उमरिया. बांधवगढ़ मेंं 10 से अधिक हाथियों की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत के बाद पहले पूरा ठीकरा कोदों और बाजार पर फोडऩे किया गया कुत्सित प्रयास किया गया, आनन-फानन में रिपोर्ट भी सार्वजनिक कर दी गई लेकिन मामले के अन्य जांच एजेंसियों और केंद्र सरकार के संज्ञान में आने के बाद हाथियों की मौत जहर देने की बात कुछ हद तक सामने आने लगी थी. बताया गया कि फसलों में जहरीले कीटनाशकों के छिड़काव के असर से हाथी असमय काल का ग्रास बने.
सत्यता सामने आने की वजह से क्षेत्र के प्रभावशाली रिसोर्ट संचालकों ने पलायन की तैयारी भी कर ली थी लेकिन क्षेत्र में राजनीति से जुड़े एक प्रभावशाली रिसोर्ट संचालक के इशारे पर पुन: नई पटकथा लिखने के प्रयास हो रहे हैं. हालहीं में क्षेत्र के कुछ ग्रामीणों के बीमार पडऩे की वजह कोदों को बताया जा रहा हैं.
एनआरआई कोटे से सीट भरने पर रोक
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जिस कोदों की तारीफ की गई और जिसे मिलेट्स और श्री अन्न स्वयं केंद्र सरकार द्वारा कहकर इसकी कृषि को प्रोत्साहित किया जा रहा हैं उसी कोदो के पीछे रिसोर्ट संचालकों के इशारों पर क्यों क्षेत्र के जिम्मेदार विभागों के लोग पड़ गए हैं ये बात न तो राज्य सरकार समझ पा रही हैं न हीं केंद्र में इस मामले में नजर रखे हुए अधिकारी. कोदों जैसे श्री अन्न के रूप में परिभाषित अन्न को इस तरह बदनाम करने की साजिश को लेकर जल्द ही केंद्र से कोई सख्त बयान जारी होने के संकेत मिल रहे हैं.
कोदो, जिसे अंग्रेजी में कोदो मिलेट या काउ ग्रास के नाम से जाना जाता है. कोदो के दानों को मिलेट के रूप में खाया जाता है और कोदो का वानस्पतिक नाम पास्पलम स्कोर्बीकुलातम हैं. कोदो औषधीय महत्व की फसल है. इसे शुगर फ्री चावल के नाम से ही पहचान मिली है. यह मधुमेह के रोगियों के लिए उपयुक्त आहार है. स्वास्थ्य और खाद्य पदार्थों के विशेषज्ञ, वन्य आधारित खेती के जनक मिलेट मेन ऑफ़ इंडिया के नाम से जाने जाते हैं खादर वली. वली बताते हैं, मिलेट स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए वरदान हैं, जिनके माध्यम से आधुनिक जीवन शैली की बीमारियों (मधुमेह, रक्तचाप, थायराइड, मोटापा, गठिया, एनीमिया और 14 प्रकार के कैंसर) को ठीक किये जा सकते हैं.
वर्ष 2009 में जर्नल ऑफ एथनोफार्माकोलोजी में प्रकाशित एक शोध कोदो को मधुमेह के रोगियों के लिए स्वास्थ्यवर्धक पाता है. वहीं, वर्ष 2005 में फूड केमिस्ट्री नामक जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार कोदो में फाइबर काफी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, जो लोगों को मोटापे से बचाता है.
वर्ष 2014 में प्रकाशित पुस्तक हीलिंग ट्रडिशंस ऑफ द नॉर्थवेस्टर्न हिमालयाज के अनुसार कोदो बुरे कोलेस्ट्रोल घटाने में भी मददगार साबित होता है.
बताया जा रहा कोदो का इंसानों पर कहर!
सूत्रों के अनुसार हालहीं में शहडोल में ग्रामीणों के बीमार पडऩे की घटना के बाद यह षणयंत्रपूर्वक दुष्प्रचारित किया जा रहा हैं कि कोदो की रोटी और चने की भाजी खाने से एक ही परिवार के चार सदस्य बीमार हो गए हैं. सभी की हालत गंभीर बनी हुई है, उन्हें परिजनों ने अस्पताल में लाकर भर्ती कराया है. जहां उन सभी का उपचार शुरू हो गया. इसके साथ यह बात भी जोड़ी जा रही हैं कि कुछ दिन पहले हुई हाथियों की मौत के पीछे भी कथित तौर पर कोदो के होने की बात कही जा रही थी.
मामला शहडोल मुख्यालय से लगे गांव खम्हरिया पंचायत के ददरा टोला का है. जानकारी के अनुसार बीती रात एक परिवार के सदस्यों ने कोदो की रोटी के साथ चने की भाजी खाई थी, इसके कुछ देर बाद उन्हें उल्टी दस्त शुरू हो गई और तबीयत बिगडऩे लगी. एक युवक ने खाना नहीं खाया था, उसकी तबीयत नहीं बिगड़ी और उसने पड़ोसियों से मदद लेकर सभी को जिला अस्पताल उपचार के लिए लाकर भर्ती करवाया.