाथियों की जान गई.
इस दुखद घटना के बाद हाथियों के झुंड में शेष बचे एक शिशु हाथी का हालहीं में खासी मशक्कत के बाद रेस्क्यू किया जा सका था वहीं शुक्रवार को एक और शिशु हाथी का रेस्क्यू किया गया. वहीं सुनने में आया हैं कि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखने सैटेलाइट कॉलर का इस्तेमाल करने की योजना बनाई जा रही हैं.
ज्ञात हो कि मामले में पर्यावरणविदों, वन्य प्राणी विशेषज्ञों और स्थानीय जनों द्वारा हाथियों की साजिशन हत्या के गंभीर आरोपों के बीच प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने भी सप्रमाण आरोप लगाए हैं कि हाथियों को रिसोर्ट संचालन में आ रही बाधा के चलते रिसोर्ट संचालकों ने सुनियोजित तरीके से जहर देकर हत्या की गई.
वहीं घटना के बाद प्रदेश सरकार में मची खलबली के बाद जहां बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के दो शीर्ष अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया वहीं मामले को गंभीरता से लेते हुए स्वयं मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घोषणा की हैं कि इस मामले में यदि कोई अन्य दोषी पाया जाता हैं तो उसे बख्शा नहीं जाएगा.
प्रदेश सरकार सतर्क
प्रदेश के उमरिया जिले में 29 अक्टूबर को हाथियों की मौत की घटना के बाद सरकार सतर्क हो गई है. इस तरह की घटनाओं की भविष्य में पुनरावृत्ति न हो इसके लिए जहां हाथियों को सैटेलाइट कॉलर लगा कर नजर रखने पर विचार किया जा रहा हैं वहीं इससे पहले मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घोषणा की कि प्रदेश के वन अधिकारियों को हाथियों की अधिक आबादी वाले अन्य राज्यों में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा.
ज्ञात हो कि 29 अक्टूबर को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 3 दिनों में 10 हाथियों के मरने की घटनाएं सामने आई थीं. यहां के खलील रेंज के अंतर्गत सांखनी और बकेली में 4 जंगली हाथी मृत पाए गए थे. इसके बाद 30 अक्टूबर को 4 और हाथी मृत मिले. मौतों का ये सिलसिला 31 अक्टूबर को भी जारी रहा और दो और हाथियों की मौत हो गई.
तमिलनाडु से मंगाए गए सैटेलाइट कॉलर
राज्य के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि विभाग ने तमिलनाडु से दो सैटेलाइट कॉलर मांगे हैं, जो इस हफ्ते पहुंचने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, हम बीटीआर में दो हाथियों पर उन्हें लगाकर शुरुआत करेंगे. इसके अलावा राज्य के सभी 150 जंगली हाथियों पर भी सैटेलाइट कॉलर लगाने की योजना है. गौरतलब है कि एल कृष्णमूर्ति को राज्य में हाथियों के प्रबंधन के लिए गठित 9 सदस्यीय हाथी सलाहकार समिति का प्रमुख भी बनाया गया है. यह समिति दो दिन पहले ही गठित की गई है.
खासी मशक्कत के दो शिशु हाथियों का रेस्क्यू
हाथियों की मौत बाद शेष बचे हाथियों के जंगल छोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में पहुँचने की खबरें भी आ रही है. हाथियों की मौत के बाद झुंड में शामिल एक शिशु हाथी भटककर एक खेत में घुस गया था. जिसे दो दिन पूर्व ग्रामीणों की सूचना के बाद वन विभाग की टीम ने उसे रेस्क्यू कर बांधवगढ़ नेशनल पार्क पहुंचाया. वहीं शुक्रवार को एक और शिशु हाथी की खबर मिलने के बाद वन विभाग की टीम ने इस शिशु हाथी को रेस्क्यू किया गया.
वन विभाग के करीब 100 कर्मचारियों की टीम रात भर खेत में शिशु हाथी पर निगरानी रखे रही, अफसरों ने चार हाथियों की टीम बनाई और फिर उजाला होते ही रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया, खासी मशक्कत के बाद वन विभाग के कर्मचारियों ने सफलता पूर्वक हाथी के बच्चे को रेस्क्यू कर लिया और फिर पिकअप वाहन से बांधवगढ़ नेशनल पार्क में पहुंचा दिया. स्थानीय ग्रामीणों का आरोप हैं कि जितनी मुस्तैदी वन कर्मियों ने शिशु हाथी को रेस्क्यू करने के लिए दिखाई इतनी 29 से 31 अक्टूबर में दर्द से चिंघाड़ते हाथियों के बचाव में दिखाई जाती तो शायद कुछ हाथियों बचाया भी जा सकता था.