वाशिंगटन, 3 सितंबर (आईएएनएस)। रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे विवेक रामास्वामी का एक दिलचस्प सुझाव है: अमेरिका को रणनीतिक अस्पष्टता की अपनी मौजूदा नीति में बदलाव करते हुए चीन से ताइवान की रक्षा करनी चाहिए, जब तक कि वह सेमीकंडक्टर के मामले में आत्मनिर्भर न हो जाये।
लेकिन राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस मामले में उनसे आगे निकलते हुए एक बार नहीं बल्कि चार बार स्पष्ट रूप से यह कहकर दशकों पुरानी अमेरिकी नीति को पहले ही बदल दिया है कि अमेरिका चीन के खिलाफ ताइवान की रक्षा करेगा।
उन्होंने तो सेमीकंडक्टर्स में आत्मनिर्भरता की शर्त के बिना यह प्रतिबद्धता जताई है, जो उनके प्रशासन के लिए प्राथमिकता वाला एजेंडा है। उन्होंने अमेरिका की एक-चीन नीति और रणनीतिक अस्पष्टता को भी नहीं बदला है, जिसका अनिवार्य रूप से मतलब है कि अमेरिका ताइवान पर चीनी आक्रमण के प्रति अपनी प्रतिक्रिया की पहले से घोषणा नहीं करेगा।
हालाँकि ऐसा लग सकता है कि रामास्वामी इस मामले में पिछड़ गये हैं, लेकिन वह अमेरिकी नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों के एक निश्चित वर्ग की बात दोहरा रहे हैं जो चीन के आक्रामक उदय के मद्देनजर अमेरिकी नीति में बदलाव की मांग कर रहे हैं।
विदेश मंत्री माइकल पोम्पिओ के 2020 में एक भाषण में चीन के साथ सख्त होने के आह्वान की धीमी गूंज को एक वाक्यांश में समझाया जा सकता है: “बहुत हो गया।”
संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपनी एक-चीन नीति के तहत ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ को ‘चीन’ के रूप में मान्यता देने की प्रतिबद्धता जताई है, न कि ताइवान के रूप में, जो खुद को एक अलग देश मानता है।
लेकिन अमेरिका ताइवान के साथ “मजबूत अनौपचारिक संबंध” बनाए रखता है। यह ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करता है, लेकिन यथास्थिति को बदलने के किसी भी पक्ष के एकतरफा प्रयास का विरोध करता है। इसने ताइवान संबंध अधिनियम के तहत ताइवान को किसी भी आक्रामकण से अपनी रक्षा करने में सक्षम बनाने के लिए उसे हथियार देने की प्रतिबद्धता जताई है।
चूंकि चीन द्वारा ताइवान को पूरी तरह देश में शामिल करने के लिए बल प्रयोग की संभावना कल्पना से अधिक वास्तविक हो गई है, अमेरिकियों ने इसे “अपरिहार्य” के रूप में देखना शुरू कर दिया है और इसके साथ ही टकराव की संभावना भी बढ़ गई है। बाइडेन ने कहा है कि अमेरिका अपनी सेना उतारकर हस्तक्षेप करेगा, और उन्होंने ऐसा इतनी बार कहा है कि उनके सहयोगियों ने इस पर स्पष्टीकरण देने की कोशिश बंद कर दी है।
जब सितंबर 2022 में एक साक्षात्कार में उनसे पूछा गया कि क्या अमेरिकी सेना ताइवान की रक्षा करेगी, तो उन्होंने कहा था: “हां, अगर वास्तव में कोई अभूतपूर्व हमला होगा तो।”
जब साक्षात्कारकर्ता ने दबाव डाला कि क्या यूक्रेन के विपरीत अमेरिकी पुरुष और महिलाएं द्वीप राष्ट्र की रक्षा करेंगी, तो उन्होंने कहा, “हां।”
इससे पहले उसी साल मई में, उनसे टोक्यो में एक संवाददाता सम्मेलन में पूछा गया था कि अगर चीन ने ताइवान पर आक्रमण किया तो क्या अमेरिका सैन्य हस्तक्षेप करेगा, और बिडेन ने कहा था, “हां।”
उन्होंने कहा, “हमने यही प्रतिबद्धता जताई है।”
बाइडेन के सहयोगियों ने बाद में स्पष्ट किया कि उनके बयान से एक-चीन नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। हालाँकि ऐसा हो सकता है, अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसे अब तक चार बार कहा है और तथाकथित अस्पष्टता की रणनीति से किसी भी अस्पष्टता को दूर करने के लिए यह पर्याप्त होना चाहिए।
बाइडेन की सितंबर की टिप्पणी तत्कालीन अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी के ताइवान के दौरे के बाद आई थी, जिससे चीन इतना नाराज हो गया था कि उसने ताइवान के हवाई क्षेत्र में लड़ाकू जेट उड़ाने जैसी आक्रामक सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी थी।
बीजिंग ने अमेरिका के साथ स्थापित एक टेलीफोन हॉटलाइन भी बंद कर दी थी और अभी भी इसे बहाल नहीं किया है।
–आईएएनएस
एकेजे